इक्विटी फंड में निवेश या सीधे शेयरों में? जानें,रिटर्न और जोखिम के हिसाब से कौन है बेहतर
अगर दस साल तक आप किसी इक्विटी फंड में निवेश करते हैं तो 12 फीसदी रिटर्न मिल सकता है लेकिन दस साल तक सीधे शेयरों में निवेश करते हैं तो रिटर्न 16 से 20 फीसदी तक जा सकता है.
By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 06 Oct 2020 10:48 AM (IST)
इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश या सीधे शेयरों में? अक्सर निवेशकों के सामने यह दुविधा पैदा होती है? लेकिन यह दुविधा दूर हो सकती है, अगर आप निवेश के इन दोनों तरीके के सभी पक्षों को समझ लें. म्यूचुअल फंड के जरिये भी शेयरों में निवेश होता है और आप सीधे भी शेयरों में निवेश कर सकते हैं लेकिन, यहां यह जानना जरूरी है कि लंबी अवधि में किसका रिटर्न ज्यादा होगा. हालांकि शेयरों में निवेश में ज्यादा जोखिम है.
म्यूचुअल फंड में निवेश, आपकी ओर से कोई एक्सपर्ट ( फंड मैनेजर) करता है इसलिए आपका जोखिम कम हो जाता है. फंड मैनेजर अपने पेशे में दक्ष होते हैं इसलिए उनका अनुभव आपके काम आता है. आप निवेश में जोखिम से बच जाते हैं. दूसरी ओर शेयरों में सीधा निवेश जोखिम बढ़ा देता है. अब सवाल यह है कि रिटर्न के हिसाब से कौन अच्छा है?
सीधे शेयरों में निवेश ज्यादा रिटर्न देता है
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर दस साल तक आप किसी इक्विटी फंड में निवेश करते हैं तो 12 फीसदी रिटर्न मिल सकता है लेकिन दस साल तक सीधे शेयरों में निवेश करते हैं तो रिटर्न 16 से 20 फीसदी तक जा सकता है. अब यह निवेशक पर है कि वह अपने निवेश पर कितना जोखिम ले सकता है. अब टैक्स का सवाल. इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश में निवेशक को सिक्योरिटी ट्रांजेक्शन टैक्स नहीं देना पड़ता है क्योंकि वे सीधे शेयर मार्केट में निवेश नहीं करते. हां लेकिन म्यूचअल फंड निवेशकों को एक्सपेंस रेश्यो देना होता है.
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इक्विटी फंड और सीधे स्टॉक मार्केट में निवेशक, दोनों को एक लाख तक टैक्स छूट मिलती लेकिन एक साल से ज्यादा वक्त तक निवेश पर दोनों पर पर लॉन्ग टैक्स कैपिटेल गेन टैक्स देना पड़ता है. इसलिए टैक्स के मामले में दोनों तरह के निवेशकों के सामने विकल्प सीमित है. दोनों के लिए टैक्स देनदारी लगभग बराबर ही पड़ती है. इस तरह देखें तो शेयरों में सीधे निवेश का रिटर्न इक्विटी फंड के निवेश से ज्यादा है. अगर एक निवेशक के तौर पर आप ज्यादा जोखिम ले सकते हैं तो 4 से 8 फीसदी ज्यादा रिटर्न के हकदार हो सकते हैं.
Published at : 06 Oct 2020 10:48 AM (IST) Tags: Equity investing Equity funds Share Market Mutual Funds हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi
Equity Mutual Funds में इन्वेस्टमेंट दोगुना से ज्यादा हुआ, निवेश शुरू करने से पहले इन 5 बातों का रखें ध्यान
Mutual Fund Investment: अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश की मदद से वेल्थ क्रिएट करना चाहते हैं तो पांच बातों को ध्यान में रखना जरूरी है. सबसे महत्वपूर्ण है कि लंबी अवधि के निवेशक बनें. इसके अलावा डिसिप्लिन के साथ SIP जारी रखें.
Mutual Fund Investment: शेयर बाजार में जारी उठापटक के बीच सितंबर के महीने में इक्विटी फंड के प्रति निवेशकों का आकर्षण बढ़ा है. AMFI डेटा के मुताबिक, बीते महीने इक्विटी फंड में 14077 करोड़ का इन्फ्लो हुआ जो अगस्त में 5942 करोड़ था. यह 136 फीसदी का उछाल है. ऐसे में अगर आप भी म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू करना चाहते हैं तो कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है. सबसे पहले इस बात को समझें के बाजार के जोखिम का इसमें कम या ज्यादा असर जरूर होता है. अगर इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न आप लंबे समय के लिए निवेशत रहेंगे और डिसिप्लिन के साथ निवेश करते रहेंगे तो वेल्थ क्रिएट करने में मदद मिलेगी. निवेश शुरू करने से पहले इन पांच आदतों को खुद में शामिल करना जरूरी है.
लॉन्ग टर्म के इन्वेस्टर बनें
अगर म्यूचुअल फंड से मोटा रिटर्न पाना चाहते हैं तो लॉन्ग टर्म के इन्वेस्टर बनें. यह पेड़ लगाने जैसा है. समय देंगे तो रिटर्न शानदार होगा. आपका पैसा इसमें धीरे-धीरे ग्रो करता है. कम से कम 3-5 सालों के लिए निवेश करें उसके बाद ही रिडीम के बारे में विचार करें.
डिसिप्लिन बहुत जरूरी
बाजार में उतार-चढ़ाव एक प्रक्रिया है. ऐसे में डिसिप्लिन बहुत जरूरी है. डिसिप्लिन की बात करें तो SIP सबसे शानदार तरीका है. आप हर महीने 500 का एसआईपी भी शुरू कर सकते हैं. NAV की कीमत बाजार में उतार और चढ़ाव के साथ कम और ज्यादा होता है. लंबी अवधि तक निवेश का लक्ष्य है और बाजार इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न में गिरावट आती है तो उसे मौके के रूप में देख सकते हैं. बाजार से निकलना नहीं है.
पोर्टफोलियो डायवर्सिफाई रखें
म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट में डायवर्सिफिकेशन बहुत ज्यादा है. ऐसे में अपने पोर्टफोलियो को भी डायवर्सिफाई करने की जरूरत है. एक ही फंड में सारा निवेश करने से बचना चाहिए. इक्विटी फंड में रिटर्न ज्यादा है और डेट फंड में रिटर्न कम है. इक्विटी फंड में 65 फीसदी इक्विटी में जाता है तो रिस्क भी ज्यादा होता है. डेट फंड में 65 फीसदी से कम इक्विटी में जमा किया जाता है. इसके कारण रिस्क थोड़ा कम रहता है.
समय-समय पर इवैल्युएशन करें
म्यूचुअल फंड में आपका पैसा प्रफेशनल मैनेज करते हैं. ऐसे में आपको घबराने की जरूरत नहीं है. हालांकि, समय-समय पर आपको अपने पोर्टफोलियो की जांच करनी चाहिए. आपके पास कितना NAV और उसकी वैल्यु कितनी है, इससे टोटल वैल्यु पता चल जाता है. आपने टोटल NAV कितने में खरीदा है और उसकी वैल्यु कितनी हो गई है, इस आधार पर रिटर्न का पता चलेगा.
कैपिटल ग्रोथ पर फोकस रखें
म्यूचुअल फंड के जरिए निवेश इसलिए किया जाता है, क्योंकि इसका मकसद कैपिटल ग्रोथ होता है. अगर बाजार से कमाई करनी है तो रिस्क भी होता है. ऐसे में जरूरी है कि अपनी इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न क्षमता के हिसाब से ही रिस्क उठाएं. इक्विटी फंड में रिस्क ज्यादा होगा तो रिटर्न भी ज्यादा मिलेगा. लिक्विड फंड में रिटर्न कम है तो रिस्क भी कम है.
डेट और इक्विटी म्यूचुअल फंड में क्या है अंतर, कहां है सबसे ज्यादा रिस्क और मुनाफा?
जोखिम से दूरी बनाने वालों को डेट म्यूचुअल फंड की ओर जाना चाहिए.
इक्विटी म्यूचुअल फंड में लगाया हुआ पैसा स्टॉक्स में लगाया जाता है. डेट म्यूचुअल फंड में निवेशक का पैसा अधिक सुरक्षित कॉ . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 29, 2022, 08:33 IST
हाइलाइट्स
डेट म्यूचुअल फंड अधिक सुरक्षित निवेश विकल्प है लेकिन इसमें रिटर्न कम मिलता है.
इक्विटी म्यूचुअल फंड में जोखिम अधिक है लेकिन लंबी अवधि में रिटर्न भी बेहतर है.
दोनों से मिलने वाले मुनाफे के लिए लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म गेन की समयावधि अलग है.
नई दिल्ली. म्यूचुअल फंड वह निवेश विकल्प होते हैं जहां एक ही तरह के एसेट्स के एक पूल में आप पैसा लगात हैं. मसलन, इक्विटी म्यूचुअल फंड में लगाया हुआ पैसा स्टॉक्स में लगाया जाता है. आप जिस म्यूचुअल फंड कंपनी को निवेश के लिए पैसा देते हैं वह अलग-अलग सेक्टर और मार्केट कैप से चुने गए स्टॉक्स में आपका पैसा लगाती है. आपके निवेश का कुछ-कुछ हिस्सा उस पूल के हर शेयर में बांटा जाता है. इसी तरह अन्य एसेट्स के भी म्यूचुअल फंड्स होते हैं.
आज हम इक्विटी के आलावा डेट म्यूचुअल फंड की बात करेंगे और देखेंगे कि इनमें से अधिक बेहतर निवेश विकल्प क्या है. डेट म्यूचुअल फंड में निवेशक का पैसा अधिक सुरक्षित कॉर्पोरेट बॉन्ड, गवर्नमेंट सिक्योरिटीज या ट्रेजरी बिल में लगाया जाता है. इसमें कितना रिटर्न मिलेगा इसका थोड़ा बहुत अनुमान आपको पहले से होता है. आइए देखते हैं आपके लिए निवेश का कौन सा विकल्प बेहतर है.
इक्विटी म्यूचुअल फंड
जैसा कि हमने बताया कि यहां आपके पास स्टॉक्स (शेयर बाजार में सूचीबद्ध) में लगाया जाता है. इसलिए इसमें रिटर्न अधिक होता है. हालांकि, इसका रिस्क भी उतना ही ऊपर होता है. अगर आप किसी स्मॉलकैप या मिडकैप म्यूचुअल फंड का रिटर्न देखें तो लंबी अवधि में डेट के मुकाबले उसका रिटर्न कई गुना अधिक हो सकता है. चूंकि ये फंड अनुभवी लोगों द्वारा मैनेज किए जाते हैं इसलिए खतरा थोड़ा कम महसूस होता है लेकिन स्टॉक मार्केट विशेषकर स्मॉलकैप स्टॉक्स बहुत अनिश्चित होते है. ऐसे में अगर आपके अंदर जोखिम लेने की क्षमता है तो आप इक्विटी म्यूचुअल फंड का रुख कर सकते हैं. इक्विटी म्यूचुअल फंड इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न में सारा पैसा एक ही शेयर में नहीं लगाया जाता है. आपका निवेश अलग-अलग स्टॉक्स में बंटा होता है इसलिए अगर किसी एक शेयर में गिरावट आती भी है तो दूसरा उसकी भरपाई कर सकता है. यहां आपको रिस्ट एडजेस्टेड रिटर्न मिलता है. बैंक बाजार के सीईओ आदिल शेट्टी मानते हैं कि इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश लंबी अवधि का होना चाहिए. बकौल शेट्टी, कम या मध्यम अवधि के निवेश में जोखिम अधिक होता है.
डेट म्यूचुअल फंड
यहां आपका पैसा कंपनियों या सरकारों को एक प्रकार से कर्ज देने के लिए किया जाता है. इसलिए ये अधिक सुरक्षित माने जाते हैं. इस पर आपको कितना रिटर्न मिलेगा इसका अनुमान आपको कंपनी या सरकार पहले ही दे देती है. इसमें थोड़ा-बहुत बदलाव हो सकता है. यहां आपको रिटर्न इक्विटी म्यूचुअल फंड के मुकाबले कम मिलता है लेकिन पैसा ज्यादा सुरक्षित रहता है. अगर आप बहुत अधिक रिस्क लेने की क्षमता नहीं रखते हैं तो आपको डेट म्यूचुअल फंड की ओर रुख करना चाहिए.
टैक्स कैलकुलेशन
इक्विटी म्यूचुअल फंड पर 1 साल से कम समय में मिले मुनाफे को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है और इस पर 15 फीसदी टैक्स लगता है. जबकि 1 साल बाद कमाए गए मुनाफे को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन कहते हैं जिस पर 10 फीसदी टैक्स लगता है. दूसरी ओर डेट इक्विटी म्यूचुअल फंड में तीन साल से कम समय में मिले लाभ को शॉर्ट टर्म गेन कहते हैं. इसे आपके वेतन में जोड़ दिया जाता है और टैक्स स्लैब के अनुसार कर वसूला जाता है. जबकि लॉन्ग टर्म गेन (3 साल के बाद) पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20 फीसदी कर लिया जाता है.
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म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें?
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निवेश पर अच्छे रिटर्न के लिए क्या है बेहतर विकल्प, आइये जानें
नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। अक्सर लोग निवेश करने से पहले इस उलझन में फंसे रहते हैं कि सोना-चांदी, रियल एस्टेट, फिक्स डिपॉजिट या शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड में से किस एसेट क्लास में निवेश किया जाए, ताकि बेहतर रिटर्न मिले। निवेश सलाहकार (investment advisor) का कहना है कि इनमें कोई भी निवेश विकल्प सबसे बढ़िया या खराब नहीं है। अच्छा निवेश विकल्प व्यक्ति की जरूरतों, वित्तीय लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता पर निर्भर करता है।
कैसे तय करें विकल्प
सोना और रियल एस्टेट, दोनों लंबी अवधि के लिए अच्छे निवेश विकल्प हैं। गोल्ड भारत में भरोसेमंद निवेश के तौर पर देखा जाता है। आप फिजिकल गोल्ड के साथ डिजिटल गोल्ड और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं। सोना महंगाई के खिलाफ सबसे सुरक्षित निवेश है। वहीं, रियल एस्टेट हमेशा ही एक बड़े निवेश के तौर पर देखा जाता है। रियल एस्टेट में जहां जोखिम कम रहता है, वहीं, गोल्ड में चोरी होने का डर बना रहता है। रियल एस्टेट में अतिरिक्त टैक्स बेनिफिट के साथ नियमित आय पैदा करने की क्षमता है। चाहे आवासीय हो या वाणिज्यिक, रियल एस्टेट में मासिक किराए के रूप में निवेशकों के लिए आय उत्पन्न करने की क्षमता होती है, जो कि सोने के निवेश में संभव नहीं है। जबकि इक्विटी और म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि मे सबसे अधिक रिटर्न मिलता है, पर इनमें जोखिम भी सबसे अधिक है, तो आइये जानते है…
रियल एस्टेट
प्रॉपर्टी में निवेश मोटी पूंजी निवेश करने वालों के लिए अतिरिक्त आय का बेहतर विकल्प है। इसमें प्रॉपर्टी की कीमत और वैल्यू लगातार बढ़ती जाती है, लेकिन इसके रजिस्ट्रेशन में स्टांप ड्यूटी सहित कई तरह के शुल्क चुकाने पड़ते हैं। इसके मेंटेनेंस की लागत भी अधिक है व तरलता की कमी है।
जो निवेशक मासिक नियमित आय चाहते हैं और जो लंबी अवधि के इक्विटी निवेश में जोखिम और रिटर्न लिए मोटा निवेश कर सकते हैं, यह उनके लिए बेहतर है।
इक्विटी में बेहतर रिटर्न
कंपनियों के स्टॉक्स यानी इक्विटी में सबसे अधिक जोखिम है, लेकिन इसमें रिटर्न भी अधिक है। निवेशक इसमें 500-1000 रुपए की छोटी रकम भी निवेश कर सकते हैं। अगर लंबी अवधि के लिए निवेश किया जाए तो सालाना 14 से 15 फीसदी तक रिटर्न मिल सकता है। हालांकि बाजार की उठापटक के कारण शॉर्ट टर्म में पैसे डूबने का जोखिम भी अधिक होता है।
जो निवेशक जोखिम उठाकर अधिक रिटर्न पाना चाहते हैं, यह उनके लिए सबसे बेहतर विकल्प है। लेकिन निवेशकों को कम से कम 5 साल के लिए निवेश करना चाहिए।
सोना
गोल्ड में निवेश हमेशा बेहतर विकल्प रहा है। इसमे लंबी अवधि में तगड़ा रिटर्न मिला है, लेकिन वैश्विक कारणों और रुपए में उतार-चढ़ाव से सोने की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। साथ ही यह शॉर्ट टर्म के लिए अच्छा निवेश विकल्प नहीं है। साथ ही टैक्स बेनिफिट भी नहीं मिलता है।
जो कमोडिटीज में निवेश कर लंबी अवधि में मुनाफा कमाना चाहते हैं और महंगाई दर से अधिक स्थिर रिटर्न चाहते हैं। साथ ही जोखिम भी नहीं लेना चाहते, उनके लिए सोना बेहतर विकल्प है। पिछले 10 साल में गोल्ड ने औसतन 10 फीसदी रिटर्न दिया है।
म्यूचुअल फंड
म्यूचुअल फंड्स इक्विटी, सरकारी प्रतिभूतियों, सोना, कॉर्पोरेट बॉन्ड जैसे कई एसेट क्लास में निवेश करते हैं, जिससे निवेश का जोखिम कम हो जाता है और बेहतर रिटर्न मिलता है। इक्विटी में निवेश करने वाले म्यूचुअल फंड किसी एक कंपनी के शेयर में निवेश नहीं करते, बल्कि कई कंपनियों के शेयर में निवेश करते हैं। म्यूचुअल फंड्स में सालाना औसतन 10 से 12 फीसदी रिटर्न मिलता है।
अगर जो निवेशक सीधे स्टॉक में निवेश करने से घबराते हैं, लेकिन मध्यम से ऊंचा स्तर का जोखिम उठाने को तैयार हैं, उनके लिए म्यूचुअल फंड्स बेहकर रिटर्न पाने का बेहतर विकल्प है।
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