कल्पना कीजिए कि XYZ नाम का एक शेयर 20 डॉलर प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है। आप $20 स्ट्राइक मूल्य वाले स्टॉक पर $2 के लिए एक कॉल खरीद सकते हैं जिसकी समाप्ति आठ महीने में हो सकती है। एक अनुबंध की लागत $200, या $2*1 Contract *100 शेयर है।

CE means in share market

CE Means in Share Market, CE और PE का क्या मतलब होता है?

CE और PE के बारे में जानने का मतलब है कि आप ऑप्शन ट्रेडिंग में प्रवेश कर चुके हैं। आपने चाहें किसी भी ब्रोकर से भी डीमैट अकाउंट खुलवाया हो, आपको ऑप्शन खरीदते समय हर एक स्ट्राइक प्राइस क्या कॉल ऑप्शन खरीदना बुलिश है? के आगे CE और PE लिखा दिखाई देगा। तो चलिए जानते है ये क्यों लिखा जाता है और इसका मतलब क्या होता है?

ध्यान रहे, यह आम आदमी के लिए पैसे गंवाने का एक एक अच्छा विकल्प हो सकता है। ठीक सुना, ऑप्शन ट्रेडिंग एक पैसे गंवाने का विकल्प है जिसमे पैसे बनने से ज़्यादा चले जाते हैं इसलिए आम आदमी को ऑप्शन ट्रेडिंग करने की सलाह नहीं दी जाती।

CE Means in Share Market

CE का फुल फॉर्म कॉल यूरोपियन(Call European) होता है जिसे कॉल ऑप्शन भी कहा जाता है। यह ऑप्शन ट्रेडिंग का एक ऑप्शन होता है जिसे निवेशक ये सोचकर खरीदता है कि आगे जाकर इस शेयर की कीमत में बढ़ोतरी होगी। चलिए हम आपको एक कहानी सुनाते हैं |

एक बार मेरे एक चाचा को दिल्ली में जमीन खरीदनी थी। अब क्योंकि उन्हें स्टॉक मार्किट के बारे में नहीं पता था तो वे ऐसे ही रियल एस्टेट में इन्वेस्टमेंट करने की सोच रहे थे।

खुशकिस्मती से उन्हें एक गाँव के अंदर बहुत सी जमीन मिल गयी। जब उन्होंने किसान से जमीन का दाम पूछा तो उसने 5 करोड़ बताया |

दिक्कत ये थी कि उस समय उनके पास केवल 50 लाख रूपये थे और वे पूरी जमीन खरीदना चाहते थे क्योंकि जल्द ही पास में एयरपोर्ट बनने वाला था जिससे उस जमीन की कीमत आसमान छूने लगती।

आगे जानते हैं क्या हुआ?

What is CE and PE in Stock Market?

CE का फूल फोर्म Call European और PE का फुल फॉर्म Put European होता है। यह दोनों ऑप्शन ट्रेडिंग से सम्बंधित है।

What is CE and PE in stock market

CE बढ़ते बाजार का सूचक है और इसलिए जब किसी शेयर के आगे तरक्की करने की सम्भावना होती है तो Call Option खरीदना फायदेमंद होता है। आप ये सोचकर खरीदते हैं कि आगे जाकर इस कंपनी के शेयर की कीमत बढ़ जाएगी।

जबकि दूसरी और PE गिरते बाजार की निशानी है। आने वाले समय में जब किसी शेयर के गिरने की सम्भावना ज्यादा होती है तो निवेशकों के लिए Put Option खरीदना फायदे का सौदा होता है।

आप चाहे कॉल खरीदें या पुट, प्रीमियम आपको हर हल में चुकाना होगा और एक्सपायरी के दिन पूरी कीमत भी देनी होगी।

CE और PE से जुड़ी कुछ शर्तें

Option Premium क्या होता है?

अपनी ऑप्शन की खरीद पक्की करने के लिए हमें पहले से ब्रोकर को कुछ पैसे चुकाने होते हैं | इस मूल्य को हम ‘ऑप्शन प्रीमियम’ कहते हैं। जैसे कहानी में चाचा ने किसान को 50 लाख रूपये चुकाए थे।

स्पॉट प्राइस का मतलब

स्पॉट प्राइस उस समय की कीमत बताती है जिस समय सौदा हुआ। जिस समय सौदा हुआ था उस टाइम पूरी जमीन की कीमत 5 करोड़ रूपये थी तो हम इसे ही स्पॉट प्राइस कहेंगे। क्या कॉल ऑप्शन खरीदना बुलिश है? स्टॉक मार्किट में किसी शेयर या equity को खरीदने से पहले उसकी CMP देखी जाती है।

CE means in share market

Underlying एसेट क्या है?

हम जिस चीज़ को खरीद रहे हैं या सौदा कर रहे हैं, उसे Underlying Asset कहते हैं जैसे मेरे चाचा ने जमीन खरीदी थी लेकिन स्टॉक मार्किट में शेयर्स होते हैं।

शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग को आसान भाषा में समझें।

Option Trading के क्या कॉल ऑप्शन खरीदना बुलिश है? बारे में विस्तार से जानने से पहले जानते हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है? ऑप्शन एक कॉन्ट्रेक्ट है जो विक्रेता द्वारा लिखा जाता है, जो खरीदार को अधिकार देता है कि वह भविष्य अपने कॉन्ट्रेक्ट को पूरा करने के लिए बाध्य नहीं है। इस आर्टिकल में ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में विस्तार से बताया गया है। जानते हैं- शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग को आसान भाषा में समझें। Option tarding in stock market kya hai Hindi.

Option trading in stock market hindi

Option trading in Stock market

शेयर मार्किट में वैसे को बहुत सारे तरीके हैं पैसे कमाने के उन्ही में से एक तरीका ऑप्शन ट्रेडिंग भीं है। शेयर मार्किट एक्सपर्ट अक्सर रिटेल ट्रेडर को ऑप्शन मार्केट से दूर रहने की सलाह देते रहते हैं। लेकिन रिटेल ट्रेडर भी ऑप्शन मार्केट को अच्छे से समझकर और सीखकर इससे थोड़े समय में ही अच्छा पैसा कमा सकते हैं। Price Action क्या है?

ऑप्शन एक डेरिवेटिव प्रोडक्ट है, जिसमे आपको केवल प्रीमियम देना होता है। जिसकी वैल्यू उसके Underlying asset में निहित होती है। डेरीवेटिव दो प्रकार के होते हैं- फ्यूचर एंड ऑप्शन। एक फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट आपको भविष्य की एक निश्चित तारीख (Expiry Date) को एक निश्चित मूल्य पर शेयर खरीदने या बेचने का अधिकार देता है लेकिन ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट में ऐसा नहीं है, ऑप्शन कंट्रेक्ट में आप निश्चित तारीख (Expiry date) पर आप सौदा पूरा करने के लिए बाध्य नहीं हैं।

उदाहरण के द्वारा ऑप्शन ट्रेडिंग को समझें

Option trading in Stock market को एक उदाहरण के द्वारा इस तरह समझा जा सकता है- माना रमेश और आकाश दो दोस्त हैं। रमेश के पास दो बीघा जमीन है और वह उस जमीन को बेचना चाहता है। आकाश उस जमीन को खरीदना चाहता है, उस जमीन की कीमत मार्केट रेट के हिसाब से दस लाख रूपये है। आकाश दस लाख रूपये मैं उस जमीन को खरीदने के लिए तैयार हो जाता है लेकिन आकाश के पास अभी पूरे पैसे नहीं है। एल्गो ट्रेडिंग क्या है?

इस वजह से दोनों के बीच एक महीने का कॉन्ट्रैक्ट साइन होता है, कॉन्ट्रैक्ट एक सितंबर से तीस सितंबर तक का होता है। रमेश आकाश से एक लाख रूपये टोकन अमाउंट ले कर एक रिसीप्ट बनाता है। जिसमे उन दोनों के बीच यह समझौता होता है कि आकाश बाकी के पैसे कॉन्ट्रैक्ट की अवधि पूरी होने तक रमेश को दे देगा।

रमेश यह जमीन कॉन्ट्रैक्ट का समय पूरा होने तक किसी और को नहीं बेचेगा यह कॉन्टेक्ट दोनों को मंजूर होती है। इस बीच जमीन के भाव में परिवर्तन हो सकता है, कांटेक्ट का समय पूरा होने तक जमीन के भाव मार्केट रेट से कम या ज्यादा भी हो सकते हैं।

Call option और Putt option क्या हैं ?

Call option उसके होल्डर को शेयर खरीदने का अधिकार देता है, ऐसे ही Putt option उसके होल्डर को शेयर बेचने का अधिकार देता है। इसके लिए आपको शेयर की पूरी कीमत नहीं चुकानी पड़ती, उसका केवल प्रीमियम चूकाना होता है। Option trader कॉल और पुट ऑप्शन को बेच भी सकता है। यदि आप भविष्य में अपने कॉल ऑप्शन के खरीदने के अधिकार का उपयोग करना चाहते हैं तो आपको उसकी सम्पूर्ण धनराशि का भुगतान भी करना पड़ेगा, आपको यह बात भी ध्यान रखना चाहिए।

Option Trading में जोखिम भी शामिल होता है इसका भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इसकी सबसे महत्वपूर्ण समझने वाली बात यह कि ऑप्शन पुट और कॉल खरीदने में नुकसान लिमिटेड होता है। आपने जितने का पुट या कॉल खरीदा है ज्यादा से ज्यादा उतने का ही नुकसान हो सकता है। किन्तु अगर आपने पुट या कॉल को बेच दिया तो आपको अनलिमिटेड नुकसान हो सकता क्या कॉल ऑप्शन खरीदना बुलिश है? है। इसलिए पुट या कॉल ऑप्शन बेचने से पहले सौ बार सोचें।

Long Position- लॉन्ग पोजिशन

क्या होती है लॉन्ग पोजिशन?
जब निवेशक इस उम्मीद के साथ कोई सिक्योरिटी या डेरिवेटिव खरीदते हैं कि इसकी वैल्यू में बढ़ोतरी होगी तो लॉन्ग पोजिशन (Long Position) शब्द बताता है कि निवेशक ने क्या खरीदा है। लॉन्ग पोजिशन, एसेट की खरीद को संदर्भित करती है जो इस उम्मीद के साथ खरीदा जाता है कि तेजी की धारणा के साथ इसकी वैल्यू में वृद्धि होगी। ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट में लॉन्ग पोजिशन संकेत देती है कि होल्डर अंडरलाइंग एसेट का मालिक है।

ऑप्शंस में लॉन्ग होना एसेट के पूर्ण स्वामित्व के या क्या कॉल ऑप्शन खरीदना बुलिश है? एसेट पर ऑप्शन का धारक होने को संदर्भित कर सकता है। स्टॉक या बॉन्ड निवेश पर लॉन्ग होना समय की माप होता है।

लॉन्ग पोजिशन को समझना
निवेशक स्टॉक्स, म्युचुअल फंडों या करेंसियों जैसी प्रतिभूति या यहां तक कि ऑप्शंस और फ्यूचर्स जैसे डेरिवेटिव में भी लॉन्ग पोजिशन की स्थापना कर सकते हैं। लॉन्ग पोजिशन होल्ड करना एक बुलिश दृष्टिकोण हो सकता है। लॉन्ग पोजिशन शब्द का उपयोग अक्सर ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट खरीदने के संदर्भ में होता है। ट्रेडर या तो लॉन्ग कॉल या लॉन्ग पुट ऑप्शन होल्ड कर सकता है जो ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के अंडरलाइंग एसेट के लिए आउटलुक पर निर्भर करता है।

Call Option क्या है?

यदि आपने हमेशा सोचा है कि कॉल विकल्प क्या है, तो आपको अब देखने की आवश्यकता नहीं है। कॉल ऑप्शन एक अनुबंध (Contract) है जिसमें आप अनुबंध पक्षों के बीच पारस्परिक रूप से तय की गई तारीख पर एक निश्चित मूल्य पर एक निश्चित स्टॉक खरीदने का अधिकार जीतते हैं, लेकिन दायित्व नहीं।

चूंकि कॉल विकल्प द्वारा तय की गई खरीदारी करने की आवश्यकता पर कोई दायित्व नहीं है, इसलिए आपको इसे तब तक निष्पादित करने की आवश्यकता नहीं है जब तक कि यह आपके लिए लाभदायक न हो। खरीद केवल तभी लाभदायक हो सकती है जब पहले से तय की गई राशि क्या कॉल ऑप्शन खरीदना बुलिश है? उस तारीख को स्टॉक की कीमत से कम हो, जिस तारीख को कॉल विकल्प निष्पादित किया जाना है। स्टॉक के इस पूर्व निर्धारित मूल्य को स्ट्राइक प्राइस कहा जाता है। जब तक आपका स्ट्राइक मूल्य निष्पादन की तारीख पर स्टॉक की कीमत से कम नहीं होता, तब तक आपको कॉल ऑप्शन के माध्यम से नुकसान उठाना पड़ेगा।

कॉल विकल्प कैसे काम करते हैं? [How do call options work?] [In Hindi]

कॉल विकल्प एक प्रकार का Derivative contract है जो धारक को पूर्व निर्धारित मूल्य पर निर्दिष्ट संख्या में शेयर खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं, जिसे विकल्प के "स्ट्राइक प्राइस" के रूप में जाना जाता है। यदि स्टॉक का बाजार मूल्य विकल्प के स्ट्राइक मूल्य से ऊपर उठता है, तो विकल्प धारक अपने विकल्प का प्रयोग कर सकता है, स्ट्राइक मूल्य पर खरीद सकता है और लाभ को लॉक करने के लिए उच्च बाजार मूल्य पर बेच सकता है।

हालाँकि, विकल्प केवल सीमित अवधि के लिए ही चलते हैं। यदि उस अवधि के दौरान बाजार मूल्य स्ट्राइक मूल्य से ऊपर नहीं बढ़ता है, तो विकल्प (Option) बेकार हो जाते हैं।

कॉल ऑप्शन क्यों खरीदें? [Why Buy a Call Option?] [In Hindi]

कॉल ऑप्शन खरीदने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह स्टॉक की कीमत में लाभ को बढ़ाता है। अपेक्षाकृत छोटी अग्रिम लागत के लिए, आप विकल्प समाप्त होने तक स्ट्राइक मूल्य से ऊपर स्टॉक के लाभ का आनंद ले सकते हैं। इसलिए यदि आप कॉल खरीद रहे हैं, तो आप आमतौर पर स्टॉक की समाप्ति से पहले क्या कॉल ऑप्शन खरीदना बुलिश है? बढ़ने की उम्मीद करते हैं।

कल्पना कीजिए कि XYZ नाम का एक शेयर 20 डॉलर प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है। आप $20 स्ट्राइक मूल्य वाले स्टॉक पर 800 के लिए एक कॉल खरीद सकते हैं जिसकी समाप्ति आठ महीने में हो सकती है। एक अनुबंध की लागत $200, या 800*1 Contract *100 शेयर है।

कॉल ऑप्शन क्यों बेचें? [Why Sell a Call Option? In Hindi]

खरीदी गई प्रत्येक कॉल के लिए, एक कॉल बेची जाती है। तो कॉल बेचने के क्या फायदे हैं? संक्षेप में, कॉल खरीदने के लिए भुगतान संरचना बिल्कुल विपरीत है। कॉल सेलर्स को उम्मीद है कि स्टॉक सपाट रहेगा या गिरावट आएगी, और बिना किसी परिणाम के प्रीमियम को पॉकेट में डालने की उम्मीद है।

आइए पहले की तरह ही उदाहरण का उपयोग करें। कल्पना कीजिए कि स्टॉक XYZ $20 प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है। आप स्टॉक पर एक कॉल को $20 स्ट्राइक मूल्य के साथ 800 में बेच सकते हैं जिसकी समाप्ति आठ महीने में हो सकती है। एक अनुबंध आपको $200, या (800*100 शेयर) देता है।

F&O की कवर्ड कॉल स्ट्रैटेजी क्या है, कैसे मिलता है घर बैठे हर महीने कमाई का मौका

  • Vijay Parmar
  • Updated On - July 30, 2021 / 08:09 PM IST

F&O की कवर्ड कॉल स्ट्रैटेजी क्या है, कैसे मिलता है घर बैठे हर महीने कमाई का मौका

इस कंपनी पर तमिलनाडु सरकार का पूर्ण स्वामित्व है और ये कंपनी एक नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) के तौर पर RBI के साथ रजिस्टर्ड है

Covered Call Strategy: आप एक स्टॉक में लॉन्ग पोजिशन रखने के साथ ही, प्रीमियम के माध्यम से आय उत्पन्न करने के लिए उसी स्टॉक पर कॉल आप्शन को बेचते हैं, जिसे दलाल स्ट्रीट में कवर्ड कॉल रणनीति कहते है. इसे कॉल ऑप्शन की राइटिंग करना भी कहते हैं. इसमें आप किसी पोजिशन को दूसरी पोजिशन से कवर करते है और जोखिम के सामने सुरक्षा का कवच बनाते है. डेरिवेटिव्स एक्सपर्ट के मुताबिक, स्थिर आय प्राप्त करने के लिए इस रणनीति का लाभ ले सकते है, लेकिन आप जिस स्टॉक की पोजिशन लेना चाहते हैं उसके लॉट साइज जितना पैसा आपके डीमैट खाते मे होना जरूरी है.

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