भास्कर एक्सप्लेनर: कोरोना टेस्ट के लिए होम टेस्ट किट; जानिए क्या फायदे, क्या नुकसान और भारत में इसकी कितनी जरूरत
अमेरिका के ड्रग रेगुलेटर- फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (US-FDA) ने नवंबर 2020 में घर पर कोरोना का टेस्ट करने वाली किट को मंजूरी दी थी। उस समय वहां कोरोना इन्फेक्शन के केस धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहे थे। सरकार ने लोगों को घरों में रहकर ही कोरोना टेस्ट की सुविधा देने के लिए होम टेस्ट किट को अनुमति दी थी।
भारत में भी पिछले 10 दिन से तीन लाख से अधिक नए मरीज रोज सामने आ रहे हैं। एक्टिव केस भी लगातार बढ़ रहे हैं। मरीजों के मामले में भी भारत सिर्फ अमेरिका के पीछे है। बढ़ते आंकड़ों के बीच कोविड टास्क फोर्स ने पूरे देश में टोटल लॉकडाउन की सिफारिश की है। ऐसी परिस्थितियों में ये होम टेस्ट किट भारत के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है।
आइए जानते हैं कि ये टेस्ट किट होती क्या है? इसके फायदे क्या हैं? भारत में इनका इस्तेमाल कोरोना को रोकने में कैसे मददगार साबित हो अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान सकता है.
क्या है होम टेस्टिंग किट?
अभी आपको कोरोना का पता लगाने के लिए रैपिड एंटीजन या RT-PCR या इसी तरह के दूसरे टेस्ट करवाने होते हैं। इन सभी टेस्ट के लिए मेडिकल एक्सपर्ट और लैब की जरूरत होती है। कोरोना की होम टेस्ट किट इसका आसान विकल्प है। ये प्रेग्नेंसी टेस्ट किट की तरह है। सैंपल डालना है तो कोरोना को टेस्ट किया जा सकता है। इसकी मदद से कोई भी व्यक्ति बिना किसी लैब या मेडिकल एक्सपर्ट की मदद के घर पर ही कोरोना टेस्ट कर सकता है।
यह किट कैसे काम करती है?
ये टेस्ट किट लेटरल फ्लो टेस्ट पर काम करती है। आप अपनी नाक या गले से लिए गए सैंपल को ट्यूब में डालते हैं। इस ट्यूब में पहले से एक लिक्विड भरा होता है। इस ट्यूब को किट के अंदर डाला जाता है जहां लिक्विड को सोखने वाला एक पैड लगा होता है। इस पैड से होकर ये लिक्विड एक पट्टी पर जाता है जहां पहले से ही कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचानने वाली एंटीबॉडी मौजूद होती है। अगर आप कोरोनावायरस से पीड़ित हैं तो ये एंटीबॉडी एक्टिवेट हो जाती है और किट आपका टेस्ट पॉजिटिव दिखा देती है। किट पर एक डिस्प्ले होता है जहां रिपोर्ट का रिजल्ट दिख जाता है। रिपोर्ट आपके ईमेल या टेस्ट किट बनाने वाली कंपनी की ऐप पर भी देखी जा सकती है।
इस किट के फायदे क्या हैं?
- घर बैठे ही टेस्ट होगा। इससे लोग टेस्ट कराने बाहर नहीं निकलेंगे और संक्रमण फैलने का खतरा कम होगा।
- RT-PCR या किसी भी दूसरे टेस्ट के मुकाबले ये टेस्ट किट सस्ती है।
- खुद से ही टेस्ट किया जा सकता है। किसी मेडिकल एक्सपर्ट या लैब की जरूरत नहीं।
- टेस्ट रिपोर्ट 15 मिनट से आधे घंटे में मिल जाती है। लैब में किए गए RT-PCR टेस्ट की रिपोर्ट आने में कम से कम 1 दिन का समय लगता है।
इस किट के नुकसान क्या हैं?
- घर पर ही टेस्ट होने से संक्रमित मरीजों के आंकड़ों की मॉनिटरिंग में परेशानी होगी। जिनका टेस्ट पॉजिटिव आएगा, वे डर से सही जानकारी नहीं देंगे।
- मेडिकल एक्सपर्ट की तुलना में खुद से सैंपल लेने में गड़बड़ी की आशंका रहेगी, जिससे टेस्ट के रिजल्ट पर भी असर पड़ेगा।
- लैब में किए गए टेस्ट के मुकाबले होम टेस्ट किट की एक्यूरेसी कम है। इस वजह से गलत रिजल्ट आने की संभावना ज्यादा है।
- एक संक्रमित व्यक्ति का टेस्ट रिजल्ट अगर निगेटिव आता है तो वो घर के अन्य सदस्यों को भी संक्रमित कर सकता है।
इन किट के नतीजे कितने सटीक हैं?
लैब में किए गए टेस्ट की तुलना में होम टेस्ट किट के रिजल्ट की एक्यूरेसी में 20% से 30% तक की गड़बड़ी देखने को मिली है। गलत तरीके से सैंपल लेना, संक्रमित होने के 1-2 दिन के अंदर ही टेस्ट कराने से भी रिपोर्ट निगेटिव आ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों टेस्ट को करने का तरीका भले ही एक जैसा हो, लेकिन इनके रिजल्ट में एक्यूरेसी का फर्क ज्यादा है।
इन किट की जरूरत क्यों पड़ी?
कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हो गई है। जहां भी मामले बढ़े वहां डॉक्टरों की कमी, अस्पतालों में बेड की कमी जैसी अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान समस्याएं सामने आने लगीं। साथ ही मेडिकल एक्सपर्ट्स का एक बड़ा हिस्सा मरीजों की टेस्टिंग में भी लगा होता है। ऐसे में अगर खुद से ही कोरोना का टेस्ट किया जा सके तो मेडिकल एक्सपर्ट्स पर निर्भरता कम होगी और वो किसी दूसरे काम आ सकेंगे।
साथ ही किसी भी टेस्ट को करवाने के लिए आपको हॉस्पिटल या अन्य किसी दूसरी जगह जाना होता है। संक्रमण के खतरे को देखते हुए ये सुरक्षित नहीं है। ऐसे में अगर घर में ही टेस्ट किया जा सके तो संक्रमण फैलने की रफ्तार भी कम होगी।
क्या यह किट्स भारत में उपलब्ध है?
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने 27 अप्रैल को गाइडलाइन जारी की है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और 5 अन्य देशों ने जिन किट को इस्तेमाल की अनुमति दे रखी है, उनका इस्तेमाल भारत में हो सकेगा। उन्हें ICMR से अलग से अनुमति लेने की कोई जरूरत नहीं है। साथ ही ICMR ने इन कंपनियों से ये भी कहा है कि टेस्ट के रिजल्ट की मॉनिटरिंग के लिए सॉफ्टवेयर या ऐप से सभी आंकड़ों को कोरोना के सेंट्रल पोर्टल से जोड़ा जाए जिससे कि आंकड़ों में गड़बड़ी न हो।
भारत के लिए ये क्यों जरूरी है?
फिलहाल कोरोना के कुल संक्रमितों के लिहाज से भारत अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है। कोरोना के नए आंकड़े रोजाना नए रिकॉर्ड छू रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर ने अस्पतालों में बेड से लेकर ऑक्सीजन तक की किल्लत पैदा कर दी है। सरकार का फोकस ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग पर भी है जिससे संक्रमितों की सही संख्या सामने आ सके। इस तरह की होम टेस्ट किट से टेस्टिंग बढ़ेगी ही साथ ही टेस्ट सेंटरों पर दबाव भी कम होगा। फिलहाल जो मेडिकल एक्सपर्ट कोरोना की टेस्टिंग में लगे हैं उनकी सेवाएं दूसरी जगह ली जा सकेगी।
Mouthwash: क्या है फायदे और नुकसान: must know
Picture: Pixabay
Table of Contents
Last Updated on March 17, 2021 by The Health Master
Mouthwash: क्या है फायदे और नुकसान: must know
नई दिल्ली: माउथवॉश के बारे में तो आपने भी जरूर सुना होगा और हम में से बहुत से लोग रोजाना इसका इस्तेमाल भी करते होंगे. यह एक लिक्विड प्रॉडक्ट है जिसका इस्तेमाल दांत, मसूड़ों और मुंह की सफाई के लिए किया जाता है.
माउथवॉश (Mouthwash) में आमतौर पर एंटीसेप्टिक (Antiseptic) पाया जाता है जो हमारी जीभ और दांतों के बीच में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया (Bacteria) को मारने में मदद करता है.
बहुत से लोग सांस की बदबू (Bad Breath) की समस्या से निपटने के लिए भी माउथवॉश का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन जब बात ओरल हाइजीन यानी मुंह की सफाई की आती है तो आप ब्रशिंग और फ्लॉसिंग के विकल्प के तौर पर माउथवॉश का इस्तेमाल नहीं कर सकते.
हालांकि माउथवॉश यूज करने से पहले इसे इस्तेमाल करने का सही तरीका क्या है और इसके फायदे नुकसान क्या-क्या हैं, इस बारे में जान लें.
स्वास्थ्य सम्बन्धी अन्य आर्टिकल पढने के लिए यहाँ क्लिक करे
माउथवॉश यूज करने का सही तरीका
-सबसे पहले फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट (Toothpaste) से अच्छी तरह से ब्रश करें, फ्लॉस की मदद से दांतों के बीच की जगह की सफाई कर लें और उसके बाद 20-30 मिनट रुकें और फिर माउथवॉश का इस्तेमाल करें. ब्रश करने के तुरंत बाद माउथवॉश यूज करने से फ्लोराइड धुल जाता है.
-माउथवॉश के साथ जो नापने वाला कप आता है और प्रॉडक्ट पर जितनी मात्रा लिखी अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान हो उसे ही कप में डालकर इस्तेमाल करें. उससे ज्यादा माउथवॉश यूज न करें, नुकसान हो सकता है.
-माउथवॉश को मुंह में डालें और पूरे मुंह में अच्छी तरह से घुमाएं और फिर उसे कुल्ला करके बाहर थूक दें. माउथवॉश को गलती से भी निगल न लें (do not swallow).
– आप चाहें तो 30 सेकंड तक माउथवॉश से गरारे करें अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान और फिर उसे बाहर थूक दें.
माउथवॉश के फायदे
-अमेरिकी हेल्थ वेबसाइट everydayhealth.com की मानें तो माउथवॉश यूज करने से कैविटीज (Cavities)यानी दांतों की सड़न की समस्या को दूर करने में मदद मिलती है. माउथवॉश में फ्लोराइड होता है जो दांतों को कैविटीज से बचाता है.
-जिंजिवाइटिस जैसी मसूड़ों की बीमारी (Gum Disease) दूर करने में भी मदद करता है माउथवॉश. कई बार मुंह में मौजूद बैक्टीरिया की वजह से प्लाक भी हो जाता है तो माउथवॉश की मदद से आप उसे भी दूर कर सकते हैं.
माउथवॉश के नुकसान
-बहुत से माउथवॉश ऐसे भी होते हैं जिसमें अल्कोहल पाया जाता है जिसकी वजह से ओरल कैंसर का खतरा हो सकता है. अमेरिकन डेंटल एसोसिएशन की मानें तो डेंटिस्ट से सलाह लेने के बाद ही माउथवॉश का इस्तेमाल करना चाहिए.
-अगर किसी को मुंह के छाले की समस्या हो तो उसे माउथवॉश यूज नहीं करना चाहिए, वरना छालों में दर्द अधिक होने लगता है.
-बहुत से लोग सांस की बदबू से बचने के लिए भी माउथवॉश का इस्तेमाल करते हैं लेकिन यह केवल कुछ देर के लिए ही होता है. अगर आप मुंह की ढंग से सफाई नहीं करते तो केवल माउथवॉश की मदद से सांस की बदबू से बचा नहीं जा सकता.
(नोट: किसी भी उपाय को करने से पहले हमेशा किसी विशेषज्ञ या चिकित्सक से परामर्श करें. The Health Master इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
Also read:
For informative videos by The Health Master, click on the below YouTube icon:
पॉलीकार्बोनेट लेंस: फायदे और नुकसान
पॉलीकार्बोनेट और ट्राइवेक्स लेंस, दोनों नियमित प्लास्टिक लेंस की तुलना में पतले और हल्के होते हैं। वे सूरज के हानिकारक यूवी प्रकाश से भी 100 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करते हैं और प्लास्टिक या कांच के लेंस की तुलना में 10 गुना अधिक आघात-प्रतिरोधी होते हैं।
हल्के होने का आराम, यूवी प्रोटेक्शन और आघात प्रतिरोध का यह संयोजन इन लेंसों को बच्चों के चश्मों और सुरक्षा के चश्मों के लिए एक उत्कृष्ट विकल्प बनाता है।
पॉलीकार्बोनेट और ट्राइवेक्स लेंस, दोनों स्पष्ट, अधिक आरामदायक दृष्टि प्रदान करेंगे यदि लेंस पर एंटी-रिफ़्लेक्टिव (एआर) कोटिंग चढ़ी हो। एआर कोटिंग, विचलित करने वाले लेंस प्रतिबिंबों को समाप्त करती है जो दृष्टि में हस्तक्षेप कर सकते हैं, विशेषकर रात में ड्राइविंग करते समय या अन्य कम रोशनी की स्थितियों में, जब चमक पैदा करने वाले स्रोत मौजूद रहते हैं।
पॉलीकार्बोनेट लेंस
पॉलीकार्बोनेट को एयरोस्पेस अनुप्रयोगों के लिए 1970 के दशक में विकसित किया गया अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान था और वर्तमान में अंतरिक्ष यात्रियों के हेलमेट के अग्रभाग और अंतरिक्ष यान के विंडस्क्रीन के लिए इसका उपयोग होता है।
हल्के, आघात-प्रतिरोधी लेंस की माँग के उत्तर में 1980 के दशक की शुरूआत में पॉलीकार्बोनेट से बने चश्मे के लेंस पेश किए गए थे।
तब से, पॉलीकार्बोनेट लेंस सुरक्षा के चश्मों, खेल के चश्मों और बच्चों के आईवियर के लिए मानक बन गए हैं।
चूंकि नियमित प्लास्टिक लेंस की तुलना में फ्रैक्चर की संभावना कम रहती है, पॉलीकार्बोनेट लेंस रिमलेस आईवियर डिज़ाइन के लिए भी एक अच्छा विकल्प हैं जिसमें लेंस ड्रिल माउंटिंग के साथ फ्रेम के घटकों से जुड़े रहते हैं।
अधिकांश अन्य प्लास्टिक लेंस एक कास्ट मोल्डिंग प्रक्रिया से बने होते हैं, जिसमें एक तरल प्लास्टिक सामग्री लेंस रूपों में लंबे समय तक अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान बेक की जाती है, और तरल प्लास्टिक को ठोस बनाकर लेंस तैयार करती है।
परन्तु पॉलीकार्बोनेट एक थर्मोप्लास्टिक है जो छोटे छर्रों के रूप में एक ठोस सामग्री से शुरू होती है। एक लेंस निर्माण प्रक्रिया जिसे इंजेक्शन मोल्डिंग कहा जाता है, में छर्रों को तब तक गरम किया जाता है जब तक कि वे पिघल नहीं जाते।
तरल पॉलीकार्बोनेट को तब लेंस के सांचों में तेज़ी से इंजेक्ट किया जाता है, उच्च दबाव में संपीड़ित किया जाता है और ठंडा किया जाता है और कुछ ही मिनटों में लेंस उत्पाद तैयार हो जाता है।
ट्राइवेक्स लेंस
इसके अनेक लाभों के बावजूद, पॉलीकार्बोनेट एकमात्र लेंस सामग्री नहीं है जो सुरक्षा अनुप्रयोगों और बच्चों की आँखों के लिए उपयुक्त है।
ट्राइवेक्स लेंस 2001 में PPG इंडस्ट्रीज़ द्वारा पेश किए गए थे। पॉलीकार्बोनेट लेंस की तरह, ट्राइवेक्स से बने लेंस नियमित प्लास्टिक या कांच के लेंस की तुलना में पतले, हल्के और बहुत अधिक आघात प्रतिरोधी होते हैं।
तथापि, ट्राइवेक्स लेंस एक यूरीथेन-आधारित मोनोमर के बने होते हैं और एक कास्ट मोल्डिंग प्रक्रिया से बने होते हैं, जिस तरह नियमित प्लास्टिक लेंस बनते हैं। PPG के अनुसार, इंजेक्शन-मोल्डेड पॉलीकार्बोनेट लेंस की तुलना में ट्राइवेक्स लेंस अधिक स्पष्ट ऑप्टिक्स का लाभ देते हैं।
पॉलीकार्बोनेट बनाम ट्राइवेक्स लेंस: एक संक्षिप्त तुलना
यहाँ पॉलीकार्बोनेट और ट्राइवेक्स लेंस की एक संक्षिप्त तुलना दी गई है जो आपको यह तय करने में मदद करती है कि कौन सा लेंस आपके लिए सबसे अच्छा हो सकता है:
मोटाई
पॉलीकार्बोनेट में ट्राइवेक्स की तुलना में रिफ्रैक्शन का सूचकांक अधिक होता है (1.58 बनाम 1.53), इसलिए पॉलीकार्बोनेट लेंस ट्राइवेक्स लेंस की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक पतले होते हैं।
वजन
ट्राइवेक्स में पॉलीकार्बोनेट की तुलना में कम विशिष्ट गुरुत्व होता है, जिससे ट्राइवेक्स लेंस पॉलीकार्बोनेट लेंस की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत अधिक हल्के होते हैं।
ऑप्टिकल स्पष्टता (केंद्रीय)
ट्राइवेक्स लेंस में आंतरिक तनाव कम होता है और यह पॉलीकार्बोनेट लेंस की तुलना में अधिक तीक्ष्ण केंद्रीय दृष्टि उत्पन्न कर सकता है।
ऑप्टिकल स्पष्टता (परिधीय)
ट्राइवेक्स लेंस की एब्बे (Abbe) वैल्यू अधिक होती है और वह पॉलीकार्बोनेट लेंस की तुलना में कम क्रोमैटिक विपथन के साथ तीक्ष्ण परिधीय दृष्टि का उत्पन्न कर सकता है।
आघात प्रतिरोध
पॉलीकार्बोनेट और ट्राइवेक्स लेंस में एक जैसा आघात प्रतिरोध है।
यूवी प्रोटेक्शन
पॉलीकार्बोनेट और ट्राइवेक्स लेंस दोनों विशेष यूवी-अवरोधक लेंस कोटिंग की आवश्यकता के बिना अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान सूर्य की यूवी किरणों को 100 प्रतिशत ब्लॉक करते हैं.
उपलब्धता
ट्राइवेक्स लेंस की तुलना में पॉलीकार्बोनेट लेंस व्यापक प्रकार के लेंस डिज़ाइन (जैसे, प्रोग्रेसिव लेंस, और अन्य मल्टीफ़ोकल) में उपलब्ध अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान हैं। फ़ोटोक्रोमिक लेंस दोनों सामग्रियों में उपलब्ध हैं।
लागत
पॉलीकार्बोनेट और ट्राइवेक्स लेंस की लागत काफी भिन्न हो सकती है, परन्तु अनेक ऑप्टिशियन पॉलीकार्बोनेट लेंस की तुलना में ट्राइवेक्स लेंस के लिए अधिक पैसे लेते हैं।
आपका ऑप्टिशियन पॉलीकार्बोनेट और ट्राइवेक्स लेंस के गुण-दोष पर चर्चा करके, यह तय करने में आपकी मदद कर सकता है कि आपकी आवश्यकताओं और बजट के अनुसार कौन सी लेंस सामग्री सबसे अच्छा विकल्प है।
अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान
अस्वीकरण :
इस वेबसाइट पर दी की गई जानकारी, प्रोडक्ट और सर्विसेज़ बिना किसी वारंटी या प्रतिनिधित्व, व्यक्त या निहित के "जैसा है" और "जैसा उपलब्ध है" के आधार पर दी जाती हैं। Khatabook ब्लॉग विशुद्ध रूप से वित्तीय प्रोडक्ट और सर्विसेज़ की शैक्षिक चर्चा के लिए हैं। Khatabook यह गारंटी नहीं देता है कि सर्विस आपकी आवश्यकताओं को पूरा करेगी, या यह निर्बाध, समय पर और सुरक्षित होगी, और यह कि त्रुटियां, यदि कोई हों, को ठीक किया जाएगा। यहां उपलब्ध सभी सामग्री और जानकारी केवल सामान्य सूचना उद्देश्यों के लिए है। कोई भी कानूनी, वित्तीय या व्यावसायिक निर्णय लेने के लिए जानकारी पर भरोसा करने से पहले किसी पेशेवर से सलाह लें। इस जानकारी का सख्ती से अपने जोखिम पर उपयोग करें। वेबसाइट पर मौजूद किसी भी गलत, गलत या अधूरी जानकारी के लिए Khatabook जिम्मेदार नहीं होगा। यह सुनिश्चित करने के हमारे प्रयासों के बावजूद कि इस वेबसाइट पर निहित जानकारी अद्यतन और मान्य है, Khatabook किसी भी उद्देश्य के लिए वेबसाइट की जानकारी, प्रोडक्ट, सर्विसेज़ या संबंधित ग्राफिक्स की पूर्णता, विश्वसनीयता, सटीकता, संगतता या उपलब्धता की गारंटी नहीं देता है।यदि वेबसाइट अस्थायी रूप से अनुपलब्ध है, तो Khatabook किसी भी तकनीकी समस्या या इसके नियंत्रण से परे क्षति और इस वेबसाइट तक आपके उपयोग या पहुंच के परिणामस्वरूप होने वाली किसी भी हानि या क्षति के लिए उत्तरदायी नहीं होगा।
We'd love to hear from you
We are always available to address the needs of our users.
+91-9606800800
क्या चाय या कॉफी पीने से बढ़ सकता है ब्लड शुगर? एक्सपर्ट्स से जानिए फायदे और नुकसान
हर व्यक्ति के लिए पर्याप्त पानी का सेवन बेहद जरूरी है। जो लोग दिनभर में पर्याप्त पानी पीते हैं, उन लोगों का ब्लड शुगर (Blood Sugar) लेवल कंट्रोल में रहता है।
सुबह खाली पेट कॉफ़ी आदि के सेवन से बचना चाहिए (Photo-Unsplash/Indian Express)
आमतौर पर लोगों की शुरुआत चाय या कॉफी से होती है। कई लोगों को इसके बिना दिन की शुरुआत करने में मुश्किलें आती हैं। अगर हाल ही में आपने गौर किया हो तो आजकल लोग पहले के मुकाबले ज्यादा कॉफी या चाय पीने लगे हैं। लेकिन अगर आप एक डायबिटीक मरीज हैं तो आपको सावधान रहने की जरूरत है। डायबिटीज से ग्रसित व्यक्ति को क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, इस बारे में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।
डायबिटीज वाले मरीजों को अपनी डाइट में उन फूड्स को शामिल करना चाहिए जो प्राकृतिक रूप से ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। कई फूड्स हैं जो आपके ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ा सकते हैं और डायबिटीज को कंट्रोल करना मुश्किल बना सकते हैं। कई अधय्यनों में ये बात सामने आई है कि एक कप कॉफी या चाय पीने से तनाव और कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। साथ ही वजन घटाने में मदद मिलती है। आइये जानते हैं क्या कॉफी या चाय डायबिटीज के मरीजों के लिए सुरक्षित हैं।
अमेरिका में शोध के मुताबिक कॉफी पीने वालों में टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा कम हो जाता है। यदि आपको पहले से ही डायबिटीज है, तो इसका प्रभाव एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अलग हो सकता है। कुछ का सकारात्मक प्रभाव हो सकता है जबकि अन्य ब्लड शुगर के स्तर में वृद्धि का अनुभव कर सकते हैं।
30 साल बाद शनि ग्रह गोचर करके बनाएंगे विशेष राजयोग, 2023 में इन राशियों को आकस्मिक धनलाभ के साथ उन्नति के प्रबल योग
Diabetes Control: डायबिटीज में मूंगफली खाना चाहिए या नहीं? इसका सेवन करने से ब्लड शुगर पर कैसा असर पड़ता अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान है एक्सपर्ट से जानिए
वहीं सर्दियों में ठंड से बचने के लिए मधुमेह से ग्रसित व्यक्ति यह सोचकर फीकी चाय पिए जा रहा है कि ब्लड शुगर हाई नहीं होगी तो गलत सोच रहा है। चाय में मिला हुआ दूध और दूसरे तत्व उसके ब्लड शुगर के स्तर को हाई कर देंगे। खाने के फौरन बाद चाय और कॉफी पीने से कैफीन आयरन तत्व पर बुरा प्रभाव डालता है। इससे आयरन एब्जार्ब नहीं होता और हीमोग्लोबिन कम होने लगता है। ऐसे में हमारे मन में यह उचित प्रश्न उठता है कि कौन सी चाय हमारी सेहत के लिए सबसे अधिक फायदेमंद है?
वैज्ञानिक के हवाले से बात सामने आयी है कि दिन में तीन से चार कप चाय पीना पानी पीने से बेहतर विकल्प है, क्योंकि चाय शरीर को एंटीऑक्सीडेंट प्रदान करती है जो कि हमारी कोशिकाओं से फ्री रेडिकल्स को हटाते हैं और ऑक्सीकरण से होने वाले नुकसान को रोकते हैं। ऐसे में हमें अदरक, नींबू, इलायची और मसाला चाय जैसा कि नाम से पता चलता है, यह इलायची, अदरक, दालचीनी और काली मिर्च सहित विभिन्न भारतीय मसालों और जड़ी-बूटियों से मिश्रित चाय पीनी चाहिए।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 149