क्या है ई ₹-आर जिसका ट्रायल आज आरबीआई लॉन्च कर रहा है?
दुनिया भर में डिजिटल मुद्रा में बढ़ती दिलचस्पी और भागीदारी देखी जा रही है। क्रिप्टोक्यूरेंसी की लोकप्रियता और पैसे के मामले में डिजिटल होने का भारत का अपना प्रयास कोई नई बात नहीं है, जो वर्षों से हो रहा है।
क्रिप्टोक्यूरेंसी और इसमें शामिल उपयोगकर्ताओं की भारी संख्या ने इसे दुनिया भर की विभिन्न सरकारों के सामने ला दिया था, जिसमें कई लोग क्या भारत में क्रिप्टोकुर्रेंस कानूनी हैं? इस पर चर्चा कर रहे थे कि क्या करना है और इसे कैसे विनियमित करना है। ऐसा लगता है कि इसके आलोक में, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले महीने थोक क्षेत्र के लिए पहली केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सब्द्क) लॉन्च की।
अब, इसे एक कदम आगे बढ़ाते हुए, RBI ने खुदरा डिजिटल रुपये, या e₹-R के लिए पायलट लॉन्च किया है, जिसका उपयोग लोगों द्वारा दैनिक आधार पर लेनदेन के लिए किया जा सकता है। यहां हम इस डिजिटल करेंसी के बारे में जानने के लिए शीर्ष 10 बातों पर एक नजर डालते हैं।
ई ₹-R क्या है?
1. ई ₹-आर एक डिजिटल टोकन है जिसे कानूनी निविदा के रूप में स्वीकार किया जाएगा और देश की कागजी मुद्रा और सिक्कों के समान प्रभुत्व में जारी किया जाएगा।
2. वर्तमान में पहले चरण में देश के 4 प्रमुख बैंक भाग लेंगे, अर्थात् स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक।
कुछ समय में, रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक भी कार्यक्रम में शामिल होंगे।
3. पायलट फिलहाल केवल क्या भारत में क्रिप्टोकुर्रेंस कानूनी हैं? कुछ चुनिंदा शहरों में शुरू किया जा रहा है, जिसमें पहले चार हैं
- मुंबई,
- दिल्ली,
- बेंगलुरु, और
- भुवनेश्वर।
अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला के समय के साथ इसमें शामिल होने की उम्मीद है।
Read More: Why It Is The Best Time To Make Savings In Banks Right Now?
4. इसके उपयोग के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि “e₹-R का उपयोग व्यक्ति-से-व्यक्ति (P2P) और व्यक्ति-से-व्यापारी (P2M) भुगतान के लिए किया जा सकता है।”
पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर और लीडर फॉर पेमेंट्स ट्रांसफॉर्मेशन मिहिर गांधी ने कहा, “प्रमुख उपयोग के मामले प्रोग्राम करने योग्य भुगतान, प्रिंटिंग की कम लागत और मुद्रा प्रबंधन, तत्काल भुगतान और निपटान की अंतिमता और बढ़ी हुई सुरक्षा के तत्काल लाभों के साथ सीमा पार भुगतान हो सकते हैं।” .
5. लेन-देन एक डिजिटल वॉलेट के माध्यम से किया जाएगा जो वर्तमान में केवल स्वीकृत बैंकों के माध्यम से जारी किया जा सकता है और लोगों के डिजिटल उपकरणों पर संग्रहीत किया जा सकता है।
6. मनीकंट्रोल रिपोर्ट के अनुसार सीबीडीसी “संप्रभु कागजी मुद्रा के समान है, लेकिन एक डिजिटल रूप में है और मौजूदा मुद्रा के बराबर विनिमय योग्य है। मतलब, सब्द्क फॉर्म में 100 रुपये नोट के रूप में 100 रुपये के समान है।”
7. आरबीआई ने यह भी कहा कि “नकदी के मामले में, यह कोई ब्याज नहीं कमाएगा और इसे अन्य प्रकार के धन में परिवर्तित किया जा सकता है, जैसे कि बैंकों में जमा राशि।”
9. आरबीआई के कॉन्सेप्ट नोट में कहा गया है कि ई-आर का उपयोग “सभी निजी क्षेत्र, गैर-वित्तीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों” द्वारा किया जा सकता है।
10. फ़िलहाल केवल स्वीकृत शहरों में रहने वाले लोग ही इस डिजिटल रुपये का उपयोग कर पाएंगे, लेकिन मनीहॉप के संस्थापक और सीईओ मयंक गोयल के अनुसार, “रिटेल ई-रुपया पैसे के अन्य रूपों के साथ भी फंगसिबिलिटी का आनंद उठाएगा। विचार काफी हद तक कैशलेस समाज की ओर बढ़ने और अंतिम उपयोगकर्ताओं को वही विशेषाधिकार प्रदान करने के लिए है जो वे नकदी के साथ आनंद लेते हैं लेकिन बड़े पैमाने पर डिजिटाइज्ड तरीके से।
Image Credits: Google Images
Feature Image designed by Saudamini Seth
Originally written in English by: Chirali Sharma
Translated in Hindi by: @DamaniPragya
This post is tagged under: e क्या भारत में क्रिप्टोकुर्रेंस कानूनी हैं? rupee india, RBI, RBI e rupee, e ₹-R, Reserve Bank of India, digital currency, Reserve Bank of India digital currency, digital currency india, Reserve Bank of India e rupee trial, retail digital Rupee, retail digital Rupee india, retail digital Rupee rbi
Disclaimer: We do not hold any right, copyright over any of the images used, these have been taken from Google. In case of credits or removal, the owner may kindly mail us.
National News : साइबर सुरक्षा के लिए कानून के साथ ही मंत्रालय की भी जरूरत : साइबर विशेषज्ञ
National News : नई दिल्ली। देश के जाने माने साइबर सुरक्षा कानून विशेषज्ञ और लंबे समय तक संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से संबंद्ध रहे पवन दुग्गल ने कहा कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सर्वर पर हुआ साइबर हमला भारत के लिए आंखें खोलने वाला है। अब समय आ गया है कि वह साइबर सुरक्षा के लिए एक समर्पित मंत्रालय का गठन करे।
Chhattisgarh News : बीजापुर में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ के बाद विदेशी हथियार बरामद
दुग्गल ने ‘भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में साइबर सुरक्षा से जुड़ी मौजूदा चुनौतियों के मद्देनजर एक समर्पित मंत्रालय बनाए जाने के साथ ही उपयुक्त तंत्र स्थापित किए जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
National News :
ज्ञात हो कि देश के सबसे प्रतिष्ठित, अग्रणी और विश्वसनीय सरकारी अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सर्वर पर हुए साइबर हमले ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को हिलाकर रख दिया है। इस साइबर हमले की गुत्थी अभी तक उलझी हुई है। ऐसे में सवाल उठ रहे है कि भारत ऐसे साइबर हमलों से निपटने में कितना सक्षम है। ये सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि भारत साइबर हमलों का सामना करने वाले शीर्ष 10 देशों में शुमार है। यह अमेरिका और कुछ पश्चिमी देशों के बाद बढ़ते रैंसमवेयर हमलों वाले शीर्ष पांच देशों में भी शामिल है।
इस साल अप्रैल महीने में राष्ट्रीय पावर ग्रिड पर साइबर हमले हुए थे। वर्ष 2018 की शुरुआत में भारतीय आधारकार्ड धारकों के रिकॉर्ड पर साइबर हमला हुआ था। इसी साल पुणे के कॉसमॉस बैंक पर साइबर हमला हुआ था। हैकर्स ने कॉसमॉस कोऑपरेटिव बैंक लिमिटेड से 94.42 करोड़ रूपये की चोरी की थी।
Diesel Auto Ban नोएडा-गाजियाबाद समेत इन 8 जिलों में प्रतिबंधित होंगे डीजल ऑटो
दुग्गल ने एम्स पर हुए रैंसमवेयर हमले को स्वतंत्र भारत की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा पर हमला करार देते हुए कहा कि इसे सिर्फ एक अस्पताल पर साइबर हमले के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए । इसे व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में मजबूत और पुख्ता कदम उठाने होंगे और जल्द से जल्द उठाने होंगे। एम्स से पहले भी कई प्रमुख संस्थानों पर साइबर हमले हो चुके हैं। साइबर सुरक्षा पर क्या भारत में क्रिप्टोकुर्रेंस कानूनी हैं? राष्ट्रीय नीति तो बने ही, मैं तो कहूंगा कि भारत में साइबर सुरक्षा को लेकर एक समर्पित मंत्रालय की आवश्यकता है, जो केवल साइबर सुरक्षा से जुड़े मामलों के लिए हो। साइबर सुरक्षा से जुड़े मामले आज विभिन्न मंत्रालयों के बीच बंटे हुए हैं।
National News :
दुग्गल ने कहा कि साइबर सुरक्षा एक ऐसा विषय है, जिसमें निरंतर नए आयाम जुड़ते क्या भारत में क्रिप्टोकुर्रेंस कानूनी हैं? जाते क्या भारत में क्रिप्टोकुर्रेंस कानूनी हैं? हैं और भारत को अपने राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने के लिए इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत को साइबर सुरक्षा की दिशा में अभी तक जितना काम करना चाहिए था, वह नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि क्या भारत में क्रिप्टोकुर्रेंस कानूनी हैं? इसके बहुत कारण हो सकते हैं लेकिन आज भारत के पास न तो साइबर सुरक्षा को लेकर समर्पित कोई कानून है और ना ही कोई प्रभावी ढांचा, जो एम्स पर हुए साइबर हमले जैसी चुनौतियों का सामना कर सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति, 2013 में आई थी लेकिन वह भी कागजों में सिमट कर रह गई।
ज्ञात हो कि साइबर खतरों से निपटने की रणनीति बनाने के लिए केंद्र सरकार 2013 में राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति लेकर आई थी, लेकिन अभी तक यह मूर्त रूप नहीं ले सकी है। फिलहाल देश में साइबर सुरक्षा पर कोई संयुक्त कार्यकारी समूह नहीं है और साइबर सुरक्षा पर किसी स्वायत्त निकाय का गठन भी नहीं किया गया है।
दुग्गल ने कहा कि भारत साइबर सुरक्षा के कानूनी ढांचे के मामले में काफी पिछड़ा हुआ है और इस मामले में चीन, सिंगापुर, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश बहुत आगे हैं। उन्होंने केंद्र सरकार को सचेत करते हुए कहा कि भारत कहीं ना कहीं अभी भी गलती कर रहा है। इस पर ध्यान देने की जरूरत है। हम इसे जितनी जल्दी विकसित करेंगे, उतना अच्छा रहेगा।
इंटरनेशनल कमीशन ऑन साइबर सिक्योरिटी लॉ के संस्थापक दुग्गल ने एम्स पर हुए रैंसमवेयर हमले के पीछे दुश्मन मुल्कों के शामिल होने की संभावना को भी नहीं नकारा। उन्होंने कहा कि इस प्रकार का साइबर आक्रमण ‘बाहरी तत्व’ (स्टेट एक्टर) करते हैं। ऐसे आक्रमण इसलिए भी किए जाते है कि किसी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था की प्रगति को झटका दिया जाए, उसकी रफ्तार को रोका जाए। यह एक बहुत ही सोची समझी साजिश है।
यह पूछे जाने पर कि क्या उनका इशारा चीन और पाकिस्तान की तरफ है, दुग्गल ने कहा कि आप इसे नकार नहीं सकते। क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर आक्रमण तभी होता है, जब कोई सोची समझी साजिश होती है। इसमें निशाना भारत है। रैंसमवेयर एक तरह का मालवेयर होता है, जो किसी कंप्यूटर तक पहुंच हासिल कर लेता है और सभी फाइल को इन्क्रिप्टेड कर देता है। डेटा और पहुंच के एवज में सेंधमारों द्वारा फिरौती की मांग की जाती है।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 657