ट्रेजरी बिल (टी-बिल) को शून्य डिफ़ॉल्ट जोखिम माना जाता है क्योंकि वे अमेरिकी सरकार के अच्छे विश्वास का प्रतिनिधित्व करते हैं और समर्थित हैं। उन्हें प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया में साप्ताहिक नीलामी में बराबर की छूट पर बेचा जाता है। वे अपने चचेरे भाई, ट्रेजरी नोट और ट्रेजरी बांड की तरह पारंपरिक ब्याज भुगतान का भुगतान नहीं करते हैं, और $ 1,000 के मूल्यवर्ग में विभिन्न परिपक्वताओं में बेचे जाते हैं। अंत में, उन्हें सरकार द्वारा सीधे व्यक्तियों द्वारा खरीदा जा सकता है।
भारत के लिए वैश्वीकरण और मुक्त व्यापार के महत्व पर चर्चा
प्रश्न: समृद्ध राष्ट्रों में वैश्वीकरण के खिलाफ राजनीतिक प्रतिक्रिया का भारत की आर्थिक संभावनाओं पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। बढ़ते संरक्षणवाद और व्यापार युद्ध के उभरते खतरे का भारत पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों की पहचान कीजिए।
- विकसित देशों में वैश्वीकरण के विरुद्ध हाल ही में हुई राजनीतिक प्रतिक्रियाओं एवं इसके कारणों की संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
- बढ़ते संरक्षणवाद और व्यापार युद्ध के उभरते खतरे के भारत के लिये क्या निहितार्थ हैं; विश्लेषण कीजिए।
- भारत के लिए वैश्वीकरण और मुक्त व्यापार के महत्व पर चर्चा कीजिए।
- इस प्रभाव को रोकने और कम करने के लिए रणनीतियाँ सुझाइए।
उत्तर
कुछ वर्षों पूर्व तक वैश्वीकरण को कई लोगों द्वारा अवश्यम्भावी एवं अजेय बल के रूप में देखा जाता था परन्तु निम्नलिखित घटनाओं की श्रृंखला से आर्थिक वैश्वीकरण के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग गया है:
- अमेरिका का ट्रांस-पैसिफ़िक साझेदारी से बाहर निकलना
- संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के मध्य व्यापार युद्ध संबंधी खतरे
- ब्रेक्ज़िट (Brexit)
- WTO के विरुद्ध लामबंदी
- विकसित देशों द्वारा कार्य और अध्ययन के वीज़ा पर प्रतिबंध
- संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा इस्पात और एल्यूमीनियम पर आयात शुल्क में वृद्धि
IMF की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट, 2016 के अनुसार 2012 से व्यापार में प्रतिवर्ष 3% की वृद्धि हो रही थी जो विगत तीन दशकों के औसत के आधे से भी कम थी।
संरक्षणवाद का प्रभाव:
जोखिम-मुक्त दर
की वापसी की सैद्धांतिक दर है । जोखिम-मुक्त दर उस ब्याज का प्रतिनिधित्व करती है जो एक जोखिम मुक्त व्यापार क्या है निवेशक एक निश्चित अवधि में एक बिल्कुल जोखिम-मुक्त निवेश से उम्मीद करता है। वास्तविक जोखिम मुक्त दर की गणना आपके निवेश की अवधि से मेल खाते हुए ट्रेजरी बांड की उपज से मौजूदा मुद्रास्फीति दर को घटाकर की जा सकती है।
चाबी छीन लेना
- वापसी की जोखिम-मुक्त दर शून्य जोखिम वाले निवेश की वापसी की सैद्धांतिक दर को संदर्भित करती है।
- व्यवहार में, वापसी की जोखिम-मुक्त दर वास्तव में मौजूद नहीं है, क्योंकि प्रत्येक निवेश कम से कम जोखिम का जोखिम उठाता है।
- वास्तविक जोखिम-मुक्त दर की गणना करने के लिए, अपनी निवेश अवधि से मेल खाते हुए ट्रेजरी बांड की उपज से मुद्रास्फीति दर को घटाएं।
जोखिम-मुक्त दर को समझना
सिद्धांत रूप में, जोखिम-मुक्त दर वह न्यूनतम रिटर्न है जो एक निवेशक किसी भी निवेश के लिए उम्मीद करता है क्योंकि वे अतिरिक्त जोखिम को स्वीकार नहीं करेंगे जब तक कि वापसी की संभावित दर जोखिम-मुक्त दर से अधिक न हो। किसी भी स्थिति के लिए जोखिम-मुक्त दर के लिए एक प्रॉक्सी का निर्धारण निवेशक के घर के बाजार पर विचार करना चाहिए, जबकि नकारात्मक ब्याज दरें समस्या को जटिल कर सकती हैं।
व्यवहार में, हालांकि, वास्तव में जोखिम मुक्त व्यापार क्या है जोखिम-मुक्त दर मौजूद नहीं है क्योंकि यहां तक कि सबसे सुरक्षित निवेश जोखिम का एक बहुत कम राशि का वहन करते हैं। इस प्रकार, तीन महीने के अमेरिकी ट्रेजरी बिल पर ब्याज दर का उपयोग अक्सर यूएस-आधारित निवेशकों के लिए जोखिम-मुक्त दर के रूप में किया जाता है।
तीन महीने का अमेरिकी ट्रेजरी बिल एक उपयोगी प्रॉक्सी है क्योंकि बाजार का मानना है कि अमेरिकी सरकार को अपने दायित्वों पर चूक करने का कोई मौका नहीं है। बाजार का बड़ा आकार और गहरी तरलता सुरक्षा की धारणा में योगदान करती है। हालांकि, एक विदेशी निवेशक जिसकी संपत्ति अमेरिकी डॉलर के बिलों में निवेश करते समय डॉलर के जोखिम से उत्पन्न नहीं होती है। जोखिम को मुद्रा के माध्यम से आगे और विकल्पों के माध्यम से बचाव किया जा सकता है लेकिन वापसी की दर को प्रभावित करता है।
ऋणात्मक ब्याज दरें
लंबे समय से चल रहे यूरोपीय ऋण संकट के बीच गुणवत्ता और उच्च-उपज वाले साधनों से उड़ान ने जर्मनी और स्विट्जरलैंड जैसे सबसे सुरक्षित माने जाने वाले देशों में ब्याज दरों को नकारात्मक क्षेत्र में धकेल दिया है। संयुक्त राज्य में, ऋण सीमा बढ़ाने की आवश्यकता को लेकर कांग्रेस में पक्षपातपूर्ण लड़ाई कभी-कभी सीमित रूप से बिल जारी करती है, आपूर्ति की कमी की कमी के साथ तेजी से कम होता है। ट्रेजरी नीलामी में सबसे कम अनुमत उपज शून्य है, लेकिन कभी-कभी बिल माध्यमिक बाजार में नकारात्मक पैदावार के साथ व्यापार करते हैं । और जापान में, जिद्दी अपस्फीति ने अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए जोखिम मुक्त व्यापार क्या है अल्ट्रा-लो, और कभी-कभी नकारात्मक, ब्याज दरों की नीति को आगे बढ़ाने के लिए बैंक ऑफ जापान का नेतृत्व किया है। नकारात्मक ब्याज दरें अनिवार्य रूप से चरम पर जोखिम-मुक्त वापसी की अवधारणा को धक्का देती हैं; निवेशक अपने पैसे को सुरक्षित जोखिम मुक्त व्यापार क्या है मानने वाली संपत्ति में रखने के लिए तैयार हैं।
जम्मू कश्मीर पुलिस ने दी हिदायत, बिटकॉइन ‘अत्यधिक जोखिम’ भरा, न करें निवेश
Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 03, 2019 7:07 IST
जम्मू कश्मीर पुलिस ने एक परामर्श जारी करते हुए लोगों को बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्राओं से जुड़े ‘‘अत्यधिक जोखिम’’ के कारण उनमें निवेश नहीं करने को लेकर आगाह किया।
पुलिस जोखिम मुक्त व्यापार क्या है ने कहा कि सरकार और केंद्र द्वारा वित्त पोषित संस्थानों ने इस तरह की मुद्रा को मान्यता नहीं दी है। अपराध शाखा के महानिरीक्षक द्वारा जारी एक परामर्श में कहा गया है, ‘‘आम जनता को बिटकॉइन जैसी आभासी मुद्राओं में किसी तरह का निवेश नहीं करने की सूचना दी जाती है क्योंकि इसमें अत्यधिक जोखिम है।’’
भारतीय ‘बनिया’ पार्टी की वापसी
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अपने उस बयान पर तेजी से स्पष्टीकरण दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस भारत में निवेश करके हम पर कोई अहसान नहीं कर रहे हैं। गोयल अब कहते हैं कि सभी निवेशों का तब तक स्वागत है, जब तक भारतीय कानूनों का पालन करते हैं। आप इस पर बहस नहीं कर सकते। अगर तथ्यों को देखें तो कारोबार में एकाधिकार की निगरानी करने वाले भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने पिछले दिनों ‘अनुचित’ व्यापारिक प्रक्रिया के लिए अमेजन की खिंचाई की थी। स्वदेशी जागरण मंच और व्यापारी संघों ने इसकी जमकर सराहना की थी। यह कोई जोखिम मुक्त व्यापार क्या है षड्यंत्र नहीं, बल्कि पूरी तरह से राजनीति है। यह केवल इस बात को दिखाता है कि भाजपा बनियावाद की अपनी मूल प्रवृत्ति की ओर लौट रही है। इसे स्पष्ट किए जाने की जरूरत है। राजीव गांधी के बाद कांग्रेस और वामदलों ने भाजपा को हिंदू पार्टी कहना शुरू कर दिया। जबकि, इंदिरा गांधी ऐसा कहने से बचती थीं। इससे पहले इसी स्तंभ में मैंने आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गनाइजर के पूर्व संपादक शेषाद्रिचारी के हवाले से बताया था कि इंदिरा गांधी भाजपा को बनिया पार्टी कहा करती थीं। यहीं से स्वदेशी का भाव उत्पन्न होता है। यानी, अगर किसी को व्यापार या उद्यमिता से लाभ मिलना है तो बेहतर हो कि वह हमारे लोग हों। यदि हम बाहरी लोगों को कारोबार करने भी देते हैं तो बेहतर होगा वे हमारा अहसान मानें। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) सबसे पहले शीत युद्ध की समाप्ति के बाद 1990-91 में फैशन में आना शुरू हुआ। उस समय मधु दंडवते वीपी सिंह सरकार में वित्तमंत्री थे। उन्होंने उद्यमियों की एक बैठक में कहा था कि ‘मैं एफडीआई के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन मैं इसे तलाशने भी नहीं जाऊंगा।’ इससे विदेशी निवेशक आकर्षित नहीं हुए। 1991 के सुधार से हालात बदले, लेकिन आंतरिक रुख नहीं बदला। देश पहले ही चार दशक की समाजवादी, संरक्षणवादी, स्वदेशी व्यवस्था से गुजर चुका था, जहां निर्यात अच्छा था और आयात बुरा। आर्थिक दक्षिणपंथ की बात करें तो एक समय ताकतवर रही, स्वतंत्र पार्टी इंदिरा गांधी की लोकप्रियता में पूरी तरह ध्वस्त हो गई। जनसंघ भी वही समाजवादी गीत गुनगुना रहा था और आर्थिक राष्ट्रवाद की चहारदीवारी में कैद था। आधुनिक मुक्त व्यापार की दृष्टि से देखें तो जोखिम मुक्त व्यापार क्या है अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा के इकलौते सुधारवादी नेता रहे, लेकिन उनके पास वक्त कम था। पिछले साढ़े पांच वर्षों में हमने संरक्षणवाद, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के विरोध आदि की तेज वापसी देखी है। यह सरकार आयात की तुलना में भारत में बनी वस्तुओं को 20 फीसदी वरीयता देती है, जो यह पुराने दौर की वापसी का संकेत है। इसका अर्थ यह हुआ कि एक विदेशी कंपनी अगर टुकड़ों में सामग्री भारत में लाकर, यहां उससे माल तैयार करे और अगर वह एक भारतीय अल्पांश भागीदार के साथ मिलकर उसकी बिक्री करे तो आयात की तुलना में कहीं अधिक ऊंची कीमत पर उस माल को बेच सकती है। एक के बाद एक बजट में हमने देखा है कि टैरिफ में इजाफा किया जा रहा है। यही वजह है कि वैश्विक कारोबारी समुदाय का मोदी के भारत से लगाव घटा है। सार्वजनिक रूप से कोई यह बात नहीं कहेगा, ऐसे कारोबारी तो बिल्कुल नहीं, जिन्होंने भारत में निवेश किया हो या जिनके कर्मचारी या अन्य हित भारत में हों। एक मजबूत सरकार से कौन पंगा लेना चाहेगा? वोडाफोन जैसी मजबूत कंपनी के सीईओ ने दुखी होकर भारत छोड़ने की बात कही, लेकिन फिर उन्हें अपनी बात वापस लेनी पड़ी। इसके और प्रमाण चाहिए तो देखें कि 2014 में जेफ बेजोस की भारत यात्रा के वक्त मोदी और अन्य ने उनका स्वागत किया था और कैसे इस बार उन्हें उपेक्षित किया गया। इस बार भी स्पष्टीकरण 1990 के दंडवते जैसा ही है कि मैं एफडीआई के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन आप जानना चाहेंगे कि यह भावना कहां से आ रही है? आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के पिछले साल दशहरे के जोखिम मुक्त व्यापार क्या है अवसर पर दिए भाषण को दोबारा सुनिए, जिसमें उन्होंने अपना आर्थिक सिद्धांत सामने रखा है। हम इसे इनमें से किसी एक शब्द में परिभाषित कर सकते हैं : संरक्षणवादी, विदेशियों से भय या स्वदेशी। इसे ऐसे भी कहा जा सकता है कि ‘हम एफडीआई के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन केवल उन्हीं क्षेत्रों में जहां हमें उसकी जरूरत है। जब तक यह देश के कारोबार को नुकसान नहीं पहुंचाता और नियंत्रण भारतीयों के पास रहता है।’ मोदी सरकार के कार्यकाल के छठे वर्ष में यह देखना आकर्षक है कि वह नागपुर की इच्छाओं का किस कदर ध्यान रख रही है। गाय, अनुच्छेद 370, सीएए, तीन तलाक, पाकिस्तान विरोध आदि सभी मोर्चों पर उसने इसका ध्यान रखा है। मोदी सरकार ने उसके साथ तालमेल बिठाने में दो दशक के सुधारों की दिशा उलट दी है। सन् 2014 में और उसके बाद 2019 में भारत ने एक जोखिम मुक्त व्यापार क्या है मजबूत सरकार और प्रधानमंत्री चुना। यह सरकार कई क्षेत्रों में मजबूत और निर्णायक साबित हुई। आतंकी हमलों के विरोध से लेकर अनुच्छेद 370 और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई तक, परंतु आर्थिक मोर्चे पर नहीं। जीएसटी और आईबीसी के अलावा कोई बड़ा सुधार नजर नहीं आता। इसके बारे में सोचें। मनमोहन सिंह जैसी कमजोर सरकार के पास भी अमेरिका के साथ नाभिकीय समझौता करने का साहस था, लेकिन मोदी की मजबूत सरकार अमेरिका के साथ एक छोटे से व्यापार समझौते के लिए भी संघर्ष करती नजर आ रही है। वाजपेयी की कमजोर सरकार ने जीएम बीजों की इजाजत देकर कपास क्रांति लाने में मदद जोखिम मुक्त व्यापार क्या है की। मोदी की मजबूत सरकार कृषि जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ने का साहस नहीं जुटा पा रही। यहां एक पुरानी दलील सामने आती है: क्या मजबूत और पूर्ण बहुमत की सरकारें अनिवार्य तौर पर बेहतर होती हैं या वे इस उलझन में रहती हैं कि कहीं उन्हें नुकसान न उठाना पड़े? उनके पास सैद्धांतिक आग्रहों और मजबूरियों का बहाना नहीं होता। वे निरंतर अपना चेहरा बचाने के दबाव में रहती हैं। क्या कमजोर सरकारें अधिक निर्णायक और जोखिम से मुक्त होती हैं, क्योंकि उनमें लचीलापन और विनम्रता अधिक होती है? (यह लेखक के अपने विचार हैं)
हाईनान मुक्त व्यापार पोर्ट को विशेष क्षेत्र बनाने की तैयारी
हाईनान मुक्त व्यापार बंदरगाह को सीमा शुल्क विभाग के पर्यवेक्षण के तहत विशेष क्षेत्र बनाने की तैयारी का काम हो रहा है। यह हाईनान मुक्त व्यापार पोर्ट के निर्माण का आधार है, जो बहुत महत्वपूर्ण है। योजना के अनुसार वर्ष 2025 से पहले विशेष क्षेत्र बनाने का कार्य पूरा होगा। उसके बाद हाईनान और दुनिया […]
हाईनान मुक्त व्यापार बंदरगाह को सीमा शुल्क विभाग के पर्यवेक्षण के तहत विशेष क्षेत्र बनाने की तैयारी का काम हो रहा है। यह हाईनान मुक्त व्यापार पोर्ट के निर्माण का आधार है, जो बहुत महत्वपूर्ण है।
योजना के अनुसार वर्ष 2025 से पहले जोखिम मुक्त व्यापार क्या है विशेष क्षेत्र बनाने का कार्य पूरा होगा। उसके बाद हाईनान और दुनिया के बीच संपर्क और सरल होगा, हाईनान और चीन के अन्य क्षेत्रों के बीच माल और परिवहन साधन की आवाजाही नियंत्रण में होगी और हाईनान द्वीप में व्यापार मुक्त होगा।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 782