दिवाली से अब तक RBI ने बाजार से उठाए 67,000 करोड़ रुपए, ये है मामला
भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने एक महीने से कम समय में बाजार से 8 अरब डॉलर यानी 67,000 करोड़ रुपये लिए हैं. आरबीआई ने यह कदम विदेशी मुद्रा और रूपये की लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए उठाया है.
भारतीय रिजर्व बैंक यानी RBI ने एक महीने से कम समय में बाजार से 8 अरब डॉलर यानी 67,000 करोड़ रुपये लिए हैं. इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, आरबीआई ने यह कदम विदेशी मुद्रा और Rupee की लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए उठाया है. केंद्रीय बैंक ने यह बड़ी राशि दिवाली के हफ्ते के बाद से उठाई है. भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में इस साल फरवरी से करीब 100 अरब डॉलर की गिरावट आई है. फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व पिछले कुछ हफ्तों से बढ़ रहा है.
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट से ऐसे पड़ा असर
28 अक्टूबर वाले वीकेंड में रिजर्व 14 महीने में अपनी सबसे तेज रफ्तार से बढ़ा है. अगले सात दिनों में कुछ गिरावट के बाद, 11 नवंबर तक इसमें दोबारा बढ़ोतरी देखी गई है.
रिपोर्ट के मुताबिक, इस पर ईएम एशिया (एक्स-चाइना) इकॉनोमिक्स Barclays के एमडी और प्रमुख राहुल बाजोरिया ने कहा कि हाल ही के हफ्तों में, अमेरिकी डॉलर ने अपनी रफ्तार को छोड़ दिया है. आरबीआई के रिजर्व में बढ़ोतरी हो रही है, मुख्य तौर पर रि-वैल्युएशन में बढ़ोतरी और कुछ खरीदारी से भी फायदा मिल रहा है. 4 नवंबर के बाद बेस मनी में 32,000 करोड़ रुपये की राशि जुड़ी है. यह पैसा फॉरेन एक्सचेंज एसेट्स के जरिए आया है. इससे केंद्रीय बैंक द्वारा पिछले चार हफ्तों में फॉरेन एक्सचेंज की खपत 8 अरब डॉलर को पार कर सकती है.
RBI की बैंकिंग सेक्टर पर भी नजर
इससे पहले भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने देश के निजी और सरकारी क्षेत्र के बैंकों को देश की आर्थिक स्थिति पर नजर रखने की सलाह दी थी. उन्होंने बैंकों के प्रमुखों के साथ एक बैठक की, जिसमें शक्तिकांत दास ने उनसे यह बात कही है. आरबीआई के गवर्नर ने बैंक के कर्जधारकों पर बढ़ती ब्याज दर और के असर और क्रेडिट और डिपॉजिट की ग्रोथ में बीच बड़े अंतर पर भी चर्चा की. बैठक में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम के जैन और आरबीआई के कुछ दूसरे वरिष्ठ अधिकारी भी आरबीआई के कदम से रुपये में मामूली तेजी शामिल रहे.
ये भी पढ़ें
फिक्स्ड डिपॉजिट पर करना चाहते हैं अच्छी कमाई, इस स्कीम से ज्यादा ब्याज दे रहे ये बैंक
ISRO की नौकरी छोड़ कर दिखाया ये कारनामा, अब संभालेंगे निजी रॉकेट की कमान
Twitter के ऑफिस बंद, एक ही आरबीआई के कदम से रुपये में मामूली तेजी दिन में सैकड़ों कर्मचारियों ने छोड़ दी कंपनी
Retirement Fund : बुढ़ापे में चाहिए मोटी रकम तो अभी से बनाएं रणनीति, ऐसे दूर हो जाएगी टेंशन
बैठक में शामिल बैंकों के प्रमुखों ने कर्जधारकों के लिए बढ़ती ब्याज दरों के संभावित असर को लेकर मुद्दे भी उठाए, खास तौर पर जो माइक्रो फाइनेंस सेगमेंट में मौजूद हैं.
RBI Monetary Policy: रेपो रेट में मामूली बढ़ोतरी कर सकता है आरबीआई, 7 दिसंबर को हो सकती है घोषणा
RBI Monetary Policy: आरबीआई की अगली मौद्रिक नीति को लेकर एक्सपर्ट्स ने अनुमान लगाते हुए कहा है कि रिजर्व बैंक ब्याज दरो . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : December 04, 2022, 19:40 IST
हाइलाइट्स
एक्सपर्ट्स की राय, रेपो दर में 0.25 से 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है RBI
मौद्रिक नीति समिति की बैठक 5 दिसंबर से होगी शुरू
मौद्रिक नीति तय करते वक्त CPI पर गौर
नई दिल्ली. खुदरा महंगाई में नरमी के संकेतों और ग्रोथ को बढ़ावा देने की जरूरत को देखते हुए आरबीआई (RBI) बुधवार को अपनी आगामी मौद्रिक नीति समीक्षा (Monetary Policy Review) में रेट्स में बढ़ोतरी को लेकर नरम रुख अपना सकता है. एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि ब्याज दरों में लगातार तीन बार 0.50 फीसदी की बढ़ोतरी करने के बाद अब आरबीआई इस बार ब्याज दरों में 0.25 से 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकता है.
5 से 7 दिसंबर तक होगी MPC की बैठक
मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी (Monetary Policy Committee) की बैठक 5 दिसंबर से शुरू हो रही है. तीन दिन की बैठक के नतीजों की घोषणा 7 दिसंबर को की जाएगी.
मई से अब तक रेपो रेट में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी
न्यूज एजेंसी आरबीआई के कदम से रुपये में मामूली तेजी पीटीआई के मुताबिक, डोमेस्टिक फैक्टर्स के अलावा एमपीसी अमेरिका के फेडरल रिजर्व (US Federal Reserve) का अनुसरण कर सकती है जिसने इस महीने के अंत में रेट्स में कुछ कम वृद्धि करने के संकेत दिए हैं. रिजर्व बैंक ने इस साल मई से रेपो रेट में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी की है. हालांकि, इसके बावजूद महंगाई जनवरी से ही 6 फीसदी के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है.
इस वित्त वर्ष में 6.5 फीसदी पर पहुंच सकती है रेपो रेट
बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि एमपीसी इस बार भी दरों में बढ़ोतरी करेगी. हालांकि, यह बढ़ोतरी 0.25 से 0.35 फीसदी तक ही होगी. ऐसा अनुमान है कि रेपो रेट इस वित्त वर्ष में 6.5 फीसदी पर पहुंच जाएगी. इसका मतलब है कि फरवरी में रेपो रेट में एक और बढ़ोतरी देखने को मिलेगी.’’
आरबीआई मौद्रिक नीति तय करते वक्त कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) पर प्रमुख रूप से गौर करता है. सीपीआई में कुछ नरमी के संकेत मिल रहे हैं लेकिन यह अब भी आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर है.
महंगाई में और गिरावट आने की उम्मीद
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च में चीफ इकोनॉमिस्ट डी के पंत ने कहा, ‘‘महंगाई में और गिरावट आने की उम्मीद है. हालांकि, इस तिमाही में यह 6 फीसदी के ऊपर ही रहेगी. हमारा मानना है कि आरबीआई दिसंबर, 2022 की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो रेट 0.25 फीसदी बढ़ा सकता है.
0.25 से 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी संभव
कोटक महिंद्रा बैंक के होल टाइम डायरेक्टर शांति एकंबरम ने कहा कि फेडरल रिजर्व के नरम रुख और महंगाई में कुछ कमी को देखते हुए आरबीआई और एमपीसी भी रेट्स में कुछ कम यानी 0.25 से 0.35 फीसदी की बढ़ोतरी करेंगे.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
रुपये में जारी तेज गिरावट को रोकने के लिए 100 अरब डॉलर खर्च कर सकता है आरबीआई: रिपोर्ट
रुपये में गिरावट रोकने के लिए 100 अरब डॉलर खर्च कर सकता है आरबीआई.
डॉलर के मुकाबले रुपया 80 के स्तर को पार कर गया है. रुपये में जारी इस तेज को गिरावट को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक 1 . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : July 20, 2022, 18:43 IST
हाइलाइट्स
रुपये में गिरावट को रोकने के लिए 100 अरब डॉलर खर्च कर सकता है आरबीआई.
ये रकम भारत के फॉरेक्स रिजर्व से निकाली जाएगी.
डॉलर के मुकाबले रुपया 80 के स्तर को पार कर गया है.
नई दिल्ली. रुपये की गिरावट को थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक 100 अरब डॉलर की रकम और खर्च कर सकता है. रॉयटर्स के अनुसार, आरबीआई अपने विदेशी मुद्रा भंडार का छठा हिस्सा बेचने के लिए तैयार है ताकि हाल के हफ्तों में डॉलर के मुकाबले रुपये में हो रही तेज गिरावट से बचा जा सके.
2022 में रुपया अपने कुल मूल्य से 7 फीसद से अधिक गिर गया है. माना जा रहा है कि अगर भारतीय रिजर्व बैंक ने जरूरी कदम नहीं उठाए होते तो यह गिरावट कहीं अधिक होती. बता दें कि बुधवार को रुपया पहली बार डॉलर के मुकाबले 80 के स्तर को पार कर बंद हुआ.
आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार घटा
आरबीआइ का विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) पिछले साल सितंबर की शुरुआत में 642.450 अरब डॉलर था. लेकिन अब तक इसमें 60 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट आई गई है. इसका एक प्रमुख कारण बड़े पैमाने पर रुपये की बड़ी गिरावट को रोकने के लिए की गई डॉलर की बिक्री भी है. लेकिन इस कमी के बावजूद, आरबीआई के पास 580 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार है, जो दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा है. इसलिए आरबीआई के कदम से रुपये में मामूली तेजी आरबीआई को विश्ववास है कि रुपये की गिरावट को रोकने के लिए इसमें से एक हिस्से का इस्तेमाल कर सकता है.
100 अरब डॉलर तक खर्च कर सकता है आरबीआई
आरबीआई के एक सूत्र ने रायटर्स से कहा कि रुपये को गिरावट से बचाने के लिए जरूरत पड़ने पर केंद्रीय बैंक 100 अरब डॉलर और खर्च कर सकता है. हालांकि, आरबीआई पहले ही साफ कर चुका है कि वह रुपये की वैल्यू को किसी खास स्तर पर रोकने का प्रयास नहीं करता है लेकिन इसमें अचानक बड़ी गिरावट आने पर वह हस्तक्षेप के लिए तैयार आरबीआई के कदम से रुपये में मामूली तेजी है. इस खबर पर आरबीआई ने कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.
कैसी है रुपये की आगे की राह
बता दें कि रुपये में हो रही गिरावट के लिए घरेलू कारणों के साथ वैश्विक परिस्थितियां भी जिम्मेदार हैं. फेडरल रिजर्व (अमेरिकी केंद्रीय बैंक) द्वारा लागू की गईं सख्त और आक्रामक मौद्रिक नीतियों की आशंका से अमेरिकी डॉलर की आरबीआई के कदम से रुपये में मामूली तेजी मांग मजबूत हुई है. यही वजह है कि निवेशकों द्वारा डॉलर के मुकाबले ज्यादातर करेंसी की बिकवाली की जा रही है. विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये पर दबाव आगे भी जारी रहेगा. एनालिस्ट्स आरबीआई के कदम से रुपये में मामूली तेजी के अनुसार, डॉलर के मुकाबले रुपया 80-81 के आसपास बना रहेगा. गौरतलब है कि अन्य देशों की करेंसी में भी डॉलर के मुकाबले गिरावट आई है.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
जानिए रुपये की गिरावट को थामने के लिए क्या करता है RBI
बाजार में इस बात की चर्चा है कि आरबीआई ने रुपये को थामने के लिए डॉलर की बिकवाली की है
इसे भी पढ़ें: डॉलर के मुकाबले 70 तक फिसला रुपया तो आप पर क्या होगा असर?
बाजार से जुड़े कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि आरबीआई बीच-बीच में रुपये को डॉलर के मुकाबले मजबूत करने की कोशिश करता रहता है. डीलरों का कहना है कि केंद्रीय बैंक ने रुपये की गिरावट को थामने के लिए वायदा बाजार का रुख किया है. उन्होंने बताया कि आरबीआई ने वायदा बाजार में एक महीने का फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट बेचा है. उसने 50 करोड़ डॉलर बेचे, जिससे रुपये को मदद मिली.
केंद्रीय बैंक आमतौर पर करेंसी मार्केट में उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए स्पॉट मार्केट (हाजिर बाजार) में हस्तक्षेप करता है. कोटक सिक्योरिटीज में करेंसी एनालिस्ट अनिंदया बनर्जी ने कहा, '' बाजार में इस बात की चर्चा है कि आरबीआई ने रुपये को थामने के लिए डॉलर की बिकवाली की है.
उनका कहना है कि जब डॉलर के मुकाबले उभरते बाजारों की मुद्रा में गिरावट आ रही है तो रुपये में गिरावट को भी नहीं रोका जा सकता है. 2013 में रुपये में भारी गिरावट आई थी तब आरबीआई ने बड़ी तेजी के साथ हस्तक्षेप किया था.
आखिर आरबीआई वायदा बाजार का सहारा क्यों लेता है?
केंद्रीय बैंक आमतौर पर रुपये में गिरावट को थामने के लिए स्पॉट मार्केट में हस्तक्षेप करता है. हालांकि, ऐसा कर वह रुपये में तरलता को बढ़ा या घटा देता है. इससे बैकिंग सिस्टम में कैश बढ़ जाता है. पिछले कुछ महीनों से बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड बढ़ रही है. बॉन्ड यील्ड 8 फीसदी के मनोवैज्ञानिक स्तर को पार कर गई है. इससे उधारी लागत बढ़ी है.
करेंसी बाजार में आरबीआई की तरह के कदम उठाता है. इसे ओपन मार्केट आपरेशंस (OMOs) कहते हैं, इससे यील्ड नीचे आती है. ओएमओ खरीद के तहत, आरबीआई सिस्टम में तरलता को बढ़ावा देने के लिए बॉन्ड खरीदता है. एक बड़े बैंक में ट्रेजरी हेड ने कहा, "स्पॉट बाजार में हस्तक्षेप अपेक्षाकृत कम था, जबकि वायदा बाजार आरबीआई का हस्तक्षेप ज्यादा रहा है.
हिंदी में पर्सनल फाइनेंस और शेयर बाजार के नियमित अपडेट्स के लिए लाइक करें हमारा फेसबुक पेज. इस पेज को लाइक करने के लिए यहां क्लिक करें.
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 874