Share Trading Rules: शेयर बाजार के निवेशकों को बड़ी राहत, आज से एक दिन में होगा शेयरों का लेनदेन, शेयर बेचने के अगले दिन खाते में आएंगे पैसे

Stock Exchange Rules: देश के स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई में शेयरों के लेनदेन के लिए भुगतान की टी प्लस वन प्रणाली ( T+1 system) शुक्रवार 25 फरवरी 2022 से लागू हो गई है.

By: ABP Live | Updated at : 25 Feb 2022 02:20 PM (IST)

Stock Market News: शेयर बाजार ( Stock Market) में निवेश करने वाले निवेशकों को शुक्रवार से बाद से बड़ी राहत मिलने वाली है. शेयर बेचने के बाद अकाउंट में पैसे आने में अब दो दिन नहीं लगेंगे. बल्कि एक दिन में ही खाते में पैसा आ जाएगा तो शेयर खरीदने के अगले ही दिन डिमैट खाते में शेयर ट्रांसफर कर दिए जायेंगे. दरअसल देश के स्टॉक एक्सचेंज मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में शेयरों के लेनदेन के लिए भुगतान की टी प्लस वन प्रणाली ( T+1 System) शुक्रवार 25 फरवरी 2022 से लागू हो गई है. टी प्लस वन का मतलब यह है कि लेनदेन से संबंधित सेटलमेंट वास्तविक लेनदेन के एक दिन के भीतर ही अबसे हो जाएगा. मौजूदा समय में सेंटलमेंट का नियम टी प्लस टू है, यानी शेयरों की खरीद-बिक्री की रकम संबंधित खाते में वास्तविक लेनदेन के दो दिनों के भीतर जमा की जा रही है.

क्या है टी प्लस वन
इसे उदाहरण के दौर पर समझते हैं. अगर आपने कोई शेयर बुधवार को खरीदा तो आपके डिमैट खाते में शेयर दो दिन बाद शुक्रवार को आता था. उसी तरह आपने बुधवार को शेयर बेचे तो शुक्रवार को उसके एवज में आपको भुगतान किया जाता था और आपके खाते में पैसे आते थे. लेकिन अब से बुधवार को आपने शेयर खरीदे से गुरुवार को ही आपके डिमैट खाते में शेयर आ जायेंगे. साथ ही अगर आपने बुधवार को शेयर बेचे तो उसके बदले में पैसे गुरुवार को ही खाते में ट्रांसफर कर दिए जायेंगे.

क्या होगा फायदा
टी प्ल्स वन सेटेलमेंट सिस्टम के लागू होने से डिफॉल्ट का जोखिम कम होगा साथ ही बाजार में नगदी ज्यादा मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकेगा. बाजार के जानकारों का मानना है कि इससे निवेशकों की रुचि बढ़ेगी और शेयर बाजार में वॉल्यूम भी बढ़ेगा.

एक्सचेंजों ने लिया था फैसला
बीएसई और नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) ने पिछले साल नवंबर में इसका ऐलान किया था. तब कहा गया था कि 25 फरवरी 2022 से टी प्लस वन की शुरुआत की जाएगी. सबसे पहले यह व्यवस्था बाजार पूंजीकरण के लिहाज से सबसे छोटी 100 कंपनियों में लागू की जाएगी. उसके बाद मार्च के आखिरी शुक्रवार को इसमें बाजार पूंजीकरण के लिहाज से कम से ज्यादा के क्रम में 500 नए स्टॉक्स शामिल किए जाएंगे. उसके बाद हर महीने के आखिरी शुक्रवार को इसी तरह नए 500 स्टॉक्स तब तक शामिल शेयर मार्किट क्या है? किए जाते रहेंगे, जब तक सभी स्टॉक्स इसके दायरे में नहीं आ जाते.

2003 में घटाकर दो दिन कर दिया गया
शेयरों के लेनदेन से हासिल रकम खाते में आने की अवधि पहले वास्तविक लेनदेन से पांच दिनों तक यानी T+5 थी. शेयर बाजार के रेग्युलेटर सेबी ने इसे साल 2002 में घटाकर T+3 किया, जिसके बाद संबंधित शेयरधारक के खाते में बिक्री की रकम तीन दिनों के भीतर आने लगी. बाजार के रेग्युलेटर ने वर्ष 2003 में इसे घटाकर दो दिन कर दिया था. जानकारों का कहना है कि इस नई व्यवस्था से शेयर बाजारो में रकम का आदान-प्रदान तेजी से होगा.

ये भी पढ़ें

Published at : 25 Feb 2022 02:16 PM (IST) Tags: NSE bse demat account Stock Exchange Rules Indian Stock Exchange Adopts T+1 settlement What Is T+1 settlement हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

क्या आप भी शेयर बाजार में निवेश करते हैं? जानिए सक्सेसफुल इन्वेस्टर की 5 खास बातें

शेयर मार्केट में लंबी अवधि के लिए निवेश करें. अगर रिटर्न को दोबारा निवेश के रूप में लगाते हैं तो लंबी अवधि में आपका रिटर्न मल्टीबैगर साबित होगा.

क्या आप भी शेयर बाजार में निवेश करते हैं? जानिए सक्सेसफुल इन्वेस्टर की 5 खास बातें

अगर आप शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो यहां से अच्छा रिटर्न पाना आसान नहीं है. अगर आपका इन्वेस्टमेंट सही जगह होता है तो मल्टीबैगर रिटर्न हासिल किया जा सकता है. अगर इन्वेस्टमेंट का फैसला जल्दबाजी में लिया जाता है तो कई बार आपको पॉजिटिव रिटर्न के लिए लंबे समय के लिए इंतजार करना होता है. इन्वेस्टमेंट एक्सपर्ट्स हमेशा से वैल्यु इन्वेस्टिंग की सलाह देते हैं. उनकी सलाह होती है कि निवेशकों को निवेश से पहले अपना होमवर्क अच्छे से करना चाहिए.

इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट में मशहूर इन्वेस्टर Glen Greenberg के हवाले से कहा गया है कि वैसी कंपनियों में निवेश पर फोकस करना चाहिए जो वर्तमान में महंगा नहीं हो और आने वाले कल में वह शानदार ग्रोथ हासिल करे. किसी भी कंपनी ग्रोथ कैसा रहेगा इसके लिए वे एक स्पेशल टेक्निक का इस्तेमाल करते हैं. वह किसी कंपनी के होने वाले प्रॉफिट के अनुमान को 20 फीसदी से घटा देते हैं. इस कमी के बावजूद के अगर उन्हें यह वैल्यु स्टॉक दिखता तो वे निवेश करते हैं या फिर निवेश की सलाह देते हैं. उनका मानना है कि इस टेक्निक की मदद से इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न कम आ सकता है, लेकिन नुकसान नहीं होगा.

पहले होमवर्क अच्छे से करें

ग्लेन ग्रीनबर्ग की सलाह है कि किसी भी कंपनी में निवेश करने से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल करनें. जब तक उस कंपनी के बारे में आपको पूरी जानकारी हासिल नहीं होती और इस दौरान निवेश का विश्वास पैदा नहीं होता है, निवेश से बचना चाहिए. वे हमेशा ऐसी कंपनियों में निवेश की सलाह देते हैं जिसका बिजनेस मॉडल अच्छा है और साथ में बिजनेस भी अच्छा है. अगर बिजनेस मॉडल अच्छा है तो यह देखना चाहिए कि वह अपने फील्ड की लीडर कंपनी है या नहीं. किसी भी सेक्टर की लीडर कंपनी पर प्रमुखता से ध्यान देना चाहिए.

ज्यादा रिटर्न, कम रिस्क पर करें फोकस

इन्वेस्टमेंट के लिए वे “two-inch putts” फॉर्म्यूला अमल करने की सलाह देते हैं. उनका कहना है कि ऐसी कंपनियों में निवेश करें जहां रिटर्न ज्यादा मिले, लेकिन रिस्क कम हो. निवेश हमेशा लंबी अवधि के लिए करें. ऐसे निवेश से बचें जिसमें या तो बहुत बढ़िया रिटर्न मिलेगा या फिर भयंकर नुकसान की संभावना है. निवेश को सट्टेबाजी की तरह नहीं देखना चाहिए.

रिटर्न को दोबारा निवेश करें

ग्रीनबर्ग का कहना है कि अगर आपने पोर्टफोलियो बना लिया है तो लंबी अवधि के निवेशक बनें. अगर रिटर्न को दोबारा निवेश के रूप में लगाते हैं तो लंबी अवधि में आपका रिटर्न मल्टीबैगर साबित होगा. उनका कहना है कि ऐसे कंपनी का चयन करें जिसका शेयर कम कीमत में उपलब्ध हो और जिसका बिजनेस मॉडल फ्यूचरिस्टिक हो. इन कंपनियों में पहले निवेश करें फिर मुनाफा कमाएं और दोबारा उस मुनाफा को निवेश करते जाएं. ऐसा करने से लॉन्ग टर्म में इन्वेस्टमेंट पर कई गुना रिटर्न हासिल होगा.

बिजनेस की समझ हो तभी करें निवेश

उनका यह भी कहना है कि ऐसे बिजनेस में ही निवेश करें जिसके बारे में आपकी जानकारी हो. अगर बिजनेस के बारे में आपको आइडिया नहीं है तो निवेशक नहीं बनें. दूसरे निवेशकों को देखते हुए ऐसे बिजनेस में एंट्री नहीं लें जिसकी जानकारी ही नहीं है. इसके अलावा कैलकुलेशन के लिए कंप्यूटर की जगह कॉमन सेंस का ज्यादा इस्तेमाल करें. इससे निवेश को लेकर सही फैसला ले पाएंगे.

बाजार में ग्रीडी नहीं बनें

इसके अलावा इन्वेस्टर्स को कभी भी ग्रीडी यानी भूखा नहीं होना चाहिए. कभी-कभी ज्यादा रिटर्न की भूख निवेशकों को डूबा देता है. ज्यादातर निवेशकों के साथ ऐसा होता है कि वे मनमाफिक रिटर्न पा चुके हैं, लेकिन बुल रन में और ज्यादा रिटर्न की चाहत रखते हैं. कई बार मार्केट टूट जाता है और उन्हें काफी नुकसान भी होता है. निवेशकों को यह नहीं भूलना चाहिए कि खरीदारी आंतरिक मूल्य से नीचे करें और हमेशा सेफ्टी मार्जिन लेकर चलें. इस सिद्धांत की मदद से भारी नुकसान से बचे रहेंगे.

इन 5 बातों का रखेंगे ध्यान तो Intraday Trading मे मिल सकता है बेहतर मुनाफा, जानिए कैसे

जो लोग शेयर बाजार में एक ही दिन में पैसा लगाकर मुनाफा कमाना चाहते हैं उनके लिए इंट्रा डे ट्रेडिंग बेहतर विकल्प है. इसमें पैसा लगाने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है.

इन 5 बातों का रखेंगे ध्यान तो Intraday Trading मे मिल सकता है बेहतर मुनाफा, जानिए कैसे

लोग अक्सर कहते हैं कि शेयर बाजार से मोटा कमाया जा सकता है लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है. हालांकि अगर आप बेहतर रणनीति बनाकर लॉन्ग टर्म में सोच कर निवेश करेंगे तो यहां से कमाई की जा सकती है. वहीं इक्विटी मार्केट में इंट्रा डे के जरिए कुछ घंटों में ही अच्छा पैसा बनाया जा सकता है. इंट्रा डे में डिलवरी ट्रेडिंग के मुकाबले पैसा जल्दी बनाया जा सकता है लेकिन इसके जोखि से बचने के लिए आपको बेहतर रणनीति, कंपनी के फाइनेंशियल और एक्सपर्ट की सलाह जैसी चीजों का ध्यान रखना होता है.

क्या है इंड्रा डे ट्रेडिंग

शेयर बाजार में कुछ घंटो के लिए या एक ट्रेडिंग सेशन के लिए पैसा लगाने को इंट्रा डे कहा जाता है. मान लिजिए बाजार खुलने के समय आपने एक शेयर में पैसा लगाया और देखा की आपको आपके मन मुताबिक मुनाफा मिल रहा है तो आप उसी समय उस शेयर को बेचकर निकल सकते है. इंट्रा डे में अगर आप शेयर उसी ट्रेंडिग सेशन में नही भी बेचेंगे तो वो अपने आप भी सेल ऑफ हो जाता है. इसका मतलब आपको मुनाफा हो शेयर मार्किट क्या है? या घाटा हिसाब उसी दिन हो जाता है. जबकि डिलवरी ट्रेडिंग में आप शेयर को जबतक चाहे होल्ड करके रख सकते हैं. इंट्रा डे में एक बात यह भी है कि आपको ब्रोकरेज ज्यादा देनी पड़ती है. हां लेकिन इस ट्रेडिंग की खास बात यह है कि आप जब चाहे मुनाफा कमा कर निकल सकते है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

बाजार के जानकारों के मुताबिक शेयर बाजार में इंट्रा डे में निवेश करें या डिलिवरी ट्रेडिंग करें आपको पहले इसके लिए अपने आप को तैयार करना होता कि आप किसलिए निवेश करना चाहते हैं और आपका लक्ष्य क्या है. फिर इसके बाद आप इसी हिसाब से अपनी रणनीति और एक्सपर्ट के जरिए बाजार से कमाई कर सकते हैं. एंजल ब्रोकिंग के सीनियर एनालिस्ट शमित चौहान के मुताबिक इंट्रा डे में रिस्क को देखते हुए आपकी रणनीति बेहतर होनी चाहिए. इसके लिए आपको 5 अहम बाते ध्यान मं रखनी चाहिए.

1. इंट्रा डे ट्रेडिंग में सिर्फ लिक्विड स्टॉक में पैसा लगाना चाहिए. जबकि वोलेटाइल स्टॉक से दूरी बनानी चाहिए.

2. इंट्रा डे में बहुत ज्यादा स्टॉक की जगह अच्छे 2-3 शेयर्स का चुनाव करना चाहिए.

3. शेयर चुनते वक्त बाजार का ट्रेंड देखना चाहिए. इसके बाद कंपनी की पोर्टफोलियो चेक करें. आप चाहे तो शेयर को लेकर एक्सपर्ट की राय भी ले सकते हैं.

4. इंट्रा डे ट्रेडिंग में स्टॉक में उछाल और गिरावट तेजी से आते है, इसलिए ज्यादा लालच नहीं करना चाहिए और पैसा लगाने के पहले उसका लक्ष्य और स्टॉप लॉस जरूर तय कर लेना चाहिए. जिससे टारगेट पूरा होते देख स्टॉक को सही समय पर बेचा जा सके.

5.इंट्रा डे में अच्छे कोरेलेशन वाले शेयरों की खरीददारी करना बेहतर होता है.

डीमैट अकाउंट से कर सकते हैं ट्रेडिंग

अगर शेयर बाजार में ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपको डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट खुलवाना होगा. आप ऑनलाइन खुद से ट्रेडिंग कर सकते हैं या ब्रोकर को ऑर्डर देकर शेयर का कारोबार कर सकते हैं. इंट्रा डे में किसी शेयर में आप जितना चाहे उतना पैसा लगा सकते हैं.

डिस्क्लेमर : आर्टिकल में इंड्रा डे ट्रेडिंग को लेकर ​बताए गए टिप्स मार्केट एक्सपर्ट्स के सुझावों पर आधारित हैं. निवेश से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.

Volume in Share Market: शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या है? ट्रेडिंग के लिए यह जरूरी इंडिकेटर क्यों है?

Volume in Share Market: शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या है? ट्रेडिंग के लिए यह जरूरी इंडिकेटर क्यों है?

Volume in Share Market: शेयर बाजार में वॉल्यूम बड़े ही काम का इंडिकेटर होता है, यह बाजार के रुझानों को समझने में मदद करता है, लेकिन ज्यादातर ट्रेडर ट्रेड प्लेस करते समय वॉल्यूम की अनदेखी कर देते है। तो आइए यहां जानते है ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या है? (What is Trading Volume in Hindi)

Volume in Share Market: शेयर मार्केट के वॉल्यूम सबसे जरूरी इंडिकेटर में से एक है। ज्यातदर ट्रेडर अन्य पैरामीटर पर ध्यान तो देते है लेकिन ट्रेड प्लेस करते समय वॉल्यूम की अनदेखी कर देते है। लेकिन यह बहुत ही जरूरी इंडिकेटर है। इसलिए इस पोस्ट में हम बात करेंगे कि शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या है? (What is Volume in Share Market?)

ट्रेडिंग वॉल्यूम क्या है? | What is Trading Volume in Hindi

Volume in Share Market: वॉल्यूम एक इंडिकेटर है जिसका मतलब है कि शेयरों की कुल संख्या जो एक विशिष्ट अवधि में या ट्रेडिंग डे के दौरान खरीदी या बेची गई है। इसमें एक विशेष समय अवधि के दौरान प्रत्येक शेयर की खरीद और बिक्री भी शामिल होगी।

वॉल्यूम कई निवेशकों को शेयर बाजार में रुझानों और पैटर्न का एनालिसिस करने में मदद करता है। चाहे कोई निवेशक पूरे शेयर बाजार की बात कर रहा शेयर मार्किट क्या है? हो या किसी इंडिविजुअल स्टॉक के शेयरों की, मात्रा की जानकारी कहीं भी मिल सकती है।

वॉल्यूम का मतलब ट्रेडिंग डे के दौरान कार्रवाई में किए गए शेयरों की कुल संख्या भी है, चाहे उनके पास खरीद या बिक्री का आदेश हो।

इस प्रकार अगर शेयर बाजार में सक्रिय रूप से कारोबार किया जाता है, तो वॉल्यूम अधिक होता है, और अगर स्टॉक सक्रिय रूप से कारोबार नहीं करते हैं, तो वॉल्यूम कम होता है।

ट्रेडिंग वॉल्यूम कई प्रकार के वित्तीय साधनों जैसे डेरिवेटिव स्टॉक, बॉन्ड और सभी प्रकार की वस्तुओं के लिए निर्धारित किया जा सकता है।

स्टॉक मार्केट में प्रत्येक ट्रेडिंग सेशन के लिए स्टॉक एक्सचेंज द्वारा ट्रेडिंग वॉल्यूम प्रकाशित किए जा रहे हैं। वॉल्यूम को स्टॉक एक्सचेंज में कारोबार किए गए सभी शेयरों और इंडिविजुअल शेयरों की कुल मात्रा के रूप में कहा जाता है।

निवेशकों के पास ट्रेडिंग सेशन के दौरान सेंसेक्स या निफ्टी 50 पर कारोबार किए जा रहे शेयरों के वॉल्यूम जानने का शेयर मार्किट क्या है? भी मौका हो सकता है।

ट्रेडिंग वॉल्यूम कहां खोजें? | Where to Find Trading Volume?

सभी स्टॉक मार्केट एक्सचेंज बाजार में सभी शेयरों का ट्रैक वॉल्यूम रखते हैं। इस प्रकार, यह बाजार में आसानी से उपलब्ध है जहां निवेशक शेयर बाजार में किसी विशेष शेयर के वॉल्यूम के बारे में आसानी से जानकारी प्राप्त कर सकता है।

ट्रेडिंग वॉल्यूम खोजने के कई अन्य तरीके हैं और कोई भी आसानी से समाचार, वेबसाइट या थर्ड पार्टी की वेबसाइटों के माध्यम से देख सकता है जो शेयर बाजार से संबंधित जानकारी अपलोड करते हैं।

निवेशक अपने पर्सनल ब्रोकर के साथ या अपने निवेश प्लेटफॉर्म के माध्यम से जानकारी ले सकते हैं और ट्रेडिंग वॉल्यूम की जांच कर सकते हैं।

कई निवेश प्लेटफॉर्म किसी विशेष समय सीमा के लिए किसी विशेष स्टॉक की मात्रा दिखाने के लिए कैंडलस्टिक चार्ट का उपयोग करते हैं। इस चार्ट में, हरा रंग खरीदारी की मात्रा दिखाता है, और लाल रंग बिक्री की मात्रा दिखाती है।

कई अन्य वॉल्यूम चार्ट हैं जो समय अवधि पर निर्भर करते हैं अर्थात वे प्रति घंटा, दैनिक, मासिक, वॉल्यूम चार्ट दिखाते हैं।

हालांकि, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) दोनों के बीच ट्रेडिंग वॉल्यूम पूरी तरह से अलग होगा।

स्टॉक वॉल्यूम क्या दिखाता है? | What Does Stock Volume Shows?

स्टॉक वॉल्यूम से पता चलता है कि एक्टिविटी ने शेयर मार्केट में अपनी स्थिति ले ली है। इस प्रकार, चाहे कोई निवेशक शेयर खरीदता है या बेचता है, सभी एक्टिविटी वॉल्यूम मीट्रिक में दर्ज की जाती है।

अगर किसी विशेष स्टॉक की बड़ी मात्रा है, तो इसका मतलब है कि उस स्टॉक के आसपास कई एक्टिविटीज हो रही हैं, या इस स्टॉक का ब्याज बहुत अधिक है। एक्टिविटी का परिणाम पॉजिटिव और नेगेटिव भी हो सकता है, जिसका मतलब है कि स्टॉक के बारे में नेगेटिव बात हो सकती है, जो स्टॉक की मात्रा को उलट सकता है।

हाई वॉल्यूम निवेशकों को शेयर बाजार में एक्सचेंज किए गए टाइमशेयर की संख्या बताती है। इसलिए, शेयर बाजार में मात्रा तरल और मार्केट एक्टिविटी का टेस्ट करती है।

लिक्विडिटी का मतलब है कि सेल ऑर्डर होने पर निवेशक अपना पैसा आसानी से वापस पा सकता है। जब बाजार में हाई वॉल्यूम होता है, तो इसका मतलब है कि बाजार में अधिक विक्रेता और खरीदार हैं।

एक सिंगल ट्रेडिंग सेशन में, सेशन के ओपनिंग और क्लोजिंग के दौरान वॉल्यूम अधिक रहता है क्योंकि इंट्राडे ट्रेडर्स सेशन क्लोज होने से पहले जल्दी में अपनी पोजीशन बुक और बंद कर देते हैं।

ट्रेडिंग वॉल्यूम को शॉर्ट टर्म इंट्राडे ट्रेडर्स के लिए फायदेमंद माना जाता है। यह टूल उन निवेशकों की मदद करता है जो ट्रेडिंग सेशन में फंडामेंटल एनालिसिस का उपयोग करते हैं।

वॉल्यूम और प्राइस कैसे रिलेट करते है और नहीं?

अगर किसी विशेष स्टॉक का ट्रेडिंग वॉल्यूम जाता है, तो स्टॉक की कीमत पर इसका बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। हाई वॉल्यूम हमेशा स्टॉक के ऊपर जाने और ऊंची उड़ान भरने का प्राथमिक कारण नहीं होता है, कई अन्य कारण शेयर की कीमत को प्रभावित करते हैं।

कई बार वॉल्यूम निवेशकों को एक प्रवृत्ति के अस्तित्व की पुष्टि करने में मदद करता है, और जब इसे एक साथ देखा जाता है, तो यह एक सहायक संकेतक के रूप में कार्य करता है।

अगर वॉल्यूम में ऊपर की ओर रुझान है और अन्य बाजारों के साथ मिश्रित है, तो यह बताता है कि शेयर बाजार लाभदायक और स्वस्थ हैं।

उदाहरण के लिए-

1) अगर किसी विशेष स्टॉक की कीमत स्टॉक वॉल्यूम के साथ गिरती है, तो इसका मतलब है कि स्टॉक वॉल्यूम में गिरावट का रुझान है।

2) अगर स्टॉक वॉल्यूम बढ़ रहा है और स्टॉक मार्केट भी ऊपर है, तो इसका मतलब है कि स्टॉक वॉल्यूम में ऊपर की ओर रुझान है।

शेयर मार्केट क्या है?, स्टॉक मार्केट क्या है? | What is Share Market In Hindi

आज हम इस पोस्ट में शेयर बाजार के बारे में जानेंगे की, Share Market क्या है, Share Market के कितने प्रकार होते है और Share Market में पैसा कैसे invest करना चाहिए। शेयर बाजार यह किसी भी विकसित देश की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। उद्योग या व्यवसाय चलाने के लिये capital चाहिए होता है तो यह उन्हें शेयर बाजार से मिलता है। तो दोस्तों आज हम Share Market/शेयर बाजार, स्टॉक मार्केट क्या है? के बारे विस्तारित रूप से जानेंगे।

What Is Share Market in Hindi? - शेयर बाज़ार क्या है?

Share का अर्थ होता है "हिस्सा" या "भाग" लेकिन शेयर बाजार या Share Market की भाषा में बात करे तो Share का अर्थ होता है कंपनियों में हिस्सा लेना, किसी कंपनी का Share खरीदना याने उस कंपनी का हिस्सेदार या भागीदार बन जाना।

शेयर बाज़ार के माध्यम से आम आदमी भी बड़े से बड़े उद्योग या व्यवसाय मे अपनी भागीदारी कर सकता है लेकिन Share Market यह एक ऐसी जगह है की, यहा पर बहुत से लोग पैसे कमा भी लेते है और पैसे गवा भी लेते है याने Share Market में किसी को बहुत फायदा होता है या फिर किसी का नुकसान भी हो जाता है।

Share Market में Share ख़रीदे और बेचे जाते है। भारत में मुख्य रूप से Bombay Stock Exchange (BSE) और National Stock Exchange (NSE) यह दो Stock Exchange है।

Share खरीदने और बेचने के लिए कई शेयर ब्रोकर्स यानी शेयर दलाल होते है, वो अपना कमीशन लेकर किसी व्यक्ति या कंपनी को शेयर खरीदने बेचने का काम करता है। शेयर बाजार में ब्रोकर या दलाल स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य होते है और सिर्फ वो ही स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग कर सकते हैं।

शेयर ब्रोकर्स या शेयर दलाल के जरिये शेयर ख़रीदे या बेचे जाते है। ग्राहक या कंपनी खुद शेयर खरीद या बेच नही सकते। कहा जाता है की, स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकर या दलाल और निवेशक यानी गुंतवणूकदार यह शेयर बाजार या Share Market की तीन कडियाँ है।

Types of Share Market in Hindi - शेयर मार्केट के कितने प्रकार होते है

मुख्यतः Share Market के दो प्रकार होते है एक Primary Share Market और दूसरा Secondary Share Market इसका विश्लेषण नीचे दिया गया है।

1. Primary Share Market (प्राथमिक शेयर मार्केट)

सबसे पहले कंपनी को अपने शेयर्स की स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टिंग करवाकर अपने शेयर को बेचती है पर उसे Initial Public Offering या IPO लाना पड़ता है और उसके बाद ही निश्चित किये हुए मूल्य पर अपने शेयर को पब्लिक को ख़रीदने के लिए उपलब्ध किया जाता है।

स्टॉक एक्सचेंज जैसे BSE, NSE और ब्रोकर के जरिये कंपनियां प्राथमिक बाजार के माध्यम से निवेशकों तक पहुँचती हैं।

अगर कोई कंपनी को Initial Public Offering या IPO के लिए जाते समय उसको अपने बारे में, promoters, financials, businesses, अपने शेयर या स्टॉक और उनकी कीमत की पूरी जानकारी देनी होती है।

2. Secondary Share Market (द्वितीयक शेयर मार्केट)

जब हम शेयर मार्केट में पैसा लगाने की बात करते है तो हम Secondary Share Market की बात करते है और उनमे ही पैसा लगाते है। इस मार्केट में पहले से ही लिस्टेड कंपनी के शेयर की खरेदी बिक्री होती है।

Secondary Share Market प्रकार के शेयर बाजार में एक स्टॉक या शेयर की कीमत लगाई जाती है और उसे ख़रीदा-बेचा जाता है लेकिन उस शेयर की उसके फायदे या नुकसान के साथ ख़रीदा-बिक्री होती है।

किसी व्यक्ति शेयर मार्किट क्या है? के पास जो शेयर बाजार का भाव रहता उस रेट से ही किसी दूसरे व्यक्ति को रियल टाइम मे बेच देते है। दलाल या ब्रोकर के जरिये ही खरेदी-बिक्री होती है।

इस Secondary Share Market में ऐसा भी होता है की, कोई गुंतवणूकदार अपना शेयर किसी ओर को बेचकर शेयर मार्केट या बाजार से बाहर निकल जा सकता है।

शेयर बाजार में पैसा कैसे निवेश करें? How to Money Invest in Share Market?

शेयर मार्केट में Invest करने से पहले हमारे सामने कई सवाल होते हैं जैसे कि, How to invest in share market, कहां निवेश और कैसे निवेश करें या Invest करने में कोई धोखा तो नहीं। इन ही बातो का हमने खयाल रखा तो हम आसानी से शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं।

  • जब कभी भी Invest करना हो उससे पहले उस कंपनियों की हालातों पर नजर रखें।
  • शेयर विकास दर कम हो या महँगाई दर ज्यादा हो तो तब बड़ी कंपनियों पर नजर रखें, क्योंकि ऐसी स्थिति में छोटी कंपनियों के मुकाबले बड़ी कंपनियों के शेयर अच्छी स्थिति में होते हैं।
  • जब भी शेयर बाजार की हालत थोड़ी कमजोर हो तो बड़ी कंपनियों की तरफ ध्यान रखे।
  • कोई भी शेयर खरीदने और बेचने के लिए हमेशा एक स्टॉक ब्रोकर की जरूरत होती है, जब आप स्टॉक मार्केट में निवेश या Invest करने के लिए स्टॉक ब्रोकर के पास जाते है, तो आपको सबसे पहले उनके पास से दो account खोलने पड़ते है " Demat Account " और " Trading Account " यह account खोलने के बाद आप आसानी से कोई भी शेयर की खरेदी-बिक्री कर सकते है।
  • आपको स्टॉक ब्रोकर ऐसा चुनना चाहिए की, वह कम फ़ीस में आपको अच्छी और बेहतरीन सेवा दे।
  • शेयर बाजार में पैसे लगाना ही सबकुछ नही है बल्कि आपको financial plan की भी जरूरत होती है। इन्वेस्ट करने से पहले आपको अपनी financial situation, cash flow और रिक्स लेने की क्षमता पर विचार करना चाहिए।
  • शेयर बाजार में इन्वेस्ट करने के लिए आपको उसके बारे में पूरी जानकारी होना बहुत जरूरी है वरना आपको बहुत बडी कीमत चुकानी पडती है। इसलिए आप किसी जल्दबाजी में कोई फैसला ना ले।

दोस्तों उम्मीद करते है की आपको Share Market क्या है, Share Market में पैसा कैसे इन्वेस्ट करना चाहिए और शेयर मार्केट के कितने प्रकार है इन सब के बारे में पूरी और सही जानकारी मिली होंगी।

अब आप भी "What is Share Market in Hindi - Types of share market and Tips" की पूरी जानकारी लेने के बाद ही शेयर बाजार में पैसा इन्वेस्ट करेंगे। तो दोस्तों आपको यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों में शेअर करे और हमे comments करके बताये।

रेटिंग: 4.61
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 342