शुक्रवार को पेश होगी भारत बांड की चौथी किस्त, 8 दिसंबर तक खुला रहेगा NFO
भारत बांड ईटीएफ केवल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के 'एएए' रेटिंग वाले बांड में निवेश करता है, पिछले साल दिसंबर में आई तीसरी किस्त को निवेशकों की तरफ से अच्छा रिस्पॉन्स मिला था और इश्यू 6.2 गुना सब्सक्राइब हुआ था.
सरकार शुक्रवार से भारत बांड ईटीएफ की चौथी किस्त पेश करेगी. यह भारत का पहला कॉरपोरेट बांड है, जिसकी खरीद-फरोख्त एक्सचेंज में की जाती है. फंड का प्रबंधन करने वाले एडलवाइस म्यूचुअल फंड ने बृहस्पतिवार को कहा कि ईटीएफ की नयी पेशकश दो दिसंबर को खुलेगी और आठ दिसंबर को बंद होगी. इस पेशकश के जरिए जुटाई गई धनराशि का इस्तेमाल केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (सीपीएसई) द्वारा पूंजीगत व्यय के लिए किया जाएगा.
यह नया भारत बांड ईटीएफ और भारत बांड फंड ऑफ फंड (एफओएफ) श्रृंखला अप्रैल 2033 में परिपक्व होगी. फंड ऑफ फंड ऐसा निवेश कोष है, जिसके जरिये फंड अपना निवेश दूसरे फंड्स में करता है.
1000 करोड़ रुपये जुटाने का प्रस्ताव
चौथी किस्त के तहत सरकार ने 4,000 करोड़ रुपये के ग्रीन शू विकल्प यानी अधिक बोली आने पर उसे रखने के विकल्प के साथ 1,000 करोड़ रुपये की प्रारंभिक राशि जुटाने का प्रस्ताव रखा है. पिछले साल दिसंबर में सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये की प्रारंभिक निर्गम राशि के साथ तीसरी किस्त जारी की थी। इस निर्गम को 6.2 गुना सबस्क्रिप्शन मिला था.
निवेशकों से मिला सकारात्मक रिस्पॉन्स
वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले निवेश एवं लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने कहा कि भारत बांड ईटीएफ की शुरुआत के बाद से इसे सभी श्रेणियों के निवेशकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है. भारत बांड ईटीएफ केवल सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के ‘एएए’ रेटिंग वाले बांड में निवेश करता है. भारत बॉन्ड ईटीएफ आपको म्यूचुअल फंड, ETF और बॉन्ड तीनों के फायदे देता है. इसकी लागत बहुत कम है. वहीं ईटीएफ में निवेश कई मायनों में फायदेमंद भी है इसे विदेशी बॉन्ड फंड आप एक्सचेंज पर कारोबार अवधि के दौरान इसे आसानी से खरीद या बेच सकते हैं. इसके अलावा इसमें जोखिम भी बहुत कम है क्योंकि इसमें केवल AAA रेटिड बॉन्ड में ही निवेश किया जाता है. साथ ही टैक्स लाभ और रीइनवेस्टमेंट का ध्यान भी फंड हाउस की तरफ से रखा जाता है.
विदेशी निवासियों के लिए बैंकिंग पार्टनर
बाइसन बैंक लिस्बन में स्थित एक पुर्तगाली बैंक है और दुनिया भर में व्यक्तियों और संस्थागत ग्राहकों को धन प्रबंधन, डिपॉजिटरी एंड हिरासत और निवेश बैंकिंग सेवाओं की एक विस्तृत और विशेष श्रेणी प्रदान करने पर केंद्रित है।
द्वारा Advertiser, in बिजनेस · 21 Month7 2021, 16:08 · 0 टिप्पणियाँ
विदेशी निवासियों के लिए बैंकिंग पार्टनर
बैंक पुर्तगाली गोल्डन वीजा कार्यक्रमों के प्रवासियों और आवेदकों के लिए पूर्ण आप्रवासन बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने में एक विशाल अनुभव को रोकता है। आपके निपटान में आपको समर्पित ग्राहक प्रबंधक, पुर्तगाली, अंग्रेजी और चीनी में कुशल, एक बहुत ही कुशल दूरस्थ खाता खोलने की प्रक्रिया और विवेकाधीन पोर्टफोलियो जैसी धन प्रबंधन सेवाओं की एक समग्र श्रृंखला मिलेगी प्रबंधन, निवेश सलाहकार या ब्रोकरेज। या तो पुर्तगाल में या दुनिया में कहीं भी, बाइसन बैंक के ग्राहक प्रबंधक आपकी संपत्ति की योजना और प्रबंधन पर एक विशिष्ट और प्रीमियम सेवा प्रदान करते हैं। इसके अलावा, निवेश समाधान और बैंकिंग सेवाओं के प्रति निकटता का रूप हमेशा मौजूद होता है, हमेशा निर्णय लेने के समय ग्राहकों की तरफ से होता है।
बैंक ने पिछले कुछ वर्षों में वेंचर कैपिटल फंड्स की व्यापक पेशकश के कारण खुद को प्रतिष्ठित किया है जो €350.000 के निवेश के माध्यम से गोल्डन वीजा कार्यक्रम तक पहुंच प्रदान करता है। दुनिया भर के ग्राहकों ने निवेश योजना द्वारा इस निवास के लिए आवेदन करते समय बाइसन बैंक की इमिग्रेशन बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाया है। रिमोट और सहायक खाता खोलने और खाता प्रबंधकों की निकटता, बाइसन बैंक को पुर्तगाली गोल्डन वीजा कार्यक्रमों के प्रवासियों और आवेदकों के लिए एक निर्विवाद विकल्प बनाती है। इसके अलावा, बाइसन बैंक का धन प्रबंधन क्षेत्र एक विदेशी बॉन्ड फंड पूरी तरह से एकीकृत धन प्रबंधन सेवा प्रदान करता है, जो वित्तीय नियोजन विशेषज्ञता, निवेश प्रबंधन ज्ञान और व्यक्तिगत और संस्थागत ग्राहकों के लिए वैश्विक वित्तीय बाजारों तक पहुंच का संयोजन करता है। की पेशकश की गई विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा उन निवेशकों के लिए उपयुक्त है, जिनके पास अपने पोर्टफोलियो को सक्रिय रूप से प्रबंधित करने के लिए समय, अनुभव या इच्छा की कमी है, और ग्राहक की परिस्थितियों, निवेश उद्देश्यों, जोखिम प्रोफ़ाइल और अनुमानित रिटर्न पर उम्मीदों को फिट करने के लिए अनुकूलित किया गया है (मॉडल या अनुरूप के माध्यम से- पोर्टफोलियो बनाया)। जब निवेशक निवेश चक्र के सभी चरणों में हस्तक्षेप करना चाहते हैं, निवेश सलाहकार के साथ काम करते हैं, तो सबसे अच्छा विकल्प निवेश सलाहकार सेवा का विकल्प चुनना है। यदि निवेशक अपनी निवेश रणनीति पर पूर्ण नियंत्रण रखना चाहता है, तो ब्रोकरेज सेवा ग्राहक को अपने निवेश स्वतंत्रता और अपने व्यापारिक निर्णयों की जिम्मेदारी बनाए रखने में सक्षम बनाती है।
बाइसन बैंक एक निवेश निधि का एकमात्र वितरक भी है जो अपने ग्राहकों को चीनी जारीकर्ता - बाइसन चाइना फ्लेक्सिबल बॉन्ड फंड से बांड में निवेश करने में सक्षम बनाता है। यह फंड एक अभिनव निवेश निधि है जो निवेशकों को यूएसडी, यूरो और सीएनवाई में फंड के शेयर करने की अनुमति देता है, और दैनिक सदस्यता और मोचन के साथ उच्च क्रेडिट गुणवत्ता के कई चीनी जारीकर्ताओं के संपर्क में आता है। फंड में निवेश करने का अर्थ है चीन की आर्थिक क्षमता और दुनिया के दूसरे सबसे बड़े बांड बाजार तक पहुंच होना।
आज, बाइसन बैंक के पास 64 से अधिक देशों के ग्राहक हैं और एसेट्स अंडर मैनेजमेंट में 1 बिलियन यूरो से अधिक हैं। बैंक अपनी संपत्ति का निर्माण और प्रबंधन करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को रणनीतिक बनाने और तैयार करने पर स्वतंत्र रूप से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों का समर्थन जारी रखेगा।
गवर्नमेंट और कॉरपोरेट बॉन्ड में हो सकता है $5 अरब का विदेशी निवेश
[ सैकत दास | मुंबई ]लॉन्ग टर्म फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स कैलेंडर विदेशी बॉन्ड फंड ईयर 2019 में वॉलंटरी रिटेंशन रूट (VRR) के जरिए कम-से-कम 5 अरब डॉलर का निवेश कर .
लॉन्ग टर्म फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स कैलेंडर ईयर 2019 में वॉलंटरी रिटेंशन रूट (VRR) के जरिए कम-से-कम 5 अरब डॉलर का निवेश कर सकते हैं। सोमवार से लागू होने वाले VRR रूट के जरिए निवेश करने वाले विदेशियों को मिनिमम होल्डिंग पीरियड के कमिटमेंट के मोर्चे पर ज्यादा आजादी मिलेगी। VRR के जरिए आने वाले फंड से रुपये में तेज उतार-चढ़ाव का रिस्क घटेगा जो स्टेबल और इनवेस्टर फ्रेंडली इकनॉमी के लिए बहुत जरूरी है।
बैंक ऑफ अमेरिका के इंडिया विदेशी बॉन्ड फंड कंट्री ट्रेजरर जयेश मेहता कहते हैं, 'सोमवार से VRR के लागू होने से करेंसी फ्लो में बड़ी स्थिरता आएगी। इंश्योरेंस पेंशन फंड्स सहित बहुत से लॉन्ग टर्म ग्लोबल इनवेस्टर्स की तरफ से इस कैलेंडर ईयर में इंटरेस्ट रेट में गिरावट के बीच कम-से-कम 5 अरब डॉलर की रकम आ सकती है। चुनाव के बाद देश में राजनीतिक स्थिरता रहने और जियोपॉलिटिकल इश्यू का दबाव घटने पर इनवेस्टमेंट सेंटीमेंट को बढ़ावा विदेशी बॉन्ड फंड मिलेगा।'
मार्केट एग्जिक्यूटिव्स का कहना है कि नॉर्वे के नॉर्गस बैंक, जीआईसी सिंगापुर और अबू धाबी इनवेस्टमेंट अथॉरिटी केंद्र सहित विदेशी सॉवरेन फंड्स केंद्र सरकार के बॉन्ड्स और कॉरपोरेट बॉन्ड्स पर बड़ा दांव लगा सकते हैं। ग्लोबल पेंशन फंड्स और इंश्योरेंस कंपनियों सहित अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और साउथ ईस्ट एशिया की मल्टीनेशनल कंपनियां VRR के तहत अपनी निवेश योजनाएं तैयार करने के लिए पहले से ही लोकल कस्टोडियन बैंकों से बातचीत में जुट गई हैं।
बताया जाता है कि कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के बहुत से बड़े इंटरनेशनल पेंशन फंड्स ने इंडिया में VRR रूट से निवेश करने में दिलचस्पी दिखाई है। इस बारे में पूछे जाने पर नॉर्गेस और ADIA ने कमेंट करने से मना कर दिया, जबकि खबर लिखे जाने तक जीआईसी का जवाब नहीं मिल पाया था। डोएचे बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर श्रीराम कृष्णन ने कहा, 'VRR इंडियन फिक्स्ड इनकम सेगमेंट के लिए गेम चेंजर साबित होगा। यह सबके लिए फायदे का सौदा है। ज्यादा लंबे समय के लिए निवेश करने वालों को बेरोकटोक निवेश का मौका जरूर आकर्षित करेगा।'
FPI को अपनी लिमिट का एक चौथाई हिस्सा VRR के जरिए पहले महीने और बाकी रकम का निवेश तीन महीने में करना होगा। कुछ ने इस बाबत क्लैरिफिकेशन मांगा है कि क्या वे 25% पहले महीने और बाकी रकम ज्यादा समय में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा FPI को इनवेस्टमेंट से एग्जिट करके प्रॉफिट बुक करते समय दूसरे FPI को तलाशना होगा। इंटरनेशनल इनवेस्टर्स जानना चाहते हैं कि क्या वे एग्जिट के समय एक ही FPI के हाथों अपने लिमिट राइट्स कर पाएंगे या फिर उसे किसी FPI के ग्रुप को ट्रांसफर कर सकते हैं?
रिजर्व बैंक ने देश में ज्यादा लंबे समय के लिए विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सरकारी बॉन्ड्स और कॉरपोरेट डेट्स में पैसा लगाने के लिए फॉरेन इनवेस्टर्स के वास्ते एक नया विंडो खोलने का फैसला किया था। VRR के जरिए सरकारी सिक्योरिटीज में अधिकतम 40,000 करोड़, जबकि कॉरपोरेट सिक्योरिटीज में 35,000 करोड़ रुपये निवेश करने की इजाजत है।
विदेशी निवेशकों के लिए बॉन्ड में निवेश की सीमा 1 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ेगी!
पूर्वोत्तर राज्यों में एनडीए की जीत के बाद यह अटकल तेज हो गई है कि अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए.
मार्केट जानकारों ने बताया कि विदेशी निवेशकों को सॉवरन बॉन्ड में 5 पर्सेंट तक निवेश करने की इजाजत है और वे इस सीमा का पहले ही इस्तेमाल कर चुके हैं। बॉन्ड यील्ड के अट्रैक्टिव होने के साथ उन्हें और 2.5 पर्सेंट यानी 1 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदने की इजाजत इस साल दी जा सकती है। अभी उन्होंने 1.86 लाख करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हुए हैं। विदेशी निवेशकों के पास इंडोनेशिया, मलयेशिया, दक्षिण कोरिया जैसे इमर्जिंग मार्केट्स में विदेशी बॉन्ड फंड सॉवरन बॉन्ड में 30-40 पर्सेंट निवेश करने की इजाजत मिली हुई है। हाल में भारत ने दुनिया के बड़े देशों में सबसे तेज अर्थव्यवस्था का खिताब चीन से छीन लिया है। इसलिए बॉन्ड मार्केट में सुधार करने का यह सही समय है।
इधर, बेंचमार्क बॉन्ड यील्ड सोमवार को 0.04 पर्सेंट की बढ़ोतरी के साथ 7.78 पर्सेंट रही। पिछले 6 महीनों में इसमें 1 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है, जिससे बॉन्ड के दाम गिरे हैं। ग्लोबल इन्वेस्टर्स अच्छी यील्ड की तलाश में हैं। इसलिए उनकी दिलचस्पी भारतीय बाजार में हो सकती है। इडलवाइज इन्वेस्टमेंट रिसर्च में चीफ मार्केट स्ट्रैटेजिस्ट साहिल कपूर ने कहा, 'भारत में रियल इंट्रेस्ट रेट अधिक होने से विदेशी निवेशकों को लुभाने में मदद मिलेगी। जब तक यील्ड ऊंची बनी रहेगी, विदेशी निवेशक भारतीय बॉन्ड में पैसा लगाते रहेंगे। मार्केट जहां इन्वेस्टमेंट लिमिट में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहा है, लेकिन अथॉरिटीज इसमें धीरे-धीरे इजाफा कर सकती हैं।' इन्वेस्टमेंट लिमिट बढ़ाने से नया फंड हासिल करने में मदद मिलेगी और भारत विदेशी बॉन्ड फंड के ग्लोबल बॉन्ड इंडेक्स में शामिल होने की संभावना भी बढ़ जाएगी।
केंद्र ने कहा- इलेक्टोरल बॉन्ड पॉलिटिकल फंडिंग का एक पारदर्शी तरीका, सुप्रीम कोर्ट 6 दिसंबर को सुनवाई करेगा
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्न की पीठ चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देने वाली एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) आदि द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच पर विचार कर रही थी।
अंतिम पोस्टिंग 26 मार्च, 2021 के बाद आज पहली बार मामले को सूचीबद्ध किया गया।
आज सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन और एडवोकेट प्रशांत भूषण ने गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनावों से पहले या तो अगले सप्ताह या नवंबर में मामले की जल्द सुनवाई के लिए कहा। हिमाचल प्रदेश का विधानसभा चुनाव दिसंबर में होने की संभावना है।
भारत के महान्यायवादी आर वेंकटरमणि और भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि कई संविधान पीठ की सुनवाई नवंबर में निर्धारित है और अनुरोध किया कि वर्तमान मामले को जनवरी 2023 विदेशी बॉन्ड फंड तक पोस्ट किया जाए।
याचिकाकर्ताओं ने इस अनुरोध पर आपत्ति जताई और जल्द से जल्द सूचीबद्ध करने का आग्रह किया।
अंतत: पीठ ने मामले को 6 दिसंबर, 2022 को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की।
वकीलों ने कोर्ट रूम में क्या तर्क दिए?
एडवोकेट प्रशांत भूषण ने प्रस्तुत किया कि तीन परस्पर जुड़े मुद्दे उठे, पहला- चुनावी बांड का मुद्दा था। दूसरा, क्या राजनीतिक दल आरटीआई के तहत आ सकते हैं। तीसरा यह है कि क्या एफसीआरए में पूर्वव्यापी संशोधन कानूनी है। इस संशोधन के द्वारा भूषण ने कहा कि कोई भी निकाय विदेशी फंड प्राप्त कर सकता है। भूषण ने कहा कि क्या इन परिवर्तनों को धन विधेयक के माध्यम से पेश किया जा सकता है, यह एक और मुद्दा है।
सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने प्रस्तुत किया कि मुद्दे महत्वपूर्ण हैं और इसलिए मामले की सुनवाई एक बड़ी पीठ द्वारा की जानी चाहिए। पीठ ने आश्चर्य जताया कि क्या किसी अन्य फैसले के साथ कोई विरोध पाए बिना संदर्भ दिया जा सकता है। सिब्बल ने तब अनुच्छेद 145 का हवाला देते हुए कहा कि संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई संविधान पीठ द्वारा की जा सकती है।
सॉलिसिटर जनरल विदेशी बॉन्ड फंड तुषार मेहता ने कहा कि इस योजना ने राजनीतिक चंदे से काले धन को खत्म कर पारदर्शिता सुनिश्चित की है। फंड प्राप्त करने की पद्धति इतनी पारदर्शी रही है। अब कोई काला या बेहिसाब फंड प्राप्त करना असंभव है। बहुत पारदर्शी प्रणाली है।
जस्टिस गवई ने पूछा,विदेशी बॉन्ड फंड
"क्या सिस्टम यह बताता है कि फंड कहां से आता है?"
पीठ ने एजी से बड़ी पीठ के संदर्भ में उनके विचार के बारे में पूछा। एजी ने जवाब दिया कि संदर्भ पर निर्णय लेने से पहले बेंच द्वारा प्रारंभिक सुनवाई होनी चाहिए।
भूषण ने पीठ को सूचित किया कि चुनाव आयोग आज गुजरात और हिमाचल प्रदेश के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करेगा और कहा कि हर चुनाव से पहले चुनावी बांड जारी किए जाते हैं।
"यह चुनाव से संबंधित मुद्दा नहीं है।"
पीठ ने अंततः मामले को 6 दिसंबर के लिए पोस्ट कर दिया।
जब सिब्बल ने पहले की पोस्टिंग की मांग की, तो जस्टिस गवई ने कहा,
"मामला पिछले 7 वर्षों से किसी भी मामले में लंबित है।"
मार्च 2021 में मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान, तत्कालीन सीजेआई एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी बांड योजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि योजना में पर्याप्त सुरक्षा उपाय हैं।
पीठ ने कहा था कि यह योजना बैंकिंग चैनलों के माध्यम से राजनीतिक चंदा सुनिश्चित करने के लिए शुरू की गई थी।
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