जब कोई कंपनी बोनस शेयर जारी करती है तो उसकी शेयर पूंजी बढ़ जाती है, यानि की कंपनी में शेयरों की संख्या ज्यादा हो जाती है जिसका फायदा उनके शेयरधारको को भी मिलता है। इसके अलावा, शेयरों की संख्या बढ़ने से स्टॉक की कीमत कम जाती है, जिससे कि रिटेल निवेशकों के लिए स्टॉक अधिक किफायती हो जाता है। इसलिए बोनस शेयर निवेशकों के लिए अच्छे है।

शेयर और डिबेंचर में अंतर क्या है | Difference between share and debenture in hindi

तात्कालिक समय में शेयर और डिबेंचर में निवेश करना व्यापार का एक अच्छा माध्यम बन गया है. समाज के किसी भी तबके, जाति धर्म के लोग इसके अंतर्गत अपने मेहनत से कमाए गये पैसे इस उद्देश्य और उम्मीद से निवेश करते हैं कि उसके एवज में उन्हें अच्छा ख़ासा ब्याज रिटर्न के तौर पर प्राप्त हो सकेगा. एक तरफ जहाँ शेयर किसी कंपनी के कैपिटल का शेयर होता है, वहीँ पर डिबेंचर एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के तौर पर सामने आता है. इसमें कंपनी एक तय दर से निवेशकों को लाभ पहुंचाती है. यहाँ पर इन दोनों का वर्णन किया जा रहा है.

किसी कंपनी के सबसे छोटे हिस्से को शेयर कहा जाता है. यह शेयर ओपन मार्केट में सेल के लिए लाया जाता है. इसकी सहायता से किसी कंपनी के कैपिटल में वृद्धि की जाती है. जिस क़ीमत पर यह शेयर लोगों को प्राप्त होता है, उसे शेयर प्राइस कहा जाता है. यह शेयर कंपनी के मालिकाना हक़ में शेयरहोल्डर का हिस्सा दर्शाता है. शेयर आमतौर पर स्थानांतरित किये जा सकते हैं और किसी कंपनी के लिए ये विभिन्न संख्या में मौजूद रहते हैं. शेयर मार्केट की जानकारी यहाँ पढ़ें.

Bonus Share Meaning in Hindi

बोनस शेयर बिना किसी अतिरिक्त लागत के शेयरधारकों को दिए गए अतिरिक्त शेयर हैं। ये कंपनी की कमाई है जो लाभांश के रूप में नहीं दी जाती है, शेयर क्या होते हैं बल्कि मुक्त शेयरों में परिवर्तित कर अपने शेयर धारको को दी जाती है। उदाहरण के लिए, यदि एवीसी कंपनी 1:1 बोनस इश्यू की घोषणा करती है, तो प्रत्येक शेयरधारक को उसके प्रत्येक शेयर के लिए एक शेयर मुफ्त मिलता है।

मानलो एक शेयरधारक के पास कंपनी के 100 शेयर हैं, तो उसे 100 बोनस शेयर प्राप्त होंगे, फिर उसके पास एवीसी कंपनी के कुल 200 शेयर हो जायेंगे।

एक बोनस इश्यू केवल स्वामित्व और जारी किए गए शेयर क्या होते हैं शेयरों को बढ़ाता है; यह न तो कंपनी के मूल्यांकन को बढ़ाता है और न ही प्रत्येक मौजूदा शेयरधारक के स्वामित्व वाले शेयरों के अनुपात को बदलता है। क्योंकि इसमें कोई नकदी प्रवाह शामिल नहीं है, इसलिए बोनस इश्यू केवल कंपनी की शेयर पूंजी बढ़ाता है, न कि शुद्ध संपत्ति।

कंपनियां बोनस शेयर क्यों जारी करती हैं?

बोनस शेयर शेयर मार्केट में लिस्टेड एक कंपनी के द्वारा जारी किए जाते हैं जब वह उस तिमाही के लिए अच्छा लाभ अर्जित करने के बावजूद धन की कमी के कारण अपने शेयरधारकों को लाभांश का भुगतान करने में सक्षम नहीं होते है। ऐसे में कंपनी डिवीडेंट देने के बजाय अपने मौजूदा शेयरधारकों को बोनस शेयर जारी करती है। ये बोनस शेयर मौजूदा शेयरधारकों को कंपनी में उनकी मौजूदा होल्डिंग के आधार पर दिए जाते हैं। मौजूदा शेयरधारकों को बोनस शेयर मिलना मुनाफे का संकेत है क्योंकि यह कंपनी के मुनाफे या भंडार में से दिया जाता है।

जब कोई कंपनी बोनस शेयर जारी करती है, तो इसके साथ “रिकॉर्ड तिथि” शब्द का प्रयोग किया जाता है। आइए अब हम शब्द के मतलव के बारे में जानें।

रिकॉर्ड तिथि क्या है?

रिकॉर्ड तिथि किसी कंपनी द्वारा निर्धारित एक कट-ऑफ तिथि होती है। यदि आप इस कट-ऑफ तिथि पर कंपनी के शेयरों के मालिक हैं तो आप बोनस शेयर प्राप्त करने के पात्र हैं। कंपनी द्वारा एक रिकॉर्ड तिथि निर्धारित की जाती है ताकि वे पात्र शेयरधारकों को ढूंढ सकें और उन्हें बोनस शेयर दे सकें।

एक्स-डेट, रिकॉर्ड डेट से एक दिन पहले की होती है। यहां निवेशक को बोनस शेयरों के लिए पात्र बनने के लिए एक्स-डेट से कम से कम एक दिन पहले शेयर खरीदना पड़ता है। तभी वह बोनस शेयरों के लिए पात्र के लिए होगा।

आइए अब बोनस शेयरों के फायदों के बारे में जानते है।

बोनस शेयरों के फायदे

  • बोनस शेयर कंपनी की तरफ से फ्री दिया जाता है इसलिए निवेशकों को कोई कर देने की आवश्यकता नहीं है।
  • यह कंपनी के लम्बी अवधि के शेयरधारकों के लिए बहुत फायदेमंद है जो अपना निवेश बढ़ाना चाहते हैं।
  • बोनस शेयर किसी कंपनी के संचालन में निवेशकों के विश्वास को बढ़ावा देते हैं क्योंकि कोई भी कंपनी अपने व्यवसाय के विकास के लिए नकदी का उपयोग करती है।
  • जब कोई कंपनी भविष्य में डिवीडेंट इशु करती है, तो निवेशक को अधिक लाभांश प्राप्त होगा क्योंकि अब उसके पास बोनस शेयरों के कारण उस कंपनी में ज्यादा शेयर हैं।
  • बोनस शेयर, शेयर बाजार को सकारात्मक संकेत देते हैं कि कंपनी अपनी लॉन्गटर्म ग्रोथ पर फोकस कर रही है।
  • बोनस शेयर की बजह से कंपनी में शेयरों की बढ़ोतरी होती है जिस कारण से स्टॉक की लिक्विडिटी भी बढती हैं।

क्या होते हैं भंगार शेयर? सिर्फ सस्ती कीमत देखकर ना खरीदें, जानिए Penny Stocks का गणित

क्या होते हैं भंगार शेयर? सिर्फ सस्ती कीमत देखकर ना खरीदें, जानिए Penny Stocks का गणित

पेनी स्टॉक्स में सिर्फ उनकी सस्ती कीमत देखकर ही पैसा नहीं लगाना चाहिए. कंपनी के बारे में अच्छे से जानकारी ले लेनी चाहिए. पेनी स्टॉक बहुत से लोगों के पैसे डुबाने के लिए बदनाम हैं.

शेयर बाजार (Share Market) में जब भी कोई नया-नया निवेश (Investment) करना शुरू करता है, तो उसे पेनी स्टॉक (Penny Stocks) बहुत आकर्षक लगते हैं. लगें भी क्यों नहीं, ये शेयर बहुत सस्ते होते हैं और नए निवेशकों को लगता है कि वह अधिक शेयर खरीद सकते हैं. पेनी स्टॉक को भंगार शेयर या चवन्नी शेयर भी कहा जाता है. ये शेयर लोगों को तगड़ा रिटर्न देने के लिए तो जाने ही जाते हैं, बहुत से लोगों को बर्बाद तक करने के लिए पेनी स्टॉक बदनाम हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ और समझते हैं इनमें निवेश (Investment in Penny Stocks) करना चाहिए या नहीं.

जानिए क्या होते हैं पेनी स्टॉक्स?

पेनी स्टॉक्स वह शेयर होते है, जिनकी कीमत बहुत ही कम होती है. अमूमन 10 रुपये से कम के शेयर को पेनी स्टॉक कहा जाता है. बहुत कम कीमत होने की वजह से ही इन शेयरों को भंगार शेयर या चवन्नी शेयर कहा जाता है. हालांकि, इन शेयरों में लिक्विडिटी काफी कम होती है, क्योंकि कीमत कम होने की वजह से लोग कम पैसों में बहुत अधिक शेयर खरीद लेते हैं.

वैसे तो बहुत से लोग पेनी स्टॉक में सिर्फ उसकी सस्ती कीमत देखकर ही पैसा लगा देते हैं. अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आपको ऐसा करने से नुकसान झेलना पड़ सकता है. पेनी स्टॉक में निवेश करना बहुत ही जोखिम का सौदा हो सकता है. पेनी स्टॉक्स में तगड़ा रिटर्न भी देखने को मिलता है, लेकिन इनमें ही तगड़ा नुकसान भी होता है. अगर आप किसी पेनी स्टॉक में निवेश करने की सोच रहे हैं तो आपको शेयर की कीमत या उसके रिटर्न को देखकर उसमें पैसे नहीं लगाने चाहिए. पेनी स्टॉक में पैसे लगाने से पहले कंपनी की अच्छे से फंडामेंटल एनालिसिस करें. पता करें कंपनी का बिजनस कैसा चल रहा शेयर क्या होते हैं है, उसका मैनेजमेंट कैसा है, उसके फ्यूचर प्लान क्या हैं, कंपनी पर कर्ज तो नहीं आदि. अगर सारी बातें सही हों तभी पेनी स्टॉक में पैसे लगाएं.

आसानी से ऑपरेट हो सकते हैं पेनी स्टॉक

पेनी स्टॉक में निवेश से पहले आपको ये समझना होगा कि किसी शेयर की कीमत क्यों बढ़ती है. जब किसी शेयर की मांग काफी बढ़ जाती है तो उसकी कीमत खुद-ब-खुद बढ़ने लगती है. पेनी स्टॉक्स की कीमत बहुत ही कम होने की वजह से कई बार इन्हें ऑपरेट करना आसान हो जाता है. बता दें कि हर्षद मेहता ने भी शुरुआत में पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट कर के उनकी कीमत बढ़ाई थी और जब दाम अधिक हो गए तो उन्हें शेयर क्या होते हैं बेचकर मुनाफा कमा लिया. यानी अगर कंपनी के प्रमोटर्स ही शेयरों को भारी मात्रा में खरीदने लगें तो उनकी कीमत चढ़ने लगेगी. ऐसे में लोगों को लगेगा कि शेयर की वैल्यू बढ़ रही है, जबकि उसकी कीमत गलत तरीके से बढ़ाई जा रही होगी. ऐसी स्थिति में हमेशा रिटेल निवेशकों को नुकसान होता है. इसलिए पेनी स्टॉक में निवेश करते वक्त आपको अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत होती है.

अगर किसी पेनी स्टॉक में बार-बार अपर या लोअर सर्किट लगता है तो उससे बचकर ही रहें. ऐसे शेयर आपको तगड़ा रिटर्न तो दिखा देंगे, लेकिन लगातार सर्किट लगने की वजह से आप इन शेयरों में बेच नहीं पाएंगे, जिससे नुकसान होगा. अगर आपने किसी शेयर क्या होते हैं शेयर क्या होते हैं पेनी स्टॉक में पैसे लगाए हैं तो आपने जो टारगेट सेट किया है, वह हासिल होते ही शेयर से बाहर निकल जाएं. अगर ज्यादा लालच करेंगे तो हो सकता है आपने जो पैसे लगाए हैं उस पर रिटर्न के बजाय नुकसान होना शुरू हो जाए.

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इक्विटी शेयर (Equity Shares)शेयर क्या होते हैं

प्राइमरी तथा सेकंडरी मार्केट से निवेशक जो शेयर हासिल करता है, वह ' साधारण शेयर ' कहलाता है। इस प्रकार का शेयरधारक कंपनी का आंशिक हिस्सेदार होता है तथा कंपनी के नफे-नुकसान से जुड़ा रहता है । साधारण शेयरधारक ही इक्विटी शेयर होल्डर होते हैं । शेयरों की संख्या के अनुपात में कंपनी पर इनका मालिकाना अधिकार होता है। शेयर क्या होते हैं कंपनी की नीति बनानेवाली जनरल मीटिंग में इन्हें वोट देने का अधिकार होता है। इसी प्रकार, ये कंपनी से जुड़े रिस्क तथा नफा-नुकसान के हिस्सेदार भी होते हैं। यदि कंपनी अपना व्यवसाय पूर्ण रूप से समाप्त करती है, तब कंपनी अपनी सारी देनदारी चुकता करने के बाद बची हुई पूँजी संपत्ति को इन साधारण शेयरधारकों को उनकी शेयर संख्या के अनुपात से वितरित करती है।

साधारण शेयर के विपरीत कंपनी चुनिंदा निवेशकों, प्रोमोटरों तथा दोस्ताना निवेशकों को नीतिगत रूप से प्रिफरेंस शेयर (तरजीह आधार पर) जारी करती है। इन प्रिफरेंस शेयरों की कीमत साधारण शेयर की मौजूदा कीमत से अलग भी हो सकती है। साधारण शेयर के विपरीत प्रिफरेंस शेयरधारकों को वोट देने का अधिकार नहीं होता। प्रिफरेंस शेयरधारकों को प्रतिवर्ष निश्चित मात्रा में लाभांश (डिविडेंड) मिलता है। प्रिफरेंस शेयरधारक साधारण शेयरधारक की अपेक्षा अधिक सुरक्षित होते हैं, क्योंकि जब कभी कंपनी बंद करने की स्थिति आती है तो पूँजी चुकाने के मामले में प्रिफरेंस

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