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Current Affairs: जानिए- Bitcoin और अपने पैसे में क्या है अंतर? क्यों है इतना महंगा
लोगों के बीच इस बात को लेकर भी दुविधा है कि बिटक्वाइन और सामान्य रुपये में क्या अंतर हैं? आइए जानते हैं.
नई दिल्ली: Current Affairs: सोशल मीडिया से लेकर न्यूज वेबसाइट्स तक आपको Bitcoin के बारे में सुनने और पढ़ने को मिलता होगा. कभी उद्योगपति एलन मस्क की वजह से, तो कभी बिटक्वाइन की अपनी कीमत की वजह से. इस वक्त लोगों के बीच इस बात को लेकर भी दुविधा है कि बिटक्वाइन और सामान्य रुपये/मुद्रा में क्या अंतर है? आइए जानते हैं.
क्या है Bitcoin?
मुद्रा का उपयोग समाज में लंबे सयम से हो रहा है. पहले लेन-देन के जरिए व्यापर होता था. इसके बाद धातु के सिक्के (सोना, चांदी, तांबा) चलन में आए. आधुनिक युग में सरकारों ने कागज की मुद्रा छापी. जैसे- डॉलर, रुपया, पॉउंड आदि. ऐसे में अब बिटक्वाइन है, जो दरअसल, मुद्रा के बेहतर विकल्प के तौर पेश किया जा रहा है. यह एक आभाषी मुद्रा है.
सामान्य मुद्रा और Bitcoin में अंतर
सामान्य मुद्रा और Bitcoin में कई किस्म के अंतर हैं. पहला ये है कि सामान्य मुद्रा को सरकारें अपनी इकोनॉमी के हिसाब से रेगुलेट करती हैं. लेकिन बिटक्वाइन पर फिलहाल कोई ऐसा नियम-कानून लागू नहीं है. जहां पैसे को आप एक सीमा तक बांट सकते हैं. मतलब आप सौ रुपये को अधिकतम एक रुपये तक बांट सकते हैं. लेकिन बिटक्वाइन को 0.00000001 हिस्से तक बांटा जा सकता है. ये भी कहा जाता है कि सामान्य मुद्रा के अपेक्षाकृत बिटक्वाइन को ट्रांसफर करना ज्यादा आसान है. बिटक्वाइन के समर्थक इसे ज्यादा पारदर्शी मुद्रा बताते हैं.
क्यों है इतना महंगा?
इकॉनामी का एक सामान्य-सा नियम है. जिस वस्तु का प्रोडक्सन कम हो और डिमांड ज्यादा हो, उसकी कीमत अधिक होती है. Bitcoin के साथ स्थिति ऐसी ही है. पूरी दुनिया में सिर्फ 21 मिलयन बिटक्वाइन मौजूद हैं.
फीचर आर्टिकल: बिटकॉइन को वैध मुद्रा का दर्जा मिलने के पूरे क्रिप्टो मार्केट के लिए क्या मायने हैं?
बिटकॉइन दुनिया की सबसे पहली डीसेंट्रलाइज्ड क्रिप्टोकरेंसी या कहें कि डिजिटल कॉइन है। इसका आविष्कार 2008 में हुआ लेकिन मुख्य इस्तेमाल 2010 से शुरू हुआ। पहले बिटकॉइन को संदेह की नजरों से देखा गया लेकिन अब ये दुनिया की सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी बन चुकी है। दुनिया में हजारों कंपनियां लेनदेन के लिए बिटकॉइन को अपना चुकी हैं। अब मध्य अमेरिकी देश अल-साल्वाडोर में बिटकॉइन को वैध मुद्रा की मान्यता भी मिल गई है।
इतने कम समय में ही बिटकॉइन ने काफी लंबी दूरी तय कर ली है। इसकी वैधता का प्रभाव भारत और दूसरे देशों में भी महसूस हो रहा है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि BTC से INR गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च किया जाने वाला खोज शब्द है।
बिटकॉइन को वैध मुद्रा का दर्जा मिलने के क्या मायने हैं?
दुनिया के कुछ देशों में बिटकॉइन के उपयोग को वैधता मिली हुई है, लेकिन अपने अस्तित्व के महज 12 सालों में किसी देश में वैध मुद्रा का दर्जा मिलना इसकी लोकप्रियता का एक कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर और उदाहरण है। पिछले साल, 7 सितंबर 2021 को अल-साल्वाडोर ने बिटकॉइन को वैध मुद्रा का दर्जा देकर प्रचलित फिएट यानी कागजी मुद्रा और डिजिटल करेंसी के बीच के भेद को खत्म कर दिया है। वैध मुद्रा बनने का अर्थ है कि इसे सरकार द्वारा टैक्स, सार्वजनिक या निजी शुल्कों और व्यापारिक लेनदेन के लिए स्वीकार किया जाएगा।
अल-साल्वाडोर ने बिटकॉइन को वैध मुद्रा माना
बिटकॉइन को वैध मुद्रा बनाने के बाद अल-साल्वाडोर की अर्थव्यवस्था में काफी बदलाव आए हैं। देश का 14% से ज्यादा व्यापार बिटकॉइन के जरिए होने लगा है। वहां के पर्यटन क्षेत्र में उत्साह का वातावरण है वहीं बिटकॉइन स्वीकार करने वाले संस्थान खुश हैं। अल-साल्वाडोर ने 1 अरब डॉलर मूल्य के बिटकॉइन बॉन्ड जारी किए हैं।इस फंड का उपयोग एक बिटकॉइन सिटी की स्थापना में किया जाएगा जहां पर जियोथर्मल एनर्जी का उपयोग करके डिजिटल एसेट की माइनिंग की जाएगी। बिटकॉइन और क्रिप्टो के प्रति जागरूकता लाने के लिए शैक्षणिक संस्थान शुरू हुए हैं।
अन्य देश और क्षेत्र भी बिटकॉइन को वैध मुद्रा बनाने की राह पर
अल-साल्वाडोर के नक्शे कदम पर चलते हुए कुछ अन्य देश और क्षेत्र भी बिटकॉइन को वैध मुद्रा का दर्जा देने की राह पर हैं। इनमें पुर्तगाल के ऑटोनॉमस रीजन होंडुरास और मदेरिया शामिल हैं। यहां प्रोस्पेरा के निवासियों को बिटकॉइन पर कैपिटल गेन टैक्स नहीं देना होगा और वे बिटकॉइन का उपयोग टैक्स और अन्य शुल्क का भुगतान करने में कर सकेंगे। इसके अलावा एक दक्षिण प्रशांत महासागर के देश टोंगा ने बिटकॉइन को कानूनी मुद्रा बनाने के अलावा भविष्य में नेशनल ट्रेजरीज को भी बिटकॉइन में ले जाने का चार चरणों कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर वाला प्रस्ताव बनाया है। मैक्सिको की संसद में भी बिटकॉइन को वैध मुद्रा बनाने के प्रति दिलचस्पी दिखाई गई है।
बिटकॉइन के वैध मुद्रा बनने से क्रिप्टो मार्केट को क्या फायदे होंगे
- चूंकि बिटकॉइन का पूरे क्रिप्टो मार्केट में 42% हिस्सेदारी के साथ दबदबा है इसलिए इससे क्रिप्टो मार्केट में मजबूती आएगी।
- रीयल-टाइम भुगतान और व्यावसायिक लेनदेन के लिए बिटकॉइन के उपयोग में वृद्धि होगी।
- अल-साल्वाडोर इसका उदाहरण है।
- लोग बिटकॉइन के अलावा अन्य क्रिप्टो प्रोजेक्ट पर भी अब विचार करना शुरू करेंगे। क्योंकि हो सकता है कि बिटकॉइन के उपयोग से सारे वित्तीय समाधान न हो पाएं।
- बिटकॉइन की इन उपलब्धियों की वजह से पॉलीगॉन जैसे क्रिप्टो भी भारत में लोकप्रिय होने लगे हैं और MATIC से INR जैसे खोज शब्द इस बात की पुष्टि करते है। यानी लोग सर्च करते हैं कि MATIC से INR में कैसे कन्वर्ट किया जाए।
- अब अधिक से अधिक लोग केंद्रीय बैंकों की डिजिटल करेंसी (CBDC) को आजमाने पर भी विचार करेंगे। इससे बाजार में आम प्रचलित मुद्रा यानी फिएट करेंसी के साथ डिजिटल मुद्रा का भी सह-अस्तित्व कायम होगा।
- क्रिप्टो माइनिंग के लिए अधिक से अधिक ग्रीन माइनिंग यानी पर्यावरण हितैषी साधनों को अपनाने पर जोर दिया जाएगा।
अभी तक केवल फिएट करेंसी यानी कागजी मुद्रा को ही मुद्रा समझा जाता था लेकिन अब कागजी और डिजिल मुद्रा के बीच का अंतर समाप्त हो रहा है। उपयोग को मान्यता मिलने के अलावा बिटकॉइन को तेजी से दुनिया के कई देशों में वैध मुद्रा के रूप में स्वीकार किया जा रहा है। यह पूरे क्रिप्टो मार्केट के लिए भविष्य का सुनहरा संकेत है।
क्रिप्टोकरेंसी बनाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी, जानें क्या है इनमें अंतर और क्या है नफा-नुकसान
भारत में क्रिप्टो मालिकों की संख्या 10.07 करोड़ है जो दुनिया भर में सबसे अधिक है.
Cryptocurrency News Today: भारत में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी को लेकर खूब घमासान मचा हुआ है. दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में क्रिप्टो का कारोबार होने के बाद इस डिजिटल करेंसी (Digital Currency) को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है. सरकार इसे असुरक्षित मानते हुए इसके नियमन को लेकर संसद में बिल लाने की तैयारी कर रही है. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के बढ़ते चलन को देखते हुए सरकार खुद अपनी डिजिटल करेंसी सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लाने की कवायद में जुटी हुई है.
आखिर क्यों है क्रिप्टो पर इतना विवाद और क्या है सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), इन मुद्दों पर विस्तार से बात कर रही हैं फाइनेंशियल एडवाइजर ममता गोदियाल. ममता गोदियाल (Mamta Godiyal) का बैंकिंग सेक्टर में लंबा अनुभव रहा है. अब वह निजी तौर पर पर्सनल फाइनेंस को लेकर लोगों को खासकर महिलाओं को जागरुक कर रही हैं. क्रिप्टोकरेंसी को लेकर उनसे लंबी चर्चा हुई. बातचीत में उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी और भारत सरकार की सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के बारे में कई पहलुओं पर रोशनी डाली.
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency)
यह एक कोड से बनाई गई डिजिटल संपत्ति है. इसे एक्सचेंज के माध्यम के रूप में काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिसमें व्यक्तिगत सिक्का स्वामित्व रिकॉर्ड एक डिजिटल लेजर, कम्प्यूटरीकृत डेटाबेस में स्टोर किए जाते हैं, जो लेनदेन के रिकॉर्ड को सुरक्षित करने के लिए मजबूत क्रिप्टोग्राफी का इस्तेमाल करते हैं. अतिरिक्त डिजिटल सिक्कों के निर्माण को कंट्रोल करने और सिक्का स्वामित्व के हस्तांतरण को सत्यापित करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. पहली विकेन्द्रीकृत क्रिप्टोक्यूरेंसी बिटक्वाइन वर्ष 2009 में बनाया गया था.
क्रिप्टोकरेंसी डिसेंट्रलाइज्ड है और भारत में किसी भी नियामक प्राधिकरण द्वारा अनुमोदित नहीं की गई है. चूंकि इस संबंध में कोई दिशानिर्देश, नियम और विनियम नहीं हैं, इसलिए निवेशक क्रिप्टोकरेंसी कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर में अपने जोखिम पर निवेश कर रहे हैं.
असल में भारत में क्रिप्टोकरेंसी में लगातार बढ़ते निवेशकों और इसका जोखिम सरकार के लिए चिंता का विषय है.
भारत में क्रिप्टो मालिकों की संख्या 10.07 करोड़ है जो दुनिया भर में सबसे अधिक है. हालांकि, जब क्रिप्टो को लेकर जानकारी और जागरूकता की बात आती है, तो भारत में इसका स्कोर 10 में से 4.39 है जो कि बहुत अच्छा नहीं है. क्यूंकि हम अपनी मेहनत की कमाई को ऐसे बाजार में निवेश कर रहे हैं जो किसी कानून द्वारा संरक्षित नहीं है.
जैसा कि, हम नीचे दी गई तालिका से देख सकते हैं कि क्रिप्टो मालिकों के विशाल आधार के बावजूद, भारत क्रिप्टो मालिकों के मामले में कुल जनसंख्या के प्रतिशत के रूप में 7.30 प्रतिशत के रूप में पांचवें स्थान पर है. यूक्रेन इस सूची में पहले स्थान पर है, जिसमें क्रिप्टो के मालिक कुल जनसंख्या का 12.73 प्रतिशत है, इसके बाद रूस का स्थान है.
वर्तमान हालात पर नजर डालें तो, सरकार शीतकालीन सत्र के दौरान संसद में ‘द क्रिप्टोक्यूरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021’ (The Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill 2021) पेश करने जा रही है. इस घोषणा के बाद भारत में क्रिप्टो बाजार में दहशत फैल गई और बड़ी हलचल भी देखने को मिली.
30 नवंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने राज्यसभा में प्रश्नकाल कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर सत्र के दौरान क्रिप्टोकुरेंसी पर कहा, “यह एक जोखिम भरा क्षेत्र है और पूर्ण नियामक ढांचे में नहीं है. इसके विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने पर कोई निर्णय नहीं लिया गया था. आरबीआई (RBI) और सेबी (SEBI) के माध्यम से जागरुकता पैदा करने के लिए कदम उठाए गए हैं. सरकार जल्द ही एक विधेयक पेश करेगी.”
अब सरकार इसे लेकर क्या रणनीति बना रही है इसके लिए हमें क्रिप्टोकुरेंसी विधेयक 2021 के आने तक इंतजार करना होगा.
सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency)
यह फिएट मनी का एक डिजिटल रूप है. जो मुद्रा चलन में है उसे फिएट मनी कहा जाता है. यह वर्चुअल करेंसी और क्रिप्टोकुरेंसी से अलग है. CBDC पर पूरी तरह से सरकार का नियंत्रण होगा. सरकार के नियंत्रण में होने से इसके जोखिम कम हो जाएंगे.
– क्रिप्टोक्यूरेंसी के विपरीत सीबीडीसी केंद्रीकृत मुद्रा होगी.
– इसकी मदद से लोग बैंक, क्लियरिंग हाउस आदि बिचौलियों के भरोसे सीधे पैसा भेज सकेंगे.
– यह बिल्कुल कागजी मुद्रा की तरह है.
– बैंक ऑफ इंग्लैंड सीबीडीसी की शुरुआत की संभावनाओं पर वैश्विक चर्चा शुरू करने वाले पहले संगठनों में से एक था.
– सेंट्रल बैंक ऑफ स्वीडन इसके कार्यान्वयन पर विचार करने के सबसे करीब है.
(ये लेखक के अपने विचार हैं. पाठकों से अनुरोध है कि निवेश करने से पहले पूरी तरह से शोध करें क्योंकि यह मालिक के जोखिम के अधीन है.)
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भारत में बिटकॉइन टैक्स के बारे में सब कुछ
बिटकॉइन एक प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी है, डिजिटल मुद्रा का दूसरा नाम जिसे भौतिक उत्पादों या सेवाओं के लिए व्यापारियों के साथ भुगतान के रूप में बदला जा सकता है। बिटकॉइन धारक एक केंद्रीकृत प्राधिकरण या बैंक को एक मध्यस्थ के रूप में कार्य करने की आवश्यकता के बिना सीधे एक दूसरे के साथ उत्पादों या सेवाओं की खरीद, बिक्री और व्यापार कर सकते हैं, इसके मूल में ब्लॉकचैन प्रौद्योगिकी के लिए धन्यवाद।
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Digital Rupee And Crypto Currency : जानिए डिजिटल रुपया और क्रिप्टो करेंसी में कितना अंतर है, यहाँ देखे
Digital Rupee And Crypto Currency : भारतीय रिजर्व बैंक ( Reserve Bank Of India ) ने चार शहरों में डिजिटल रुपये का प्रयोग शुरू किया ! डिजिटल करेंसी का लक्ष्य धीरे-धीरे पेपर मनी को खत्म करना है ! इसका बिटकॉइन या ब्लॉकचेन तकनीक से कोई लेना-देना नहीं है ! यहां आपको डिजिटल रुपये ( Digital Rupees ) और क्रिप्टो करेंसी के बारे में बेहतर समझने के लिए विवरण दिए गए हैं !
Digital Rupee And Crypto Currency
Digital Rupee And Crypto Currency
डिजिटल करेंसी ( Digital Currency ) का सबसे बड़ा फायदा यह होगा ! कि दूसरे देशों में ट्रांजैक्शन ( Digital Transection ) करने और एक बैंक से दूसरे बैंक में ट्रांजैक्शन करने में आसानी होगी ! यह काम बहुत तेज होगा ! डिजिटल करेंसी को समझने के लिए डिजिटल ट्रांजैक्शन और डिजिटल रुपये ( Digital Rupee ) के बीच के अंतर को समझना होगा ! डिजिटल ट्रांजैक्शन वह है ! जिसमें हम अपना पैसा डिजिटल माध्यम से किसी को देते हैं ! दुकानदार कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर हो या किसी और को आपको पैसे देने हैं ! इसमें हम अपना पैसा डिजिटल तरीके से दूसरों को देते हैं ! इसे डिजिटल ट्रांजैक्शन कहते हैं जो डिजिटल करेंसी से बिल्कुल अलग है !
डिजिटल रुपया और क्रिप्टो करेंसी में क्या अंतर है
डिजिटल रुपया ( Digital Rupees ) और क्रिप्टोकरेंसी एक ही चीज नहीं है ! और इनका एक दूसरे से कोई लेना-देना नहीं है ! जबकि क्रिप्टोक्यूरेंसी ब्लॉकचेन पर बनी है ! डिजिटल रुपया नहीं है ! नए जारी किए गए डिजिटल रुपये को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी ( Central Bank Digital Currency ) के रूप में जाना जाता है ! और इसका प्रमुख लक्ष्य अंततः बाजार से नकदी के पैसे को खत्म करना है !
Digital Rupee And Crypto Currency
क्रिप्टो और डिजिटल रुपये ( Digital Rupee ) के बीच एक और अंतर मूल्य कारक है ! क्रिप्टोक्यूरेंसी एक जोखिम भरा बाजार है ! और इसके मूल्य में बाजार की स्थितियों के अनुसार उतार-चढ़ाव होता है ! डिजिटल रुपये के मामले में ऐसा नहीं है ! इसका मूल्य समय के साथ स्थिर रहता है ! नकद धन की तरह !
एकमात्र अंतर यह है कि डिजिटल रुपया ( Digital Rupee ) , जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, कागजी मुद्रा का “डिजिटल” प्रतिनिधित्व है ! हैरानी की बात है ! कि डिजिटल रुपये और पेपर मनी का मूल्य समान है ! अंतर यह है कि डिजिटल रुपये को संभालना कहीं आसान और कम खर्चीला है !
इन शहरों में लॉन्च हुआ डिजिटल रुपया
भारतीय केंद्रीय बैंक ने चार शहरों में डिजिटल रुपये ( Digital Rupee ) का परीक्षण शुरू कर दिया है ! मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर ! प्रारंभिक परीक्षण के लिए RBI ( Reserve Bank Of India ) ने चार बैंकों के साथ सहयोग किया ! भारतीय स्टेट बैंक, कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर कागजी मुद्रा और बिटकॉइन के बीच अंतर ICICI बैंक, यस बैंक और IDFC फर्स्ट बैंक !
Digital Rupee And Crypto Currency
जब परीक्षण चरण शुरू होता है! तो RBI ( Reserve Bank Of India ) चार और बैंकों को शामिल करने के लिए सहयोग का विस्तार करेगा ! बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक ! आने वाले दिनों में सेवा का विस्तार नए शहरों में किया जाएगा ! अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला उन शहरों में शामिल है ! जिनकी दूसरे चरण में डिजिटल रुपये ( Digital Rupees ) तक पहुंच होगी !
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