GDP Forecast Slashed: रेटिंग एजेंसी ‘इंडिया रेटिंग्स’ ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के GDP ग्रोथ रेट अनुमान को घटाकर 7 से 7.2 फीसदी कर दिया है. एजेंसी ने पहले 7.6 प्रतिशत की ग्रोथ रेट का अनुमान जताया था. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से बढ़ती अनिश्चितता और नतीजतन कंज्यूमर सेंटीमेंट प्रभावित होने के कारण इंडिया रेटिंग्स ने विकास दर के अनुमान में कटौती की है. इंडिया रेटिंग्स का कहना है कि युद्ध कब खत्म होगा इसे लेकर अनिश्चितता के चलते कच्चे तेल की कीमतें पहले सिनेरियो में तीन महीने तक ऊंचे स्तर पर बनी रह सकती हैं. वहीं, इसका दूसरा ट्रेंड यह है कि कीमतें छह महीने तक उच्च स्तर पर रह सकती हैं.
शेयर कीमतों से डिफॉल्ट की संभावना की तलाश
भारतीय रिजर्व बैंक ने दबाव वाली कंपनी के संभावित डिफॉल्ट के शुरुआती संकेत की खातिर इक्विटी कीमतों की चाल का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव किया है। केंद्रीय बैंक की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट में कहा गया है, बॉन्ड के मूल्यांकन के लिए इक्विटी की चाल शायद प्रासंगिक नहीं भी हो सकती है क्योंकि दावे के पदानुक्रम के लिहाज से बॉन्ड ऊपर है, लेकिन वह दबाव का शुरुआती संकेत दे सकता है।
प्रमुख निवेश कंपनी की चूक करने वाली सहायक का मामला सामने रखते हुए आरबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि सहायक कंपनी को डिफॉल्ट के तौर पर वर्गीकृत किए जाने के बाद भी इक्विटी कीमतें सुदृढ़ नजर आईं। रिपोर्ट में कहा गया है, इक्विटी कीमतों का इस्तेमाल रेटिंग की तात्कालिक कार्रवाई में भी किया जा सकता है, लेकिन केंद्रीय बैंक का यह भी कहना है कि ऐसे मकसद के लिए इसका किस हद तक इस्तेमाल किया जाए, उसके लेकर हमें सतर्कता बरतने की दरकार है।
फिच ने भारत की सॉवरेन रेटिंग में किया बदलाव, चालू वित्त वर्ष के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान घटाया
फिच रेटिंग्स ने शुक्रवार को भारत की सॉवरेन रेटिंग(India sovereign rating) आउटुलक में बदलाव किया है. इसने भारत की सॉवरेन सेटिंग निगेटिव से स्टेबल कर दिया है. क्योंकि तेजी से आर्थिक सुधार के कारण मध्यम अवधि के दौरान ग्रोथ में गिरावट का जोखिम कम हो गया है. फिच रेटिंग्स (Fitch Ratings) ने भारत की सॉवरेन रेटिंग को ‘BBB-‘ पर बरकरार रखा है. हालांकि, फिच ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 8.5 परसेंट से घटाकर 7.8 परसेंट कर दिया. रेटिंग एजेंसी ने कहा, आउटलुक में बदलाव हमारे इस विचार को दर्शाता है कि ग्लोबल कमोडिटी कीमतों में तेजी के झटकों के बावजूद भारत में आर्थिक सुधार और वित्तीय क्षेत्र की कमजोरियों में कमी के कारण मध्यम अवधि के दौरान ग्रोथ में गिरावट का जोखिम कम हो गया है.
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रेटिंग एजेंसी 'Fitch' ने करीब 2% घटाया भारत का विकास अनुमान, ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी बनी वजह
पहले 2022-23 वित्त वर्ष के लिए भारत के विकास का अनुमान 10.3 प्रतिशत लगाया गया था.
रेटिंग एजेंसी ‘फिच' ने रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ऊर्जा कीमतों में बढ़ोतरी के बाद अगले वित्त वर्ष के लिए भारत के विकास के अनुमान को 10.3 प्रतिशत से घटाकर 8.5 कीमतें और रेटिंग प्रतिशत कर दिया है. एजेंसी ने कहा कि कोरोना वायरस के ‘ओमीक्रोन' कीमतें और रेटिंग स्वरूप के प्रकोप में कमी आने के बाद से प्रतिबंधों में कीमतें और रेटिंग ढील दी गई है, जिससे इस साल जून की तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि में तेजी लाने के लिए मंच तैयार हुआ है. एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी विकास के अनुमान को 0.6 प्रतिशत बढ़ाकर 8.7 प्रतिशत कर दिया है.
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‘फिच' ने कहा, ‘‘हालांकि, हमने भारत के लिए वित्त वर्ष 2022-2023 में अपने विकास पूर्वानुमान को तेजी से बढ़ती ऊर्जा कीमतों के कारण घटाकर 8.5 प्रतिशत (-1.8 फीसदी की कमी के साथ) कर दिया है. ''
एजेंसी ने कहा, "यूक्रेन में युद्ध और रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों ने वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति को खतरे में डाल दिया है। प्रतिबंधों को जल्द ही रद्द किए जाने की संभावना नहीं है।" रूस दुनिया की लगभग 10 प्रतिशत ऊर्जा की आपूर्ति करता है, जिसमें उसकी कीमतें और रेटिंग प्राकृतिक गैस का 17 प्रतिशत और तेल का 12 प्रतिशत शामिल है.
फिच ने कहा, "तेल और गैस की कीमतों में उछाल से उद्योग की लागत बढ़ेगी और उपभोक्ताओं की वास्तविक आय में कमी आएगी . फिच ने विश्व सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के अनुमान को 0.7 प्रतिशत अंक घटाकर 3.5 प्रतिशत कर दिया.
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India Ratings ने भारत का GDP ग्रोथ अनुमान 7.6% से घटाकर 7.2% किया, क्रूड की महंगाई से लगेगा झटका
रूस-यूक्रेन टकराव के चलते कमोडिटी की कीमतें और उपभोक्ता महंगाई बढ़ने ससे कंज्यूमर सेंटीमेंट (Consumer sentiment) को तगड़ा झटका लगेगा
GDP forecast : इंडिया रेटिंग्स (India Ratings) ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत का इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान घटाकर 7.6 फीसदी से घटाकर 7.2 फीसदी कर दिया है। इसकी कीमतें और रेटिंग वजह मुख्य रूप से रूस-यूक्रेन टकराव (Russia-Ukraine conflict) के बीच क्रूड ऑयल और कमोडिटीज की कीमतों में बढ़ोतरी से घरेलू खपत का प्रभावित होना बताई गई है।
तेल की कीमतों से ऐसे बढ़ेगा दबाव
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, अगर तेल की कीमतें तीन महीने तक मौजूदा स्तरों पर बनी रहती हैं तो जीडीपी (GDP) ग्रोथ 7.2 फीसदी रह सकती है और यदि तेल की कीमतें छह महीने तक इन्हीं स्तरों पर रहती हैं तो ग्रोथ घटकर 7 फीसदी रह जाएगी। दोनों ही स्थितियों में, माना जाता है कि इसका आधा बोझ घरेलू इकोनॉमी पर पड़ेगा।
7-7.2 फीसदी रह सकती है विकास दर
रेटिंग एजेंसी के चीफ इकनॉमिस्ट देवेंद्र पंत और प्रिंसिपल अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने बुधवार को कहा कि अगर कच्चे तेल की कीमतें तीन महीने तक ऊंचे स्तर पर रहती है तो वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वद्धि 7.2 फीसदी रह सकती है. वहीं, अगर कीमतें इसके बाद भी ऊंचे स्तर पर रहती हैं तो जीडीपी ग्रोथ रेट और भी कम यानी 7 प्रतिशत रहेगी. ये दोनों ही आंकड़े जीडीपी ग्रोथ रेट के पहले के 7.6 फीसदी के अनुमान से कम हैं.
उन्होंने आगे कहा कि आगामी वित्त वर्ष में इन दो सिनेरियो में अर्थव्यवस्था का आकार 2022-23 के जीडीपी ट्रेंड वैल्यू की तुलना में क्रमश: 10.6 प्रतिशत और 10.8 फीसदी कम रहेगा. रिपोर्ट के मुताबिक, 2021-22 में उपभोक्ता मांग कमजोर रही है. हालांकि, त्योहारों के दौरान रोजमर्रा के सामान की मांग बढ़ी थी. लेकिन बढ़ती मुद्रास्फीति को देखते हुए इसमें संदेह है कि यह मांग बनी रहेगी. लोगों द्वारा गैर-जरूरी वस्तुओं पर खर्च में कमी आएगी.
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