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ब्रेकेवन विश्लेषण का उपयोग बिक्री की मात्रा का पता लगाने के लिए किया जाता है, जिस पर एक व्यवसाय बिल्कुल पैसा नहीं कमाता है, जहां कंपनी की निश्चित लागतों के भुगतान के लिए अर्जित सभी योगदान मार्जिन की आवश्यकता होती है। अंशदान मार्जिन वह मार्जिन है जिसके परिणामस्वरूप सभी परिवर्तनीय व्यय राजस्व से घटाए जाते हैं। संक्षेप में, एक बार प्रत्येक बिक्री पर योगदान मार्जिन एक अवधि के लिए निर्धारित लागत की कुल राशि से मेल खाता है, तो ब्रेकईवन बिंदु पर पहुंच गया है। उस स्तर से ऊपर की सभी बिक्री सीधे मुनाफे में योगदान करती हैं।
ब्रेकईवन विश्लेषण निम्नलिखित कारणों से उपयोगी है:
- ब्रेक-ईवन बिंदु तक पहुंचने के बाद शेष क्षमता की मात्रा का निर्धारण, जो अधिकतम लाभ की राशि को प्रकट करता है जो उत्पन्न हो सकता है।
- लाभ पर प्रभाव का निर्धारण यदि स्वचालन (एक निश्चित लागत) श्रम (एक परिवर्तनीय लागत) को प्रतिस्थापित करता है।
- उत्पाद की कीमतों में बदलाव होने पर मुनाफे में बदलाव का निर्धारण।
- नुकसान की मात्रा का निर्धारण करना जो व्यवसाय को बिक्री में गिरावट का सामना करना पड़ता है, उसे बरकरार रखा जा सकता है।
इसके अलावा, लाभ उत्पन्न करने के लिए कंपनी की समग्र क्षमता स्थापित करने के लिए ब्रेकएवेन विश्लेषण उपयोगी है। जब ब्रेक-ईवन पॉइंट किसी व्यवसाय के अधिकतम बिक्री स्तर के करीब होता है, तो इसका मतलब है कि कंपनी के लिए सर्वोत्तम परिस्थितियों में भी लाभ अर्जित करना लगभग असंभव है।
जब भी संभव हो, ब्रेकईवन बिंदु को कम करने के लिए प्रबंधन को लगातार ब्रेक-ईवन बिंदु की निगरानी करनी चाहिए, विशेष रूप से अंतिम नोट के संबंध में। ऐसा करने के तरीकों में शामिल हैं:
- लागत विश्लेषण. सभी निश्चित लागतों की लगातार समीक्षा करें, यह देखने के लिए कि क्या किसी को समाप्त किया जा सकता है। यह देखने के लिए कि क्या उन्हें समाप्त किया जा सकता है, परिवर्तनीय लागतों की भी समीक्षा करें, क्योंकि ऐसा करने से मार्जिन बढ़ता है और ब्रेकईवन बिंदु कम हो जाता है।
- मार्जिन विश्लेषण. उत्पाद मार्जिन पर पूरा ध्यान दें, और उच्चतम-मार्जिन वाली वस्तुओं की बिक्री को बढ़ावा दें, जिससे ब्रेक-ईवन बिंदु कम हो जाए।
- आउटसोर्सिंग. यदि किसी गतिविधि में एक निश्चित लागत शामिल है, तो इसे प्रति-इकाई परिवर्तनीय लागत में बदलने के लिए आउटसोर्सिंग पर विचार करें, जिससे ब्रेकईवन बिंदु कम हो जाता है।
- मूल्य निर्धारण. कूपन या अन्य मूल्य कटौती के उपयोग को कम या समाप्त करें, क्योंकि वे ब्रेकईवन बिंदु को बढ़ाते हैं।
- प्रौद्योगिकियों. किसी भी तकनीक को लागू करें जो व्यवसाय की दक्षता में सुधार कर सके, जिससे लागत में वृद्धि के बिना क्षमता में वृद्धि हो।
टूटे हुए बिंदु की गणना करने के लिए, कुल निश्चित खर्चों को अंशदान मार्जिन से विभाजित करें। सूत्र है:
कुल निश्चित व्यय ÷ अंशदान मार्जिन प्रतिशत
एक अधिक परिष्कृत दृष्टिकोण अंश से सभी गैर-नकद व्यय (जैसे मूल्यह्रास) को समाप्त करना है, ताकि गणना ब्रेक-ईवन नकदी प्रवाह स्तर पर केंद्रित हो। सूत्र है:
(कुल निश्चित व्यय - मूल्यह्रास - परिशोधन) अंशदान मार्जिन प्रतिशत
फॉर्मूला पर एक और बदलाव डॉलर में बिक्री के स्तर के बजाय, उन इकाइयों की संख्या पर ध्यान केंद्रित करना है, जिन्हें तोड़ने के लिए बेचा जाना चाहिए। यह सूत्र है:
कुल निश्चित खर्च प्रति यूनिट औसत योगदान मार्जिन
ब्रेकईवन अवधारणा के साथ एक संभावित समस्या यह है कि यह मानता है कि भविष्य में योगदान मार्जिन वर्तमान स्तर के समान रहेगा, जो कि मामला नहीं हो सकता है। आप विभिन्न यूनिट बिक्री स्तरों पर संभावित भविष्य के मुनाफे और नुकसान की बेहतर समझ हासिल करने के लिए योगदान मार्जिन की एक श्रृंखला का उपयोग करके ब्रेकएवन विश्लेषण का मॉडल बना सकते हैं।
मध्यस्थता
मघ्स्थता एक ऐसी प्रणाली है जिसमें एक निरपेक्ष मध्यस्थ वादी और प्रतिवादी को अपने झगडे या मामले आपसी समझ व सम्मति से सुलझाने में सहायता करता है।
यह प्रक्रिया गोपनीय और ऐच्छिक तो है ही, इसमें भागेदारी करने का भी मौका मिलता है। मामले से जुड़े सभी पक्षों को अपनी बात कहने का और आपसी विवाद के समाधान तैयार करने का अवसर मिलता है । यही कारण है कि मध्यस्थता एक मिलीजुली प्रक्रिया है - इसमें झगडा समाप्त करने की वादियों की अपनी इच्छा और उन्हें समाधान तक ले जाने का मध्यस्थ का कोशल, दोनों शामिल हैं ।
मध्यस्थता की क्या आवश्यकता है ?
मध्यस्थता झगडे खुलझाने का एक बेहतर और कारगर तरीका है - ख़ासकर आपसी संबंधों से जुड़े मसलों के लिए जिन्हें न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से सुलझाना कभी-कभी नामुमकिन हो जाता है। ये अधिक लाभ की आवश्यकता है? संबंध आपसी. व्यावसायिक, आनुबंधिक या सामाजिक हो सकते हैं।
क्या मध्यस्थता वाकई में सहायक है ?
जी हाँ । अक्सर आपसी वैर और द्वेष अविश्वास और अनबन पैदा कर देते हैं। लेकिन जब मध्यस्थता के दौरान सभी पक्ष आमने - सामने बैठकर बातचीत करते हैं तो मन की गांठे खुलने लगती हैं। चूंकि मध्यस्थता औपचारिक नियमों में बंधी हुई प्रक्रिया नहीं है, सभी पक्ष अपने दिल की बात खुल कर कह सकते हैँ। ये बातें आधिकारिक व औपचारिक सीमाओं से मुक्त होती हैं। इसलिए एक लिखित समझौता भविष्य में होने वाले मनमुटाव से सभी पक्षों को बचाने और झगडे़ को जड़ से मिटाने का उत्तम साधन है ।
मध्यस्थता के फायदे क्या हैं ?
- मध्यस्थता से समस्या और उसका समाधान, दोनों वादी के हाथ में होते हैं ।
- कानून इसे मानता है और न्यायलय इसका प्रोत्साहन व समर्थन करते हैं ।
- इस विकल्प का चुनाव ऐच्छिक है और हल न मिलने पर इसे स्वेच्छा से छोडा भी जा सकता है ।
- यह प्रक्रिया गोपनीय व सरल है, साथ ही माहौल अनौपचारिक रहता है। इस प्रक्रिया में मुकद्दमे की आवश्यकता और उससे जुड़े लोगों की सुविधानुसार फेरबदल किया जा सकता है । मध्यस्थता का चुनाव मुकद्दमे के दौरान कभी भी किया जा सकता है - न्यायिक प्रक्रिया से पहले, मुकद्दमे के दौरान या अपील दायर करते वक्त। मुद्दे के पहलुओं को प्रक्रिया के दौरान बढाया - घटाया जा सकता है।
- यह प्रक्रिया वादियों को उनके पक्ष की ताकत व कमजोरी दिखाती है जिससे समस्या का सही समाधान मिल सकता है ।
- यह प्रणाली सब पक्षों के दूरगामी हित का सोचती है और समझौते की कई संभावनाएँ दिखाती है। इस से आपसी मतभेदों के समाधान का पूरा - पूरा मौका मिलता है।
- यह प्रक्रिया पारस्परिक संपर्क व बातचीत को बेहतर बनाने का अवसर देती है, जो किसी भी झगडे़ को समाप्त करने के लिए ज़रूरी है ।
- इससे कीमती समय और भाग-दौड़, दोनों बचते हैं । मध्यस्थता की प्रक्रिया में मुकद्दमे और अपील आदि के मुकाबले कहीं कम समय लगता है। न्यायालय में जो केस कई वर्ष खिंचता रहता ह, वही मध्यस्थता की प्रक्रिया शुरू होते ही कुछ दिनों, हफ्तों या महीनों में निपट जाता है ।
- साथ ही, अक्सर लंबी चलने वाली न्यायिक प्रक्रिया में लगने वाला पैसा बचता है । झगडे सुलझाने के लिए बाकी साधनों की अपेक्षा मध्यस्थता में ख़र्च भी कम होता है। यदि मामला मध्यस्थता के रास्ते निपट जाता है तो वादी द्वारा जमा जिया गया कोर्ट शुल्क उसे वापिस कर दिया जाता है ।
- इससे आपके रिश्ते फिर से जुड़ते हैं - इसका उद्देश्य भविष्य को संवारना है, बीते कल को कुरेदना नहीं ।
- समझोते पर हस्ताक्षर करके समी यक्ष अपेक्षा से अधिक लाभ पा सकते हैं।
- प्रक्रिया के अंत में विरोध मित्रता में बदल जाता है ।
- जब इस प्रकार एक मसला सुलझ जाता है तो उससे जुडे बाकी के और झगडे़ भी समाप्त हो जाते हैं ।
- इस प्रक्रिया में आगे अपील करने की गुंजाइश नहीं है । इससे न्यायतंत्र का वक्त और पैसा भी बचते हैं।
हमारे बारे में
भारतीय न्यायपालिका और कानूनी पेशे ने मध्यस्थता का समर्थन किया है और समर्थन किया है।
इसके परिणामस्वरूप संस्थागत योजनाओं के रूप में अदालत से जुडी हुई मध्यस्थता केंद्रों में हुई है
सूचनात्मक लिंक
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पता: कमरा सं. 4, विस्तार ब्लॉक, दिल्ली उच्च न्यायालय, शेर शाह रोड, नई दिल्ली - 110503
प्रजनन दर में कमी और जनसांख्यिकीय लाभ
The translations of EPW Editorials have been made possible by a generous grant from the H T Parekh Foundation, Mumbai. The translations of English-language Editorials into other languages spoken in India is an attempt to engage with a wider, more diverse audience. In case of any discrepancy in the translation, the English-language original will prevail.
जनसांख्यिकीय बदलावों के दो आयाम हैं। इनमें एक प्रजनन से संबंधित है और दूसरा मृत्यु से। किसी भी आबादी की जनसांख्यिकीय लाभ सुनिश्चित करने में प्रजनन संबंधित आयाम की मुख्य भूमिका होती है। प्रजनन दर में कमी आने से हाल के दशकों में भारत में जनसंख्या वृद्धि की दर धीमी पड़ी है। आने वाले दशकों में जनसंख्या वृद्धि कम होने वाली है और कामकाजी लोगों की संख्या बढ़ने वाली है। इसका असर नीतियों पर होगा। जिन राज्यों में प्रजनन दर अधिक थी, वहां भी इसमें गिरावट दर्ज की गई है। 2017 में देश के 22 प्रमुख राज्यों में यह दर 2.2 प्रति महिला थी। असंतुलित लैंगिक अनुपात की वजह से अब भी यह आबादी को स्थिर बनाए रखने वाले 2.1 की दर से अधिक है। हालांकि, शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में इसमें काफी विविधता है। प्रजनन दर में आई कमी की वजह आवाजाही में बढ़ोतरी, शादी में देरी, उच्च शिक्षा और महिलाओं की बढ़ती आर्थिक स्वतंत्रता है।
सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम यानी एसआरएस के 2017 के आंकड़े बताते हैं कि इस बारे में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कई विपरीत स्थितियां दिखती हैं। हर आयु वर्ग में प्रजनन दर में कमी आई है। लेकिन शहरी क्षेत्र में अधिक आयु वर्ग की महिलाओं में इसमें बढ़ोतरी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं की प्रजनन दर में कमी आई है। यह भी पता चला है कि प्रजनन दर कम होने में शिक्षा की भी अहम भूमिका रही है। मोटे तौर पर शहरी क्षेत्र में शिक्षित महिलाओं में प्रजनन दर कम है। लेकिन 30 साल से अधिक उम्र की शिक्षित महिलाओं में यह दर अधिक है। जबकि इस आयु वर्ग की कम शिक्षित महिलाओं में यह दर कम है। ऐसा इसलिए क्योंकि बेहतर शिक्षित महिलाएं शादी और बच्चा पैदा करने के फैसलों को टालने में सक्षम होती हैं। साथ ही उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं भी मिल पाती हैं। शहरी क्षेत्र में इस दर में अपेक्षा से अधिक कमी आ रही है। 2017 में शहरी क्षेत्रों की प्रजनन दर घटते हुए 1.7 पर आ गई। बिहार, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को छोड़कर सभी राज्यों में यह दर 2.1 फीसदी से कम अधिक लाभ की आवश्यकता है? या इसके बराबर थी। दस राज्यों के ग्रामीण इलाकों में भी प्रजनन दर 2 से कम है।
आबादी के मानक बताते हैं कि जनसांख्यिकीय बदलाव भारत में एक समान नहीं रहे हैं। एक तरफ जहां आबादी में बढ़ोतरी धीमी हो रही है तो दूसरी तरफ कामकाजी लोगों की संख्या बढ़ रही है। यह जनसांख्यिकीय लाभ की स्थिति है। इसका मतलब यह हुआ कि कामकाजी लोगों में हो रही बढ़ोतरी जनसंख्या वृद्धि से अधिक है। आम तौर पर जनसांख्यिकीय लाभ की स्थिति 40 से 50 साल तक चलती है और इससे फायदा तब ही होता है जब इसका सही ढंग से इस्तेमाल हो। ऐसा नहीं अधिक लाभ की आवश्यकता है? होने पर यह बोझ में तब्दील हो सकता है। भारत में इस मामले में काफी विविधता है, इसलिए अलग-अलग समय पर अलग-अलग क्षेत्रों में इससे लाभ की स्थिति बनेगी। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के मुताबिक दक्षिण और पश्चिमी हिस्से में अधिक उम्र वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है इसलिए जनसांख्यिकीय बदलावों का लाभ लेने के लिए पांच-छह साल का वक्त ही उपलब्ध है। वहीं कुछ राज्यों के पास 10 से 15 साल तक का अवसर है। अधिक प्रजनन दर वाले राज्यों में यह अवसर अधिक है। इसलिए भारत के पास इसका फायदा उठाने के लिए अपेक्षाकृत अधिक समय उपलब्ध है।
निर्भरता अनुपात में भी इस वजह से सुधार हो रहा है। क्योंकि यह माना जाता है कि कामकाजी लोगों की संख्या में बढ़ोतरी से विकास दर को गति मिलती है। लेकिन क्या नीतिनिर्धारकों की ओर से इस स्थिति का लाभ लेने के लिए ठोस नीतियां बनाई जा रही हैं? इसका लाभ तब ही उठाया जा सकता है जब बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास में पर्याप्त निवेश हो। ताकि कामकाजी लोग सक्षम बन सकें। अगर काम करने वाले लोगों के पास पर्याप्त शिक्षा और कौशल होगा तो वे अधिक उत्पादक साबित होंगे। बेरोजगारी दर 6.1 फीसदी के साथ 45 साल में सबसे अधिक है। इससे पता चलता है कि रोजगार उपलब्ध नहीं हैं। कामकाजी आबादी को रोजगार नहीं मिल पाना दिखाता है कि जनसांख्यिकीय लाभ लेने के लिए उनमें स्वास्थ्य, शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण आदि में कमी को दूर करने का काम ठीक से नहीं किया गया है।
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व्हाट्सऐप बैंकिंग
बैंक ऑफ़ बड़ौदा सदैव ग्राहक केंद्रित पहलों की शुरुआत करने में अग्रणी रहा है जिसका प्रयोजन सुरक्षा एवं संरक्षा के साथ बैंकिंग सेवाओं की सहज उपलब्धता प्रदान करना है. हम सहर्ष “नए डिजिटल डिलीवरी चैनल – व्हाट्सऐप बैंकिंग” के शुभारंभ की घोषणा करते हैं.
व्हाट्सऐप बैंकिंग : विशेषताएं
व्हाट्सऐप बैंकिंग हिन्दी व अंग्रेजी में उपलब्ध है.
व्हाट्सऐप बैंकिंग सेवा घरेलू भारतीय मोबाइल नंबर तथा चयनित देशों के अंतर्राष्ट्रीय नंबर पर उपलब्ध है.
डिजिटल चैनल आधारित सेवाएं :
- पॉजिटिव पे पुष्टि अनुरोध
- ऋण और मीयादी जमा खाता संबंधी जानकारी
- ऋण खाता संबंधी लघु विवरणी प्राप्त करें
- पंजीकृत ईमेल पते पर ओटीपी
- खाते में शेषराशि की जांच करें.
- विगत पांच लेनदेनों का संक्षिप्त विवरण प्राप्त करना
- चेक स्थिति संबंधी पूछताछ
- डेबिट कार्ड ब्लॉक करना
- नियम व शर्तों को स्वीकार करते हुए (ओटीपी सहित) व्हाट्सऐप बैंकिंग पंजीकरण (द्विभाषी)
- चेक बुक अनुरोध .
- अपना पंजीकृत मेल आईडी जानें
- खाता विवरणी
- यूपीआई को डिसेबल करना
- खाते को ब्लॉक करना (डेबिट फ्रिज)
- घरेलू लेनदेन के लिए डेबिट कार्ड को डिसेबल करना (पीओएस/ई-कॉम/एटीएम)
- अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिए डेबिट कार्ड को डिसेबल करना (पीओएस/ई-कॉम/एटीएम)
- चेक बुक अनुरोध की ट्रैकिंग
- व्हाट्सऐप बैंकिंग पंजीकरण / विपंजीकरण (पंजीकरण रद्द करने) की
- महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए ओटीपी मान्यता (चेक बुक अनुरोध, डेबिट कार्ड ब्लॉकिंग, घरेलू / अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन के लिए डेबिट कार्ड को डिसेबल करना, व्हाट्सऐप बैंकिंग पंजीकरण / पंजीकरण रद्द करना तथा यूपीआई को डिसेबल करना)
री-डायरेक्शनल सेवाएं
- फॉरेक्स सुविधाएं
- बड़ौदाइंस्टा स्मार्ट ट्रेड
- फॉरेक्स रिटेलसुविधाएं
- फॉरेक्स उत्पादों को जारी करने / उनके लॉजमेंट संबंधी दिशानिर्देश
- अनुरोध सेवाएं
- डीमैट एवं ट्रेडिंग खाता खोलना
- वरिष्ठ नागरिक बचत योजना खाता खोलना
- ईकेवीपी खोलना
- एनपीएस खाता खोलना
- लॉकर सुविधा
बड़ौदा फास्टैग सेवाएं :
- टैग में बकाया शेषराशि की पूछताछ
- नए फास्टैग के लिए आवेदन करें
- बड़ौदा फास्टैग का विवरण
- लघु विवरणी (टैग लेनदेन)
धन प्रबंधन सेवाएं – इंडियाफर्स्ट लाइफ इंश्योरेंस
अन्य सेवाएं
- एमएसएमई बैंकिंग उत्पाद
- कृषि ऋण और सेवाएं
- कृषि ऋण कि विशिष्ता
- कृषि ऋण के लिए आवेदन करें
- बड़ौदा किसान
- एफडी कैलकुलेटर
- होटल / बस / फ्लाइट बुकिंग
- उपयोगिता बिल भुगतान
- कर भुगतान
- एएसबीए सब्सक्रिप्शन
डिजिटल ऋण सेवाएं
- वैयक्तिक ऋण
- वाहन ऋण
- गृह ऋण
- मुद्रा ऋण
अन्य सुविधाएं
- अपने बैंकिंग उत्पादों को जानें
- डिजिटल बैंकिंग उत्पाद
- ब्याज दर और प्रभार
- नजदीकी शाखाओं / एटीएम का पता लगाएं
- संपर्क केंद्र विवरण
- शिकायत करें
- बैंक की अधिसूचना का चयन करें
- ग्राहक फीडबैक प्राप्त करना (केवल ग्राहकों के लिए)
- चेक बुक हेतु अनुरोध
- पॉज़िटिव पे अनुरोध
- चेक बुक हेतु अनुरोध ट्रैक करना
- डेबिट कार्ड ब्लॉक करना
- पीओएस/ईसीओएमएम/एटीएम लेन-देन हेतु कार्ड को निष्क्रिय करना (घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय)
- यूपीआई को निष्क्रिय करना
व्हाट्सऐप बैंकिंग : रजिस्टर कैसे करें?
चरण 1: स्वयं को रजिस्टर करें
अपने मोबाइल संपर्क सूची में बैंक के व्हाट्सऐप कारोबार खाता संख्या 8433 888 777 को सेव करें
अथवा
बैंक के व्हाट्सऐप नंबर पर सीधे संवाद करने हेतु नीचे दर्शाए गए लिंक पर क्लिक करें - https://wa.me/918433888777?text=Hi
चरण 2: चैटिंग आरंभ कीजिए
व्हाट्सऐप प्लेटफार्म का उपयोग करते हुए इस नंबर पर ‘Hi’ भेजें और अपनी बातचीत शुरू करें. बातचीत के आरंभ का तात्पर्य यह होगा कि आप व्हाट्सऐप बैंकिंग के नियम व शर्तों से सहमत हैं.
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