प्राचीन भारत में उत्तरापथ के व्यापारिक महत्व का ऐतिहासिक अध्ययन | Original Article Manoj Kumar Verma*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research
व्यापार प्रणाली
Year: Apr, 2019
Volume: 16 / Issue: 5
Pages: 1844 - 1850 (7)
Publisher: Ignited Minds Journals
Source:
E-ISSN: 2230-7540
DOI:
Published URL: http://ignited.in/I/a/303629
Published On: Apr, 2019
Article Details
प्राचीन भारत में उत्तरापथ के व्यापारिक महत्व का ऐतिहासिक अध्ययन | Original Article
Manoj Kumar Verma*, in Journal of Advances and Scholarly Researches in Allied Education | Multidisciplinary Academic Research
व्यावसायिक शिक्षा या व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण (वीईटी) जिसे पेशा और तकनीकी शिक्षा (सीटीई) भी कहते हैं। नौसिखियों को उन नौकरियों के लिए तैयार करते हैं जोकि हस्तचालित या प्रयोगात्मक गतिविधियों पर आधारित हैं और जो परंपरागत रूप से गैर अकादमिक और किसी विशेष ट्रेड, व्यापार प्रणाली व्यवसाय या पेशे से पूरी तरह संबंधित हैं अतः यह व्यवस्था है जिसमें नौसिखिया भाग लेता है। इसे कभी-कभी तकनीकी शिक्षा भी कहा जाता है क्योंकि सीखने वाला सीधे ही तकनीकी या प्रौद्योगिकी के एक विशेष समूह में विशेषज्ञता हासिल करता है।
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वोकेशन और कैरियर
सामान्यः व्यवसाय और कैरियर शब्द को अदल-बदल कर उपयोग किया जाता है। व्यावसायिक शिक्षा को शिक्षण प्रक्रियात्मक ज्ञान के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। इसे घोषणात्मक ज्ञान के साथ तुल्य रखा जा सकता है जैसा कि सामान्यतः व्यापक वैज्ञानिक क्षेत्र में शिक्षा में उपयोग किया जाता है जोकि सिद्धांत पर ध्यान केन्द्रित कर सकता है और प्रत्ययात्मक ज्ञान, तृतीय शिक्षा की विशेषताओं का सार निकाल सकता है।
व्यावसायिक शिक्षा द्वितीय या पश्च द्वितीय स्तर पर हो सकती है और प्रशिक्षुता प्रणाली से परस्पर सम्प्रेषण कर सकती है। इससे और अधिक आगे व्यावसायिक शिक्षा को श्रेय के तौर पर तृतीय शिक्षा (उदाहरणतयः विश्वविद्यालय में) को ओर पूर्वशिक्षा और आंशिक अकादमिक श्रेय की मान्यता के संदर्भ में मान्यता दी जा सकती है; हालांकि उच्च शिक्षा की परंपरागत परिभाषा के स्वरूप के अधीन आने के लिए इस पर कभी कभार ही विचार किया जाता है।
20वीं सदी के अंत तक व्यवसायिक शिक्षा में कुछ विशिष्ट ट्रेडों उदाहरणतयः ऑटो मोबाईल, यांत्रिकी अथवा व्यापार प्रणाली वैल्डर जैसे ट्रेडों पर ही ध्यान केन्द्रित रहा जोकि निचले सामाजिक श्रेणी के कार्यकलापों से जुड़े हुए थे। जिसके परिणाम स्वरूप यह एक विशेष स्तर को ही चिन्हित करते थे। व्यावसायिक शिक्षा अधिगम की प्रणाली अत्यधिक पुरानी रही।
तथापि, जैसे ही श्रम बाजार अधिक विशिष्ट बना और अर्थव्यवस्था में उच्चस्तरीय कौशलों की मांग बढ़ी, तब से सरकार एवं व्यवसायिक शिक्षा में सरकार द्वारा वित्त पोषित प्रशिक्षण संस्थाओं तथा रियायती प्रशिक्षु अथवा प्रशिक्षुता जैसे पहलकदमों द्वारा भावी निवेश बढ़ा हैं। माध्यमिक शिक्षा के पश्चात् के स्तर की व्यावसायिक शिक्षा पारंपरिक रूप से प्रौद्योगिकी संस्थानों अथवा स्थानीय समुदाय महाविद्यालयों द्वारा प्रदान की जा रही है।
ईरान से व्यापार जारी रखने के लिए नई भुगतान प्रणाली बनायेंगे कई देश
वाशिंगटन (एजेंसी)। ईरान परमाणु समझौते के सदस्य देशों ने कहा कि वे अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार कर ईरान के साथ व्यापार जारी रखने के लिए एक नई भुगतान प्रणाली स्थापित करेंगे। इस प्रणाली से डॉलर तथा अमेरिका के दबदबे वाले वैश्विक बाजार पर निर्भर हुए बिना तेल कंपनियां और व्यापारिक संस्थान ईरान के साथ व्यापार (Business from Iran) कर सकेंगे।
यह भुगतान प्रणाली कैसे काम करेगी, इस पर अभी विचार किया जा रहा है। अमेरिका के ईरान परमाणु समझौते से अलग होने के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी तल्ख हुए हैं। मई में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने व्यापार प्रणाली इस अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने की घोषणा की थी। अमेरिका ने इसके बाद ईरान पर दोबारा आर्थिक प्रतिबंध लागू कर दिए हैं।
अमेरिका ने चार नवंबर से ईरान के तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। गौरतलब है कि वर्ष 2015 में ईरान ने अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत ईरान ने उस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को हटाने के बदले अपने परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने पर सहमति जताई थी।
संयुक्त व्यापक कार्रवाई योजना (जेसीपीओए) के नाम से प्रख्यात यह परमाणु समझौता पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में हुआ था।
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व्यापार प्रणाली
जम्मू, 23 दिसंबर (हि.स.)। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शुक्रवार को सीमा पार व्यापार और आतंकी फंडिंग मामले में तीन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की।
आरोपियों की पहचान तनवीर अहमद वानी, पीर अरशद इकबाल और बशीर अहमद सोफी के रूप में हुई है सभी व्यापार प्रणाली जम्मू और कश्मीर के निवासी हैं, जिनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) की धारा 17, 20, 21, 39 और 40 के तहत चार्जशीट दायर किया की गई।
एनआईए ने एक बयान में कहा कि 16 दिसंबर 2016 को जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के बीच क्रॉस लाइन ऑफ कॉन्ट्रो (एलओसी) व्यापार के माध्यम से मुनाफाखोरी और धन के उत्पादन के लिए मामला दर्ज किया गया था और उस धन का उपयोग केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था।
एनआईए ने कहा कि कई दस्तावेजों की जांच के बाद यह पता चला है कि अतिरिक्त आयात और व्यापारियों द्वारा आयातित बादाम के कम चालान से असाधारण मुनाफा कमाया गया था। यह भी पाया गया है कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के क्रॉस-एलओसी व्यापारियों में से कुछ पार किए गए आतंकवादी हैं और आतंकवादी संगठन हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (एचएम) द्वारा समर्थित थे। व्यापार को अप्रैल 2019 में निलंबित कर दिया गया था।
एनआईए ने कहा कि व्यापार वस्तु विनिमय प्रणाली पर आधारित था और इसमें पैसे का कोई लेन-देन शामिल नहीं था। जांच से पता चला कि आरोपी व्यक्ति तनवीर अहमद वानी और पीर अरशद इकबाल क्रॉस-एलओसी व्यापारी थे और कई क्रॉस-एलओसी व्यापार फर्मों को संभाल रहे थे, जो उनके और उनके दोस्तों, रिश्तेदारों, कर्मचारियों आदि के नाम पर पंजीकृत थे।
दोनों अभियुक्तों ने निर्यात की तुलना में अधिक आयात करके और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर स्थित क्रॉस एलओसी व्यापार प्रणाली व्यापारियों से आयातित बादाम के अंडर-इनवॉइसिंग द्वारा आतंकी धन जुटाया।
एनआईए ने कहा कि जांच से पता चला है कि दोनों आरोपी पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर स्थित सीमा पार हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के आतंकवादियों के साथ भी व्यापारिक संबंध में थे।
एजेंसी ने कहा कि आतंकवादी धन जुटाने के बाद आरोपी तनवीर अहमद वानी ने हिजबुल मुजाहिदी और जैश-ए-मोहम्मद के विभिन्न आतंकवादियों को नकद धन मुहैया कराया था।
WTO की विवाद सुलझाने की प्रणाली ठप्प होने से विकासशील देशों पर असर: भारत
भारत ने सोमवार को कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की विवाद सुलझाने की प्रणाली के अपीलीय निकाय व्यापार प्रणाली के ठप्प होने तथा डब्ल्यूटीओ में सुधार के लिए कुछ विकसित देशों के असंतुलन पैदा करने वाले एजेंडा से.
भारत ने सोमवार को कहा कि विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की विवाद सुलझाने की प्रणाली के अपीलीय निकाय के ठप्प होने तथा डब्ल्यूटीओ में सुधार के लिए कुछ विकसित देशों के असंतुलन पैदा करने वाले एजेंडा से विकासशील देशों का हित प्रभावित हो सकता है। भारत ने डब्ल्यूटीओ के 22 सदस्य देशों के वरिष्ठ अधिकारियों की यहां हुई बैठक में यह मुद्दा उठाया। गौरतलब है कि अमेरिका ने इसके सदस्यों की नियुक्ति में अड़ंगा लगाया हुआ है। निकाय के कार्य करने के लिये कम से कम तीन सदस्य होने अनिवार्य हैं और 10 दिसंबर के बाद यह स्थिति भी नहीं रहेगी। इससे 10 दिसंबर के बाद निकाय की कार्यप्रणाली ठप्प हो जाएगी।
वाणिज्य सचिव अनूप वधावन ने उद्घाटन सत्र में कहा कि कुछ देशों द्वारा एकपक्षीय कदम उठाने तथा जवाबी कार्रवाइयों के कारण बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था के समक्ष अस्तित्व की चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि व्यापार वार्ताओं के अटकने तथा डब्यूटीओ अपीलीय मंच के सदस्यासें की नियुक्तियों में गतिरोध से चुनौतियां खड़ी हो गयी हैं। एक आधिकारिक बयान में वधावन के हवाले से कहा गया, ''अपीलीय निकाय का ठप्प हो जाना डब्ल्यूटीओ की विवाद सुलझाने की व्यवस्था तथा इसकी क्रियान्वयन प्रणाली के लिये गंभीर जोखिम है।"
उन्होंने कहा कि व्यापार में संरक्षणवादी उपायों के बढ़ने से वैश्विक आर्थिक वातावरण बिगड़ रहा है और यह स्थिति सबसे अल्प विकसित देशों समेत सभी विकासशील देशों के लिये ठीक नहीं है। वधावन ने कहा कि डब्ल्यूटीओ के अपीलीय निकाय के सदस्यों की नियुक्ति के ऊपर गतिरोध से भारत जैसे विकासशील देश और सबसे कम विकसित देशों को अधिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, ''प्रणाली को बचाए रखने के लिये रचनात्मक तरीके से आगे बढ़ने तथा समस्या का रचनात्मक समाधान लाने की तत्काल जरूरत है।"
वधावन ने कहा कि डब्ल्यूटीओ की स्थिति से इस संगठन में सुधार की बातचीत जोर पकड़ रही है लेकिन दुर्भाग्य से इसमें संतुलन का पूरा अभाव है। उन्होंने कहा, ''सुधार के एजेंडे में विकासशील देशों की चिंताओं पर गौर नहीं किया गया है। ऐसा कोई भी एजेंडा भेदभाव से मुक्त होना चाहिए और सुधार आपसी विश्वास के आधार पर होने चाहिए। इनसे वर्तमान समझौते में पहले से चले आ रहे असंतुलनों और विषमताओं का समाधान होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि विकासशील देशों के लिए कृषि सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है लेकिन इस क्षेत्र में अब तक हुई सहमतियों और निर्णयों को बिल्कुल पीछे धकेलने का प्रयास चल रहा है। उन्होंने कहा कि डब्ल्यूटीओ वार्ता के विषय में अल्प विकसित और विकासशील देशों के हित के विषयों पर कोई बात या प्रगति नहीं हो रही हैं।
उन्होंने विकसित और विकासशील देशों को मिल कर काम करने को कहा ताकि मछली उद्योग को सब्सिडी के बारे में एक निष्पक्ष और न्यायोचित समझौता हो सके। इस सम्मेलन में चीन, ब्राजील, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया, बांग्लादेश और मलेशिया सहित कुल 16 विकासशील और 6 विकसित देश भाग ले रहे हैं। बैठक में डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक रोबर्तो एजेवेदो भी भाग ले रहे हैं।
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