• आपको ठंडा रखने के लिए एएमपी-फ्लो हवादार बैक पैनल

मरीजों की सेहत पर डाका: नहीं मिल रहा डाइट के अनुसार खाना

खंडवा. जिला अस्पताल में मरीजों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। शासन द्वारा निर्धारित डाइट चार्ट के अनुसार मरीजों को न तो नाश्ता दिया जा रहा और न ही खाना। इतना ही नहीं मरीजों को दिए जाने वाले खाने की गुणवत्ता भी मापदंड़ों के मुताबिक नहीं है। आलम यह है कि मरीजों को निर्धारित डाइट चार्ट के अनुसार मंगलवार को दोपहर के भोजन में मूंग की दाल दी जाना चाहिए। लेकिन अस्पताल में अरहर की दाल दी जा रही है। इसके अलावा सुबह दलिए के साथ पानी सा दूध मरीजों को मिल रहा है। वहीं रोटियां किसी मरीज को दो तो किसी को तीन ही दी जाती है। साथ ही यदि मरीज पलंग पर नहीं मिला तो उसे खाना नहीं मिल पाता। मरीजों के अनुसार दाल बहुत पतली रहती है और सिर और कंधे चार्ट सब्जी स्वादहीन। मिलने वाली सामग्री से एक व्यक्ति का पेट भी नहीं भरता। वही मेटरनिटी विंग में प्रसूताओं को नियमित डाइट चार्ट के अलावा दिए जाने वाली सामग्री गुड़, मेवा लड्डू कम मात्रा और पपीता शायद ही कभी मिलता हो। स्थितियां देखे तो सवाल यह उठता है कि मरीजों के खाने की गुणवत्ता ऐसी ही रही तो उनकी सेहत कैसे बनेगी?

मूंग की बजाय खिला रहे अरहर की दाल, दे रहे पानी जैसा दूध

खाने की गुणवत्ता के अलावा इसे बांटने वाले भी सुरक्षा के मापदंडों का पालन नहीं कर रहे हैं। मरीजों को खाना लेकर पहुंचने वाले कर्मचारियों के हाथों में न तो ग्लब्ज होते हैं और न ही सिर पर टोपी। ऐसे में खाना दूषित होने की संभावना बनी रहती है।
&सामग्री उपलब्ध नहीं होने पर कभी कभार मैन्यू के मुताबिक दाल नहीं दे पाते होंगे। गुणवत्ता में मापदंडों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है तो खाने की गुणवत्ता जांचेंगे।
डॉ. ओपी जुगतावत,
सिविल सर्जन
सलाद में ककड़ी, वह भी कु छ ही मरीजों को
मंगलवार को अस्पताल के मेल सर्जिकल वार्ड में मरीजों को खाना दिया जा रहा था। यहां पतली दाल। वह भी चार्ट के अनुसार नहीं। साथ ही लौकी, आलू मिक्स सब्जी दी जा रही थी। सलाद में सिर्फ ककड़ी थी। ककड़ी को थाली में रख कपड़े से ढंककर रखा गया था। कैमरा देख मरीजों को सलाद के नाम पर ककड़ी दो से चार टुकड़े दिए गए। वहीं पूर्व में जिन मरीजों को खाना दिया गया उनसे पूछने पर पता चला कि सलाद किसी को नहीं दी है। इसके अलावा किसी मरीज को दो तो किसी को तीन रोटियां दी। ऐसे में ज्यादा रोटियां खाने वाले आधा पेट खाना ही खा पाए। जबकि मरीज को चार रोटी दी जा सकती है। वहीं वार्डों से डाइट चार्ट गायब है तो कुछ में आधे-अधुरे चार्ट टंगे हुए हैं। इससे मरीजों को भी निर्धारित डाइट के खाना की जानकारी नहीं मिलती है।
मरीजों की जुबानी.
भरपेट खाना नहीं
मां कुसुमबाई निवासी चैनपुर फिमेल मेडिकल वार्ड में भर्ती है। उन्हें पथरी की समस्या है। खाने में दो से तीन ही रोटी दी जाती है। दाल पतली होती है। यदि मरीज को एक रोटी और चाहिए तो नहीं देते। इस कारण आधा पेट खाना ही खाना पड़ता है। डाइट चार्ट क्या है मुझे पता नहीं।
नारायण, चैनपुर
जो मिलता खा लेता हूं
दुर्घटना में पैर टूट गया था। उपचार के लिए पिछले करीब 15 दिन से ट्रामा सेंटर में भर्ती हूं। सुबह नाश्ते में दूध व दलिया मिलता है। मिलने वाले पानी से दूध में शक्कर मिलाकर दलिया खा लेता हूं। जैसा खाना मिलता मजबूरी में खा लेते हैं। नहीं खाया जाता तो रखा रहता है। भारत, मदनी
मनमर्जी बंटता है खाना
मरीजों को नाश्ता, दोपहर व शाम का खाना देने का समय निर्धारित है। चार्ट के अनुसार नाश्ता सुबह 9 से 9.30 बजे तक। दोपहर का खाना 1.30 बजे दोपहर 2 बजे तक, शाम को चाय-बिस्किट दोपहर 3.30 से शाम 4.30 बजे तक और रात का खाना रात 8 से 8.30 बजे तक दिया जाना चाहिए। लेकिन ठेकेदार द्वारा अपनी मनमर्जी के मुताबिक खाना परोसा जा रहा है। दोपहर का खाना 12 से 1 बजे तक वितरित कर दिया जाता है। वहीं रात का खाना शाम 6 से 7 बजे के बीच दे दिया जाता है।
मंगलवार का डाइट चार्ट
नाश्ता:- सुबह 9 से 9.30 बजे तक। सामग्री दूध, टोस्ट अथवा दलिया। मात्रा 250 एमएल दूध।
खाना:- दोपहर 1.30 से 2 बजे तक। सलाद एक कटोरी, रोटी तीन, चार। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हरी सब्जी लौकी, तुरई, गिल्की, टमाटर, भिंडी, पालक आदि) एक कटोरी सौ ग्राम। मूंग की दाल और चावल।
नाश्ता:- दोपहर 3.30 से शाम 4.30 तक। चाय एक कप और बिस्किट।
रात का खाना:- रात 8 से 8.30 बजे तक। रोटी तीन से चार नग। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हरी सब्जी एक कटोरी। दाल (अरहर, मूंग, खड़ी मूंग)। एक कटोरी तीस ग्राम।

कंधे पर तिल से जानिये कैसा है व्यक्ति का स्वभाव, ये कहता है सामुद्रिक शास्त्र

Kandhe Par Til Hona: समुद्र शास्त्र यह भी बताता है कि जिन लोगों के कंधे पर तिल होता है वह बहुत खास होते हैं। साथ ही यह बताया जाता है कि इनमें कुछ खासियत होती हैं।

कंधे पर तिल से जानिये कैसा है व्यक्ति का स्वभाव, ये कहता है सामुद्रिक शास्त्र

सामुद्रिक शास्त्र में कंधे पर तिल होना खास माना जाता है।

Samudrik Shastra/ Mole on Shoulder: सामुद्रिक शास्त्र में यह बताया जाता है कि शरीर पर बने कुछ निशान व्यक्ति की खासियतें और खामियां बताने में सक्षम हैं। कहते हैं कि शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर तिलों का मतलब भी अलग-अलग होता हैं। समुद्र शास्त्र यह भी सिर और कंधे चार्ट बताता है कि जिन लोगों के कंधे पर तिल होता है वह बहुत खास होते हैं। साथ ही यह बताया जाता है कि इनमें कुछ खासियत होती हैं।

दाहिने कंधे पर तिल का मतलब – समुद्र शास्त्र यह कहता है कि जिन लोगों के दाहिने कंधे पर तिल होता है वह लोग बहुत खुशमिजाज होते हैं। इन्हें बहुत जल्दी कोई व्यक्ति या परिस्थिति प्रभावित नहीं कर पाती है। ऐसे लोगों का मानना होता है कि जीवन में सिर्फ अपने और अपनी सफलता के बारे में ही सोचना चाहिए क्योंकि जिंदगी जीते हुए दूसरों के बारे में सोचेंगे तो जीवन का सारा बहुमूल्य समय ऐसे ही बर्बाद हो जाएगा और कामयाबी हासिल नहीं हो पाएगी। यह लोग जीवन के प्रति सकारात्मक रवैया रखते हैं। इनके नजदीकी दोस्तों की संख्या ज्यादा नहीं होती हैं।

बाएं कंधे का तिल से मिलती है क्या खूबी – कहा जाता है कि जिन लोगों के बाएं कंधे पर तिल होता है वह लोग मस्तमौला होते हैं। इन्हें अपनी पूरी जिंदगी एडवेंचर में बिताने की इच्छा होती है। ऐसे लोगों का मानना होता है कि जीवन में हरेक कार्य करना चाहिए। यह लोग सही-गलत के बारे में ज्यादा विचार नहीं करते हैं। बताया जाता है कि इनका मानना होता है कि जिस काम में व्यक्ति को खुशी मिले वही सही है और जिससे दुख हो वही काम गलत है। ऐसे लोगों के मित्रों की संख्या बहुत अधिक होती हैं। कहते हैं कि इन लोगों को सच्चे प्यार की तलाश रहती हैं।

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कंधे के पिछले भाग पर तिल का मतलब – सामुद्रिक शास्त्र यह बताता है कि जिन लोगों के कंधे के पिछले भाग पर तिल होता है वह लोग अपने दिलों के राज को छुपा कर रखते हैं। ऐसे लोगों को लोगों से बातें करना पसंद नहीं होता है। यह लोग अपने जीवन के बहुत से रहस्यों को अपने तक ही सीमित रखते हैं। बताया जाता है कि ऐसे लोगों को जीवन में चाहें सफलता मिले या नाकामयाबी मिले वहीं लोगों को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती हैं। ऐसे लोग बहुत अधिक भावनात्मक नहीं होते हैं।

कंधे के आगे की ओर तिल होना – बताया जाता है कि जिन लोगों के कंधे के आगे की ओर तिल होता है ऐसे लोग भावनात्मक रूप से बहुत कमजोर होते हैं। इन्हें छोटी-छोटी बातों पर रोना आ जाता है। माना जाता है कि ऐसे लोगों को दूसरों पर बहुत जल्दी विश्वास हो जाता है। साथ ही इनका यह मानना होता है कि कोई भी वस्तु या सेवा इनसे पहले इनके प्रिय लोगों को मिले यानी यह लोग दूसरों की खुशियों की परवाह करते हैं।

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आपको कई परेशानियों से राहत दिला सकते हैं पैरों और पंजों में मौजूद ये एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स

आपको कई परेशानियों से राहत दिला सकते हैं पैरों और पंजों में मौजूद ये एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स

नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल]। एक्यूप्रेशर शरीर के विभिन्न हिस्सों के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर दबाव डालकर रोग के निदान करने की विधि है। चिकित्सा शास्त्र की इस शाखा का मानना है कि मानव शरीर पैर से लेकर सिर तक आपस में जुड़ा है। एक्यूप्रेशर एक प्राचीन चिकित्सा तकनीक है, जिसे चीनियों के द्वारा प्रतिपादित किया गया था। पैरों और तलवे में मौजूद ऐसे कई प्वाइंट्स होते हैं जिनकी मदद से कई रोगों का इलाज किया जा सकता है।

एक्यूप्रेशर चिकित्सा क्या है
शरीर के विभिन्न हिस्सों खासकर पैरों और पंजो के महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर दबाव डालकर विभिन्न रोगों का इलाज करने की विधि को एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति कहा जाता है। इस पद्धति के लगातार अध्ययनों के बाद मानव शरीर के दो हजार ऐसे बिंदु पहचाने गए है जिन्हें एक्यू पॉइंट कहा जाता है जिस एक्यू पॉइंट पर दबाव डालने से उसमे दर्द हो उसे बार बार दबाने से उस जगह से सम्बंधित बीमारी ठीक हो जाती है।

एक्यूप्रेशर कैसे कार्य करता है
हमारे शरीर पर मौजूद कुछ बिंदु ही कई रोगों का निदान करने की क्षमता रखते हैं। यदि इन बिंदुओं पर विशेष प्रकार से दबाव डाला जाए, तो यह कई रोगों के इलाज में मदद कर सकते हैं। एक्‍यूप्रेशर इलाज की ऐसी ही एक पद्धति है, जो शरीर के इन खास बिंदुओं को दबाकर रोग को दूर करने का कार्य करती है। यदि इसे किसी विशेषज्ञ की देखरेख में किया जाए, तो आमतौर पर इसके दुष्‍प्रभाव कम होते हैं।

पैरों में एक्यूप्रेशर प्वाइंट
पैरों और पैरों के तलवों, अंगुलियों में कई ऐसे एक्यूप्रेशर प्वाइंट होते हैं जिनकी मदद से कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। बिना दवा के इलाज करने वाली यह पद्धति सरल, हानिरहित, खर्च रहित व अत्यंत प्रभावशाली व उपयोगी है जिसे कोई भी थोड़ी सी जानकारी हासिल कर कभी भी कहीं भी कर सकता है। बस शरीर से सम्बंधित अंगों के बिंदु केंद्रों की हमें जानकारी होनी चाहिए। आइए जानें पैरों और पंजों के एक्यूप्रेशर प्वाइंट के बारे में।

एक्यूप्रेशर प्वांइट 1
यह प्वाइंट पैर के निचले हिस्से के अंदरूनी भाग में होता है। यह प्वाइंट पिंडली की हडि्यों और टखने की हडि्यों के उपर की चार अंगुलियों के पीछे की साइड पर होता है। इस निश्चित स्थान पर हल्के से दबाव बनाते हुए घेरा बनाकर क्लॉकवाइज हर रोज 3 मिनट तक दोनों पैरों में घुमाइए। इसे 8-12 सप्ताह तक कीजिए। इसके स्‍प्‍लीन-6(प्लीहा) प्वाइंट भी कहते हैं। इसे करने से किडनी, लीवर और प्लीहा से संबंधित विकार समाप्त होते हैं।

एक्यूप्रेशर प्वाइंट 2
यह प्वाइंट पैर के अंगूठे और उसके बगल की छोटी उंगली के बीच में होता है। इसे लीवर-3 प्रेशर भी कहते हैं। इस बिंदु को दबाकर धीरे से एंटी-क्लॉकवाइज घेरा बनाकर 3 मिनट तक प्रत्येक दिन और लगातार 8-12 सप्ताह तक कीजिए। इसको करने से आराम मिलता है और व्यक्ति तनाव में नहीं रहता।

एक्यूप्रेशर प्वाइंट 3
यह प्वाइंट पैर के अंदरूनी हिस्से में होता है। टखने की हड्डी और स्नायुजल के बीच में यह प्वा्इंट होता है। इसे किडनी-3 प्वाइंट भी कहा जाता है। इस प्वाइंट का घेरा बनकार क्लॉकवाइज 3 मिनट तक हर रोज 8-12 सप्ताह तक करें। यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और थकान को दूर भगाता है।

एक्यूप्रेशर प्वाइंट 4
यह प्वाइंट पैर के निचले हिस्से के सामने की तरफ बाहरी मेलीलस से 4 इंच उपर की तरफ होता है। इसे स्टमक-40 एक्यूप्रेशर प्वाइंट भी कहते हैं। इस प्वाइंट पर हल्का दबाव बनाते हुए क्लॉकवाइज 3 मिनट तक हर रोज घुमाइए। इसे 8-12 सप्ताह तक कीजिए। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों (टॉक्सिन) और अवांछित स्राव को को बाहर निकालता है।

एक्यूप्रेशर प्वाइंट 5
पैरों के तलवे में और एडि़यों पर पाए जाने वाले प्रतिबिम्ब बिन्दुओं पर हर रोज कुछ मिनट के लिए प्रशेर देने से अंत: स्रावी रसोत्पादक नलिकाहीन ग्रंथियों से संबंधित रोगों को ठीक किया जा सकता है।

एक्यूप्रेशर प्वाइंट 6
लिवर से संबंधित समस्याओं के लिए पैर के अंगूठे और पहली उंगली के बीच की जगह पर एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है। यह एक्यूप्रेशर प्वाइंट LR-3 कहलाता है।

एक्यूप्रेशर प्वांइट 7
पैरों के तलवे के बीचों बीच वाले हिस्सा सीधी हृदय से जुड़ता है। इस पर प्रेशर डालने से हृदय से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। लेकिन इसके लिए सही स्थान की पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है।

एक्यूप्रेशर प्वाइंट 8
अंगूठे की बगल वाली दोनों अंगुलियों के पिछले के बीच वाले हिस्से को पर दबाव देने से आंखों से जुड़ी समस्या दूर होती हैं। हर रोज कुछ मिनट के लिए अगर आप इसे दबाएं तो आंखों की बीमारियां दूर हो जाती हैं।

एक्यूप्रेशर प्वाइंट 9
पैर की सबसे छोटी वाली अंगुली के पीछे और थोड़ी नीचे के हिस्से पर भी एक्यूप्रशेर प्वाइंट होता है जो कंधों से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है। अगर आपको कंधों से जुड़ी कोई समस्या है तो इस प्वाइंट पर दबाव बनाएं। पीठ दर्द, थकान, सिरदर्द, चिंता, तनाव, और अकेलेपन के लिए एक्यूप्रेशर आश्चर्यकारक काम करता है। लेकिन गर्भवती महिलाओं और उच्च रक्तचाप के व्यक्तियों को इससे बचाना चाहिए।
(नोट- इस पर अमल करने से पूर्व डॉक्‍टर से परामर्श जरूर कर लें)

ऑफिस में इन 5 बातों का रखेंगी ख्याल तो वर्किंग आवर्स बीतेगा खुशनुमा, मूड भी रहेगा फ्रेश

ऑफिस का माहौल आपके मूड और वर्क डिलीवर करने की आपकी क्षमता को प्रभावित कर सकता है. Image-Canva

क्या ऑफिस में अपने डेस्क पर जाते ही आपका मूड ऑफ हो जाता है? अपनी सीट पर बैठकर आप काम सही से नहीं कर पाती हैं तो हो सकता . अधिक पढ़ें

  • News18 हिंदी
  • Last Updated : December 18, 2022, 14:40 IST

हाइलाइट्स

ऑफिस डेस्क को साफ-सुथरा रखें, इससे मूड खुशनुमा बना रहेगा.
कुर्सी पर बैठते समय बॉडी पोस्चर का ख्याल रखें.

Tips for working women: आप वर्किंग वूमन हैं. डेली ऑफिस जाती हैं और 8-9 घंटे की ड्यूटी करके घर वापस आती हैं. लेकिन, क्या कभी आपने ये महसूस किया है कि आप जो भी काम कर रही हैं, उसमें आपको कितना मजा आ रहा है? आपको अपना वर्क, ऑफिस का माहौल, आप जहां बैठकर काम करती हैं, उसमें कितनी पॉजिटिविटी है? वर्क प्लेस को एंजॉय करने का एक सिंपल फंडा ये है कि आप जितना अपने काम और आसपास के वातावरण से खुशी महसूस करेंगी, उतना ही बेहतर परफॉर्म कर सकेंगी. यह बात सिर्फ महिलाओं पर ही लागू नहीं होती है, ये हर व्यक्ति पर लागू होती है, जो लोग भी ऑफिस जाते हैं. अपने काम को आप तभी अच्छे से कर सकेंगी, जब आपके आसपास का माहौल, वातावरण खुशनुमा, साफ-सुथरा हो. आपके बैठने का तरीका सही हो. आप घर के साथ ही ऑफिस का भी काम करती हैं तो वर्किंग आवर्स को हैप्पी और बेटर बनाने के लिए बस फॉलो करें ये सिंपल सी बातें.

वर्क आवर को खुशनुमा बनाएंगे ये टिप्स

-ऑफिस में अपने डेस्क पर जाते ही क्या आपका मूड ऑफ हो जाता है? वहां बैठने का मन नहीं करता और चाहती हैं कोई अच्छी स्पेस मिल जाए तो ऐसा सोचना नेचुरल है. लेकिन, कई बार ऑफिस में इतनी जगह नहीं होती कि आपको पसंदीदा सीट मिल जाए. यदि आप घर के ढेर सारे काम निपटा कर उखड़ी मूड से ऑफिस पहुंचती हैं तो इससे आपके काम पर भी नेगेटिव असर पड़ सकता है. बेहतर है कि आप जिस जगह बैठकर काम करती हैं, उसे मैनेज करें. आपका खुद का वर्क डेस्क जितना साफ-सुथरा और वेल मैनेज होगा, आपका मूड भी फ्रेश रहेगा. आप मन लगाकर कर काम कर पाएंगी.

-ऑफिस का माहौल आपके मूड और वर्क डिलीवर करने की आपकी क्षमता को प्रभावित कर सकता है. वास्तव में, आपके आस-पास का पॉजिटिव परिवेश आपके काम को और भी अधिक बेहतर बना सकता है. अपने आस-पास के वातावरण, माहौल को खुशनुमा और जीवंत रखने की कोशिश करें. इसकी शुरुआत अपने डेस्क से करें. सुनिश्चित करें कि आपका डेस्क बिना किसी अव्यवस्था के साफ-सुथरा हो. खुशनुमा रंगों के फूल या छोटे-छोटे पौधे रखें. डेस्कटॉप से आपको अधिक जगह नहीं मिल पाता है तो आप लैपटॉप का इस्तेमाल करें.

-यदि आपके डेस्क के पास की दीवार का रंग बहुत अधिक आंखों को चुभने वाला है तो आप दीवार पर कैलेंडर, काम से संबंधित चार्ट पेपर, एक्सेसरीज से डेकरोट कर सकती हैं. ऐसा करके ना सिर्फ आपकी आंखों को सुकून महसूस होगा, बल्कि काम करने में भी मन लगेगा. बार-बार आपका दिमाग डाइवर्ट नहीं होगा.

-अक्सर लोग ऑफिस में काम करते समय अपने पोस्चर पर ध्यान नहीं देते हैं. यदि आप भी ऐसा करती हैं तो इस आदत को बदल दें. यदि आपकी कुर्सी या डेस्क आरामदायक नहीं है तो तुरंत उसे बदलने की बात करें. घर के काम करके अक्सर महिलाओं को कमर, पीठ में दर्द रहता है, ऐसे में ऑफिस में भी आप अनकंफर्टेबल होकर काम करेंगी तो समस्या बढ़ सकती है. हमेशा कुर्सी पर सीधी होकर बैठें. कंधे आगे की तरफ झुके ना हों. कंप्यूटर स्क्रीन से गैप बनाकर बैठें. डेस्क पर झुककर ना बैठें. डेस्क पर प्रॉपर लाइट आती रहे. इस तरह से बैठकर देखें, आप अधिक ऊर्जावान, जीवंत और खुशी महसूस करेंगी.

-समय-समय पर अपने व्यस्त कार्यक्रम में से कुछ समय खुद को व्यवस्थित करने के लिए निकालें. डेस्क पर बिखरे पड़े कागजों को डस्बिन में फेंक दें. अपने कंप्यूटर को व्यवस्थित करें. अपनी फाइलों को अलग करें. अपने ईमेल को अच्छी तरह से टैग करके रखें, ताकि आवश्यकता पड़ने पर आप कोई भी जानकारी प्राप्त कर सकें. अपने काम को सही समय पर पूरा करें. स्मार्ट तरीके से हर चीज को मैनेज करेंगी तो प्रेशर कम महसूस होगा और दिन हैप्पी और कम तनाव भरा बीतेगा.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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