Dollar Index: रुपये में चालू वित्त वर्ष की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट, घरेलू मुद्रा पर दबाव बढ़ा
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया कमजोरी के साथ 78.70 पर खुला। दिन में इसमें और गिरावट देखने को मिली। इससे पहले मंगलवार को रुपया 11 महीने में एक दिन की सर्वाधिक तेजी यानी 53 पैसे मजबूत होकर एक माह के उच्च स्तर 78.53 पर बंद हुआ था।
एक महीने के उच्च स्तर पर पहुंचने के एक दिन बाद ही रुपया बुधवार को डॉलर के मुकाबले 62 पैसे टूटकर 79.15 पर बंद हुआ। यह रुपये में 7 मार्च, 2022 के बाद चालू वित्त वर्ष में अब तक की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है। जुलाई में व्यापार घाटा बढ़ने, सेवा क्षेत्र की वृदि्ध की रफ्तार धीमी पड़ने और ताइवान को लेकर अमेरिका एवं चीन के बीच तनाव से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई, जिससे घरेलू मुद्रा पर दबाव बढ़ा।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया कमजोरी के साथ 78.70 पर खुला। दिन में इसमें और गिरावट देखने को मिली। इससे पहले मंगलवार को रुपया 11 महीने में एक दिन की सर्वाधिक तेजी यानी 53 पैसे मजबूत होकर एक माह के उच्च स्तर 78.53 पर बंद हुआ था। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, अन्य एशियाई मुद्राओं के मुकाबले रुपये का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा।
62 पैसे कमजोर होकर डॉलर के मुकाबले रुपया 79.15 पर बंद
कच्चे तेल में नरमी से गिरावट पर अंकुश
बीएनपी पारिबास में शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और विदेशी कोषों का निवेश बढ़ने से रुपये की गिरावट पर कुछ अंकुश लगा। विदेशी संस्थागत निवेशक बुधवार को पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल बने रहे। उन्होंने 765 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
सोना 208 रुपये सस्ता, चांदी की कीमतें 1,060 रुपये घटीं
दिल्ली सराफा बाजार में बुधवार को सोना 208 रुपये सस्ता होकर 51,974 रुपये प्रति 10 ग्राम रहा। चांदी भी 1,060 रुपये सस्ती होकर 57,913 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव रही। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) तपन पटेल ने कहा, डॉलर में सुधार और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में तेजी से सोने का लाभ कुछ सर्वश्रेष्ठ मुद्रा व्यापार संकेतक कम हो गया।
सेंसेक्स 214 अंक उछला
घरेलू शेयर बाजार में बुधवार को लगातार छठे दिन भी तेजी रही। सकारात्मक वैश्विक संकेतों के बीच सेंसेक्स 214.17 अंक चढ़कर 58,350.53 पर बंद हुआ। निफ्टी 42.70 अंकों की उछाल के साथ 17,388.15 पर बंद हुआ।
विस्तार
एक महीने के उच्च स्तर पर पहुंचने के एक दिन बाद ही रुपया बुधवार को डॉलर के मुकाबले 62 पैसे टूटकर 79.15 पर बंद हुआ। यह रुपये में 7 मार्च, 2022 के बाद चालू वित्त वर्ष में अब तक की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है। जुलाई में व्यापार घाटा बढ़ने, सेवा क्षेत्र की वृदि्ध की रफ्तार धीमी पड़ने और ताइवान को लेकर अमेरिका एवं चीन के बीच तनाव से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई, जिससे घरेलू मुद्रा पर दबाव बढ़ा।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया कमजोरी के साथ 78.70 पर खुला। दिन में इसमें और गिरावट देखने को मिली। इससे पहले मंगलवार को रुपया 11 महीने में एक दिन की सर्वाधिक तेजी यानी 53 पैसे मजबूत होकर एक माह के उच्च स्तर 78.53 पर बंद हुआ था। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, अन्य सर्वश्रेष्ठ मुद्रा व्यापार संकेतक सर्वश्रेष्ठ मुद्रा व्यापार संकेतक एशियाई मुद्राओं के मुकाबले रुपये का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा।
62 पैसे कमजोर होकर डॉलर के मुकाबले रुपया 79.15 पर बंद
कच्चे तेल में नरमी से गिरावट पर अंकुश
बीएनपी पारिबास में शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, सर्वश्रेष्ठ मुद्रा व्यापार संकेतक कच्चे तेल की कीमतों में नरमी और विदेशी कोषों का निवेश बढ़ने से रुपये की गिरावट पर कुछ अंकुश लगा। विदेशी संस्थागत निवेशक बुधवार को पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल बने रहे। उन्होंने 765 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
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दिल्ली सराफा बाजार में बुधवार को सोना 208 रुपये सस्ता होकर 51,974 रुपये प्रति 10 ग्राम रहा। चांदी भी 1,060 रुपये सस्ती होकर 57,913 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव रही। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ विश्लेषक (जिंस) तपन पटेल ने कहा, डॉलर में सुधार और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में तेजी से सोने का लाभ कुछ कम हो गया।
सेंसेक्स 214 अंक उछला
घरेलू शेयर बाजार में बुधवार को लगातार छठे दिन भी तेजी रही। सकारात्मक वैश्विक संकेतों के बीच सेंसेक्स 214.17 अंक चढ़कर 58,350.53 पर बंद हुआ। निफ्टी 42.70 अंकों की उछाल के साथ 17,388.15 पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा व्यापार में सबसे आम विचलन रणनीतियां लागू की गई हैं? | इन्व्हेस्टमैपियाडिया
विदेशी मुद्रा भंडार | Foreign exchange reserves in india | डॉलर की कीमत बढ़ने का कारण ? (दिसंबर 2022)
विदेशी मुद्रा व्यापार सर्वश्रेष्ठ मुद्रा व्यापार संकेतक में उपयोग की जाने वाली सबसे आम विचलन रणनीति, लाभ की तलाश करती है, जब मूल्य वृद्धि और बाज़ार की गति के बीच अंतर होता है, जो अक्सर स्टोचैस्टिक ओसीलेटर या चलती औसत अभिसरण विचलन (एमएसीडी) सूचक ।
निम्न लोकप्रिय व्यापार सेटअप तब होता है जब एक लोकप्रिय एमएसीडी विचलन रणनीति का उपयोग किया जाता है: मूल्य एक नया उच्च या निम्न बनाता है, लेकिन एमएसीडी हिस्टोग्राम किसी नए उच्च या निम्न के अनुरूप नहीं है। चूंकि एमएसीडी एक गति संकेतक है, इसलिए इस तरह की कार्रवाई से बाजार की कीमत और इसके ताकत के बीच एक विचलन का संकेत मिलता है। हालांकि बाजार उच्च (एक नए उच्च के मामले में) बढ़ रहा है, बाजार की ताकत कमजोर हुई है; बैल नए ऊंची कीमत के स्तर पर खरीदने के लिए उत्साहित नहीं हैं क्योंकि जब पिछली बार (उच्च) उच्च बना दिया गया था,
यह एक अस्थायी बाजार की स्थिति हो सकती है, या यह बाजार की दिशा में दीर्घकालिक बदलाव की भविष्यवाणी कर सकता है। इस विचलन के अवसर का व्यापार करने का सही तरीका सही में कूदना और उस क्षण को कम नहीं करना है, जिसे एमएसीडी सर्वश्रेष्ठ मुद्रा व्यापार संकेतक विचलन देखा जा सकता है, लेकिन अन्य संकेतों जैसे कि कैंडलस्टिक पैटर्न या चलने वाले औसत क्रॉसओवर के लिए इंतजार करना, यह दर्शाता है कि बाजार वास्तव में एक बना रहा है मोड़।
व्यापारिक संकेत संकेत, जैसा कि अधिकतर व्यापार संकेतों के साथ होता है, अधिक सफल होता है, जब व्यापार किया जाता है तो मौजूदा प्रवृत्ति के अनुरूप है। उदाहरण के लिए, एक ख़रीदना व्यापार एक विक्रय व्यापार की तुलना में सफल होने की अधिक संभावना है जब बाजार की समग्र प्रवृत्ति बढ़ती है। इसी तरह, ट्रेडों की तुलना में ट्रेडों की बिक्री बेहतर होती है, जब बाजार में गिरावट होती है
विदेशी मुद्रा व्यापार की रणनीति बनाने के लिए मैं डुअल कमोडिटी चैनल इंडेक्स (डीसीसीआई) का उपयोग कैसे करूं? | विदेशी मुद्रा बाजार के व्यापार के लिए एक अनूठी ब्रेकआउट ट्रेडिंग रणनीति बनाने के लिए इन्व्हेस्टॉपिया
दोहरी कमोडिटी चैनल इंडेक्स (डीसीआईआईआई) के वैकल्पिक व्याख्या का उपयोग करें।
विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीति में मैं एक विदेशी मुद्रा सिग्नल सिस्टम को कैसे लागू कर सकता हूं?
सीखें कि व्यापारियों ने विभिन्न प्रकार के फॉरेक्स सिग्नल सिस्टम जैसे ट्रेंड-आधारित या श्रेणी-आधारित अपने विदेशी मुद्रा व्यापार रणनीतियों को बनाने या पूरक करने के लिए इस्तेमाल किया है।
विदेशी मुद्रा व्यापार में विचलन व्यापार रणनीतियों उपयोगी हैं? | इन्वेस्टोपैडिया
मार्केट टॉप या बॉटम की पहचान करने के लिए विचलन संकेतक का उपयोग करें, और यह पता करें कि विदेशी मुद्रा व्यापार में कैसे व्यापारिक सर्वश्रेष्ठ मुद्रा व्यापार संकेतक विवाद रणनीतियां उपयोग की जाती हैं।
Dollar Index: रुपये में चालू वित्त वर्ष की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट, घरेलू मुद्रा पर दबाव बढ़ा
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया कमजोरी के साथ 78.70 पर खुला। दिन में इसमें और गिरावट देखने को मिली। इससे पहले मंगलवार को रुपया 11 महीने में एक दिन की सर्वाधिक तेजी यानी 53 पैसे मजबूत होकर एक माह के उच्च स्तर 78.53 पर बंद हुआ था।
एक महीने के उच्च स्तर पर पहुंचने के एक दिन बाद ही रुपया बुधवार को डॉलर के मुकाबले 62 पैसे टूटकर 79.15 पर बंद हुआ। यह रुपये में 7 मार्च, 2022 के बाद चालू वित्त वर्ष में अब तक की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है। जुलाई में व्यापार घाटा बढ़ने, सेवा क्षेत्र की वृदि्ध की रफ्तार धीमी पड़ने और ताइवान को लेकर अमेरिका एवं चीन के बीच तनाव से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई, जिससे घरेलू मुद्रा पर दबाव बढ़ा।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया कमजोरी के साथ 78.70 पर खुला। दिन में इसमें और गिरावट देखने को मिली। इससे पहले मंगलवार को रुपया 11 महीने में एक दिन की सर्वाधिक तेजी यानी 53 पैसे मजबूत होकर एक माह के उच्च स्तर 78.53 पर बंद हुआ था। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, अन्य एशियाई मुद्राओं के मुकाबले रुपये का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा।
62 पैसे कमजोर होकर डॉलर के मुकाबले रुपया 79.15 पर बंद
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घरेलू शेयर बाजार में बुधवार को लगातार छठे दिन भी तेजी रही। सकारात्मक वैश्विक संकेतों के बीच सेंसेक्स 214.17 अंक चढ़कर 58,350.53 पर बंद हुआ। निफ्टी 42.70 अंकों की उछाल के साथ 17,388.15 पर बंद हुआ।
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एक महीने के उच्च स्तर पर पहुंचने के एक दिन बाद ही रुपया बुधवार को डॉलर के मुकाबले 62 पैसे टूटकर 79.15 पर बंद हुआ। यह रुपये में 7 मार्च, 2022 के बाद चालू वित्त वर्ष में अब तक की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है। जुलाई में व्यापार घाटा बढ़ने, सेवा क्षेत्र की वृदि्ध की रफ्तार धीमी पड़ने और ताइवान को लेकर अमेरिका एवं चीन के बीच तनाव से निवेशकों की धारणा प्रभावित हुई, जिससे घरेलू मुद्रा पर दबाव बढ़ा।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया कमजोरी के साथ 78.70 पर खुला। दिन में इसमें और गिरावट देखने को मिली। इससे पहले मंगलवार को रुपया 11 महीने में एक दिन की सर्वाधिक तेजी यानी 53 पैसे मजबूत होकर एक माह के उच्च स्तर 78.53 पर बंद हुआ था। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक दिलीप परमार ने कहा, अन्य एशियाई मुद्राओं के मुकाबले रुपये का प्रदर्शन सबसे कमजोर रहा।
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कच्चे तेल में नरमी से गिरावट पर अंकुश
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सोना 208 रुपये सस्ता, चांदी की कीमतें 1,060 रुपये घटीं
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सेंसेक्स 214 अंक उछला
घरेलू शेयर बाजार में बुधवार को लगातार छठे दिन भी तेजी रही। सकारात्मक वैश्विक संकेतों के बीच सेंसेक्स 214.17 अंक चढ़कर 58,350.53 पर बंद हुआ। निफ्टी 42.70 अंकों की उछाल के साथ 17,388.15 पर बंद हुआ।
डॉलर दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा क्यों मानी जाती है?
एक समय था जब एक अमेरिकी डॉलर सिर्फ 4.16 रुपये में खरीदा जा सकता था, लेकिन इसके बाद साल दर साल रुपये का सापेक्ष डॉलर महंगा होता जा रहा है अर्थात एक डॉलर को खरीदने के लिए अधिक डॉलर खर्च करने पास रहे हैं. ज्ञातव्य है कि 1 जनवरी 2018 को एक डॉलर का मूल्य 63.88 था और 18 फरवरी, 2020 को यह 71.39 रुपये हो गया है. आइये इस लेख में जानते हैं कि डॉलर दुनिया में सबसे मजबूत मुद्रा क्यों मानी जाती है?
दुनिया का 85% व्यापार अमेरिकी डॉलर की मदद से होता है. दुनिया भर के 39% क़र्ज़ अमेरिकी डॉलर में दिए जाते हैं और कुल डॉलर की संख्या के सर्वश्रेष्ठ मुद्रा व्यापार संकेतक 65% का इस्तेमाल अमरीका के बाहर होता है. इसलिए विदेशी बैंकों और देशों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की ज़रूरत होती है. आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि आखिर डॉलर को विश्व में सबसे मजबूत मुद्रा के रूप में क्यों जाना जाता है?
अब हालात तो ऐसे हो गए हैं कि यदि कोई डॉलर का नाम लेता है तो लोगों के दिमाग में सिर्फ अमेरिकी डॉलर ही आता है जबकि विश्व के कई देशों की करेंसी का नाम भी 'डॉलर' है. अर्थात अमेरिकी डॉलर ही “वैश्विक डॉलर” का पर्यायवाची बन गया है.
डॉलर की मजबूती का इतिहास:
वर्ष 1944 में ब्रेटन वुड्स समझौते के बाद डॉलर की वर्तमान मज़बूती की शुरुआत हुई थी. उससे पहले ज़्यादातर देश केवल सोने को बेहतर मानक मानते थे. उन देशों की सरकारें वादा करती थीं कि वह उनकी मुद्रा को सोने की मांग के मूल्य के आधार पर तय करेंगे.
न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स में दुनिया के विकसित देश मिले और उन्होंने अमरीकी डॉलर के मुक़ाबले सभी मुद्राओं की विनिमय दर को तय किया. उस समय अमरीका के पास दुनिया का सबसे अधिक सोने का भंडार था. इस समझौते ने दूसरे देशों को भी सोने की जगह अपनी मुद्रा का डॉलर को समर्थन करने की अनुमति दी.
(ब्रेटन वुड्स कांफ्रेंस)
सन 1970 की शुरुआत में कई देशों ने मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए डॉलर के बदले सोने की मांग शुरू कर दी थी. ये देश अमेरिका को डॉलर देते और बदले में सोना ले लेते थे. ऐसा होने पर अमेरिका का स्वर्ण भंडार खत्म होने लगा. उस समय के अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने अपने सभी भंडारों को समाप्त करने की अनुमति देने के बजाय डॉलर को सोने से अलग कर दिया और इस प्रकार डॉलर और सोने के बीच विनिमय दर का करार खत्म हो गया और मुद्राओं का विनिमय मूल्य; मांग और पूर्ती के आधार पर होने लगा.
डॉलर सबसे मजबूत मुद्रा होने के निम्न कारण हैं
1. इंटरनेशनल स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइज़ेशन लिस्ट के अनुसार दुनिया भर में कुल 185 मुद्राएँ हैं. हालांकि, इनमें से ज़्यादातर मुद्राओं का इस्तेमाल अपने देश के भीतर ही होता है. कोई भी मुद्रा दुनिया भर में किस हद तक प्रचलित है यह उस देश की अर्थव्यवस्था और ताक़त पर निर्भर करता है. ज़ाहिर है डॉलर की मज़बूती और उसकी स्वीकार्यता अमरीकी अर्थव्यवस्था की ताक़त को दर्शाती है.
2. दुनिया का 85% व्यापार अमेरिकी डॉलर की मदद से होता है. दुनिया भर के 39% क़र्ज़ अमेरिकी डॉलर में दिए जाते हैं और कुल डॉलर की संख्या के 65% का इस्तेमाल अमरीका के बाहर होता है. इसलिए विदेशी बैंकों और देशों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की ज़रूरत होती है.
3. विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में देशों के कोटे में भी सदस्य देशों को कुछ हिस्सा अमेरिकी डॉलर के रूप में जमा करना पड़ता है.
4. दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों में जो विदेशी मुद्रा भंडार होता है उसमें 64% अमरीकी डॉलर होते हैं.
5. यदि दो नॉन अमेरिकी देश भी एक दूसरे के साथ व्यापार करते हैं तो भुगतान के रूप में वे अमेरिकी डॉलर लेना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि यदि उनके हाथ में डॉलर है तो वे किसी भी अन्य देश से अपनी जरूरत का सामान आयात कर लेंगे.
6. अमेरिकी डॉलर की विनिमय दर में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव नहीं होता है इसलिए देश इस मुद्रा को तुरंत स्वीकार कर लेते हैं.
7. अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसके कारण यह बहुत से गरीब देशों को अमरीकी डॉलर में ऋण देता है और ऋण बसूलता भी उसी मुद्रा में हैं जिसके कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मांग हमेशा रहती है.
8. अमेरिका विश्व बैंक समूह और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के खजानों में सबसे अधिक योगदान देता है इस कारण ये संस्थान भी सदस्य देशों को अमेरिकी डॉलर में ही कर्ज देते हैं. जो कि डॉलर की वैल्यू को बढ़ाने के मददगर होता है.
डॉलर के बाद दुनिया में दूसरी ताक़तवर मुद्रा यूरो है जो दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार में 20% है. यूरो को भी पूरे विश्व में आसानी से भुगतान के साधन के रूप में स्वीकार किया जाता है. दुनिया के कई इलाक़ों में यूरो का प्रभुत्व भी है. यूरो इसलिए भी मज़बूत है क्योंकि यूरोपीय यूनियन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. कुछ अर्थशास्त्री मानते हैं कि निकट भविष्य में यूरो, डॉलर की जगह ले सकता है.
डॉलर को चीनी और रूसी चुनौती:
मार्च 2009 में चीन और रूस ने एक नई वैश्विक मुद्रा की मांग की. वे चाहते हैं कि दुनिया के लिए एक रिज़र्व मुद्रा बनाई जाए 'जो किसी इकलौते देश से अलग हो और लंबे समय तक स्थिर रहने में सक्षम हो.
इसी कारण चीन चाहता है कि उसकी मुद्रा “युआन” वैश्विक विदेशी मुद्रा बाज़ार में व्यापार के लिए व्यापक तरीक़े से इस्तेमाल हो. अर्थात चीन, युआन को अमेरिकी डॉलर की वैश्विक मुद्रा के रूप में इस्तेमाल होते देखना चाहता है. ज्ञातव्य है कि चीन की मुद्रा युआन को IMF की SDR बास्केट में 1 अक्टूबर 2016 को शामिल किया गया था.
यूरोपियन यूनियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में विश्व के कुल निर्यात में अमेरिका का हिस्सा 14% और आयात में अमेरिकी हिस्सा 18% था. तो इन आंकड़ों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने के पीछे सबसे बड़ा कारण अमेरिका का विश्व व्यापार में महत्व और डॉलर की अंतरराष्ट्रीय बाजार में वैश्विक मुद्रा के रूप में सर्वमान्य पहचान है.
Dollar Index Explained : डॉलर इंडेक्स का क्या है मतलब, इस पर क्यों नजर रखती है सारी दुनिया?
डॉलर इंडेक्स पर सारी दुनिया की नज़र रहती है. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण करेंसी है.
डॉलर इंडेक्स में भले ही 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है. (File Photo)
What is US Dollar Index and Why it is Important : रुपये में मजबूती की खबर हो या गिरावट की, ब्रिटिश पौंड अचानक कमजोर पड़ने लगे या रूस और चीन की करेंसी में उथल-पुथल मची हो, करेंसी मार्केट से जुड़ी तमाम खबरों में डॉलर इंडेक्स का जिक्र जरूर होता है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार की हलचल से जुड़ी खबरों में तो रेफरेंस के लिए डॉलर इंडेक्स का नाम हमेशा ही होता है. ऐसे में मन में यह सवाल उठना लाज़मी है कि करेंसी मार्केट से जुड़ी खबरों में इस इंडेक्स को इतनी अहमियत क्यों दी जाती है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए सबसे पहले ये जानना जरूरी है कि डॉलर इंडेक्स आखिर है क्या?
डॉलर इंडेक्स क्या है?
डॉलर इंडेक्स दुनिया की 6 प्रमुख करेंसी के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती या कमजोरी का संकेत देने वाला इंडेक्स है. इस इंडेक्स में उन देशों की मुद्राओं को शामिल किया गया है, जो अमेरिका के सबसे प्रमुख ट्रे़डिंग पार्टनर हैं. इस इंडेक्स शामिल 6 मुद्राएं हैं – यूरो, जापानी येन, कनाडाई डॉलर, ब्रिटिश पाउंड, स्वीडिश क्रोना और स्विस फ्रैंक. इन सभी करेंसी को उनकी अहमियत के हिसाब से अलग-अलग वेटेज दिया गया है. डॉलर इंडेक्स जितना ऊपर जाता है, डॉलर को उतना मजबूत माना जाता है, जबकि इसमें गिरावट का मतलब ये है कि अमेरिकी करेंसी दूसरों के मुकाबले कमजोर पड़ रही है.
RBI Monetary Policy: इस साल 5वीं बार कर्ज महंगा, आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाकर 6.25% किया, FY23 में 6.8% रह सकती है GDP ग्रोथ
Petrol and Diesel Price Today: क्रूड बड़ी गिरावट के साथ 80 डॉलर केनीचे, पेट्रोल और डीजल के भी जारी हुए लेटेस्ट रेट
Fitch India Forecast: इस साल 7% रहेगी देश की ग्रोथ रेट, लेकिन अगले दो साल के लिए विकास दर अनुमान में कटौती क्यों?
India CSR Outlook Report: देश की 301 बड़ी कंपनियों के CSR स्पेंड की रिपोर्ट जारी, RIL, HDFC बैंक, TCS, ONGC और टाटा स्टील सामाजिक कामों पर खर्च करने में सबसे आगे
डॉलर इंडेक्स में किस करेंसी का कितना वेटेज?
डॉलर इंडेक्स पर हर करेंसी के एक्सचेंज रेट का असर अलग-अलग अनुपात में पड़ता है. इसमें सबसे ज्यादा वेटेज यूरो का है और सबसे कम स्विस फ्रैंक का.
- यूरो : 57.6%
- जापानी येन : 13.6%
- कैनेडियन डॉलर : 9.1%
- ब्रिटिश पाउंड : 11.9%
- स्वीडिश क्रोना : 4.2%
- स्विस फ्रैंक : 3.6%
हर करेंसी के अलग-अलग वेटेज का मतलब ये है कि इंडेक्स में जिस करेंसी का वज़न जितना अधिक होगा, उसमें बदलाव का इंडेक्स पर उतना ही ज्यादा असर पड़ेगा. जाहिर है कि यूरो में उतार-चढ़ाव आने पर डॉलर इंडेक्स पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है.
डॉलर इंडेक्स का इतिहास
डॉलर इंडेक्स की शुरुआत अमेरिका के सेंट्रल बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने 1973 में की थी और तब इसका बेस 100 था. तब से अब तक इस इंडेक्स में सिर्फ एक बार बदलाव हुआ है, जब जर्मन मार्क, फ्रेंच फ्रैंक, इटालियन लीरा, डच गिल्डर और बेल्जियन फ्रैंक को हटाकर इन सबकी की जगह यूरो को शामिल किया गया था. अपने इतने वर्षों के इतिहास में डॉलर इंडेक्स आमतौर पर ज्यादातर समय 90 से 110 के बीच रहा है, लेकिन 1984 में यह बढ़कर 165 तक चला गया था, जो डॉलर इंडेक्स का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. वहीं इसका सबसे निचला स्तर 70 है, जो 2007 में देखने को मिला था.
डॉलर इंडेक्स इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
डॉलर इंडेक्स में भले ही सिर्फ 6 करेंसी शामिल हों, लेकिन इस पर दुनिया के सभी देशों में नज़र रखी जाती है. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय कारोबार में दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण करेंसी है. न सिर्फ दुनिया में सबसे ज्यादा इंटरनेशनल ट्रेड डॉलर में होता है, बल्कि तमाम देशों की सरकारों के विदेशी मुद्रा भंडार में भी डॉलर सबसे प्रमुख करेंसी है. यूएस फेड के आंकड़ों के मुताबिक 1999 से 2019 के दौरान अमेरिकी महाद्वीप का 96 फीसदी ट्रेड डॉलर में हुआ, जबकि एशिया-पैसिफिक रीजन में यह शेयर 74 फीसदी और बाकी दुनिया में 79 फीसदी रहा. सिर्फ यूरोप ही ऐसा ज़ोन है, जहां सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय व्यापार यूरो में होता है. यूएस फेड की वेबसाइट के मुताबिक 2021 में दुनिया के तमाम देशों में घोषित विदेशी मुद्रा भंडार का 60 फीसदी हिस्सा अकेले अमेरिकी डॉलर का था. जाहिर है, इतनी महत्वपूर्ण करेंसी में होने वाला हर उतार-चढ़ाव दुनिया भर के सभी देशों पर असर डालता है और इसीलिए इसकी हर हलचल पर सारी दुनिया की नजर रहती है.
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