भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)

Foreign Exchange: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर रहा

RBI के जारी आंकड़े के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) 10 वें सप्ताह में पहली बार अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है.

By: ABP Live | Updated at : 14 Oct 2022 07:47 PM (IST)

विदेशी मुद्रा भंडार

Foreign Exchange Reserves: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट देखी जा रही थी. भारतीय विदेशी मुद्रा बाजार है रिज़र्व बैंक (RBI) के आंकड़े के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) 10 वें सप्ताह में पहली बार अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 7 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में 20.4 करोड़ डॉलर बढ़कर 532.868 अरब डॉलर पर पंहुच गया. आपको बता दे कि सुरक्षित सोने के भंडार का मूल्य बढ़ने से विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि हुई है. इसके पिछले हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 4.854 अरब डॉलर घटकर 532.664 अरब डॉलर पर आ गया था. मालूम हो कि पिछले साल अक्टूबर 2021 में देश का विदेश मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर था.

RBI के प्रयास हुआ सुधार
स्थानीय मुद्रा रुपया को अपने रिकॉर्ड निचले स्तर से उठाने के लिए RBI ने कई प्रयास किये है. मार्च के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार 607 अरब डॉलर से तेजी से कम हो गया है. जोकि पिछले साल 3 सितंबर को 642.45 अरब डॉलर से 109.58 अरब डॉलर रहा. 30 सितंबर को समाप्त सप्ताह के लिए विदेशी मुद्रा भंडार जुलाई 2020 के बाद से अपने न्यूनतम स्तर पर गिरकर 532.66 अरब डॉलर रहा था. साथ ही इसी सप्ताह विदेशी मुद्रा संपत्ति 1.31 अरब डॉलर घटकर 471.50 अरब डॉलर रह गई है. सोने का भंडार 1.35 अरब डॉलर बढ़कर 38.96 अरब डॉलर हो गया है. वही 14 अक्टूबर 2022 को ग्रीनबैक के मुकाबले 82.43 के निचले स्तर पर पहुंच गया और आज 82.32 पर बंद हुआ है.

गिरावट की क्या रही वजह
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट के पीछे एक मुख्य वजह फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में आना रहा, जो 30 सितंबर को समाप्त हुए हफ्ते में 472.81 अरब डॉलर रहा है. इसके पिछले हफ्ते में FCA 477.21 अरब डॉलर रहा था. इसके अलावा गोल्ड एसेट्स 30 सितंबर को समाप्त हुए हफ्ते में घटकर 37.61 अरब डॉलर रहा, जो इसके पिछले हफ्ते 37.89 अरब डॉलर रहा है.

RBI ने क्या कहा
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले महीने कहा था कि RBI बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार बाजार में अनिश्चितता के बावजूद मजबूत बना हुआ है. उन्होंने कहा कि आरबीआई मौजूदा परिस्थितियों के निरंतर मूल्यांकन के आधार पर विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप कर रहा है. दास ने कहा कि 1 अप्रैल से शुरू हुए इस वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान भंडार में लगभग 67 प्रतिशत गिरावट दर्ज हुई. गवर्नर ने कहा कि 2022-23 की पहली तिमाही के दौरान भुगतान संतुलन (BOP) के आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार में 4.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई है.

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Published at : 14 Oct 2022 07:47 PM (IST) Tags: Rupee dollar forex reserve RBI India Forex Reserves हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश, बैंक जल्द कर लें जोखिम से बचाव के उपाय

RBI ने कहा है कि ईसीएआई द्वारा प्रकटीकरण के बिना बैंक ऋण रेटिंग बैंकों द्वारा पूंजी गणना के लिए योग्य नहीं होगी. बैंक ऐसे एक्सपोजर को अनारक्षित मानेंगे. जिन इकाइयों ने विदेशी मुद्रा में लेन-देन के लिये जोखिम से बचाव के उपाए नहीं किये हैं, उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)

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  • नई दिल्ली,
  • 11 अक्टूबर 2022,
  • (Updated 11 अक्टूबर 2022, 9:30 PM IST)

इसका मकसद विदेशी मुद्रा बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है.

संशोधित नियम 1 जनवरी, 2023 से प्रभावी होंगे

भारतीय रिजर्व बैंक ने किसी भी इकाई के पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए बगैर विदेशी मुद्रा में लेन-देन को लेकर बैंकों के लिए अपने कुछ दिशानिर्देशों में बदलाव किया है. इसका मकसद विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है. आरबीआई ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि बैंकों को उन सभी प्रतिपक्षकारों के बिना हेज्ड विदेशी मुद्रा एक्सपोजर का आकलन करने की आवश्यकता होगी, जिनके पास किसी भी मुद्रा का एक्सपोजर है.

एसपीडी को प्रथम श्रेणी अधिकृत डीलरों की तरह उपयोगकर्ताओं को विदेशी मुद्रा बाजार की सभी सुविधाएं प्रदान करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है. यह अनुमति नियमों और अन्य दिशानिर्देशों के अधीन है.

इस साल अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया लगभग 11% गिरा है और हाल के हफ्तों में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. आरबीआई ने कहा कि बैंकों को कम से कम सालाना सभी संस्थाओं के विदेशी मुद्रा एक्सपोजर (एफसीई) का पता लगाना होगा. संशोधित नियम 1 जनवरी, 2023 से प्रभावी होंगे. आरबीआई के अनुसार यदि किसी इकाई के यूएफसीई से संभावित नुकसान 75% से अधिक है, तो बैंकों को उस इकाई के लिए कुल जोखिम भार में 25 प्रतिशत अंक की वृद्धि प्रदान करने की आवश्यकता होगी.

आरबीआई ने कहा कि "जिन इकाइयों ने विदेशी मुद्रा में लेन-देन के लिये जोखिम से बचाव के उपाए नहीं किये हैं, उन्हें विदेशी विनिमय दरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के दौरान काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. ये बैंकिंग प्रणाली से लिए गए ऋणों को चुकाने की उनकी क्षमता को कम कर सकते हैं और उनके डिफ़ॉल्ट की संभावना को बढ़ा सकते हैं, जिससे बैंकिंग प्रणाली के स्वास्थ्य पर असर पड़ेगा.''

RBI ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए दिशानिर्देश, जनवरी 2023 से आएंगे प्रभाव में

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)

केंद्रीय बैंक के परिपत्र के अनुसार ये निर्देश एक जनवरी, 2023 से प्रभाव में आएंगे. आरबीआई ने कहा कि किसी भी इकाई का जोखि . अधिक पढ़ें

  • भाषा
  • Last Updated : October 11, 2022, 22:01 IST

नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को किसी भी यूनिट के पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए बगैर विदेशी मुद्रा में लेन-देन को लेकर बैंकों के लिये संशोधित दिशानिर्देश जारी किया है. इस पहल का मकसद विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है. आरबीआई इकाइयों के जोखिम से बचाव के उपाए किए बिना उस विदेशी मुद्रा में लेन-देन (यूएफसीई) के मामले में बैंकों के लिये समय-समय पर दिशानिर्देश जारी करता रहा है, जो बैंकों से कर्ज के रूप में लिये गये हैं.

केंद्रीय बैंक के परिपत्र के अनुसार ये निर्देश एक जनवरी, 2023 से प्रभाव में आएंगे. आरबीआई ने कहा कि किसी भी इकाई का जोखिम से बचाव के कदम उठाये बिना विदेशी मुद्रा में लेन-देन चिंता का विषय रहा है. यह न केवल व्यक्तिगत इकाई के लिये बल्कि पूरी वित्तीय व्यवस्था के लिये चिंता की बात होती है.

जिन इकाइयों ने विदेशी मुद्रा में लेन-देन के लिये जोखिम से बचाव के उपाए नहीं किये हैं, उन्हें विदेशी विनिमय दरों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव के दौरान काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है. इस नुकसान से संबंधित इकाई का बैंकों से लिये गये कर्ज चुकाने की क्षमता प्रभावित होगी और चूक की आशंका बढ़ेगी. इससे पूरी वित्तीय प्रणाली की सेहत पर असर पड़ेगा.

आरबीआई ने प्राथमिक डीलरों को एकल आधार पर उपयोगकर्ताओं को विदेशी मुद्रा बाजार की सभी सुविधाएं प्रदान करने की अनुमति भी दे दी है. रिजर्व बैंक की तरफ से यह कदम मुद्रा जोखिम प्रबंधन के लिए ग्राहकों को व्यापक सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है. वर्तमान में एकल प्राथमिक डीलरों (SPD) को सीमित उद्देश्यों के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार की अनुमति मिली हुई है. देश में फिलहाल सात एसपीडी और 14 बैंक प्राथमिक डीलर हैं.

आरबीआई ने मंगलवार को जारी परिपत्र में कहा, ‘‘एसपीडी को प्रथम श्रेणी अधिकृत डीलरों की तरह उपयोगकर्ताओं को विदेशी मुद्रा बाजार की सभी सुविधाएं प्रदान करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है. यह अनुमति नियमों और अन्य दिशानिर्देशों के अधीन है.’’

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विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार फिर लुढ़का

Kavita Singh Rathore

राज एक्सप्रेस। देश में जितना भी विदेशी मुद्रा भंडार और स्वर्ण भंडार जमा होता है, उसके आंकड़े समय-समय पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए जाते हैं। इन आंकड़ों में हमेशा ही उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। काफी समय तक विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में गिरावट के बाद पिछले सप्ताह दर्ज हुई बढ़त के बाद अब एक बार फिर इसमें बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, स्वर्ण भंडार (Gold Reserves) में इस बार बढ़त दर्ज हुई है। इस बात का विदेशी मुद्रा बाजार है खुलासा RBI द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों से होता है। बता दें, यदि विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज की जाती है तो, कुल विदेशी विनिमय भंडार में भी बढ़त दर्ज होती है।

RBI के ताजा आंकड़े :

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 19 अगस्त 2022 को खत्म हुए सप्ताह में 6.687 अरब डॉलर घटकर 564.053 अरब डॉलर पर आ पहुंचा है,जबकि, 12 अगस्त 2022 विदेशी मुद्रा बाजार है को खत्म हुए सप्ताह में 2.23 अरब डॉलर घटकर 570.74 अरब डॉलर पर आ पहुंचा था। वहीँ, अगर 5 अगस्त 2022 को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार देखे तो यह 2.23 अरब डॉलर 89.7 करोड़ डॉलर घटकर 572.978 अरब डॉलर पर आ पहुंचा था। जबकि, 29 जुलाई 2022 को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 2.315 अरब डॉलर की बढ़त दर्ज हुई थी और यह 573.875 अरब डॉलर पर पहुच गया था। उससे पहले विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का दौर काफी समय तक जारी था।

गोल्ड रिजर्व की वैल्यू :

बताते चलें, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, भारत के गोल्ड रिजर्व की वैल्यू में भी पिछले कुछ समय से गिरावट दर्ज होने के बाद एक बार की बढ़त के बाद अब समीक्षाधीन सप्ताह में गोल्ड रिजर्व की वैल्यू 70.4 करोड़ डॉलर घटकर 39.914 अरब डॉलर पर आ गिरी हैं। हालांकि, इससे पहले भी गोल्ड रिजर्व में बढ़त दर्ज हुई थी। रिजर्व बैंक ने बताया कि, आलोच्य सप्ताह के दौरान IMF के पास मौजूद भारत के भंडार में मामूली वृद्धि हुई। बता दें, विदेशी मुद्रा संपत्तियों (FCA) में आई गिरावट के चलते विदेशी मुद्रा भंडार में भी गिरावट दर्ज होती है, लेकिन अब जब FCA में बढ़त दर्ज हुई है तो विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ा है। RBI के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा परिस्थितियों में बढ़त दर्ज होने की वजह से कुल विदेशी विनिमय भंडार में बढ़त हुई है और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का एक अहम भाग मानी जाती है।

आंकड़ों के अनुसार FCA :

रिजर्व बैंक (RBI) के साप्ताहिक आंकड़ों पर नजर डालें तो, विदेशीमुद्रा परिसंपत्तियां, कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होती हैं। बता दें, विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में बढ़त होने की वजह से मुद्रा भंडार में बढ़त दर्ज की गई है। FCA को डॉलर में दर्शाया जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पौंड और येन जैसी अन्य विदेशी मुद्रा सम्पत्ति भी शामिल होती हैं। आंकड़ों के अनुसार, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (SDR) 14.6 करोड़ डॉलर घट कर 17.98 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। जबकि, IMF में रखे देश का मुद्रा भंडार भी 5.8 करोड डॉलर गिर कर 4.936 अरब डॉलर हो गया। समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (FCA) 5.77 अरब डॉलर घटकर 501.विदेशी मुद्रा बाजार है 216 अरब डॉलर रह गई है।

क्या है विदेशी मुद्रा भंडार ?

विदेशी मुद्रा भंडार देश के रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां विदेशी मुद्रा बाजार है होती हैं, जिनका उपयोग जरूरत पड़ने पर देनदारियों का भुगतान करने में किया जाता है। पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। इसका उपयोग आयात को समर्थन देने के लिए आर्थिक संकट की स्थिति में भी किया जाता है। कई लोगों को विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी का मतलब नहीं पता होगा तो, हम उन्हें बता दें, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी अच्छी बात होती है, इसमें करंसी के तौर पर ज्यादातर डॉलर होता है, यानि डॉलर के आधार पर ही दुनियाभर में कारोबार किया जाता है। बता दें, इसमें IMF में विदेशी मुद्रा असेट्स, स्वर्ण भंडार और अन्य रिजर्व शामिल होते हैं, जिनमें से विदेशी मुद्रा असेट्स सोने के बाद सबसे बड़ा हिस्सा रखते हैं।

विदेशी मुद्रा भंडार के फायदे :

विदेशी मुद्रा भंडार से एक साल से अधिक के आयात खर्च की पूर्ति आसानी से की जा सकती है।

अच्छा विदेशी मुद्रा आरक्षित रखने वाला देश विदेशी व्यापार का अच्छा हिस्सा आकर्षित करता है।

यदि भारत के पास भुगतान के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा उपलब्ध है तो, सरकार जरूरी सैन्य सामान को तत्काल खरीदने का निर्णय ले सकती है।

विदेशी मुद्रा बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की प्रभाव पूर्ण भूमिका होती है।

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रिकॉर्ड स्‍तर पर विदेशी मुद्रा भंडार, कोरोना काल में भी क्‍यों हो रहा इजाफा?

भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 3.436 अरब डॉलर की वृद्धि दर्ज की गई और यह 493 ( करीब 37 लाख करोड़ रुपये) अरब डॉलर हो गया है.

विदेशी मुद्रा भंडार में 3.436 अरब डॉलर की वृद्धि

aajtak.in

  • नई दिल्‍ली,
  • 06 जून 2020,
  • (अपडेटेड 06 जून 2020, 6:14 PM IST)
  • विदेशी मुद्रा भंडार 493 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर
  • RBI साप्ताहिक आधार पर इसके आंकड़े पेश करता है

कोरोना संकट के बीच देश की इकोनॉमी को लेकर लगातार निगेटिव आंकड़े आ रहे हैं. इस माहौल में एक राहत की खबर मिली है. दरअसल, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में रिकॉर्ड इजाफा हुआ है.

रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़े बताते हैं कि 29 मई को समाप्त हुए सप्‍ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 3.43 अरब डॉलर बढ़ा है. इस बढ़ोतरी के साथ विदेशी मुद्रा भंडार 493.48 अरब डॉलर (37 लाख करोड़ रुपये) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. आपको बता दें कि आरबीआई साप्ताहिक आधार पर विदेशी मुद्रा भंडार के आंकड़े पेश करता है. देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का प्रतीक माना जाता है.

क्‍या है इसके मायने?

इस बढ़ोतरी का मतलब ये हुआ कि सरकारी खजाने में व्‍यापार की लेनदेन के लिए विदेशी मुद्रा भंडार की कमी नहीं है. दरअसल, विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा रखी गई धनराशि या अन्य परिसंपत्तियां होती हैं ताकि जरूरत पड़ने पर वह अपनी देनदारियों का भुगतान कर सके. यह भंडार एक या एक से अधिक मुद्राओं में रखे जाते हैं. आमतौर पर भंडार डॉलर या यूरो में रखा जाता है.

कोरोना संकट में भी क्‍यों बढ़ा भंडार

यह बढ़ोतरी ऐसे वक्त में हुई है, जब देश की इकोनॉमी कोरोना और लॉकडाउन की वजह से पस्‍त नजर आ रही है. लेकिन सवाल है कि कोरोना संकट के बाद भी यह बढ़ोतरी क्‍यों हुई है. इसे समझने से पहले ये जानना जरूरी है कि मई के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली है. इसके अलावा लॉकडाउन की वजह से ईंधन की डिमांड भी कम रही है.

कहने का मतलब ये हुआ कि कच्‍चे तेल की सस्‍ती और कम खरीदारी हुई है. इस वजह से सरकार को कम डॉलर भुगतान करने पड़े हैं. जाहिर सी बात है कि कम डॉलर भुगतान की वजह से बचत हुई है और विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा हो गया है. बढ़ोतरी का ये सिलसिला बीते कुछ हफ्तों से चल रहा था लेकिन इस बार का इजाफा रिकॉर्ड स्‍तर पर है.

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