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हर महीने सिर्फ 1000 रुपए के निवेश से कमा सकते हैं लाखों, जानिए क्या है ऑप्शन
कोई भी व्यक्ति जीवन भर काम नहीं करना चाहता। ऐसे में भविष्य को सुरक्षित करने और अपनी सभी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए निवेश (Investment) करना बहुत जरूरी है। लेकिन निवेश करने से पहले अपनी आय का आकलन जरूर करें और यह सोचें की आपको किस उदेश्य के लिए निवेश करना है, कितने पैसे निवेश करना है और कहां निवेश करना है। आपको यह समझना होगा कि निवेश और बचत में अंतर होता है। अक्सर लोग बचत तो करते हैं, लेकिन निवेश नहीं करते। जब आप निवेश करते हैं तो आप इसे केवल सुरक्षित नहीं रखते, बल्कि इसे बढ़ाने का प्रयत्न करते हैं। निवेश करने के लिए यह जरूरी नहीं है कि आपको पास ढेरों पैसे होने चाहिए। आप हर महीने 500 या 1000 रुपये भी निवेश करके अपने भविष्य को सुरक्षित रख सकते हैं। आज हम आपको ऐसे ही पांच तरीके बता रहे हैं जहां हर महीने 1000 रुपये निवेश करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
बचत और निवेश में क्या अंतर हैं
सोने में निवेश परंपरागत रूप से एक साधारण लेनदेन रहा है जिसमें सोने को अपने पास रखना शामिल है। लेकिन समय के साथ, बाजार के विकास ने सोने में निवेश कर
आपके रिटायरमेंट प्लान में बचत और निवेश में क्या अंतर हैं सोना मुख्य भूमिका कैसे निभाता है?
सेवानिवृत्ति आपके सक्रिय कार्य जीवन के अंत का प्रतीक है, क्योंकि आपकी नियमित आय आना बंद हो जाती है। इसके बाद से, आप अपने खर्चों को पूरा करने के लिए
बचत विधि
निवेश की प्रक्रिया का पहला कदम बचत से शुरू होता है। अपने वित्तीय उद्देश्यों को पूरा करने के लिए निवेश की स्मार्ट योजना बनाना जरूरी है। विशेषज्ञों के अनुसार बचत का आशय अपने खर्चो को कम करना अवश्य है पर इसका यह अर्थ नहीं है कि आप इसके लिए अपने जीवन स्तर की गुणवत्ता से कोई समझौता करें।
खुद से यह पूछना भी जरूरी है कि खर्चो को कहां बचत और निवेश में क्या अंतर हैं रोकना उचित होगा। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने कहा था कि अमेरिका के लोगों को की किसी भी कीमत पर ऐश्वर्य हासिल करने, सुविधाजनक जीवन से प्यार और जल्द से जल्द अमीर बनने की सोच देश को खत्म कर देगी। यह सोच सिर्फ एक देश पर लागू नहीं होती, बल्कि अपने वित्तीय उद्देश्यों को हासिल करने के लिए बचत योजना पर यकीन करने वाले लोगों के लिए एक अच्छे मंत्र का काम कर सकती है।
एक एनबीएफसी और एक बैंक में क्या अंतर है?
- बैंक भुगतान और लेन-देन प्रणाली के एक महत्वपूर्ण अंग होते हैं मतलब बैंक आपको बचत और निवेश की सुविधा देते हैं, जबकि एनबीएफसी ऐसा नहीं करते।
- बैंक आपको अलग-अलग सुविधाएँ जैसे लेन-देन, ओवरड्राफ्ट की सुविधा, ट्रैवेलर्स चेक की सुविधा और दूसरे ग्राहकों के खाते में पैसे भेजने की सुविधा देते हैं, लेकिन एनबीएफसी यह सब नहीं करते।
- बैंक ज़्यादातर कोई भी लोन ज़मानत के साथ देते हैं (लोन लेने वाले को कुछ संपत्ति को सुरक्षा के रूप में देना होता है, जिसके बाद देर से या दूसरा कोई पुनर्भुगतान बैंक के द्वारा नहीं लिया जा सकता है) और लोन मिलने में समय लगता है लेकिन एनबीएफसी बिना ज़मानत के लोन देते हैं और यह आपको जल्दी भी मिल जाता है।
- बैंक को अलग-अलग तरह की चीज़ें जैसे सीआरआर या एसएलआर का ध्यान रखना पड़ता है, जो एक एनबीएफसी के लिए ज़रूरी नहीं।
- बैंक आपको अलग-अलग तरह की सुविधाएँ देते हैं जैसे लेन-देन, ओवरड्राफ्ट की सुविधा, ट्रैवेलर्स चेक की सुविधा और दूसरे ग्राहकों के खाते में पैसे भेजने की सुविधा, लेकिन एनबीएफसी यह सब नहीं करते।
- बैंक के फिक्स्ड डिपाजिट का बीमा किया जाता बचत और निवेश में क्या अंतर हैं है, लेकिन एनबीएफसी के लिए ऐसा नहीं होता, क्योंकि एनबीएफसी में फिक्स्ड डिपाजिट में निवेश करना कंपनी के फिक्स्ड डिपाजिट के समान है। इसलिए, यदि कोई एनबीएफसी आपको मूल राशि वापस लेने से रोकता है, तो यह एक बहुत लंबी प्रक्रिया है।
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एम्पलॉई प्रोविडेंट फंड (EPF)
- ईपीएफ सरकार समर्थित बचत योजना है जो संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को एक सामाजिक सुरक्षा देती है. EPF का प्रबंधन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की ओर से किया जाता है. यदि सदस्य ने ईपीएफ पंजीकृत संगठनों के तहत 10 साल की संचयी सेवा पूरी कर ली है, तो वह ईपीएफ के लिए पात्र होगा.
- ईपीएफ के तहत नामांकित कर्मचारियों को अपने मूल वेतन का 12% (15,000 रुपये तक) ईपीएफ फंड में योगदान करने की आवश्यकता होती है और नियोक्ता की ओर से मासिक आधार पर समान योगदान दिया जाता है.
- ईपीएफ फंड पर ब्याज दर सरकार समय-समय पर तय करती है, जो वर्तमान में 8.50% पर तय है.
- ईपीएफओ के साथ पंजीकरण करने वाले प्रत्येक सदस्य को 12 अंकों का यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (यूएएन) दिया जाता है जो सदस्य के सभी पीएफ खातों से जुड़ा होता है.
- कोई व्यक्ति 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्ति पर ईपीएफ कोष पा सकता है. हालांकि, ईपीएफओ ईपीएफ सदस्य को बेरोजगारी, चिकित्सा आपातकाल, शिक्षा, विवाह आदि के मामले में विभिन्न आधारों पर आंशिक रूप से धन निकालने की अनुमति देता है. उदाहरण के लिए, ईपीएफ सदस्य ईपीएफ कोष का 75% निकाल सकता है यदि वह एक महीने तक बेरोजगार रहता बचत और निवेश में क्या अंतर हैं है और दो महीने या उससे अधिक बेरोजगारी के बाद पूर्ण और अंतिम निपटान (कॉर्पस का 100%) कर सकता है.
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