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नवंबर में बिटकॉइन के प्रदर्शन ने वायदा अनुबंध बाजार को कैसे प्रभावित किया

How Bitcoin's performance in November has affected futures contracts market

अगर आपसे बहुत उम्मीदें थीं बिटकॉइन का इस सप्ताह दिशात्मक प्रदर्शन, फिर कठिन भाग्य। यहां तक ​​​​कि हाल ही में ग्लासनोड अलर्ट के अनुसार भालू के पक्ष में दांव लगाने वाले व्यापारियों को कठिन समय हो रहा है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि दिसंबर के पहले सप्ताह में बिटकॉइन की पार्श्व मूल्य कार्रवाई के परिणामस्वरूप अब तक छोटे ट्रेडों का परिसमापन हुआ है।

ग्लासनोड के अनुसार, फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट्स शॉर्ट पोजीशन में बिटकॉइन की औसत तरल मात्रा ने 4-सप्ताह का नया उच्च स्तर हासिल किया है। घोषणा से पता चला कि इन परिसमापनों की राशि बिनेंस पर $ 51 मिलियन से अधिक थी। इसका मतलब है कि डेरिवेटिव बाजार में बड़ी संख्या में व्यापारियों ने उम्मीद की है कि बीटीसी गिर जाएगा।

बड़ी परिसमापन राशि के बावजूद, हालिया परिसमापन शॉर्ट्स परिसमापन मीट्रिक में मामूली वृद्धि के रूप में प्रकट हुआ। इसका मतलब है कि बाजार की अनिश्चितता और कम अस्थिरता के कारण शॉर्ट पोजीशन करने वाले निवेशकों की संख्या में भी कमी आई है।

एक अन्य ग्लासनोड अलर्ट से यह भी पता चला है कि बिटकॉइन की ओपन इंटरेस्ट सदा के वायदा अनुबंधों में 23 महीने के निचले स्तर पर आ गई है। यह पुष्टि करता है कि निवेशकों के विश्वास में कमी के कारण इस वर्ष डेरिवेटिव बाजार में बीटीसी की मांग में काफी गिरावट आई है।

बिटकॉइन सदा के लिए ओपन इंटरेस्ट में गिरावट वायदा अनुबंध एक्सचेंजों पर बिटकॉइन ब्याज में देखी गई गिरावट को दर्शाता है। हालांकि, मीट्रिक इंगित करता है कि मांग नवंबर में अपने सबसे निचले स्तर की तुलना में थोड़ी अधिक है।

बिटकॉइन ओपन इंटरेस्ट

उपरोक्त सभी मेट्रिक्स एक निष्कर्ष की ओर इशारा करते हैं, जो कि बिटकॉइन की मांग में काफी कमी आई है। यह विशेष रूप से डेरिवेटिव बाजार के मामले में है। यह एक संकेत है कि निवेशक अधिक अनुभव कर रहे हैं अनिश्चितता बीटीसी की दिशा के बारे में। ऐसी परिस्थितियाँ उत्तोलन के लिए कम माँग उत्पन्न करने के लिए बाध्य हैं।

ठीक है, पिछले कुछ हफ्तों में किंग कॉइन ने वास्तव में कम उत्तोलन का अनुभव किया है। क्रिप्टोक्यूरेंसी का अनुमानित उत्तोलन अनुपात नवंबर के दूसरे सप्ताह से गिरावट पर रहा है। पिछली बार जून में वही मीट्रिक अपनी वर्तमान स्थिति जितनी कम थी।

बिटकॉइन अनुमानित उत्तोलन अनुपात

बिटकॉइन के लिए इसका क्या मतलब है?

बिटकॉइन डेरिवेटिव्स के साथ-साथ उत्तोलन की मांग में अत्यधिक गिरावट अस्थिरता की वर्तमान सदा के वायदा अनुबंध क्या हैं कमी की व्याख्या करती है। यदि आप एक छोटी अवधि के व्यापार को अंजाम देने की योजना बना रहे थे, तो शायद कुछ और निश्चितता आने तक इंतजार करना बेहतर होगा।

हमने एच2 में कई परिदृश्य देखे हैं जहां बिटकॉइन कम अस्थिरता और पार्श्व मूल्य आंदोलन के चरणों से गुजरा। अस्थिरता अंततः लौटता है और जल्द ही बिटकॉइन के लिए भी ऐसा ही मामला होने की उम्मीद है। एक बार ऐसा होने पर, हमें पर्याप्त मंदी या तेजी की मात्रा की उम्मीद करनी चाहिए।

भारत में, अग्रेषण बाजार आयोग ने निम्नलिखित में से किसे विनियमित किया है?

Key Points

  • अग्रेषण बाजार आयोग
    • अग्रेषण बाजार आयोग​ 1953 में अग्रेषण संविदा (विनियमन) अधिनियम, 1952 के तहत स्थापित एक नियामक संस्था है।
    • अग्रेषण बाजार आयोग (एफएमसी) का मुख्यालय मुंबई में है।
    • यह उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, भारत सरकार की देखरेख में है और भारत के वित्त मंत्रालय द्वारा इसकी देखरेख की जाती है।
    • अग्रेषण बाजार आयोग देश में कमोडिटी वायदा बाजारों का प्रमुख नियामक है।

    Additional Information

    • भारत में कमोडिटी वायदा बाजार की शुरुआत एक सदी से अधिक रही है।
    • पहले संगठित वायदा बाजार की स्थापना 1875मेंबंबई कपास व्यापार संघ​ के नाम से कपास के अनुबंध में व्यापार के लिए की गई थी।
    • इसके बाद संस्थानों ने तिलहन, अनाज, आदि में वायदा कारोबार किया।
    • भारत का वायदा बाजार प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध की अवधि के दौरान तेजी से बढ़ा।

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    Last updated on Nov 28, 2022

    UPSC IAS 2022 DAF-II Form Fill Up begins on 8th December 2022. Candidates selected for the interview round of the UPSC IAS सदा के वायदा अनुबंध क्या हैं 2022 Exams should fill out the DAF Form by 14th December 2022 by 06:00 pm. UPSC IAS Mains 2022 Results Out. The UPSC IAS (UPSC) Mains examination was conducted on the 16th, 17th, 18th, 24th, and 25th of September 2022. Candidates who are qualified in the mains are eligible to attend the Interview. The candidates are required to go through a 3 stage selection process - Prelims, Main and Interview. The marks of the main examination and interview will be taken into consideration while preparing the final merit list. The candidates must go through the UPSC Civil Service mains strategy to have an edge over others.

    'अग्निपथ' का नेपाल में विरोध, जानें भारतीय सेना में क्यों भर्ती होते हैं गोरखा सैनिक?

    अग्निपथ योजना को लेकर नेपाल में भी विवाद शुरू हो गया है. अग्निपथ योजना के तहत नेपाल के युवाओं की भर्ती के लिए भारतीय सेना की रैली टल गई है. 1947 में हुए एक समझौते के तहत, भारतीय सेना में नेपाल के गोरखा सैनिकों को भर्ती किया जाता है. भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों की संख्या 40 हजार है.

    भारतीय सेना में हर साल लगभग 1300 गोरखा सैनिकों की भर्ती होती है. (फाइल फोटो-PTI)

    प्रियंक द्विवेदी

    • नई दिल्ली,
    • 26 अगस्त 2022,
    • (अपडेटेड 26 अगस्त 2022, 4:37 PM IST)

    चार साल के लिए सेना में भर्ती के लिए लाई गई केंद्र सरकार की 'अग्निपथ' योजना को लेकर नेपाल में भी विवाद शुरू हो गया है. नेपाल में विपक्षी पार्टियां अग्निपथ योजना का विरोध कर रहीं हैं. जैसी चिंता भारत में थी, वैसी ही वहां भी जताई जा रही है. विरोध करने वालों का कहना है कि चार साल बाद ये युवा क्या करेंगे?

    अग्निपथ योजना के तहत ही नेपाली युवाओं को भी सेना में भर्ती किया जाना है. आजादी के बाद यूके, नेपाल और भारत में हुए एक समझौते के तहत नेपाली गोरखाओं को भारतीय और ब्रिटिश सेना में भर्ती किया जाता है.

    नेपाली युवाओं की भर्ती के लिए सेना भर्ती रैली करने वाली थी, लेकिन नेपाल सरकार की ओर से जवाब नहीं आने के बाद इस रैली को रद्द कर दिया गया.

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    इस पूरे मामले पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि लंबे समय से गोरखा सैनिकों को भारतीय सेना में भर्ती किया जा रहा है और अग्निपथ योजना के तहत गोरखा सैनिकों को भर्ती किया जाएगा.

    अग्निपथ योजना का ऐलान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 14 जून को किया था. इस योजना के तहत साढ़े 17 साल से 21 साल के युवाओं को चार साल के लिए तीनों सेनाओं में भर्ती किया जाएगा. इन युवाओं को 'अग्निवीर' कहा जाएगा. इस साल 46 हजार अग्निवीरों की भर्ती होनी है. चार साल बाद इनमें से 25% को सेना में शामिल किया जाएगा, जबकि बाकी के 75% अग्निवीरों को सेवा मुक्त कर दिया जाएगा. चार सदा के वायदा अनुबंध क्या हैं साल बाद सेवा से मुक्त हुए अग्निवीरों को कोई पेंशन नहीं मिलेगी.

    नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खड़के ने बुधवार को भारत के राजदूत नवीन श्रीवास्तव से मुलाकात कर भर्ती रैली टालने की अपील की थी. नेपाली गोरखाओं की भर्ती के लिए 25 अगस्त से रैली होनी थी.

    पर ये गोरखा हैं कौन?

    नेपाली सैनिकों को 'गोरखा' कहा जाता है. इनका नाम दुनिया के सबसे खतरनाक सैनिकों में होता है. भारतीय सेना के फील्ड मार्शल रहे सैम मानेकशॉ ने कहा था, 'अगर कोई कहता है कि उसे मौत से डर नहीं लगता, तो वो या तो झूठ बोल रहा है या गोरखा है.'

    गोरखा नाम पहाड़ी शहर गोरखा से आया है. इसी शहर से नेपाली साम्राज्य का विस्तार शुरू हुआ था. गोरखा नेपाल के मूल निवासी हैं. इन्हें ये नाम 8वीं सदी में हिंदू संत योद्धा श्री गुरु गोरखनाथ ने दिया था.

    नेपाली जवानों की भारतीय सेना में भर्ती क्यों?

    इसे जानने के लिए 200 साल पहले जाना होगा. बात 1814 की है. भारत पर अंग्रेजों का कब्जा था. अंग्रेज नेपाल पर भी कब्जा करना चाहते थे. इसलिए उन्होंने नेपाल पर हमला कर दिया. ये युद्ध एक साल से भी लंबे समय तक चला. आखिरकार सुगौली की संधि ने युद्ध खत्म किया.

    इस जंग में नेपाली सैनिकों की बहादुरी देखकर अंग्रेज प्रभावित हो गए. उन्होंने सोचा क्यों न इन्हें ब्रिटिश सेना में शामिल किया जाए. इसके लिए 24 अप्रैल 1815 में नई रेजिमेंट बनाई गई, जिसमें गोरखाओं को भर्ती किया गया.

    ब्रिटिश इंडिया की सेना में रहते हुए गोरखाओं ने दुनियाभर में कई अहम जंग लड़ी. दोनों विश्व युद्ध में भी गोरखा सैनिक थे. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों विश्व युद्ध में करीब 43 हजार गोरखा सैनिकों की मौत हो गई थी.

    आजादी के बाद नवंबर 1947 में यूके, भारत और नेपाल के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ. इसके तहत ब्रिटिश और भारतीय सेना में नेपाली गोरखाओं की भर्ती की जाती है. आजादी के समय ब्रिटिश सेना में गोरखाओं की 10 रेजिमेंट थी.

    समझौते के तहत 6 रेजिमेंट भारत और 4 रेजिमेंट ब्रिटिश सेना का हिस्सा बनी. लेकिन, सदा के वायदा अनुबंध क्या हैं 4 रेजिमेंट के कुछ सैनिकों ने ब्रिटेन जाने से मना कर दिया. तब भारत ने 11वीं रेजिमेंट बनाई.

    भारत में कितने गोरखा सैनिक?

    गोरखा सैनिकों की ट्रेनिंग भी दुनिया में सबसे ज्यादा खतरनाक मानी जाती है. ट्रेनिंग के दौरान सैनिकों को सिर पर 25 किलो रेत रखकर 4.2 किलोमीटर खड़ी दौड़ दौड़ना पड़ता है. ये दौड़ा उन्हें 40 मिनट में पूरी करनी होती है.

    भारतीय सेना में गोरखाओं की 7 रेजिमेंट और 43 बटालियन हैं. कई सारी बटालियन को मिलकर एक रेजिमेंट बनती है. अनुमान के मुताबिक, भारतीय सेना में गोरखा सैनिकों की संख्या 40 हजार के आसपास है. हर साल 1200 से 1300 गोरखा सैनिक भारतीय सेना में शामिल होते हैं.

    गोरखा सैनिकों को भारतीय सेना के जवानों जितनी है सैलरी मिलती है. रिटायर होने पर उन्हें पेंशन भी दी जाती है.

    भारतीय सेना के अलावा ब्रिटिश सेना में भी गोरखा सैनिकों की भर्ती होती है. पहले इन सैनिकों को रिटायर होने के बाद नेपाल लौटना होता था, लेकिन अब ये चाहें तो ब्रिटेन में भी रह सकते हैं. ब्रिटिश सरकार भी इन गोरखा सैनिकों को पेंशन देती है. हालांकि, इन्हें ब्रिटिश सैनिकों की तुलना में पेंशन कम दी जाती है.

    अग्निपथ सदा के वायदा अनुबंध क्या हैं सदा के वायदा अनुबंध क्या हैं का नेपाल में विरोध क्यों?

    अग्निपथ योजना को लेकर भारत में दो बातों पर विवाद था. पहला ये कि चार साल बाद इन युवाओं का क्या होगा? और दूसरा ये कि सेना में चार साल सेवा करने के बाद भी इन्हें पेंशन नहीं मिलेगी, तो ये गुजारा कैसे करेंगे? इन्हीं दो बातों पर नेपाल में भी विवाद हो रहा है.

    भारतीय सेना में 40 हजार के करीब गोरखा सैनिक हैं, जबकि डेढ़ लाख रिटायर्ड हैं. इनकी सैलरी और पेंशन पर भारत हर साल अनुमानित 4,200 करोड़ रुपये खर्च करता है. ये रकम नेपाल के रक्षा बजट से भी ज्यादा है. इसलिए अगर पेंशन बंद होती है तो इससे नेपाल की अर्थव्यवस्था को भी गहरा नुकसान पहुंचेगा.

    मंदी की चिंताओं के बीच 6 महीने के निचले स्तर पर पहुंचा ब्रेंट क्रूड ऑयल

    Crude oil price : मंदी की चिंताओं के बीच ब्रेंट क्रूड ऑयल 6 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है. अमेरिका और चीन के कमजोर आर्थिक आंकड़ों ने वैश्विक मंदी की चिंताओं को जन्म दिया.

    Published: August 17, 2022 4:12 PM IST

    Brent crude oil price

    Brent Crude Oil Price : वैश्विक आर्थिक मंदी की चिंताओं के बीच ब्रेंट वायदा ताजा निचले स्तर को छूने के साथ कच्चे तेल की कीमतों में बुधवार को गिरावट जारी रही. इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज पर ब्रेंट का अक्टूबर अनुबंध सत्र के दौरान छह महीने के निचले स्तर 91.58 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया.

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    दोपहर 2.10 बजे के आसपास, वायदा अनुबंध 91.85 डॉलर प्रति बैरल पर था, जो पिछले बंद से 0.53% कम है.

    Nymex पर वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) का सितंबर अनुबंध 86.25% पर कारोबार कर रहा था, जो पिछले बंद से 0.32% कम है.

    ईरान परमाणु समझौते के लिए अमेरिका-ईरान वार्ता में फिर से आगे बढ़ने की उम्मीद से भी तेल की कीमतों में और कमी आई है.

    लाइव मिंट में प्रकाशित खबर के मुताबिक, कोटक सिक्योरिटीज में कमोडिटी रिसर्च के प्रमुख रवींद्र राव ने कहा, क्रूड कमजोर धारणा का संकेत दे रहा है, हालांकि हमें कुछ रिकवरी देखने को मिल सकती है. मांग की चिंता, चीन का सदा के वायदा अनुबंध क्या हैं वायरस फैल गया और ईरान की परमाणु वार्ता में प्रगति के बीच ईरान से उच्च आपूर्ति की संभावना कच्चे तेल की कीमत पर पड़ी.

    अमेरिका और चीन के कमजोर आर्थिक आंकड़ों ने वैश्विक मंदी की चिंताओं को जन्म दिया. हाल ही में एक अमेरिकी सर्वेक्षण से पता चलता है कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में होमबिल्डर भावना (एचएमआई) कमजोर हो गई है और डेवलपर्स को लगता है कि देश “आवास मंदी” से गुजर रहा है.

    चीन से उम्मीद से कमजोर आर्थिक आंकड़ों का भी निवेशकों की धारणा पर असर पड़ा. विश्लेषकों ने कहा कि चीन की खुदरा बिक्री और कारखाने के आंकड़ों में वृद्धि देखी गई, लेकिन बाजार की उम्मीदों से काफी कम थी. जुलाई में खुदरा बिक्री में एक साल पहले की तुलना में 2.7% की वृद्धि हुई और साल-दर-साल आधार पर औद्योगिक उत्पादन में 3.8% की वृद्धि हुई.

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    बिजनेस::सात कृषि जिंस में वायदा कारोबार पर रोक बढ़ी

    नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कीमतों पर लगाम.

    बिजनेस::सात कृषि जिंस में वायदा कारोबार पर रोक बढ़ी

    भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कीमतों पर लगाम के लिए गेहूं और मूंग समेत सात कृषि जिंसों के वायदा एवं विकल्प कारोबार पर रोक एक साल के लिए और दिसंबर, 2023 तक बढ़ा दी है।

    सेबी द्वारा जिन अन्य कृषि जिंसों पर रोक लगाई गई है उनमें धान (गैर-बासमती), चना, कच्चा पाम तेल, सरसों बीज और उनके उत्पाद और सोयाबीन शामिल हैं। सेबी ने बुधवार को बयान में कहा, इन अनुबंधों में कारोबार पर रोक 20 दिसंबर, 2022 से एक और वर्ष यानी 20 दिसंबर, 2023 तक के लिए बढ़ा दी गई है।

    बाजार नियामक ने महंगाई पर अंकुश के लिए दिसंबर, 2021 को एक्सचेंजों को सोयाबीन, सरसों, चना, गेहूं, धान, मूंग और कच्चे पाम तेल के नए डेरिवेटिव अनुबंध शुरू करने से रोक दिया था। ये निर्देश एक साल के लिए लागू थे। इस महीने की शुरुआत में कमोडिटी पार्टिसिपेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीपीएआई) ने सरकार और सेबी से आग्रह किया था कि एक्सचेंजों को इन सात कृषि डेरिवेटिव अनुबंधों में कारोबार फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाए। सीपीएआई ने वित्त मंत्रालय और सेबी को लिखे पत्र में कहा था कि लंबे समय तक प्रतिबंध भारतीय जिंस बाजार परिवेश के लिए हानिकारक है।

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