क्या सरकार अपनी क्रिप्टोकरेंसी लाने के बारे में सोच रही है?
सरकार बिटकॉइन समेत किसी प्रकार की निजी डिजिटल करेंसी के पक्ष में नहीं है मगर एक सरकारी समिति ने एक आधिकारिक डिजिटल करेंसी की जरूरत बताई है.
जून में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा एक मसौदा पेश किया था, जिसके तहत क्रिप्टोकरेंसी जारी करने, बनाने, खरीदने, बेचने, खत्म करने, इस्तेमाल करने या सौदा करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान था.
हाइलाइट्स
- केंद्र सरकार की अंतर-मंत्रालयी समिति ने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की है.
- अभी तक दुनिया भर में कुल 2,116 क्रिप्टोकरेंसी हैं, जिनका कुल बाजार पूंजीकरण $119.46 अरब का है.
- क्रिप्टोकरेंसी न तो लीगल टेंडर के समान हो सकती है और न ही इसे ऐसा समझा जाना चाहिए.
गौरतलब है कि इस समिति का गठन 2 नवंबर 2017 को क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मामलों के अध्ययन के लिए किया गया था. इस समिति को इस बारे में रूपरेखा बनाने के लिए भी कहा गया था. इसने निजी क्रिप्टोकरेंसी के खिलाफ अपना फैसला दिया है. सरकार का तर्क है कि वह निवेशकों के पैसों को जोखिम में नहीं डाल सकती.
मगर आर्थिक मामलों के सचिव की अगुवाई वाली एक अन्य सरकारी समिति ने एक आधिकारिक डिजिटल करेंसी की जरूरत बताई है. उसका कहना है कि इसे लीगल टेंडर माना जा क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए? सकता है. इस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का नियंत्रण होगा. इस पैनल में इलेक्ट्रॉनिक और आईटी मंत्रालयों के सचिव, सेबी प्रमुख और RBI के डिप्टी गवर्नर भी शामिल थे.
अभी तक दुनिया भर में कुल 2,116 क्रिप्टोकरेंसी हैं, जिनका कुल बाजार पूंजीकरण $119.46 अरब का है. GREX और RealX के सीईओ मनीष कुमार ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि समिति ने सिर्फ निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा है.
उन्होंने कहा, "इस समिति ने क्रिप्टोकरेंसी की अवधारणा को खारिज नहीं किया है. इसका दूसरा अर्थ यह भी है कि किप्टो-तकनीक के दूसरे प्रयोगों को हरी झंडी दिखाई गई है." GREX एक निजी मार्केट प्लेटफॉर्म है, जो कंपनियों को वित्तीय प्रोडक्ट्स तक पहुंच बनाने में मदद करता है.
कुमार ने कहा, "जो हम समझ पा रहे हैं, उसके मुताबिक क्रिप्टोकरेंसी की अवधारणा पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया गया है. इस समिति का मानना है कि निजी उद्यमों के बजाय सिर्फ सरकार के पास ही क्रिप्टोकरेंसी जारी करने के अधिकार होने चाहिए."
उधर, अंतर-मंत्रालय समिति ने कहा है कि जरूरत पड़ने पर वह स्थाई समिति के रूप में अपने पक्ष पर दोबारा विचार करने के लिए तैयार है. सुप्रीम कोर्ट की वकील और साइबर लॉ विशेषज्ञ एनएस नप्पिनई ने कहा कि सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी पेश करने का विचार एक गलत धारणा है.
उन्होंने कहा, "क्रिप्टोकरेंसी न तो लीगल टेंडर (सरकार द्वारा जारी मुद्रा) के समान हो सकती है और न ही इसे ऐसा समझा जाना चाहिए. भले ही यह कागज पर हो या डिजिटल रूप में. सरकार द्वारा जारी डिजिटल करेंसी वैध करेंसी होगी."
उन्होंने कहा कि अभी तक यह भी साफ नहीं है कि सरकार क्यों अपनी डिजिटल करेंसी पेश करने के बारे में सोच रही है. उनके अनुसार, "यदि सरकार इसे जारी करती है, जो इसकी वैल्यूएशन रुपये के सामने आंकी जाएगी. इसकी वैल्यू घरेलू करेंसी से अधिक या कम नहीं हो सकती है."
नप्पिनई ने बताया कि सरकार को इस मंशा के पीछे के मकसद का आंकलन करना होगा. उन्होंने कहा, "अपनी अलग डिजिटल करेंसी पेश करने की कवायद में लगने से पहले सरकार को भी कई सवालों के जवाब देने होंगे." क्रिप्टोकरेंसी प्रतिबंध लगाने से बेहतर होगा उसके लिए कानून पेश हो.
मौजूदा समय में भारत में डिजिटल करेंसी पर प्रतिबंध नहीं है. मगर नियामक प्राधिकरणों ने कारोबारियों और यूजर्स को इससे जुड़े जोखिम के विषय में बार बार सावधान किया है. साथ ही वे उन्हें इस प्रकारण के कृत्रिम उपकरणों की खरीद-फरोख्त से दूर रहने की भी सलाह देते रहे हैं.
साल 2018 के आम बजट में तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली ने साफ किया था कि क्रिप्टोकरेंसी लीगल टेंडर (वैध पैसा) नहीं है. उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार इन्हें वित्तीय प्रणाली से हटाने के सभी संभव प्रयास करेगी. उन्होंने 'भुगतान या उस प्रणाली के अंश के लिए अवैध वित्तीयकरण' में इनका इस्तेमाल रोकने की बात भी कही थी.
जून में सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ा एक मसौदा पेश किया था, जिसके तहत क्रिप्टोकरेंसी जारी करने, बनाने, खरीदने, बेचने, खत्म करने, इस्तेमाल करने या सौदा करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान था. नप्पिनई का मानना है कि वे 'निजी क्रिप्टोकरेंसी' के भविष्य को लेकर संशय में हैं.
उन्होंने कहा, "आखिरकार, फेसबुक के ऐलान के बाद भारत भी इस दिशा में कदम बढ़ान के लिए जाग गया. फेसबुक ने अपनी कृत्रिम करेंसी 'लिब्रा' लॉन्च करने का ऐलान किया है. मगर सरकार का सबसे बड़ा डर है कि इनका इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने या मनी लॉन्ड्रिंग के लिए हो सकता है."
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क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी संबंधी विधेयक पर कैबिनेट नोट तैयार है और वह इसे मंत्रिमंडल से मंज़ूरी मिलने का इंतज़ार कर रही हैं। गौरतलब है कि हाल में क्रिप्टोकरेंसी संबंधित अंतर-मंत्रालयी पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सरकार द्वारा जारी डिजिटल करेंसी के अलावा भारत में सभी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
RBI के डिप्टी गवर्नर ने क्रिप्टोकरेंसी को बताया पोंजी स्कीम से बदतर, कहा- बैन करना ही शायद सबसे बेहतर विकल्प
क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध की वकालत करते हुए RBI के डिप्टी गवर्नर ने कहा- शायद यही सबसे बेहतर विकल्प होगा.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर (T Rabi Sankar) का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी का कोई वास्तविक म . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : February 14, 2022, 22:18 IST
नई दिल्ली. क्रिप्टोकरेंसी का कोई वास्तविक मूल्य (Intrinsic Value) नहीं है और यह किसी पोंजी स्कीम से भी बदतर हो सकती है. अच्छा है कि क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा दिया जाए. ये कहना है भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर (T Rabi Sankar) का. उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध की वकालत करते हुए कहा शायद यही सबसे बेहतर विकल्प होगा.
शंकर ने कहा है कि हमने उन तर्कों की जांच की है, जो इस बात की वकालत करते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट किया जाना चाहिए. हमने जांच में पाया कि उनमें से कोई भी बुनियादी जांच में खरा नहीं उतर पाया है. उन्होंने कहा, हमने देखा कि क्रिप्टो-प्रौद्योगिकी सरकारी नियंत्रण से बचने के लिए एक दर्शन (Philosophy) पर आधारित है. क्रिप्टोकरेंसी को खास तौर से रेगुलेटेड फाइनेंशियल सिस्टम को बायपास करने के लिए विकसित किया गया है.
इसे मुद्रा के तौर पर परिभाषित नहीं कर सकते
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने कि हमने यह भी देखा है कि क्रिप्टोकरेंसी को मुद्रा, परिसंपत्ति या कमोडिटी के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है. उनके पास कोई अंतर्निहित कैश फ्लो नहीं है. टी रबी शंकर ने कहा, उन्हें औपचारिक वित्तीय प्रणाली से दूर रखने के लिए ये पर्याप्त कारण होने चाहिए. इसके अलावा, ये वित्तीय अखंडता, विशेष रूप से KYC रेजिम और एएमएल/सीएफटी नियमों को कमजोर करते हैं और कम से कम संभावित रूप से असामाजिक गतिविधियों की सुविधा प्रदान करते हैं.
RBI ने कहा- यह देश की सुरक्षा को खतरा
इससे पहले भी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने के खिलाफ बोल चुका है. उसने बार-बार कहा है कि इसे मान्यता देने से देश की सुरक्षा को खतरा पैदा होगा. इसके अलावा इकोनॉमिक और फाइनेंशियल स्टैबिलिटी के लिए भी ठीक नहीं है.
क्या कहा था वित्तमंत्री ने
बीते शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharman) ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर राज्यसभा में बड़ा बयान देते हुए कहा कि टैक्स लगाने का मतलब ये नहीं कि क्रिप्टोकरेंसी वैध हो गई है. उन्होंने कहा है कि सरकार ने सिर्फ क्रिप्टोकरेंसी के मुनाफे पर टैक्स लगाया है. सरकार ने इसे वैध बनाने, प्रतिबंध लगाने या रेगुलेट करने के क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए? लिए कोई कदम नहीं उठाया है. उन्होंने कहा था, “जब हमें इसके बारे में पूरा इनपुट मिल जाएगा, फिर यह फैसला होगा.”
बजट में लगाया था 30% टैक्स + 1% टीडीएस
गौरतलब है कि बजट 2022-23 में वर्चुअल एसेट (Virtual Asset) से हुए मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स (Tax on crypto) लगाने की बात कही गई थी. इसके अलावा इसके ट्रांजेक्शन पर भी 1 फीसदी टीडीएस (TDS on Crypto) लगाने का ऐलान किया गया था. इससे यह माना जा रहा था कि सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लीगलाइज करने की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है. लेकिन, शुक्रवार को निर्मला सीतारमण के बयान के बाद यह साफ हो गया है कि क्रिप्टो पर सरकार की पॉलिसी क्या होगी, इसका अंदाजा लगाना अभी मुश्किल है.
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RBI के डिप्टी गवर्नर ने क्रिप्टोकरेंसी को बताया पोंजी स्कीम से बदतर, कहा- बैन करना ही शायद सबसे बेहतर विकल्प
क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध की वकालत करते हुए RBI के डिप्टी गवर्नर ने कहा- शायद यही सबसे बेहतर विकल्प होगा.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर (T Rabi Sankar) का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी का कोई वास्तविक म . अधिक पढ़ें
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नई दिल्ली. क्रिप्टोकरेंसी का कोई वास्तविक मूल्य (Intrinsic Value) नहीं है और यह किसी पोंजी स्कीम से भी बदतर हो सकती है. अच्छा है कि क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए? क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगा दिया जाए. ये कहना है भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर (T Rabi Sankar) का. उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध की वकालत करते हुए कहा शायद यही सबसे बेहतर विकल्प होगा.
शंकर ने कहा है कि हमने उन तर्कों की जांच की है, जो इस बात की वकालत करते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट किया जाना चाहिए. हमने जांच में पाया कि उनमें से कोई भी बुनियादी जांच में खरा नहीं उतर पाया है. उन्होंने कहा, हमने देखा कि क्रिप्टो-प्रौद्योगिकी सरकारी नियंत्रण से बचने के लिए एक दर्शन (Philosophy) पर क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए? आधारित है. क्रिप्टोकरेंसी को खास तौर से रेगुलेटेड फाइनेंशियल सिस्टम को बायपास करने के लिए विकसित किया गया है.
इसे मुद्रा के तौर पर परिभाषित नहीं कर सकते
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने कि हमने यह भी देखा है कि क्रिप्टोकरेंसी को मुद्रा, परिसंपत्ति या कमोडिटी के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सकता है. उनके पास कोई अंतर्निहित कैश फ्लो नहीं है. टी रबी शंकर ने कहा, उन्हें औपचारिक वित्तीय प्रणाली से दूर रखने के लिए ये पर्याप्त कारण होने चाहिए. इसके अलावा, ये वित्तीय अखंडता, विशेष रूप से KYC रेजिम और एएमएल/सीएफटी नियमों को कमजोर करते हैं और कम से कम संभावित रूप से असामाजिक गतिविधियों की सुविधा प्रदान करते हैं.
RBI ने कहा- यह देश की सुरक्षा को खतरा
इससे पहले भी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता देने के खिलाफ बोल चुका है. उसने बार-बार कहा है कि इसे मान्यता देने से देश की सुरक्षा को खतरा पैदा होगा. इसके अलावा इकोनॉमिक और फाइनेंशियल स्टैबिलिटी के लिए भी ठीक नहीं है.
क्या कहा था वित्तमंत्री ने
बीते शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharman) ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर राज्यसभा में बड़ा बयान देते हुए कहा कि टैक्स लगाने का मतलब ये नहीं कि क्रिप्टोकरेंसी वैध हो गई है. उन्होंने कहा है कि सरकार ने सिर्फ क्रिप्टोकरेंसी के मुनाफे पर टैक्स लगाया है. सरकार ने इसे वैध बनाने, प्रतिबंध लगाने या रेगुलेट करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है. उन्होंने कहा था, “जब हमें इसके बारे में पूरा इनपुट मिल जाएगा, फिर यह फैसला होगा.”
बजट में लगाया था 30% टैक्स + 1% टीडीएस
गौरतलब है कि बजट 2022-23 में वर्चुअल एसेट (Virtual Asset) से हुए मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स (Tax on crypto) लगाने की बात कही गई थी. इसके अलावा इसके ट्रांजेक्शन पर भी 1 फीसदी टीडीएस (TDS on Crypto) लगाने का ऐलान किया गया था. इससे यह माना जा रहा था कि सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी को लीगलाइज करने क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए? की दिशा में पहला कदम बढ़ा दिया है. लेकिन, शुक्रवार को निर्मला सीतारमण के बयान के बाद यह साफ हो गया है कि क्रिप्टो पर सरकार की पॉलिसी क्या होगी, इसका अंदाजा लगाना अभी मुश्किल है.
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क्या संसद के शीतकालीन सत्र में पेश नहीं होगा क्रिप्टोकरेंसी बिल? जानें क्या है केंद्र सरकार की रणनीति
Cryptocurrency Bill: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मौजूदा शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी पर बिल आने की संभावना नहीं है।
- भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक ने कईं बार क्रिप्टोकरेंसी पर चिंता जताई है।
- अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में केंद्रीय बैंक पायलट के क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए? तौर पर डिजिटल मुद्रा लॉन्च कर सकता है।
- केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी सीबीडीसी (CBDC) कानूनी टेंडर का डिजिटल रूप होगी।
Cryptocurrency Bill: शीर्ष सूत्रों ने कहा कि शीतकालीन सत्र (winter session) में क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrency) पर विधेयक लाने की संभावना नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि जब भी कोई क्या क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए? विधेयक लाया जाएगा, उसे हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श के लिए संसदीय स्थायी समिति को भेजा जाएगा। क्रिप्टोकरेंसी पर शिकंजा कसने के लिए संसद के शीतकालीन सत्र में 'द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल, 2021' (The Cryptocurrency & Regulation of Official Digital Currency Bill, 2021) सूचीबद्ध किया गया था।
प्रस्तावित विधेयक में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की ओर से जारी होने वाली आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के लिए विधान तैयार करने की बात कही गई है। साथ ही इसमें देश में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने का भी प्रावधान किया गया है। हालांकि, यह कुछ अपवादों के साथ क्रिप्टोकरेंसी और इसके उपयोग से जुड़ी तकनीक को बढ़ावा देने की अनुमति देता है।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी पर की थी बैठक
सूत्रों ने कहा कि इसकी संभावना नहीं है कि मौजूदा शीतकालीन सत्र में विधेयक लाया जाएगा। मौजूदा समय में, देश में क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग पर कोई प्रतिबंध नहीं है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने पिछले महीने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ क्रिप्टोकरेंसी पर एक बैठक की थी। इस मुद्दे से निपटने के लिए मजबूत नियामक कदम उठाए जा सकते हैं।
क्रिप्टोकरंसी के विज्ञापनों की संख्या में वृद्धि
हाल के दिनों में क्रिप्टोकरंसी में निवेश पर ज्यादा रिटर्न का वादा करने वाले विज्ञापनों की संख्या में वृद्धि हुई है। इन विज्ञापनों में फिल्मी सितारों को भी दिखाया गया है। इस तरह की मुद्राओं के बारे में चिंताओं के बीच निवेशकों को भ्रामक दावों के साथ लुभाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।
भाजपा सदस्य जयंत सिन्हा की अध्यक्षता में वित्त पर संसदीय स्थायी समिति ने क्रिप्टो एक्सचेंजों, ब्लॉकचैन और क्रिप्टो एसेट्स काउंसिल (BACC), के प्रतिनिधियों से भी मुलाकात की, और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध (Cryptocurrency Ban) नहीं लगाया जाना चाहिए, बल्कि विनियमित किया जाना चाहिए।
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