Stop Loss कैसे लगाये – Trading Account में शेयर पर स्टॉप लोस कैसे लगते है ?
शेयर मार्किट में ट्रेडिंग करते समय Stop Loss एक ढाल कि तरह काम करता है . क्योंकि stop loss शेयर पर ट्रेडिंग करते समय ट्रेडिंग में loss होने से आपको बचाता है .
आप चाहे इंट्राडे या डे ट्रेडिंग करे या फिर scalping Trading आपको Stop Loss हमेशा लगाना चाहिए. अगर आप stop loss के बारे में नहीं जानते कि stop loss क्या है तो चलिए जानते है .
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Stop Loss Kya Hai ?
Stop Loss एक ऐसा विकल्प होता है जिसका उपयोग करके आप ट्रेडिंग के समय होने वाले नुकसान को कम कर सकते है .
लेकिन stop loss का उपयोग लोग सिर्फ ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें ट्रेडिंग में होने वाले नुकसान के लिए नहीं करते बल्कि लोग stop loss का उपयोग ट्रेडिंग में मुनाफा कमाने के लिए भी करते है .
तो stop loss के बारे में और भी विस्तार से जानने के लिए आप हमारी नीचे दी गई पोस्ट को पढ़े इसमें आपको stop loss क्या होता है उसकी पूरी जानकारी मिल जायगी .
स्टॉप लोस के बारे में जानने के बाद अब बरी आती है stop loss को लगाने कि, तो चलिए जानते है कि stop loss कैसे लगाये .
Stop Loss Kaise Lagaye?
स्टॉप लोस को लगाने से पहले आपको अपनी ट्रेडिंग कि एक योजना बनानी पड़ेगी ताकि आप आसानी से stop loss को कैलकुलेट कर सके.
चलिए एक उदाहरण से समझते है .
मान लेते है कि आप ने एक कम्पनी को चुना जिसके शेयर पर आप आज ट्रेडिंग करेंगे . आपने उस company के Share कि कीमत पर analysis किया और पाया कि रोज इस कंपनी के शेयर में 20 रूपए प्रति शेयर का उतार-चढ़ाब आता है .
तो अब अपने एक योजना बनाई कि में शेयर को कम दाम पर खरीदूंगा और उसके बाद शेयर कि कीमत पर 20 रूपए बढ़ जाने पर इसे बेच दुगा .
मान लेते है कि शेयर मार्किट के शुरू होते ही शेयर कि कीमत 175 रूपए प्रति शेयर है और अपने 175 रूपए प्रति शेयर कि कीमत पर शेयर खरीद लिए .
अब शेयर कि कीमत बढ़ना शुरू हुई और अब आपने शेयर को बेचने के लिए शेयर कि कीमत आपके target के हिसाब से 190 रूपए प्रति शेयर रख दी .
ताकि जैसे ही शेयर कि कीमत 190 रूपए प्रति शेयर तक पहुचे तो आपके शेयर अपने आप बिक जाये और 15 रूपए प्रति शेयर का मुनाफा आपके खाते में जामा हो जाये .
चुकी शेयर मार्किट में शेयर कि कीमत घटती और बढ़ती रहती है तो अब बरी आती है stop loss लगाने कि तो आपने अपने analysis के हिसाब से stop loss लगा दिया 167 रूपए प्रति शेयर का .
यानि अगर आपके ख़रीदे गए शेयर कि कीमत से शेयर कि कीमत 8 रूपए प्रति शेयर घटती है तो आपके शेयर अपने आप बिक जाये ताकि आपको ज्यादा नुकसान ना हो .
Share कि कीमत बढ़ने पर Stop Loss लगाना ?
अब मान लेते है कि आपके शेयर कि कीमत और बढ़ कर 189 रूपए प्रति शेयर हो गई और आपको लगता है कि शेयर कि कीमत 5 रूपए प्रति शेयर और बढ़ेगी .
तो ऐसी इस्थिती में आप अपने stop loss और target दोनों को बदल सकते है . अब ऐसी इस्थिती में आप अपने शेयर का टारगेट 200 रूपए प्रति शेयर रख सकते है .
वही अपना stop loss 195 रूपए प्रति शेयर . इससे अगर भविष्य में शेयर कि कीमत 200 रूपए प्रति शेयर से घटना शुरू हो गई तब भी आपको आपका बुक किया गया मुनाफा मिल जाये .
Trading Account Me Stop Loss Kaise Lagaye ?
ट्रेडिंग अकाउंट में हमेशा दो विकल्प होते है Buy और Sell या तो आप शेयर को खरीदेंगे या बेचेंगे. आप भी ट्रेडिंग में यही करते है .
तो Stop Loss हमेशा Sell पर लगाया जाता है ताकि आपके नुकसान को बचाया जा सके और टारगेट भी Sell पर लगाया जाता है ताकि मुनाफा कमाया जा सके .
लेकिन जब आपके पास शेयर होंगे ही नहीं तो आप बेचेंगे क्या ? तो ऐसी इस्थिती में आप Buy के विकल्प का उपयोग करते है ताकि आप अपनी मर्ज़ी कि कंपनी के शेयर खरीद सकते .
आप जब किसी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अकाउंट खोलते है तो वो आपको एक software देता है जिसकी मदद से आप स्टॉक एक्सचेंज में शेयर खरीद व् बेच सकते है . तो उसी software में आपको stop loss लगाने का विकल्प मिलता है जिसकी मदद से आप Stop Loss लगा सकते है .
अब आप जान गए है कि Stop Loss Kaise Lagaye अगर अभी भी आपके मान में स्टॉप लोस से जुढ़े सवाल है जो आप हम से पूछना चाहते है तो “सवाल पूछे” बटन को दबा कर पूछ सकते है .
अगर आपको हमारी यह पोस्ट स्टॉप लोस कैसे लगाए अच्छी लगी तो अपने दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ शेयर करे ताकि जब भी वो कभी ट्रेडिंग करे तो stop loss का उपयोग कर सके .
How to Set Up Stop Loss and Target | स्टॉप लॉस और टारगेट कैसे सेट करें
आज इस पोस्ट में आपको सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट बताने जा रहा हूं जिसको लेकर हर कोई ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें ट्रेडर परेशान हैं खासकर वो नए ट्रेडर जो मार्केट में अभी जल्द ट्रेडिंग करना शुरू किए है. इसमें हम जानेंगे कि ट्रेड लेते समय स्टॉप लॉस और टारगेट कैसे लगाए. How to set Stop Loss and Target in stock.
कई ऐसे ट्रेडर है जो मार्केट में कोई भी ट्रेड लेने से पहले वे पूरा रिसर्च करते है. अपना strategies भी लगा लेते हैं. ट्रेंड लेने के बाद उन्हें प्रॉफिट भी होता है. परंतु टारगेट ना मालूम होने के वजह से बड़ा प्रोफिट बनाने का मौका गंवा देते हैं. ऐसे ही ट्रेड लेते समय स्टॉप लॉस लगाने का तरीका ना मालूम होने के वजह से लॉस कर लेते हैं. या तो स्टॉप लॉस तुरंत हिट हो जाते हैं.
Table of Contents
Best stop loss strategy for intraday
ट्रेड प्रोफिट में चल रहा होता हैं. लेकिन प्रॉफिट कहां बुक करना है, ये चीज नहीं पता होने के कारण ट्रेडर अपना लॉस कर लेते हैं. और कई ऐसे भी ट्रेडर का सवाल होता है कि स्टॉप लॉस नहीं लगाया था और एक पॉइंट्स स्टॉक नीचे ही गया था और स्टॉप लॉस लगाने के बारे में सोच ही रहा था की स्टॉक उससे पहले ही नीचे चला गया. ये सब चीजें आपके साथ होती है और अच्छे खासे ट्रेड को आप लॉस में बदल देते हैं.
अगर आप इस पोस्ट को पूरा पढ़ते हैं, तो स्टॉप लॉस कैसे लगाए, कैसे ट्रेड लेना चाहिए, एक्सपर्ट ट्रेडर कौन सी चीज दिमाग में सोच कर ट्रेड लेते हैं. ऐसा नहीं कि कोई चीज सुनी है तो वही ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें चीज तुरंत पूरी की पूरी कॉपी पेस्ट करनी है. कभी–कभी अपना दिमाग भी लगाना होता है ट्रेड में कुछ भी हो सकता है प्लान A के साथ प्लान B भी होना जरूरी है. हालांकि आपको प्लान B पर तभी जाना है जब प्लान A आपके लिए काम नहीं कर रहा हो.
Important Points
- Don’t take a trade when the Candle is too big. (More than 1%)
- If the stock goes down after taking a position, you can also check if the 50% fib Retracement is crossed.
- Always check previous support and resistance point if any
- Stop Loss and Target should be decided before entering any trade.
- Pivot Point indicators are very useful if you are a beginner.
- Risk to Reward Ratio should always be 1:1 if you are a beginner.
- Experienced traders can keep 1:2 and Trail Stop Loss.
- Stop Loss should be the previous candle low or high depending on buy or sell.
महत्वपूर्ण पॉइंट
- जब कैंडल बड़ी बनी हो तो आपको ट्रेड नहीं लेना है. अब आप सोच रहे होंगे कि कितनी बड़ी हो. तो आपको बता दें, यदि कैंडल 1% से बड़ी बनती दिखे. तो आपको को ट्रेड नहीं लेना हैं. आपको ट्रेड में एंट्री तभी लेना हैं जब कैंडल 1% से नीचे हों जैसे 0.5%, 0.8% या फिर 0.9% तक का भी ले सकते हैं.
- यदि ट्रेड में एंट्री लेने के बाद स्टॉक नीचे जाता है, तो आप यह चेक कर सकते हैं कि 50% fib Retracement पार हुआ है या नहीं। मान लीजिए आपने ट्रेड ले लिया है और हो सकता है कैंडल आपके अनुसार ना move करे और अगली कैंडल Red बन जाए और स्टॉक नीचे जाने लगे. अब आप क्या करेंगे? क्योंकि आपके पास समय भी कम और तुरंत एक्शन भी लेना हैं. आपने स्टॉप लॉस भी लगा दिया है. लेकिन आपको Fibonacci Retracement से भी check करना जरूरी है ये कैसे देखना है नीचे चार्ट में देख सकते हैं.
- Buy या Sell के आधार पर स्टॉप लॉस पिछले कैंडल का high या low होना चाहिए। जब आप कोई शेयर खरीदते (buy) करते हैं तो आपको स्टॉप लॉस पिछले कैंडल के Low पर लगाना है. यही जब आप कोई शेयर बेचते (sell) करते हैं तो स्टॉप लॉस पिछले कैंडल के High पर लगाना है. इसमें एक बात जरूर ध्यान रखें कि स्टॉप लॉस exact low या high point पर ना लगाए.
- क्योंकि ये Support और Resistance का काम करता है और इन दोनों पॉइंट पर स्टॉप लॉस जरूर hit होगा. इसलिए हमेशा exact point से नीचे स्टॉप लॉस लगाए. अब कितना पॉइंट नीचे लगाना ये risk management पर तय होगा.
- हमेशा पिछला सपोर्ट और रेजिस्टेंस को भी देखना है। जब आप कोई भी स्टॉक लेते है, तो इस सोच में रहते की टारगेट क्या होगा. सही टारगेट ना मालूम होने के वजह से बड़े प्रोफिट भी हाथ से निकल जाते है. इसलिए हमेशा टारगेट सेट करने के लिए पिछला resistance देख लें. उसके हिसाब से टारगेट लगा लें. ऐसे ही स्टॉप लॉस लगाने के लिए भी पिछला support देख लें और उससे कुछ पॉइंट नीचे का स्टॉप लॉस लगा दे. (how to place stop-loss orders)
Target and stop loss for intraday
किसी भी ट्रेड में एंट्री करने से पहले स्टॉप लॉस और टारगेट तय होना चाहिए। जैसे कि ऊपर के पैराग्राफ में आपने देखा कि स्टॉप लॉस और टारगेट कैसे लगाना है तो उसी के हिसाब से किसी भी ट्रेड में एंट्री लेने से पहले stop loss और target तय कर लें. अब प्रोफिट कितना लेना है? ये अलग–अलग ट्रेडर पर निर्भर करता है. आप चाहे स्टॉप लॉस को ट्रेल भी कर सकते हैं जिसे trailing Stop Loss कहा जाता है.
How to put stop loss and target
यदि आप स्टॉक Selling करते हैं, तो आपका स्टॉप लॉस और टारगेट इसका उल्टा हो जायेगा. वो कैसे? आइए जानते है. जब आप कोई स्टॉक Sell करेंगे तो आप सोचेंगे कि स्टॉक की प्राइस गिरे जिससे कि आपको प्रोफिट हो. तो यहां आपको स्टॉप लॉस resistance level से कुछ point ऊपर लगाना है और टारगेट support level हो जाएगा. इसके अलावा स्टॉप लॉस को ट्रेल भी कर सकते हैं.
अच्छी ट्रेडिंग के 06 नियम जाने। Know the 06 rules of good trading
ट्रेडिंग (Trading) नियम ट्रेडरो को प्रॉफिट कराते हैं। जब नए लोग शेयर मार्केट में आते हैं, तो उनके पास प्रोफेसनल ट्रेडरो की तुलना में पूरी तरह से अलग सोच और नियम होते है। यही कारण है कि ज्यादातर नए ट्रेडर ( Trader) पैसे गंवाकर शुरुआत करते हैं।
आज के इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे की अच्छी ट्रेडिंग ( Trading) के कौन से वो 06 नियम है जिनको हर नए ट्रेडरों को जानने की जरूरत है और इन नियमों को जान कर अगर आप लोग ट्रेडिंग में अप्लाई करते है तो आप अपनी ट्रेडिंग ( Trading) को बेहतर कर सकते है जिससे आप लोगो को अधिक लॉस न हो शेयर मार्केट में।तो चलिए जानते है इन नियमों को जो इस प्रकार से है।
1.पोजिशन साइज के हिसाब से अपना ट्रेडिंग (Trading) स्टॉपलॉस सेट करे ।
2.पहले से ही अपने दिमाग में लॉस को स्वीकार करे ।
3.ट्रेड को पर्याप्त समय दे।
4. ट्रेडिंग (Trading) में कुछ न करना भी एक कला है।
5.ट्रेड लेने के बाद आप जो भी एक्शन लेते है उसे लिखे।
6.ट्रेडिंग (Trading) से कुछ समय के लिए ब्रेक ले।
1.पोजिशन साइज के हिसाब से अपना ट्रेडिंग (Trading) स्टॉपलॉस सेट करे :
आपलोग ट्रेडिंग (Trading) करते समय अपने स्टॉपलॉस को बड़े अक्षरों में लिखे, तथा टारगेट को छोटा लिखे ताकी आप लोग टारगेट के पीछे गुम न हो जाए। ट्रेडिंग में बहुत अधिक रुपए कमाने का एक मात्र ही गुप्त नियम है की आप को अधिक रुपए यानी बड़ा लॉस नही करना है।
अगर आप लोग इसे सीख गए और ट्रेडिंग ( Trading) में बड़ा लॉस नही कर रहे है तो आप लोग ट्रेडिंग से बहुत रुपए कमाएगे इस लिए ट्रेड लेने से पहले अपने स्टॉपलॉस को देखे और उसी हिसाब से अपनी पोजिशन साइज सेट करे, ताकी अगर आप का स्टॉपलॉस हिट होगा तो आप बड़े नुकसान से बच जायेगे।
अपना डीमैट ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें अकाउंट खोलने के लिए नीचे क्लिक करे।
2.पहले से ही अपने दिमाग में ट्रेडिंग (Trading) लॉस को स्वीकार करे।
जब आप लोग ट्रेड लेने से पहले ही लॉस को स्वीकार कर लेते है तो आप को अंदर से शान्ती रहती है,आप को पता होता है की अगर ये ट्रेड मेरी ओर नही चली तो मैं इतने ही रूपए खोऊगा ।
यदि आप पहले से ही लॉस को नही स्वीकार करते है तो आप को हमेशा अपनी सभी ट्रेडो से लाभ की अपेक्षा रहेगी और अगर उस ट्रेड में आप को लाभ नही हुवा तो आपने अंदर की शांती भंग होगी और आप लोग पैनिक करने लगोगे इसी वजह से आप लोग पहले से ही लॉस को स्वीकार कर ले और अपनी ट्रेडिंग (Trading) जर्नी को सफल बनाए।
3.ट्रेड को पर्याप्त समय दे :
जब आप का स्टॉपलॉस छोटा और टारगेट काफी बड़ा होता है तो आप को अपनी ट्रेड को समय देना पड़ेगा। आप का स्टॉपलॉस भी अधिक बार हिट होगा ।
इसके लिए आप तैयार रहना पड़ेगा स्टॉपलॉस से घबराए नही ये ट्रेडिंग ( Trading)का एक हिस्सा है प्रॉफिट और लॉस तो लगा ही रहता है ।
ट्रेड में,लेकिन जब आप अपना धैर्य खो देते है ट्रेड करते समय जब आप को पुलबैक दिखता है लगता है ट्रेड को एग्जिट करदे आप को इसके लिए भी तैयार होना पड़ेगा पहले से ही, आराम से अपनी ट्रेड को पूरा समय दे और अपनी ट्रेडिंग जर्नी को एंजॉय करे।
4. ट्रेडिंग (Trading) में कुछ न करना भी एक कला है :
जब आप लोग किसी ट्रेड में इंटर करते है तो ज्यादातर समय आप को कुछ नही करना होता है ।
उस और ही आप को ध्यान देना है जो आप ने अपने टेक्निकल एनालिसिस में अपना टारगेट और स्टॉपलॉस लेवल निकले है।
एक बार टारगेट और स्टॉपलॉस सेट करने के बाद आप को तब तक कोई एक्शन नहीं लेना है जब तक आप टारगेट या स्टॉपलॉस में से एक हिट नही हो जाता है।
अगर आप अपने लेवल इधर उधर करेंगे, तो ट्रेडिंग सिस्टम खराब होता है। यदि आप ये करते है तो आपको और अधिक टेक्निकल एनालिसिस पर ध्यान देने की आवश्कता है।
5.ट्रेड लेने के बाद आप जो भी एक्शन लेते है उसे लिखे :
आप जब ट्रेड लेते है और जब तक ट्रेड खत्म नही होती इसके बीच में जो भी ख्याल आते है उसे लिखे वो जो करने का मन करता है,या जो एक्शन लिए सभ कुछ अब इससे होगा क्या?
लिखने से आप को पता चले गए जब आप की ट्रेड में लाभ होता है तो आप क्या करते है और जब आप को लॉस होता है तो आप क्या करते है। आप क्या सोचते है ट्रेडिंग (Trading) करते समय तथा आप क्या गलत करते हो।
जब आप को समय मिले इसे पढ़े ताकी आप ने जो गलती की उससे सीखे और अपनी ट्रेडिंग को बेहतर बनाए इससे आप को अपने बारे में बहुत अधिक जानने को मिले गा जो आप के स्टोर्ंग प्वाइंट्स है और जो आप के कमजोर प्वाइंट्स है अपनी कमजोरी को सुधारे और ट्रेडिंग ( Trading) की दुनिया में अपना नाम बनाए।
6.ट्रेडिंग (Trading) से कुछ समय के लिए ब्रेक ले:
जब आप कोई ट्रेड लेते है उस समय आप का दिमाग बहुत अधिक एक्टिव होता है इसी लिए ट्रेडिंग में आप लोगो को एक छोटा ब्रेक लेना चाहिए यह आप ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें के लिए बहुत अच्छा होता है।
आप दिन भर स्क्रीन के सामने बैठे हुवे है और ट्रेड किए जा रहे है उससे अच्छा है की एक ट्रेड खत्म हो जाने के बाद जब आप दूसरी ट्रेड ले उससे पहले आप लोग थोड़ा सा टाइम ब्रेक ले और अपने मन तथा शरीर को शांत करे ।
ये थे वो 06 तरीके जिससे आप अपनी ट्रेडिंग ( Trading) को बेहतर बना सकते है यदि आप इनका पालन करते हो तो आप की ट्रेडिंग स्किल अच्छी होगी तथा लॉस कम और प्रॉफिट अधिक होगा।
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ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें
किसी भी न्यूज़ या इवेंट के कारण प्राइस ऍक्शन और अस्थिरता के आधार पर ट्रेडिंग को न्यूज़ या इवेंट बेस्ड ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है। न्यूज़ या इवेंट या तो निर्धारित होते है या अचानक हो सकते हैं। अनुसूचित समाचार पहले से ही नियोजित होते हैं, जबकि अचानक आने वाले न्यूज़ इवेंट्स अनिर्धारित या अनियोजित होते हैं। एक अनुसूचित घटना पर उचित उम्मीदों के साथ ट्रेड कर सकते हैं, लेकिन अनिर्धारित न्यूज़ या इवेंट्स पर ट्रेड करना बहुत मुश्किल है क्योंकि वो स्पष्टीकरण के अधीन हैं।
समाचार और घटनाएँ ग्लोबल या डोमेस्टिक हो सकती हैं। ग्लोबल न्यूज़ दुनिया भर के मार्केट्स को प्रभावित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, 2008 के सबप्राइम मॉर्गेज क्राइसिस ने दुनिया भर के मार्केट्स को झटका दिया था। डोमेस्टिक न्यूज़ इवेंट्स जैसे चुनाव परिणाम का स्थानीय प्रभाव हो सकता है।
न्यूज़ या इवेंट्स का व्यापक वर्गीकरण
कॉर्पोरेट: कॉर्पोरेट न्यूज़ या इवेंट्स कंपनी विशिष्ट होते हैं। यह एक प्रोडक्ट, मर्जर और एक्वीजीशन, डिमर्जर, अर्निंग्स आदि का शुभारंभ हो सकता है। तिमाही अर्निंग्स जैसे इवेंट्स निर्धारित किए जाते हैं क्योंकि एक्सचेंजों को इसके बारे में सूचित करना होता है। तिमाही अर्निंग्स के परिणाम का काफी अनुमान लगाया जा सकता है और उसके अनुसार ट्रेडों की योजना बनाई जा सकती है। हालांकि, कुछ अनिर्धारित कॉर्पोरेट इवेंट्स या अनाउंसमेंट हैं जो स्टॉक प्राइस पर प्रभाव का अनुमान लगाने में चुनौतियों का सामना कर सकती हैं।
डेटा संचालित: ये अनुसूचित इवेंट्स हैं जैसे कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) की द्वि-मासिक पॉलिसी रिव्यु, इंफ्लेशन जैसे डेटा जारी करना, ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट्स (जीडीपी) में वृद्धि जैसे तिमाही मैक्रो संकेतक, रोजगार डेटा इत्यादि। ये डेटा पॉइंट्स ट्रेडों के लिए तदनुसार योजना बनाने की अनुमति देते हैं। हालांकि, कई बार मैक्रो इंडिकेटर्स मार्केट को चौंका सकते हैं। अप्रत्याशित की उम्मीद करने के बारे में सावधान रहना होगा। उदाहरण के लिए, विशेष रूप से अमेरिका में प्रकाशित कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस इन्वेंटरी जैसी रिपोर्टों के दौरान, इन मार्केट्स और इन ऊर्जा वस्तुओं की कीमतों में उस समय के आसपास अत्यधिक अस्थिरता पाई जा सकती है। कई वेबसाइट इकनॉमिक कैलेंडर देती हैं जिसमें वे तिथियां होती हैं जिन पर विभिन्न इकनॉमिक डेटा जारी होने की उम्मीद होती है।
पॉलिसीस: मैक्रो-इकोनॉमिक न्यूज़ जैसे पॉलिसीस में बदलाव या नई नीतिगत पहल, टैक्सेशन इंडस्ट्रियल पॉलिसीस में बदलाव जो आम तौर पर देश में सभी को प्रभावित करते हैं। उन्हें विशेष उद्योगों तक ही सीमित रखा जा सकता है।
उदाहरण के लिए, बजट में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट पर कॅपिटल गेन्स टॅक्स की घोषणा स्टॉक की कीमतों को प्रभावित कर सकती है। इसी तरह, 20 वर्षों में वाहनों को स्क्रैप करने जैसी पॉलिसीस पर सरकार का निर्णय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को प्रभावित कर सकता है। जिससे नए वाहनों की मांग बढ़ेगी और ऑटोमोबाइल सेक्टर को मदद मिलेगी।
जिओपोलिटिकल: जिओपोलिटिकल इवेंट्स का दुनिया भर के मार्केट्स पर भारी प्रभाव पड़ सकता है। वे ग्लोबल इवेंट्स की रेंज हैं जिनमें युद्ध, संघर्ष, जलवायु परिवर्तन, प्रवास और ब्रेक्सिट जैसी प्रमुख पॉलिटिकल इवेंट्स शामिल हो सकती हैं।
ब्लैक स्वान इवेंट्स : वे अप्रत्याशित, नकारात्मक और दुर्लभ इवेंट्स हैं जिनके गंभीर परिणाम होते हैं। कई लोग कोविड-19 को एक काले हंस की घटना मानते हैं, हालांकि उस दृष्टिकोण को ब्लैक स्वान की अवधारणा पेश करने वाले सांख्यिकीविद् नसीम निकोलस तालेब ने चुनौती दी है। ब्लैक स्वान के समय में ट्रेडिंग करना वास्तव में चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
न्यूज़ और इवेंट्स के आधारित ट्रेडिंग
- न्यूज़ या इवेंट्स पर ट्रेडिंग करने के लिए अनुभव और स्टॉक पर उनके प्रभाव को समझने की क्षमता की आवश्यकता होती है
- न्यूज़ से लाभ उठाने में सक्षम होने के लिए न्यूज़ की सही व्याख्या करने में सक्षम होना चाहिए
- सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमें इस बात पर विचार करने की आवश्यकता है कि क्या न्यूज़ को पहले ही कीमत में शामिल कर लिया गया है या यदि कीमत में बदलाव के लिए और जगह बाकि ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें है
ऐसे कई तरीके हैं जिनसे न्यूज़ का ट्रेड किया जा सकता है लेकिन आइए हम दो व्यापक तरीकों पर टिके रहें:
दिशात्मक ट्रेड : इस ट्रेड में, न्यूज़ से सकारात्मक अपेक्षा के आधार पर कीमत बढ़ती है। जैसे ही खबर आती है, कीमत बढ़ती रहती है, और जब खबर कन्फर्म होती है, तो इस ट्रेंड की पुष्टि भी होती है। यह नकारात्मक न्यूज़ के विपरीत है।
रिवर्सल ट्रेड: इस ट्रेड में सकारात्मक खबर की उम्मीद से शेयर की कीमत ऊपर होती है। हालाँकि, जैसे ही न्यूज़ आती है, कीमत गति को जारी रखने में विफल रहती है। यह या तो एक विशेष सीमा में रहता है या तेजी से नीचे जाने लगता है। कोई भी यहां अपना लॉन्ग ट्रेड बुक कर सकता है और शॉर्ट के लिए जा सकता है। यह नकारात्मक न्यूज़ के विपरीत है।
न्यूज़ ट्रेडिंग में प्रमुख पॉइंट्स में से एक आपके स्टॉप लॉस का स्थान है। न्यूज़ का एक पार्ट हमेशा अस्थिरता को ट्रिगर करता है जिसके परिणामस्वरूप तेज कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है। यदि कोई स्टॉप लॉस नहीं रखता है तो उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है।
फायदे और नुकसान
फायदे : यदि यह एक नियमित डेटा-संचालित या एक नियोजित कॉर्पोरेट घटना है तो ट्रेड की योजना बनाई जा सकती है । ट्रेड को एंट्री, एग्जिट और स्टॉप लॉस से ही प्लान किया जा सकता है। एक ही दिन में कई ट्रेड के अवसर संभव हैं।
नुकसान: न्यूज़ बेस्ड ट्रेडिंग में रिस्क भी होती हैं। रातोंरात पोजीशन लेना जोखिम भरा है क्योंकि खबर नकली हो सकती है या इसकी पुष्टि नहीं हो सकती है। जैसे ही न्यूज़ प्रवाह के साथ अस्थिरता का निर्माण शुरू होता है, बिड/आस्क स्प्रेड का परिणाम बड़े पैमाने पर हाई इंपैक्ट कॉस्ट में हो सकता है। ट्रेडर को ट्रेड दक्षिण की ओर जाते ही उससे बाहर निकलने के लिए कुशल और फुर्तीला होना चाहिए।
Share Market में आपके नुकसान को कम कर सकता है Stop Loss, जानें कैसे
Stop Loss शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए एक ऐसा ही टूल है जिससे आप अपना नुकसान बचा सकते हैं। जब भी हम शेयर मार्केट में निवेश करते हैं तो उसमें रिटर्न का एक लक्ष्य होता है। एक्सपर्ट निवेशक रिस्क और रिवार्ड दोनों का लक्ष्य निर्धारित करते हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अपने पैसे का निवेश करने के लिए शेयर मार्केट वर्तमान समय के सबसे बेहतरीन विकल्पों में से एक है। पिछले कुछ समय से युवाओं का शेयर मार्केट की तरफ रुझान भी काफी बढ़ा है। लेकिन इससे अच्छा रिटर्न प्राप्त करने के लिए आपको इसके बारे में सही जानकारी होना बेहद जरूरी है। शेयर मार्केट में पैसे बनाना सीखने से पहले आपको अपने पैसे बचाना सीखना चाहिए। जिससे आपका नुकसान न हो, या फिर अगर आपका नुकसान हो भी रहा है तो वो थोड़ा कम हो।
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Stop Loss शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए एक ऐसा ही टूल है जिससे आप अपना नुकसान बचा सकते हैं। जब भी हम शेयर मार्केट में निवेश करते हैं तो उसमें रिटर्न का एक लक्ष्य होता है। एक्सपर्ट निवेशक अपने निवेश पर रिस्क और रिवार्ड दोनों का लक्ष्य निर्धारित करते हैं। मान लीजिए आपने किसी कम्पनी के शेयर में निवेश किया, तो आप उस निवेश से कितना रिटर्न चाहते हैं और उस रिटर्न के लिए आप कितना रिस्क लेने को तैयार हैं इसे ही रिस्क टू रिवार्ड कहा जाता है। Stop Loss आपके रिस्क को कम करने का काम करता है।
शेयर बाजर में निवेश के समय नए निवेशक अक्सर रिटर्न के चक्कर में भावनात्मक निर्णय लेते हैं। जिससे उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ जाता है। ट्रेंडिंग मार्केट में अपना स्टॉप लॉस कैसे सेट करें Stop Loss के जरिये आप भावना से नहीं बल्कि पूरी सूझ-बूझ के साथ निर्णय लेते हैं। उदाहरण के लिए आपने किसी कम्पनी में निवेश किया, जिसमें आपका रिटर्न का लक्ष्य 50% है। इसके लिए आप 10% का रिस्क लेते हैं। तो आप एक Stop Loss ऑर्डर प्लेस करते हैं जिससे अगर शेयर की कीमत 10% गिरती है तो वो शेयर अपने आप बिक जाएंगे और आपका नुकसान 10% का ही होगा।
Stop Loss के जरिये आप अपने फायदे को भी बढ़ा सकते हैं। आपका रिटर्न का लक्ष्य 50% है लेकिन वो शेयर मान लीजए आपको 100% या उससे भी ज्यादा रिटर्न दे सकता है। ऐसी स्थिति में जब आपके शेयर की कीमत 60% से ज्यादा हो जाए तो आप अपना Stop Loss ऑर्डर 50% पर सेट कर सकते हैं। इसी तरह शेयर की कीमत बढ़ते जाने पर आप अपने Stop Loss ऑर्डर को भी बढ़ाते जाएं, जिससे आप अपने लक्ष्य से ज्यादा के रिटर्न को मिस नहीं करेंगे।
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