Dollar vs Currency: गिरता रुपया सिक्के के दो पहलू जैसा, 6 नुकसान तो ये 4 फायदे भी

Rupee vs Dollar: लगातार गिरता रुपया भारत के कुछ सेक्टर्स के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है. वहीं, कुछ सेक्टर्स में उत्पादन की लगात बढ़ जाएगी और इसका असर देश की आम जनता की जेब पर पड़ेगा. अमेरिका से वास्ता रखने वाली कंपिनयों को फायदा होने वाला है. ईंधन की ऊंची कीमतों से महंगाई में भी इजाफा होता है.

फायदे का सौदा भी साबित हो सकता है गिरता रुपया

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 जुलाई 2022,
  • (अपडेटेड 25 जुलाई 2022, 5:39 PM IST)
  • दवाई उद्योग के सेक्टर को होगा फायदा
  • तेल और गैस की कीमतों पर पड़ेगा असर

डॉलर (Dollar) के मुकाबले लगातार गिरते रुपये (Rupee) को बचाने के लिए भारत (India) अपने विदेशी मुद्रा भंडार (India Forex Reserves) से खर्च कर रहा है. विदेशी निवेशक भारत से अमेरिका भाग रहे हैं. जहां के केंद्रीय बैंक ने दरें बढ़ा दी हैं. व्यापार संतुलन के पलड़े पर भी भारत को नुकसान उठाना पड़ रहा है. अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 80 वह कगार है, जहां से रुपये का लुढ़कना बेकाबू हो सकता है. इससे सरकारी वित्त और कारोबारी योजनाओं में भारी रुकावटें पैदा हो जाएंगी.

लगातार गिरता रुपया भारत के कुछ सेक्टर्स के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है. वहीं, कुछ सेक्टर्स में उत्पादन की लगात बढ़ जाएगी और इसका असर देश की आम जनता की जेब पर पड़ेगा.

गिरते रुपये का नुकसान

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1. ऑटोः करीब 10-20 फीसदी कल-पुर्जों और दूसरे पार्ट्स का आयात होने के कारण कारें महंगी हो सकती हैं. यह असर कंपनी के निर्यात और आयात वाले मार्केट पर निर्भर करेगा.

2. टेलीकॉम: इस उद्योग के विभिन्न पुर्जों का बड़ा आयातक होने के नाते अनुमान है कि भारत में कमजोर रुपया कंपनियों की लागत पूंजी को 5 फीसदी तक बढ़ सकता है. इस वजह वो टैरिफ बढ़ाने को मजबूर हो जाएंगी.

3. कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स: इस कारोबार में आयातित वस्तुएं कुल लागत का 40-60 फीसदी के करीब बैठती हैं. कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड अप्लाएंसेज निर्माताओं के मुताबिक, इस उद्योग की वस्तुओं की कीमतों में 4-5 फीसदी तक का इजाफा हो सकता है.

4. सौर ऊर्जा: भारत के सौर ऊर्जा संयंत्र सोलर सेल और मॉड्यूल्स का आयात करते हैं. डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में प्रति एक रुपये की गिरावट पर सौर ऊर्जा की लागत का खर्च 2 पैसे प्रति यूनिट बढ़ जाएगा.

5. एफएमसीजी: इन वस्तुओं के उत्पादन में करीब आधी लागत तो आयात किए कच्चे माल की होती है. दबाव बढ़ने पर कंपनियां इस लागत को उपभोक्ताओं पर डालने में गुरेज नहीं करेंगी.

6. तेल और गैस: भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल और गैस की आधी मात्रा का आयात करता है. इनके आयातकों के लिए कीमतें बढ़ती गई हैं. ऐसे में इसकी लागत या तो उपभोक्ताओं पर डाली जा सकती है या फिर सरकार इसे वहन करेगी. ऐसी स्थिति में उसके खजाने पर असर पड़ेगा. ईंधन की ऊंची कीमतों से महंगाई में भी इजाफा होता है.

गिरते रुपये का फायदा

1. दवाई उद्योग: अमेरिका से वास्ता रखने वाली कंपिनयों को फायदा होने वाला है. भारत का एक तिहाई निर्यात अमेरिका को ही होता है. 2013-14 के मुकाबले निर्यात 103 फीसदी बढ़कर पिछले वित्त वर्ष में 1.83 लाख करोड़ रुपये हो गया. लेकिन 4-5 अरब डॉलर के सामान का आयात भी हुआ. घरेलू बाजार पर केंद्रित रहने वाली कंपनियों और दवाओं के तत्व सप्लाई करने वालों पर असर पड़ेगा.

2. आईटी सर्विस: ज्यादातर कंपनियां क्लाइंट का बिल डॉलर में ही बनाती हैं और बड़ी कंपिनयों का 50-60 फीसदी राजस्व अमेरिकी मार्केट से ही आता है. रुपये में 100 बीपीएस की गिरावट का मतलब है मुनाफे में सीधे 30 बीपीएस का फायदा.

3. कपड़ा उद्योग: भारतीय निर्यातकों को बांग्लादेश जैसे मुल्कों से मुकाबले के लिए लागत के मामले में बढ़त मिल जाती है. ज्यादातर कच्चा माल यहीं मिल जाता है. चीन, इंडोनेशिया और बांग्लादेश से भारत भी सिलेसिलाए और दूसरे कपड़े आयात करता है.

4. स्टील: भारत अपने स्टील का 10-15 फीसदी निर्यात करता है. कमजोर रुपये ने उस नफे-नुकसान के असर को बराबर कर दिया, जो मई में सरकार के निर्यात पर 15 फीसदी टैक्स लगाने से पैदा हुआ था. (इनपुट: इंडिया टुडे मैगजीन-हिंदी)

सरकारी गारन्टी वाले सॉवरन गोल्ड बॉन्ड में सिर्फ फायदे ही नहीं नुकसान भी हैं, जानिए

सरकारी गारन्टी वाले सॉवरन गोल्ड बॉन्ड में सिर्फ फायदे ही नहीं नुकसान भी हैं, जानिए

नई दिल्ली। दुनिया में गोल्ड के दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता देश भारत में अन्य विकल्पों की तुलना में सोने में निवेश को ज्यादा तरजीह दी जाती है। सरकार इस बात को मद्देनजर रखते हुए ही गोल्ड बॉन्ड की छह किश्ते जारी कर चुकी है। चूंकि इन बॉन्ड्स को सरकार की ओर से आरबीआई की तरफ से जारी किया जाता है और उन्हें सरकारी गारन्टी के साथ दिया जाता है इसलिए निवेशकों को इसमे फायदे की उम्मीद ज्यादा दिखती है। हालांकि अन्य विकल्पों की तरह ही गोल्ड बॉन्ड में निवेश के फायदे और नुकसान दोनों ही होते हैं। गौरतलब है कि केंद्र सरकार की तरफ से जारी की गई गोल्ड बॉन्ड की सातवीं किश्त में निवेश करने के लिए 3 मार्च 2017 आखिरी मौका है।

गोल्ड बॉन्ड में निवेश के क्या हैं नुकसान:

सोने की फीकी चमक निवेशक को पड़ती है भारी: अगर सोने की कीमतों में गिरावट आती है तो इसका नुकसान केवल निवेशक को ही उठाना पड़ता है। सोने की कीमतों में गिरावट गोल्ड बॉण्ड पर नकारात्मक रिटर्न देती है। इस लिहाज से गोल्ड बॉन्ड में निवेश का यह एक बड़ा नुकसान है।

महंगाई की मार से निवेशक को बचा नहीं पाता मिलने वाला ब्याज:
सॉवरन गोल्ड बॉन्ड आपको हरदम फायदा दे ऐसा हरगिज नहीं होता है। गोल्ड बॉन्ड पर कमाया गया ब्याज महंगाई दर को पछाड़ने के लिए काफी नहीं होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस पर मिलने वाले ब्याज की दर 2.75 फीसदी ही होती है।

ब्याज पर भी भरना होता है टैक्स:
आमतौर पर लोग निवेश कर बचाने के लिए भी करते हैं, लेकिन सॉवरन गोल्ड बॉन्ड में निवेशकों को इसका फायदा नहीं मिलता है। गोल्ड बॉन्ड पर मिलने वाला ब्याज निवेशक के टैक्स स्लैब के मुताबिक कर योग्य होता है। इस पर मिलने वाला ब्याज सोने के मौजूदा भाव के हिसाब से ही तय होता है।

समय सीमा में बंधा होता है निवेश:
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड मूलत: एक क्लोज एंडेड स्कीम है, जिसमें एक निश्चित समय सीमा तक के लिए और निश्चित अवधि के दौरान ही आवेदन मंगाए जाते हैं।

जरूरत के समय निकासी नहीं होती है आसान:
सामान्यतया: भारत जैसे देश में लोग निवेश इसलिए करते हैं ताकि मुश्किल वक्त में निवेश की कुछ रकम निकालकर अपनी जरूरतों को पूरा कर लिया जाए। सॉवरन गोल्ड बॉन्ड में अगर आपको पांच वर्ष से पहले पैसों की जरूरत है तो इसमें निकासी मुमकिन नहीं है, ऐसा इसलिए क्योंकि यह लिक्विड नहीं होता है। लिक्विडिटी की जरूरत भविष्य के किसी भी लक्ष्य को या फिर अनिश्चित खर्चों को पूरा करने के लिए ही नहीं होती है बल्कि यह उस स्थिति में भी काम आती है जब आपका निवेश अन्य विकल्पों की तुलना में बेहतर रिटर्न नहीं दे रहा होता है।

ऑनलाइन खरीदारी करने से पहले जानें उसके फायदे व नुकसान

ऑनलाइन खरीदारी करने से पहले जानें उसके फायदे व नुकसान

जीएसटी लागू होने के बाद भी लोग असमंजस में हैं कि खरीदारी करने के लिए कौन से माध्यम को चुना जाए। कुछ लोगों को लगता है कि ऑनलाइन शॉपिंग बेहतर विकल्प है.

कितनी सही ऑनलाइन खरीदारी

जीएसटी लागू होने के बाद भी लोग असमंजस में हैं कि खरीदारी करने के लिए कौन से माध्यम को चुना जाए। कुछ लोगों को लगता है कि ऑनलाइन शॉपिंग बेहतर विकल्प है। क्या वाकई ऑनलाइन खरीदारी फायदे का सौदा हो सकता है?

आजकल क्या खरीदारी करते वक्त आपको बिग बिलियन सेल, 80-90 फीसदी तक डिस्काउंट्स, बाय वन गेट वन, अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान एक्सचेंज ऑफर्स यानी पुराने के बदलें नया पाएं जैसे ऑफर मिल रहे हैं? अगर हां तो ये ऑफर्स कितने सही हैं और कितने गलत, जानने के लिए पढ़ें सखी की एक रिपोर्ट।

एक्सपर्ट की सलाह

चार्टर्ड अकांउटेंट, प्रीति खुराना के मुताबिक, गैजेट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, क्लोदिंग, फुटवेयर और दूसरी कई चीज़ें लोग ऑनलाइन ही खरीदना पसंद करते हैं। इसी के साथ, प्रोडक्ट पर वारंटी के साथ पसंद न आने पर रिटर्न करने की सुविधा भी दी जाती है, यानी हर तरफ से यहां यूज़र्स का फायदा होता है। जीएसटी लागू होने के बाद से ही ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने सप्लायर्स को भुगतान करते वक्त 1टीसीएस (टैक्स कलेक्शन ऐट सोर्स) वसूलने की ज़रूरत होगी। इसे देखते हुए ऑनलाइन साइट्स सहित कई ई-कॉमर्स कंपनियां कई ऑफर्स के साथ ऑनलाइन खरीदारी पर ज़बर्दस्त छूट दे रही हैं। कई सामानों की कीमत पर तो 80% तक की छूट दी जा रही है। इन कंपनियों को टीडीएस देने के बाद टैक्स देना पड़ेगा और इसका बोझ बस उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। इस कारण ये कंपनियां अपना ज्य़ादा से ज्य़ादा स्टॉक खत्म करना चाहती हैं। जुलाई से दिसंबर के इन छह महीने के अंदर ही विक्रेताओं को रेडी मैन्युफैक्चर ओल्ड स्टॉक (लिक्विडेट) निकालना है, फिर चाहे वे सामान ऑनलाइन हों या ऑफलाइन। यह भी एक बड़ा कारण है कि कंपनियां ग्राहकों को डिस्काउंट और अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान सेल के लुभावने ऑफर्स का लालच दे रही हैं।

इस माह से दिखेगा असर

ऑनलाइन कंपनियों का रिटर्न रेट लगभग 18त्न के आसपास है। सोर्स से टैक्स कलेक्ट करने (एड हॉक टैक्स) अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान के कारण अब कंपनियों को ये सारा टैक्स अमाउंट सहन करना पड़ेगा। अगर रिटर्न किया जाता है तो ये टैक्स ई-कॉमर्स यानी ऑनलाइन कंपनियों को ही सहन करना होगा और बाद में इसे सरकार से रिटर्न लेना होगा। इसका मतलब अभी तक जो कैंसिलेशन और रिफंड आसानी से हो जाते थे, अब वो उतने आसान नहीं रहेंगे। यह असर अक्टूबर या नवंबर से दिखने लगेगा।

डिलिवरी में तेज़ी मिलेगी

आजकल आपने गौर किया होगा कि आपको एक्सपैक्टेड डेट से पहले ही सामान उपलब्ध हो जाता है। जीएसटी के बाद से आप तक आपका सामान तय तिथि से पहले या ऑन डेट मिल जाता है यानी इससे ऑनलाइन शॉपिंग में फायदा होगा। इससे सामान की डिलिवरी जल्दी हो जाएगी। उदाहरण के तौर पर इसे ऐसे समझें कि अगर कंपनी बेंगलुरु में स्थित है और डिलिवरी दिल्ली में करनी है तो ऑनलाइन शॉपिंग साइट को अलग से पेपर फाइल करने की ज़रूरत नहीं होगी। इसका मतलब यह हुआ कि पहले एक बिल लॉजिस्टिक्स के लिए तो दूसरा बिल स्टेट बदलने पर देना पड़ता था, अब ऐसी हालत नहीं होगी तो उम्मीद है कि तेज़ी से डिलिवरी की अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान जा सकेगी।

कम होते जाएंगे डिस्काउंट्स

क्या आपको ऑनलाइन साइट्स से शॉपिंग करने की आदत है? क्या इस पर मिलने वाले डिस्कांउट्स या सेल का आपको बेसब्री से इंतज़ार रहता है? अगर हां तो आपके लिए थोड़ी सी मुश्किल बढऩे वाली है। ये ऑफर्स आपको तभी तक मिलेंगे, जब तक कि कंपनी का पुराना माल यानी स्टॉक खत्म नहीं हो जाता। किसी भी कंपनी को अपना माल जुलाई से दिसंबर के बीच ही बेचना होगा। सीधे शब्दों में कहा जाए तो जब तक पुराना माल नहीं बिकता, तब तक कोई भी कंपनी नया माल नहीं निकाल सकती। क्लीयर टैक्स के एक्सपर्ट अर्चित गुप्ता के मुताबिक, अक्टूबर और नवंबर से आपको ऑनलाइन शॉपिंग महंगी पड़ सकती है। अभी फ‍िलहाल तो सभी अपना पुराना स्टॉक खत्म करने में ही लगे हैं, जिस कारण तेज़ी से बिग बिलियन ऑफर्स मिल रहे हैं। इसका दूसरा कारण यह भी है कि ई-कॉमर्स कंपनियों को टैक्स कलेक्ट कर विक्रेताओं को टैक्स देना होगा तो ऐसे समय में ऑनलाइन कंपनियों को डिस्काउंट देना महंगा पड़ सकता है।

एक रिसर्च

काउंटरपॉइंट रिसर्च के अनुसार, जीएसटी से पहले ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स एड हॉक टैक्स नहीं लेती थीं लेकिन अब 1% एड हॉक टैक्स (वो टैक्स जो एक बार की कमाई पर लिया जाता है) हर ट्रेडर से लेंगी। ऐसे में अभी तक जो टैक्स लगता था, उसमें 1% का इज़ाफा होगा। ऐसे में सीधा असर ग्राहकों पर पड़ेगा क्योंकि 1% अधिक टैक्स का भुगतान तो उन्हें ही करना होगा।

फायदा ही नहीं नुकसान भी पहुंचा सकते हैं अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान मल्टीविटामिन्स, खाने से पहले जरूर ध्यान रखें ये बातें

Side Effects Of Taking Excess Multivitamins On Health: शरीर में थकावट महसूस हो या फिर पोषण की कमी, दोनों ही समस्याओं से निजात पाने के लिए मल्‍टीविटामिन्स का नाम दिमाग में सबसे पहले आता है।.

फायदा ही नहीं नुकसान भी पहुंचा सकते हैं मल्टीविटामिन्स, खाने से पहले जरूर ध्यान रखें ये बातें

Side Effects Of Taking Excess Multivitamins On Health: शरीर में थकावट महसूस हो या फिर पोषण की कमी, दोनों ही समस्याओं से निजात पाने के लिए मल्‍टीविटामिन्स का नाम दिमाग में सबसे पहले आता है। पिछले कुछ सालों से मल्‍टीविटामिन्स का उपयोग लोगों के बीच काफी ज्यादा बढ़ गया है।लोगों का मानना है कि मल्‍टीविटामिन्स की गोलियां खाने से शरीर में पोषक तत्‍वों की कमी पूरी होने के साथ थकान भी दूर होती है। कहते हैं या ना कि अति हर चीज की बुरी होती है। क्या आप जानते हैं जरूरत से ज्यादा मल्‍टीविटामिन्स का सेवन करने से आपको फायदे की जगह नुकसान भी पहुंचा सकता है। जी हां, आइए जानते हैं आखिर कैसे।

जरूरत से ज्यादा मल्‍टीविटामिन खाने के नुकसान-
अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के अनुसार अनायास मल्टीविटामिन का सेवन करने से व्यक्ति को फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है। बिना किसी डॉक्टरी परामर्श के मल्टीविटामिन का सेवन हाइपरविटामिनोसिस यानी शरीर में विटामिन की अधिकता से होने वाला रोग, पेट से संबंधित समस्याएं, डायरिया जैसी दिक्कतें बढ़ा सकता है।

न्यूट्रिशनिस्ट और वैलनेस एक्सपर्ट वरुण कत्याल ( Varun Katyal, Nutritionist And Wellness Expert) के अनुसार विटामिन ए एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है जो आंखों की सेहत और तंत्रिका संबंधी कार्य को बनाए रखने में मदद करता है। नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट, यूएसए के एक अध्ययन के अनुसार इस विटामिन की अधिकता धूम्रपान करने वालों में फेफड़ों के कैंसर के होने की संभावना को बढ़ा सकती है। इतना ही नहीं, इस विटामिन के अधिक सेवन करने से लीवर भी खराब हो सकता है।

-शरीर में विटामिन सी या जिंक की अधिकता होने से व्यक्ति को डायरिया, क्रैंप, गैस्ट्रिक, थकान और घबराहट जैसी समस्‍याएं हो सकती हैं।

-वहीं कई ऐसे विटामिन हैं जो शरीर में जाकर जमा हो जाते हैं। विटामिन 'ए' की अधिकता लीवर को नुकसान पहुंचाती है जबकि विटामिन 'डी' की अधिकता से हार्मोनल गड़बड़ी हो जाती है।

-त्‍वचा की खूबसूरती को बढ़ाने के लिए विटामिन ई खाया जाता है। मगर शरीर में इसकी जरूरत से ज्‍यादा मात्रा आंतरिक ब्लीडिंग का कारण बन सकती है।

-वहीं जिंक का ज्‍यादा सेवन करने से ब्‍लड प्रेशर बढ जाता है।

क्या है विकल्प-
एक सीमित मात्रा में मल्टीविटामिन गोलियों को खाने से शरीर को कोई नुकसान नहीं होता है। हालांकि व्यक्ति को इन गोलियों पर अपनी निर्भरता नहीं रखनी चाहिए। शरीर में इन पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए अच्छी हेल्दी डाइट लें। विटामिन की कमी को पूरा करने के लिए एक दिन में चार अलग-अलग रंग के फल खाएं। दूध व डेयरी प्रोडक्ट्स भरपूर मात्रा में लें। नट्स का सेवन नियमित रूप से करें।

अगर निकालते हैं Credit Card से कैश, तो पहले जान लीजिए फायदे और नुकसान

Credit Card : इस फेस्टिव सीजन पर लोगों द्वारा क्रेडिट कार्ड से कैश निकालकर ऑनलाइन और ऑफलाइन खरीदारी बड़े पैमाने पर की जा रही हैं. क्योंकि क्रेडिट कार्ड पर लोगों को कैशलेस ट्रांजैक्शन और इंटरेस्ट-फ्री क्रेडिट की सुविधा मिल रही है.

अगर निकालते हैं Credit Card से कैश, तो पहले जान लीजिए फायदे और नुकसान

अगर आप इस फेस्टिवल सीजन में क्रेडिट कार्ड से कैश निकाल कर खरीदारी करने की सोच रहे हैं तो खरीदारी करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ही आवश्यक है, नहीं तो आप परेशानी में पड़ सकते हैं. बता दें कि इस फेस्टिव सीजन पर लोगों द्वारा क्रेडिट कार्ड से कैश निकालकर ऑनलाइन और ऑफलाइन खरीदारी बड़े पैमाने पर की जा रही हैं. क्योंकि क्रेडिट कार्ड पर लोगों को कैशलेस ट्रांजैक्शन और इंटरेस्ट-फ्री क्रेडिट की सुविधा मिल रही है. इसके साथ ही क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाले रिवॉर्ड पॉइंट, कैशबैक और फ्यूल सरचार्ज वेवर समेत कई तरह की छूट लोगों को आकर्षित कर रही हैं.

कैश निकालने के फायदे

– ऑनलाइन और ऑफलाइन शॉपिंग करने पर क्रेडिट कार्ड पर कैश एडवांस की सुविधा मिलती है. जिसके जरिए ग्राहक जरूरत के समय क्रेडिट कार्ड से कैश भी निकाल सकता है.

– क्रेडिट कार्ड पर लोगों को कैशलेस ट्रांजैक्शन और इंटरेस्ट-फ्री क्रेडिट की सुविधा दी जाती है.

– क्रेडिट कार्ड पर मिलने वाले रिवॉर्ड पॉइंट, कैशबैक और फ्यूल सरचार्ज वेवर समेत कई तरह की छूट मिलती है.

– क्रेडिट कार्ड की कुल लिमिट के 20 से 40 फीसदी अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान तक की राशि कैश के रूप में निकालने की सुविधा मिलती है.

– क्रेडिट कार्ड पर कुल क्रेडिट लिमिट 5 लाख रुपये है, तो आप 1 लाख से 2 लाख रुपये तक आसानी से कैश निकाल सकते हैं.

कैश निकालने के नुकसान

– क्रेडिट कार्ड से कैश एडवांस की सुविधा का इस्तेमाल सिर्फ इमरजेंसी की हालत में ही किया जाना चाहिए, क्योंकि इस पर आपको भारी-भरकम ब्याज और ट्रांजैक्शन चार्ज देना पड़ता है.

– कैश एडवांस का बार-बार इस्तेमाल करने पर क्रेडिट स्कोर पर बुरा असर पड़ सकता है.

– क्रेडिट कार्ड से कैश एडवांस निकालने पर ब्याज के अलावा एक्सट्रा चार्ज देना पड़ता है, जो निकाले गए कैश पर 2.5 फीसदी से 3 फीसदी तक हो सकता है.

– अगर आपने अपने क्रेडिट कार्ड से कैश के रूप में 1 लाख रुपये निकाले हैं, तो इसके लिए बैंक आप से 2 से 3 हजार रुपये वसूल कर सकता है.

– बैंक आपसे क्रेडिट कार्ड पर निकाले गए कैश पर हर महीने 3.5 प्रतिशत की दर से ब्याज भी वसूल सकता है.

क्या कहते हैं जानकार?

क्रेडिट कार्ड को लेकर जानकारों का कहना है कि क्रेडिट कार्ड से कैश निकालने से कैश एडवांस पर इंटरेस्ट फ्री क्रेडिट पीरियड का कोई लाभ नहीं मिलता है और नकद निकासी के साथ ही उस पर ब्याज लगना शुरू हो जाता है. कैश निकालने को क्रेडिट कार्ड यूज माना जाता है, जिससे आपके कार्ड की क्रेडिट लिमिट कम कर दी जाती है.

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बता दें कि क्रेडिट कार्ड से कैश निकालना आपकी अमेरिकी विकल्पों के फायदे और नुकसान जेब के लिए बहुत ही महंगा पड़ सकता है. इसलिए इस विकल्प को सिर्फ इमरजेंसी की हालत में कभी कभार इस्तेमाल की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन आपको जब भी ऐसा करना पड़े तो जल्द से जल्द एडवांस का भुगतान करने की कोशिश करें. अगर आप बिलिंग डेट से पहले ही भुगतान कर देते हैं तो ये आपके लिए बेहतर रहेगा.

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