वित्त वर्ष 22 के लिए बजट प्रस्तुति के दौरान, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि आईडीबीआई बैंक सहित इस वित्तीय वर्ष में पूर्व में घोषित सभी विनिवेश प्रक्रियाओं को पूरा किया जाएगा।
क्रिप्टो बैन: सही कदम या भूल
भारत में इन दिनों क्रिप्टोकरेंसी को लेकर चर्चा हरेक की जुबान पर है भले ही उसने इसमें कभी निवेश किया हो या नहीं. अब सरकार इस पर कानून लाने वाली है, लेकिन यह काम भी बड़ा उलझन भरा है. जाानिए क्यों?
भारतीय संसद के इस हफ्ते शुरू हुए शीतकालीन सत्र की खास बात कृषि या विकास संबंधी परियोजनाएं न होकर एक ऐसी करेंसी या मुद्रा रही जो न देखी जा सकती है, न छुई जा सकती है और जिसकी कीमत तेजी से घटती-बढ़ती रहती है. इसे क्रिप्टोकरेंसी या डिजिटल करेंसी कहते हैं, जिस पर सरकार या बैंक का नियंत्रण नहीं होता है. यह करेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर बनी होती है, जो किसी डेटा को डिजिटली सहेजता है.
अब जो करेंसी क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन किसी के नियंत्रण में नहीं है, उस पर सरकार कानून कैसे ला सकती है? इसका जवाब हां और ना दोनों है. भले ही सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर कोई कानून न बनाया हो, लेकिन भारत का आयकर विभाग क्रिप्टो निवेश पर होने वाली इनकम पर टैक्स लेता है. हालांकि क्रिप्टो टैक्स के नियम ज्यादा साफ नहीं हैं, लेकिन अगर किसी निवेश पर टैक्स लिया जा रहा है तो इसका मतलब है कि सरकार उसे आय का स्रोत मान रही है.
दूसरा पक्ष यह है कि सरकार इसे पेमेंट का माध्यम मानने से इनकार कर रही है. हाल ही में संसद की ओर से जारी एक बुलेटिन में कहा गया कि बिटकॉइन या इथेरियम जैसी अन्य क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी का दर्जा नहीं दिया जा सकता है. यानि इनसे कोई भी दूसरा सामान नहीं खरीदा जा सकेगा.
नुकसानदेह हो सकता है सरकार का रवैया
सरकार की यह हिचक लंबे अर्से में नुकसान ही कराएगी क्योंकि कई छोटे-बड़े देशों ने क्रिप्टोकरेंसी को पेमेंट का माध्यम मान लिया है. मसलन, अमेरिका स्थित दुनिया के सबसे बड़े मूवी थिएटर चेन एएमसी ने कुछ क्रिप्टोकरेंसी से पेमेंट किए जाने को मंजूरी दे दी है. वहीं, कोरोना महामारी से बुरी तरह तबाह हो चुके टूरिज्म बिजनेस को दोबारा खड़ा करने के लिए थाइलैंड ने क्रिप्टो निवेशकों का स्वागत करते हुए कहा है कि वे उनके यहां आकर क्रिप्टो के जरिए सामान खरीद सकते हैं.
प्राइवेट बैंकों ने तो एटीएम भी लगा रखा हैतस्वीर: Christian Beutler/picture alliance/KEYSTONE/dpa
हालांकि, भारत सरकार क्रिप्टोकरेंसी को एसेट क्लास यानि स्टॉक, बॉन्ड जैसा मानने को तैयार दिख रही है. इसका मतलब है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी न मानकर निवेश का माध्यम मानने को तैयार है. संसद की ओर से जारी बुलेटिन की एक अन्य टिप्पणी भी भ्रम पैदा करने वाली है. सरकार ने कहा है कि वह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा देगी. यह प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी आखिर है क्या? सरकार ने इसे लेकर कोई व्याख्या नहीं दी है. क्रिप्टो जगत में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी जैसी कोई चीज होती ही नहीं है क्योंकि सारी क्रिप्टोकरेंसी ‘प्राइवेट' ही हैं, ‘पब्लिक' या सरकार के नियंत्रण में तो हैं नहीं.
ब्लॉकचेन तकनीक से परहेज नहीं
एक अन्य मुद्दा जिस पर सरकार का रुख कन्फ्यूज कर रहा है वह है डिजिटल रुपये. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को ब्लॉकचेन तकनीक भा गई है क्योंकि इसकी वजह से रिकॉर्ड को सहेजना और करेंसी को जारी करना आसान है. सरकार को भले क्रिप्टोकरेंसी से दिक्कत हो, लेकिन वह खुद रुपये को डिजिटली जारी करना चाहती है. यानि हो सकता है कि भारतीय रुपया जल्द ही बिटकॉइन या डॉजकॉइन की तरह डिजिटल हो जाए.
हाल के दिनों में सरकार के रवैये ने आम भारतीय क्रिप्टो निवेशकों को खूब छकाया. भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंज जैसे वजीरएक्स और कॉइनडीसीएक्स पर निवेशकों ने जल्दबाजी में अपनी करेंसी बेच डाली. पुराने और मंझे हुए क्रिप्टो निवेशकों ने इसका फायदा उठाया और गिरे हुए भाव पर दाव लगाकर क्रिप्टोकरेंसी को अपनी झोली में डाल लिया. ऐसा ही होता है क्रिप्टोकरेंसी बाजार में, जहां कीमत के गिरने का इंतजार कर रहे निवेशक झट से पैसे लगाकर प्रॉफिट लेकर चले जाते हैं.
कंपनियों को सरकार के फैसले का इंतजार
भारत में स्थित क्रिप्टो कंपनियां फिलहाल सरकार के बिल लाने का इंतजार कर रही हैं. वह कई वर्षों से सरकार के साथ बातचीत कर रही थीं क्योंकि उन्हें मालूम है कि रेगुलेशन और कानून आने से उन्हीं का फायदा होगा और क्रिप्टो को लेकर आम लोगों में विश्वास जगेगा. यही वजह है कि क्रिप्टो बिल को लेकर तमाम अटकलों के बावजूद अरबों की संपत्ति वाला क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनडीसीएक्स अब अपना आईपीओ शेयर बाजार में लाने वाला है. आईपीओ के जरिए उसे विस्तार मिलेगा और वह आम लोगों में अपने शेयर बेचकर धन की उगाही कर सकेगा.
कई देशों में बिटकॉइन के प्रचार की कोशिशें हो रही हैंतस्वीर: Salvador Melendez/AP Photo/picture alliance
भारत को लेकर बड़ी कंपनिया आश्वस्त हैं कि यहां चीन की तरह क्रिप्टो पर बैन लगाकर तानाशाही नहीं चलेगी. एनालिटिक फर्म चेनएनालिसिस ने भी भारत को क्रिप्टो का हब करार दिया है, जो बिना किसी गाइडलाइंस के देश ने हासिल किया है. यह बड़ी उपलब्धि है और सरकार को इसे गंवाना नहीं चाहिए.
फिलहाल सरकार को ब्लॉकचेन तकनीक से कोई दिक्कत नहीं, न ही क्रिप्टोकरेंसी इनकम पर मिलने वाले टैक्स से. लेकिन विडंबना यह है कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने को भी आतुर है. यह वही बात हो गई है कि कमरे में हाथी रखा है और सबने उसकी अपनी तरह से व्याख्या की है. भारत सरकार को क्रिप्टोकरेंसी पर व्यापक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. एक ऐसा देश जो आईटी सेक्टर का हब हो, जहां 50 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हो और जिसने डिजिटल इंडिया का ख्बाव देखा हो, वह ब्लॉकचेन और क्रिप्टोकरेंसी के उदय के दौर में पिछड़ कर रह जाएगा.
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क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन
नई दिल्ली
भारतीय क्रिप्टो निवेशक फिर से संकट में फंस गए हैं, क्योंकि ज्यादातर क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंजों जैसे कॉइनस्विच कुबेर, वजीरएक्स और कॉइनडीसीएक्स ने व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली भुगतान प्रणाली एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) के माध्यम से रुपया जमा करने पर रोक लगा दी है। यह निलंबन भारत में करोड़ों छोटे क्रिप्टो निवेशकों के लिए एक बड़े झटके के रूप में आया है। क्योंकि यूपीआई क्रिप्टो एक्सचेंजों में पैसा जमा कराने के लिए सबसे पसंदीदा मार्गों में से एक रहा है। पिछले वित्त वर्ष में यूपीआई पर कुल लेनदेन मूल्य 1 ट्रिलियन डॉलर से ऊपर था। सूचना के मुताबिक कॉइनस्विच ने यूपीआई और एनईएफटी, आरटीजीएस और आईएमपीएस जैसे बैंक हस्तांतरण के साथ रुपया जमा करना पूरी तरह से बंद कर दिया है।
वज़ीरएक्स अभी केवल नेट बैंकिंग और व्यक्ति-से-व्यक्ति (पी2पी) स्थानान्तरण के माध्यम से जमा की अनुमति देता है। इसके अलावा, वज़ीरएक्स पर नेट बैंकिंग के माध्यम से रुपया जमा करने के लिए सीमित बैंकिंग विकल्प उपलब्ध थे, जो कि ट्रेडिंग वॉल्यूम के मामले में भारत का सबसे बड़ा एक्सचेंज है। निवेशकों ने गुस्सा निकालने के लिए ट्विटर का लिया सहाराः निवेशकों ने ट्विटर पर अपना गुस्सा निकाला क्योंकि ज्यादातर प्रमुख बैंकों जैसे एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के पेमेंट गेटवे एक्सचेंज पर समर्थित नहीं थे। हालांकि एक्सचेंजों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, ट्विटर पर कॉइनस्विच कुबेर के समर्थन हैंडल के अनुसार, सभी भारतीय कानूनों और विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए यूपीआई से पैसा जमा करने की सुविधा को अक्षम कर दिया गया है।
दूसरी ओर, वज़ीरएक्स ने एक ग्राहक के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा, क्रिप्टोक्यूरेंसी उद्योग को सेवाएं प्रदान करने के लिए बैंकिंग क्षेत्र में अभी भी अनिश्चितता है। वज़ीरएक्स और कॉइनस्विच का संयुक्त उपयोगकर्ता आधार दो करोड़ सत्तर लाख से अधिक है। अमेरिकी एक्सचेंज की वजह से खुला मामलाः भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा पिछले सप्ताह स्पष्ट किए जाने के बाद पैसा जमा कराने का हालिया मुद्दा सामने आया कि उसे यूपीआई का उपयोग करने वाले किसी भी क्रिप्टो एक्सचेंज के बारे में पता नहीं था। यूएस-सूचीबद्ध क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनबेस इंक द्वारा भारत में प्रवेश की घोषणा के बाद स्पष्टीकरण जारी किया गया था, जिसमें कहा गया था कि यह अपने उपयोगकर्ताओं को यूपीआई सिस्टम के माध्यम से क्रिप्टो मुद्राओं को खरीदने की अनुमति देगा।
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आईडीबीआई बैंक की बिक्री के लिए लेनदेन सलाहकार की बोली लगाने की बढ़ाई गई समयसीमा
IDBI Bank sale: वित्त वर्ष 22 के लिए बजट प्रस्तुति के दौरान, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि आईडीबीआई बैंक सहित इस वित्तीय वर्ष में पूर्व में घोषित सभी विनिवेश प्रक्रियाओं को पूरा किया जाएगा।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आईडीबीआई बैंक के रणनीतिक विनिवेश के लिए लेनदेन सलाहकार के लिए बोली जमा करने की समयसीमा बढ़ाकर 22 जुलाई कर दी है। इसके अलावा, कानूनी सलाहकार के लिए बोलियां जमा करने की समय सीमा भी 9 दिन बढ़ाकर 22 जुलाई कर दी गई है। निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (डीआईपीओएम) ने कहा कि लेन-देन सलाहकार और कानूनी सलाहकार के लिए बोली जमा करना दोपहर 3.30 बजे समाप्त होता है। 22 जुलाई को शाम 4 बजे, और 23 जुलाई को बोलियां की बिड 3.50 बजे और शाम 4.30 बजे खोली जाएंगी। बिड जमा करने की पिछली समय सीमा 13 जुलाई थी। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और आईडीबीआई बैंक में भारत सरकार की हिस्सेदारी प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण के साथ-साथ तत्काल लेनदेन में बेची जाएगी।
इसमें कहा गया है कि सौदे के दौरान हिस्सेदारी की मात्रा का फैसला किया जा सकता है। एलआईसी की बैंक में 49.24 फीसदी हिस्सेदारी है जबकि सरकार के पास 45.48 फीसदी शेयर हैं।
वित्त वर्ष 22 के लिए बजट प्रस्तुति के दौरान, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि आईडीबीआई बैंक सहित इस वित्तीय वर्ष में पूर्व में घोषित सभी विनिवेश प्रक्रियाओं को पूरा किया जाएगा।
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क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन
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प्लाज्मा पे शुरू करेगा भारत में क्रिप्टोकरंसी व्यवसाय - वर्चुअल करेंसी में ऋण होगा उपलब्ध
- Friday, December 11, 2020 7:00PM IST (1:30PM GMT)
Tallinn, Estonia: वित्तीय उद्योग में डिफाई जैसी नई तकनीकों से भारी बदलाव देखने क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन को मिला है। इतना बदलाव आने पर भी पुराने तौर-तरीकों से चलने वाले बैंक एवं वित्तीय व्यवसाय आज भी मजबूत खड़े हैं। कुछ हद तक इसका कारण सामान्य लोग हैं जिनके पास अभी तक और कोई दूसरा विकल्प नहीं था। अभी तक यदि आपको कोई एक देश से दूसरे देश पैसों का लेनदेन करना हो तो आपके पास केवल दो ही विकल्प है या तो आप दूसरे देश जाकर सामने वाले व्यक्ति को पैसा दे या फिर बैंक की सुविधा का फायदा उठाएं। जायज़ है कि आप बैंक का ही उपयोग करेंगे।
हालांकि पिछले 11 वर्षों में कई बदलाव देखने को मिलेहैं। क्रिप्टोकरेंसी उद्योग के बढ़ने के साथ ही लोगों को पारंपरिक वित्तीय उद्योग की तुलना में इसका फायदा साफ नजर आने लगा है। ब्लॉकचेन पर आधारित पैसों का लेनदेन पारंपरिक वित्तीय उद्योग के मुकाबले ज़्यादा सस्ता, तेज एवं निजता को बनाए रखने वाला है।
हाल ही में शुरू हुई कंपनी प्लाज्मा-पे 1 लाख व्यक्तियों को 160 देशों में अपनी सेवाएं दे कर काफी लोकप्रिय हो रही है। यह दुनिया के कुछ सबसे बड़े डिसेंट्रलाइज्ड क्रिप्टो करेंसी बैंकों में से एक है। केवल 2 वर्षों के छोटे से काल में प्लाज्मा-पे ने विभिन्न मार्केटिंग के तरीकों से कई व्यक्तियों को अपने प्लेटफार्म से जोड़ा। सभी व्यक्तियों को प्लेटफार्म की गुणवत्ता एवं अनंत संभावनाओं ने अपनी और खींचा।
प्लाज्मा-पे की यूजर-फ्रेंडली एप्लीकेशन एंड्राइड, आईओएस एवं डेस्कटॉप-ब्राउज़र तीनों पर उपलब्ध है। आपको सिर्फ प्लेटफार्म पर जाकर अपना अकाउंट बनाना है और आप उसी समय अपना कार्ड प्लेटफार्म से जोड़ पाएंगे और धनराशि प्लेटफार्म में डाल पाएंगे, या फिर अपनी क्रिप्टो करेंसी को किसी अन्य वॉलेट से या एक्सचेंज से भेज पाएंगे। प्लाज्मा पर व्यापारियों के लिए एक सुरक्षित और तेज पेमेंट गेटवे भी उपलब्ध करवाता है जिससे वे क्रिप्टो करेंसी या रुपए या अन्य कोई करेंसी में पैसे अपनी वेबसाइट के जरिए ले सकते हैं। यह पेमेंट गेटवे ई-कॉमर्स, एड-टेक या अन्य किसी तरह की वेबसाइट पर पैसे लेने के लिए उपयुक्त है।
हमें प्लाज्मा-पे के सीईओ इलिया मैक्सिमेंका का से भी बात करने का मौका मिला जिन्होंने हमें बताया कि प्लाज्मा-पे ईथेरियम के अलावा erc20 टोकन, बिटकॉइन एवं अन्य तरह की क्रिप्टो करेंसी एवं फिएट करेंसी जैसे कि भारतीय रुपया के साथ लेनदेन करने में सक्षम है। उन्होंने हमें यह भी बताया कि प्लाज्मा-पे बैंकिंग सुविधाएं जैसे ऋण लेना, देना, जमा योजना, यिल्ड-फार्मिंग आदि सुविधाएं देने में सक्षम है। उन्होंने कहा "भारत दुनिया के सबसे बड़े बाजारों में से एक है परंतु अन्य देशों की तरह ही पारंपरिक वित्तीय उद्योगों जैसे बैंक ने इसे पिछड़ा बना रखा है। हमें विश्वास है कि प्लाज्मा-पे यूजर्स को अपने पैसों को ज्यादा आसानी से नियंत्रित करने में मदद करेगा एवं हमारा वादा है कि डिफाई हम आम जनता तक लेकर आएंगे।
हम चाहते हैं कि व्यापारी एवं व्यवसाय करने वाले प्लाज्मा-पे को वॉलेट, एक्सचेंज एवं व्यापार का ज़रिया समझे एवं उपयोग ले। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि यह हर वक्त आपके मोबाइल फोन पर उपलब्ध है क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन जिससे आप कहीं भी और किसी भी समय अपने पैसों को उपयोग में ले सकते हैं। इस तरह प्लाज्मा-पे आपको डिफाई की सुविधा देता है जिसके जरिए आप वैश्विक स्तर पर उपलब्ध डिसेंट्रलाइज्ड वित्तीय सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।
क्रिप्टोक्यूरेंसी जमा और लेनदेन
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