बिटकॉइन कैश विवाद
ईकैश (ECash) (XEC) बिटकॉइन कैश (Bitcoin Cash) ABC (BCHA) का एक रीब्रांडेड वर्ज़न है, जो स्वयं Bitcoin (BTC) और Bitcoin Cash (BCH) (BCH) का एक फोर्क है।
-इसका नेतृत्व डेवलपर अमौरे सेचेट ने किया था
-ईकैश (ECash) "Avalanche" को एकीकृत करता है - जो एक प्रूफ-ऑफ-स्टेक (PoS) कन्सेन्सस लेयर है, जिसे ब्लॉकचेन Avalanche (AVAX) से भ्रमित नहीं होना चाहिए।
रेटिंग
प्रतीक
अवलोकन
ईकैश (eCash) का उद्देश्य सभी को एक स्तर पर लाना है ताकि भौगोलिक या सामाजिक आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना, हर कोई अपने स्वयं के धन तक पहुंच प्राप्त कर सके।
ईकैश (eCash) के उपयोगकर्ताओं को अब पीयर-टू-पीयर लेनदेन करने के लिए बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड कंपनी की आवश्यकता नहीं है।
इसका मानक न्यूनतम शुल्क लेने से लेकर कोई शुल्क न लेना है और उपयोगकर्ता की खरीदारी की जानकारी स्टोर नहीं करना है। ईकैश (eCash) खुद को एक आंतरिक रूप से मूल्यवान डिजिटल मनी के रूप में प्रस्तुत करता है जिसका उपयोग कोई अपने दैनिक जीवन में अधिक संसाधनों और शिक्षा के लिए ट्रेड करने के लिए एक टूल और निवेश मंच के रूप में कर सकता है।
बिटकॉइन
बिटकॉइन (Bitcoin) एक केंद्रीय बैंक या एकल प्रशासक के बिना एक विकेन्द्रीकृत डिजिटल मुद्रा है (Decentralized digital currency). इसे किसी बिचौलिए बिटकॉइन कैश विवाद के बिना पीयर-टू-पीयर बिटकॉइन नेटवर्क पर भेजा जा सकता है (peer-to-peer bitcoin network). इसके लेन-देन को क्रिप्टोग्राफी के माध्यम से नेटवर्क नोड्स द्वारा सत्यापित किया जाता है और बही खाता में लिखा जाता है जिसे ब्लॉकचेन कहते हैं. इस क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) का आविष्कार 2008 में एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा सतोशी नाकामोटो (Satoshi Nakamoto) नाम का उपयोग करके किया गया था. इस मुद्रा का उपयोग ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किए जाने के साथ 2009 में शुरू हुआ था.
बिटकॉइन को माइनिंग (Mining) के जरिए एक इनाम के रूप में बनाया या अर्जित किया जाता है. उसका अन्य मुद्राओं, उत्पादों और सेवाओं के लिए आदान-प्रदान किया जा सकता है. बिटकॉइन अवैध लेनदेन में इसके उपयोग को लेकर विवादों में भी रहा है. आमतौर पर लोग इसे एक निवेश के रूप में इस्तेमाल करते हैं. सितंबर 2021 में, अल सल्वाडोर (Al Salvador) ने आधिकारिक तौर पर बिटकॉइन को कानूनी निविदा (Legal tender) के रूप में अपनाया, ऐसा करने वाला वह पहला देश है.
बिटकॉइन सिस्टम के खाते की इकाई बिटकॉइन है. बिटकॉइन का मुद्रा कोड BTC और XBT हैं. इसका यूनिकोड वर्ण ₿ है. एक बिटकॉइन आठ दशमलव स्थानों के लिए विभाज्य है. हर बिटकॉइन वॉलेट के मालिक के पास एक प्राइवेट की यानी निजी कुंजी होती है (Private Key). अगर निजी कुंजी खो जाती है, तो बिटकॉइन नेटवर्क स्वामित्व के किसी अन्य प्रमाण को नहीं पहचान पाता है, जिससे कॉइन्स अनुपयोगी हो जाते हैं, और प्रभावी रूप से खो जाते हैं. 2013 में एक उपयोगकर्ता ने दावा किया था कि उसने 7,500 बिटकॉइन खो दिए, जिसकी कीमत 7.5 मिलियन डॉलर थी, जब उसने गलती से अपनी निजी कुंजी वाली हार्ड ड्राइव को फेंक दिया था. माना जाता है कि सभी बिटकॉइन का लगभग 20% खो गया है - जुलाई 2018 की कीमतों पर उनका बाजार मूल्य लगभग $20 बिलियन होगा.
बिटकॉइन विकेंद्रीकृत है क्योंकि इसका कोई केंद्रीय अधिकार नहीं है (No Central Authority). बिटकॉइन नेटवर्क पीयर-टू-पीयर है, इसका कोई केंद्रीय सर्वर नहीं है (Without Central Servers). नेटवर्क में कोई केंद्रीय भंडारण भी नहीं है (No Central Storage). इसका खाता बही सार्वजनिक है, कोई भी इसे कंप्यूटर पर स्टोर कर सकता है. इसका कोई एकल प्रशासक नहीं है, बहीखाता का रखरखाव समान रूप से विशेषाधिकार प्राप्त माइनर्स के एक नेटवर्क द्वारा किया जाता है.
डोमेन नाम bitcoin.org 18 अगस्त 2008 को पंजीकृत किया गया था. 31 अक्टूबर 2008 को, बिटकॉइन: ए पीयर-टू-पीयर इलेक्ट्रॉनिक कैश सिस्टम (Bitcoin: A Peer-to-Peer Electronic Cash System) शीर्षक से सतोशी नाकामोटो द्वारा लिखित एक पेपर का लिंक एक क्रिप्टोग्राफी मेलिंग सूची में पोस्ट किया गया था. नाकामोटो ने बिटकॉइन सॉफ्टवेयर को ओपन-सोर्स कोड के रूप में लागू किया और जनवरी 2009 में इसे जारी किया. नाकामोटो की पहचान अज्ञात बनी हुई है. ब्लॉकचेन विश्लेषकों का अनुमान है कि नाकामोटो ने 2010 में गायब होने से पहले लगभग एक मिलियन बिटकॉइन की माइनिंग की थी.
3 जनवरी 2009 को, बिटकॉइन नेटवर्क बनाया गया था जब नाकामोटो ने श्रृंखला के शुरुआती ब्लॉक को माइन किया, जिसे उत्पत्ति ब्लॉक (Genesis Block) के रूप में जाना जाता है. पहले बिटकॉइन लेन-देन को हासिल करने वाले हैल फिनी थे (Hal Finney). फिनी ने अपनी रिलीज़ की तारीख पर बिटकॉइन सॉफ्टवेयर डाउनलोड किया, और 12 जनवरी 2009 को नाकामोटो से दस बिटकॉइन प्राप्त किए. 2010 में, बिटकॉइन का उपयोग करने वाला पहला ज्ञात वाणिज्यिक लेनदेन बिटकॉइन कैश विवाद पापा जॉन के दो पिज्जा खरीदकर किया था.
फोर्ब्स ने बिटकॉइन को 2013 का सर्वश्रेष्ठ निवेश बताया था. 2015 में, बिटकॉइन ब्लूमबर्ग की मुद्रा तालिका में सबसे ऊपर था.
आज तक की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी चोरी: 6 साल पहले 1.19 लाख बिटकॉइन चुराने वाला अमेरिकी कपल अरेस्ट, 26 हजार करोड़ रुपए है इनकी कीमत
अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने एक शादीशुदा कपल को अरेस्ट किया है। इससे पहले पिछले सप्ताह इनके पास से करीब 26, 917 करोड़ रुपए (3.6 बिलियन डॉलर) कीमत के बिटकॉइन जब्त किए हैं, जिनकी एक सप्ताह में ही कीमत बढ़कर 33,668 करोड़ रुपए (4.5 बिलियन डॉलर) हो चुकी है।
खास बात ये है कि इन बिटकॉइन को हैकिंग में माहिर इस कपल ने करीब 6 साल पहले जब चुराया था, तब इनकी कीमत महज 5311 करोड़ रुपए (71 मिलियन डॉलर) थी। जस्टिस डिपार्टमेंट ने इसे आज तक की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी चोरी बताया है
हांगकांग के क्रिप्टो एक्सचेंज से 2016 में की थी चोरी
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस डिपार्टमेंट ने बताया है कि गिरफ्तार किए गए इलया लिचटेन्सटाइन (34) और हीथर मोर्गन (31) के खिलाफ 119,754 बिटकॉइन की लॉन्ड्रिंग करने की क्रिमिनल कम्पलेंट दर्ज कराई गई थी। ये बिटकॉइन दोनों ने 6 साल पहले 2016 में हांगकांग के क्रिप्टो एक्सचेंज बिटफाइनेक्स से चुराए थे। बिटफाइनेक्स दुनिया के सबसे बड़े वर्चुअल करेंसी एक्सचेंजेस में से एक है।
हालांकि जस्टिस डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने इस सवाल पर कोई कमेंट नहीं किया है कि लिचटेन्सटाइन और मोर्गन ने ये हैकिंग खुद की थी या किसी से कराई थी।
इस चोरी ने दुनिया के सबसे बड़े करेंसी एक्सचेंज मार्केट बिटफाइनेक्स की सिक्योरिटी पर भी सवाल खड़े कर दिए थे।
2016 में चोरी ने 20% गिरा दी थी बिटकॉइन की वैल्यू
साल 2016 में डिजिटल करेंसी की इतने बड़े पैमाने पर हैकिंग के जरिए चोरी ने क्रिप्टोकरेंसी की सिक्योरिटी पर सवाल खड़े कर दिए थे। दुनिया के सबसे बड़े करेंसी एक्सचेंज में क्रिप्टोकरेंसी मार्केट के इतिहास की सबसे बड़ी चोरी के कारण बिटकॉइन की वैल्यू करीब 20% तक गिर गई थी।
जज ने छोड़ा दोनों को जमानत पर
लिचटेन्सटाइन और मोर्गन को मैनहटन की फेडरल कोर्ट में मंगलवार को दोपहर बाद पेश किया गया, जहां जज ने लिचटेन्सटाइन को 37.40 करोड़ रुपए ( 5 मिलियन डॉलर) और मोर्गन के 22.44 करोड़ रुपए (3 मिलियन डॉलर) के बॉन्ड के बदले जमानत पर रिहा कर दिया।
2000 ट्रांजेक्शंस के जाल से की लॉन्ड्रिंग
अमेरिका की डिप्टी अटॉर्नी जनरल लिसा ओ. मोनाको ने आरोप लगाया कि आरोपी कपल ने चोरी किए गए फंड की लॉन्ड्रिंग के लिए क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजेक्शंस का पहेली जैसा जाल बिछाया था। कोर्ट डॉक्यूमेंट्स के हिसाब से बिटफाइनेक्स के सिस्टम को हैक करने वाले ने 119, 754 बिटकॉइन को लिचटेन्सटाइन के डिजिटल वॉलेट में भेजने से पहले 2,000 ट्रांजेक्शंस के जाल के जरिए घुमाया था। इसके बाद पिछले पांच साल में वॉलेट से करीब 25,000 बिटकॉइन निकालने के लिए भी ट्रांजेक्शंस की बेहद जटिल सीरीज तैयार की थी।
अमेरिका की डिप्टी अटॉर्नी जनरल मोनाको ने अदालत में बिटकॉइन चुराने के कपल के तरीके को पहेली जैसा बताया है।
ब्लॉकचेन के जरिए पकड़ा जांचकर्तओं ने
- पहेली जैसा सिस्टम अपनाने के बावजूद यह कपल अपनी गलती से ही पकड़ा गया
- कपल ने बिटकॉइन बेचकर मिला फंड अपने फाइनेंशियल अकाउंट्स में जमा कराया
- इस फंड से गोल्ड, नॉन-फंगीबल टोकन्स और वॉलमार्ट गिफ्ट कार्ड खरीदे गए
- जांच अधिकारियों ने उनके इन ट्रांजेक्शंस की जांच से फंड सोर्स पता लगा लिया
- इसके अलावा ब्लॉकचेन पर बिटकॉइन के मूवमेंट के जरिए डेस्टिनेशन सोर्स पता लगाया गया
- ब्लॉक चेन एक परमानेंट फिक्स्ड इलेक्ट्रॉनिक लेजर होता है, जो बिटकॉइन का रिकॉर्ड रखता है
- बिटकॉइन के हर बार नए डिजिटल वॉलेट में जाने पर उसका रिकॉर्ड ब्लॉकचेन पर दर्ज होता है
- 31 जनवरी को जांच अधिकारियों ने बिटकॉइन कैश विवाद सर्च वारंट के जरिए लिचटेन्सटाइन के क्लाउड स्टोरेज अकाउंट का एक्सेस हासिल किया
- 1 फरवरी को जांच अधिकारियों ने 95,636 बिटकॉइन को सीज कर दिया, जो लिचटेन्सटाइन के वॉलेट में मौजूद थे
- इन बिटकॉइन की इस सप्ताह बाजार भाव के हिसाब से कीमत 33,668 करोड़ रुपए है
कौन हैं लिचटेन्सटाइन और मोर्गन
डच के निकनेम से मशहूर लिचटेन्सटाइन के पास अमेरिका और रूस, दोनों जगह की नागरिकता है। वह अपना परिचय टेक एंटरप्रेन्योर के तौर पर देते हैं।
हीथर मोर्गन के लिंक्डइन पेज के मुताबिक, वे एक सीरियल एंटरप्रेन्योर हैं और कॉमेडिक रैपर भी हैं।
क्रिप्टोकरेंसी में कैसे होता है लेनदेन, फिजिकल करेंसी के मुकाबले क्यों है कम सेफ, समझें बिल्कुल आसान भाषा में
सवाल उठता है कि क्रिप्टोकरेंसी में व्यक्ति ट्रांजैक्शन कैसे करता है. और इसे लेकर विवाद क्यों है कि इसमें ट्रांजैक्शन करना सुरक्षित नहीं है. आइए इन सवालों के जवाब आसान भाषा में जानते हैं.
सवाल उठता है कि क्रिप्टोकरेंसी में व्यक्ति ट्रांजैक्शन कैसे करता है. और इसे लेकर विवाद क्यों है कि इसमें ट्रांजैक्शन करना सुरक्षित नहीं है.
Cryptocurrency Explained: भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर पिछले कुछ समय से विवाद चल रहा है. देश में केंद्र सरकार संसद के मौजूदा सत्र में क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन के लिए बिल लाने की तैयारी कर रही है. पिछले कुछ समय से देश में क्रिप्टोकरेंसी निवेश के तौर पर लोगों के बीच एक बेहद लोकप्रिय विकल्प बन गया है. देश में बहुत बिटकॉइन कैश विवाद से लोगों ने पिछले कुछ समय में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया है. क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों की बड़ी संख्या को देखते हुए ही सरकार अब इसे रेगुलेट करने की तैयारी कर रही है.
अब सवाल उठता है कि क्रिप्टोकरेंसी में व्यक्ति ट्रांजैक्शन कैसे करता है. और इसे लेकर विवाद क्यों है कि इसमें ट्रांजैक्शन करना सुरक्षित नहीं है. आइए इन सवालों के जवाब आसान भाषा में जानते हैं.
क्रिप्टोकरेंसी क्या होती है?
क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांजैक्शन के बारे में जानने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि क्रिप्टोकरेंसी होती क्या चीज है. क्रिप्टोकरेंसी कुछ अलग नहीं, बल्कि डिजिटल करेंसी होती है. इन डिजिटल करेंसी को क्रिप्टोग्राफी सिक्योर करती है, इसलिए इनका नाम क्रिप्टोकरेंसी पड़ा है.
क्रिप्टोग्राफी की बात करें, तो यह डेटा को ऐसे तरीके से स्टोर और ट्रांसमिशन करना होता है, जिससे केवल वे लोग ही उसे पढ़ सकते हैं, जिनके लिए उसे बनाया गया है. क्रिप्टोग्राफी से डेटा को चोरी से बचाया जाता है. इसका इस्तेमाल यूजर ऑथेंटिकेशन के लिए भी किया जा सकता है.
कैसे होता है क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांजैक्शन?
अब क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांजैक्शन को समझ लेते हैं. डिजिटल करेंसी का ट्रांजैक्शन वॉलेट के जरिए किया जाता है, जैसा बैंक अकाउंट में होता है. हालांकि, उस मामले में वॉलेट कंट्रोल में रहता है. इस वॉलेट में दो एड्रेस होते हैं- पब्लिक एड्रेस और प्राइवेट एड्रेस. पब्लिक एड्रेस वह होता है, जिसमें आप फंड भेजते हैं. तो, एक वॉलेट से दूसरे में डिजिटल करेंसी को भेजते हुए, भेजने वाले को रिसीवर के वॉलेट का पब्लिक एड्रेस चाहिए होता है. वे उस पब्लिक एड्रेस को डालेंगे, और क्रिप्टोकरेंसी को उस एड्रेस को भेजेंगे.
फिर जब रिसीवर को उस वॉलेट में क्रिप्टोकरेंसी मिलेगी, तो उसे पासवर्ड या प्राइवेट key की जरूरत होती है. जब आप एक वॉलेट से दूसरे में ट्रांजैक्शन भेजते हैं, तो वह ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी द्वारा सिक्योर होती है.
क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांजैक्शन फिजिकल करेंसी जितना सुरक्षित नहीं
जब हम फिजिकल करेंसी जैसे रुपये के साथ ट्रांजैक्शन करते हैं, और एक से दूसरे व्यक्ति को पैसे भेजते हैं, तो बैंक यह चेक करता है कि क्या पैसे भेजने वाले के पास बैंक अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस मौजूद है या नहीं. इसके बाद ही बैंक उस ट्रांजैक्शन को मंजूरी देता है. बैंक केंद्रीय अथॉरिटी है. वह इस बात को सुनिश्चित करता है कि ट्रांजैक्शन सफलतापूर्वक पूरा हो जाए. इस ट्रांजैक्शन में हम बैंक पर पूरी तरह भरोसा करते हैं कि वह सही चीज करेगा.
क्रिप्टोकरेंसी में ऐसा विश्वास नहीं रहता है. अगर व्यक्ति क्रिप्टोकरेंसी भेजना चाहता है, तो उस ट्रांजैक्शन का वेरिफिकेशन, यानी जिसमें यह देखा जाता है कि अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस मौजूद है, यह वेरिफिकेशन हजारों कंप्यूटर करते हैं, जो समान ऐलगोरिदम चला रहे हैं. इसलिए, दुनिया भर में मौजूद हजारों कंप्यूटर वही चीज को सुनिश्चित करते हैं, जो फिजिकल करेंसी में बैंक करता है.
क्योंकि इसमें हजारों कंप्यूटर शामिल हैं, इसे हम विकेंद्रित कहते हैं. न कि रुपये कि तरह, जिसमें बैंक ट्रांजैक्शन सफल तौर पर हो जाए, यह सुनिश्चित करता है. इसलिए, क्रिप्टोकरेंसी को विकेंद्रित करेंसी कहते हैं. और जो टेक्नोलॉजी ट्रांजैक्शन को सुनिश्चित करती है, उसे ब्लॉकचैन कहा जाता है.
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते समय सतर्क रहना क्यों जरूरी है?
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते समय जिस बात के बारे में जानकारी रहना जरूरी है, वह है कि इसमें आपका निवेश शून्य हो सकता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी बहुत ज्यादा जोखिम वाला, अनरेगुलेटेड बिटकॉइन कैश विवाद निवेश होता है और भविष्ट में इसकी डिमांड अस्थायी तौर पर खत्म हो सकती है और आप अपने पूरे निवेश को खो सकते हैं.
दूसरी बात, आपको ऐसे ऑप्शन्स में ट्रेड उस समय तक नहीं करना चाहिए, जब तक आपको सही तौर पर यह नहीं पता है, कि उनका मतलब क्या है. अगर आप बाजार में नए निवेशक हैं, तो क्रिप्टोकरेंसी आपके लिए अच्छा विकल्प नहीं है, क्योंकि इसमें काफी उतार-चढ़ाव बना रहता है.
पीएनबी स्कैम से बड़ा है गुजरात का यह बिटकॉइन घोटाला, कहानी भी पूरी फिल्मी
गुजरात में करीब 3 अरब डॉलर (2 खरब रुपये) मूल्य के बिटकॉइन क्राइम की जांच में जो बातें सामने आ रही हैं, उनपर एक शानदार हॉलिवुड मूवी या वेब सीरीज तैयार हो सकती है।
यह भी पढ़ें: अब आपके बैंक खाते में एक रुपया भी नहीं जोड़ पाएगा बिटकॉइन
सीआईडी जांच
शैलेश के दावे की जांच का जिम्मा राज्य की सीआईडी को दे दिया गया। आशीष भाटिया जांच दल के मुखिया बने। जांच शुरू होने से लेकर अब तक 8 पुलिसवालों की पहचान की गई और उन्हें निलंबित किया जा चुका है। संदेह है कि भट्ट के अपहरण को उसके सहयोगी किरीट पलडिया ने ही अंजाम दिया जबकि पलडिया के चाचा और बीजेपी के पूर्व विधायक नलिन कोटडिया साजिश में शामिल रहे।
पीड़ित पर भी संदेह
जांच में संदेह की उंगली खुद पीड़ित शैलेश भट्ट पर की तरफ भी उठ रही है। पलडिया अभी जेल में है, लेकिन भट्ट और पूर्व विधायक कोटडिया भागे हुए हैं। अप्रैल में कोटडिया ने वॉट्सऐप पर विडियो भेजकर खुद को निर्दोष बताया। उन्होंने इस बिटकॉइन घोटाले के पीछे खुद शैलेश भट्ट का हाथ होने का दावा किया। कोटडिया ने धमकी दी कि वह ऐसे सबूत दे देंगे जिससे अन्य नेता भी फंस सकते हैं।
यह भी पढ़ें: क्या बिटकॉइन से होने वाले मुनाफे पर इनकम टैक्स लग सकता है?
पोंजी स्कीम
2016 से 2017 के बीच शैलेश भट्ट ने बिटकनेक्ट नाम की एक क्रिप्टोकरंसी कंपनी में निवेश किया। यह कंपनी किसी सतीश कुंभानी ने बनाई थी। यह एक पोंजी स्कीम थी जिसमें दुनियाभर के निवेशकों को बिटकनेक्ट में अपने-अपने बिटकॉइन जमा कराने को कहा गया जिस पर 40% ब्याज देने का वादा किया। कंपनी बिटकॉइन जमा करानेवालों को बिटकनेक्ट कॉइन्स दिया करती थी। साथ ही कहा गया कि जो व्यक्ति जितना ज्यादा निवेशक लाएगा, उसकी ब्याज दर उसी अनुपात में बढ़ती जाएगी। बिटकनेक्ट में 3 अरब डॉलर (करीब 2 खरब रुपये) मूल्य के बिटकॉइन्स जमा किए जा चुके थे।
कुछ ऐसे बने हालात
दरअसल, पिछले साल प्रति बिटकॉइन की कीमत 1,000 डॉलर से बढ़कर 19,700 डॉलर से ज्यादा हो गई तो बिटकनेक्ट का भाव भी बढ़ गया। ऐसे में नोटबंदी से परेशान कालेधन वालों ने बिटकनेक्ट में पैसे लगाने शुरू कर दिए।
कालाधन और नोटबंदी
मोदी सरकार के नोटबंदी के हैरतअंगेज फैसले ने कालेधन वालों में घबराहट पैदा कर दी और वे अपनी संपत्ति सफेद करने में जुट गए। नोटबंदी के बाद कालेधन को सफेद करने के तरीके को लेकर गूगल सर्च में बढ़ोतरी देखी गई। इन सवालों का एक जवाब यह भी होता था कि क्रिप्टोकरंसी में निवेश कर दिया जाए।
अमेरिका में केस
अमेरिका में छह निवेशकों के एक समूह ने बिटकनेक्ट के खिलाफ धोखाधड़ी का केस कर दिया। उसके बाद 4 जनवरी 2018 को टेक्सस और पांच दिन बाद नॉर्थ कैरोलिना ने बिटकनेक्ट के खिलाफ सीज ऐंड डेसिस्ट ऑर्डर फाइल कर दिए।
निवेशकों में भगदड़
सीआईडी जांच में सामने आया है कि अमेरिका में केस होने के बाद भारत में बिटकॉइन निवेशकों के खिलाफ जांच तेज हो गई। तब से बिटकॉइन निवेशकों में भगदड़ मची हुई है। उन्हें डर है कि अगर वे अथॉरिटीज के हाथ लग गए तो उन्हें काले धन का खुलासा करना होगा। ऐसे में शैलेश भट्ट ने किरीट पलडिया समेत अपने नौ सहयोगियों के साथ बिटकनेक्ट के दो प्रतिनधियों को सूरत से अगवा कर लिया और उनसे 2,256 बिटकॉइन्स की फिरौती मांगी।
लालच ने डुबोया
पलडिया को इससे ज्यादा चाहिए था। इसलिए उसने अपने चाचा और पूर्व-विधायक नलिन कोटडिया से संपर्क किया। उसने स्थानीय पुलिस-प्रशासन में अपने चाचा के रसूख के इस्तेमाल के जरिए शैलेश भट्ट से बिटकॉइन लेने की साजिश रची। ये बातें पुलिसिया दस्तावेजों और जांचकर्ताओं के इंटरव्यू में सामने आई हैं।
चाचा-भतीजे की नाकामी
दोनों चाचा-भतीजा अपने खेल के सफल होने को लेकर आश्वस्त थे क्योंकि उन्हें लग रहा था कि शैलेश पुलिस के पास नहीं जाएंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और शैलेश सीधे गृह मंत्री के पास पहुंच गए।
आरबीआई की पाबंदी
भारत के केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने क्रिप्टो करंसीज के लेनदेन पर पाबंदी लगा दी। क्रिप्टो करंसी एक्सचेंजों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस मामले पर सितंबर में सुनवाई फिर से शुरू होगी।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 686