एमएसीडी संकेतक समझाया

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Public Works Department is the premier agency of Govt. of Delhi engaged in planning, designing, construction and maintenance of Government assets in the field of built environment and infrastructure एमएसीडी संकेतक समझाया development. Assets in built environment include Hospitals, Schools, Colleges, Technical Institutes, Police Buildings, Prisons, Courts etc; assets in infrastructure development include Roads, Bridges, Flyovers, Footpaths, Subways etc. लोक निर्माण विभाग, दिल्ली सरकार की एक प्रमुख एजेंसी है जो निर्माण करने के क्षेत्र तथा बुनियादी ढांचे के विकास के क्षेत्र में सरकारी परिसम्पत्तियों की योजना, डिजाइन, निर्माण तथा इनके अनुरक्षण कार्य में लगी हुई है। निर्माण के क्षेत्र में जहां अस्पताल, विद्यालय, महा-विद्यालय, तकनीकी संस्थान, पुलिस इमारतें, जेल न्यायालय इत्यादि सम्मिलित हैं वहीं पर बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित परिसम्पत्तियों में सड़कें,पुल,फ्लाईओवर, भूमिगत मार्ग (सब वे) इत्यादि सम्मिलित हैं।

वॉयजर 2 के पुराने आंकड़ों में मिला यूरेनस का गायब हो चुका धूल का छल्ला

यूरेनस (Uranus) की यह जीटा रिंग पिछले 15 साल से दिखाई नहीं दी है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

नासा (NASA) के वॉयजर (Voyager 2) के 36 साल पुराने आंकड़ों से वैज्ञानिकों ने यूरेनस ग्रह की जीटा रिंग (Zeta Ring)को फिर . अधिक पढ़ें

  • News18Hindi
  • Last Updated : October 15, 2022, 10:37 IST

हाइलाइट्स

यूरेनस की यह जीटा रिंग पिछली बार 2007 में दिखाई नहीं दी है.
वैज्ञानिकों को उससे भी पहले वॉजयर 2 के आंकड़ों में इस रिंग की जानकारी मिली.
इन आंकड़ों से बनी तस्वीर से इस रिंग के बारे में नई बातें पता चली हैं.

नासा का वॉयजर 2 (Voyger 2 of NASA) अभियान साल 1986 में युरेनस (Uranus) के पास गुजरा था. यह एकमात्र अंतरिक्ष यान है जो इस ग्रह के पास से गुजरा है. उस समय वॉजयर 2 ने यूरेनस के 10 चंद्रमा और दो छल्ले खोजे थे. इनमें से एक छल्ला जिसे वैज्ञानिक जीटा रिंग (Zeta Ring) कहते हैं, ने वैज्ञानिकों को काफी समय से परेशान कर रखा है क्योंकि वे उसे देख नहीं पा रहे हैं. लेकिन नए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने वॉयजर के ही पुराने आंकड़ों में इस छ्ल्ले को खोजा है और इसकी बेहतर तस्वीर बनाकर नई जानकारियां भी निकाली है.

2007 से नहीं दिखा है छ्ल्ला
दिलचस्प बात यह है कि यह छल्ला पिछले 15 सालों से खगोलविदों को दिखाई नहीं दिया है. लेकिन पिछले साल शोधकर्ताओं ने आंकड़ों से यूरेनस के छल्ले के तंत्र की नई तस्वीर बनाई, जिसमें इस जीटा रिंग भी दिखाई दी. इस तस्वीर को इयान रीगन नाम के गैर पेशेवर इमेज प्रोसेसर ने विकसित किया है.

लगा था कि दो ही तस्वीरें हैं
इदाहो यूनिवर्सिटी के ग्रह वैज्ञानिक मैथ्यू हेडमैन ने बताया, “बहुत लंबे समय से हमने यही समझा था कि हमारे पास वॉयजर 2 से इस छल्ले की केवल दो ही तस्वीरें हैं.“ इस अध्ययन का प्रस्तुतिकरण हेडमैन ने इसी महीने की पहले सप्ताह को अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी के डिविजन ऑफ प्लैनेटरी साइंसेस की वार्षिक मीटिंग में दिया था.

कई तस्वीरों का मिश्रण
हेडमैन ने बताया कि इससे पता चलता है कि वॉयजर 2 के आंकड़ों में अब भी बहुत सारी जानकारी कूटबद्ध है जिसे फिर से देखने की जरूरत है. वैज्ञानिक शुरू में इसे नहीं देख पाए थे क्योंकि लाल रंग का यह धूल भरा छल्ला यूरेनस ग्रह के इतना पास है कि यह किसी एक तस्वीर में दिखाई ही नहीं पड़ रहा था. रीगन को भी कई तस्वीरों को मिला कर देखने पर इसकी दिखाई देने वाली तस्वीर मिली.

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नासा का वॉयजर 2 (Voyager 2) यान 36 साल पहले यूरेनस के पास से गुजरा था. (तस्वीर: NASA)

अब तक का सबसे विस्तृत उपलब्ध दृश्य
हेडमैन ने बताया कि रीगन ने सैकडों तस्वीरों को एक साथ मिलाया और यूरेनस के तंत्र की तस्वीर निकाली. यह जीटा रिंग के अस्तित्व का सबसे विस्तृत उपलब्ध दृश्य है और हम यह नहीं जानते थे कि यह दशकों से वॉयजर के आंकड़ों में छिपा हुई था. इस नई तस्वीर और और पहले से मिली दो तस्वीरों ने हेडमैन और उनके साथियों को कुछ नई जानकारी भी दी है.

उलझाने वाली जानकारी
इस आंकडों से पता चला है कि यूरेनस का यह छल्ला अपने ग्रह से करीब 37 हजार किलोमीटर की दूरी पर है इसके अलावा उन्हें उसकी चमक का भी अंदाजा हो पाया है. लेकिन ये दोनों ही जानकारियां उलझाने वाली है. साल 2007 में हवाई के केक वेधशाला ने वायजर दो के बाद जीटा रिंग का पहली बार अवलोकन किया था लेकिन उसके आंकड़ों से पता चला कि यह छल्ला ग्रह से 40 हजार किलोमीटर दूर है.

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नासा के जेम्सवेब स्पेस टेलीस्कोप से वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि वह यूरेनस की और साफ तस्वीरें निकाल सकेगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)

20 सालों में बदलाव
हेडमैन ने बताया कि दरअसल केके अवलोकनों से मिली इस छ्ल्ले की स्थिति वॉयजर के आंकड़ों से मेल खाती नहीं दिख. जिसका मतलब था कि पिछले 20 साल में इस छल्ले में कुछ बदलाव आया होगा. लेकिन हम यह पता नहीं लगा सके हैं कि वह बदलाव क्या था. इन दो दशकों में जीटा केवल कुछ इंच की दूरी ही दूर नही गई थी जो दो दशकों बाद यह अंतर दिखाई नहीं देता.वहीं वॉयजर के आंकड़ों के संकेत केक के संकेतों से ज्यादा मजूबत थे.

हैडमैन ने बताया कि यह छल्ला चमकीला हो गया था यानि इस तंत्र में और ज्यादा धूल आ गई थी. लेकिन एमएसीडी संकेतक समझाया यह कैसे हुआ इसका भी कुछ पता नहीं हैं. उन्होंने सुझाया कि यूरेनस से अंतरिक्ष की कोई चट्टान टकराई होगी जिसके अवशेषों से जीटा रिंग बनी एमएसीडी संकेतक समझाया होगी या फिर मौसम के बदलाव इसकी वजहहो सकते हैं. लेकिन यह सभी केवल अंदाजे ही हैं. जो भी हो छल्ले पर प्रभाव डालने वाला कारक राडार की पकड़ में नहीं आया था. अब वैज्ञानिकों को जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से उम्मीदें हैं जिसने हाल ही में नेप्च्यून के छल्ले बेतरीन तस्वीर निकाली थी.

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World Happiness Index : 149 देशों की सूची में भारत का स्थान 136वां, 121वें स्थान पर पाकिस्तान!

पिछले साल जब यह रिपोर्ट जारी हुई थी तब भारत का स्थान 139 वां था। इस हिसाब से भारत की स्थिति में पहले की तुलना कुछ सुधार हुआ है लेकिन यह सुधार मामूली है और भारत 136 वें स्थान पर बना हुआ है।

शनिवार को संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था United Nations Sustainable Development Solutions Network ने विश्व खुशहाली सूचकांक (World Happiness Index) जारी किया। इस सूचकांक में भारत 136 वें स्थान पर है जबकि पकिस्तान की रैंकिंग 121वीं है। संयुक्त राष्ट्र की संस्था द्वारा जारी विश्व खुशहाली सूचकांक रिपोर्ट में कुल 146 देश शामिल हैं जिसमें शीर्ष पर फिनलैंड है तो वहीं 146 वें और अंतिम स्थान पर अफगानिस्तान है।

पिछले साल जब यह रिपोर्ट जारी हुई थी तब भारत का स्थान 139 वां था। इस हिसाब से भारत की स्थिति में पहले की तुलना कुछ सुधार हुआ है लेकिन यह सुधार मामूली है और भारत 136 वें स्थान पर बना हुआ है। इसी रैंकिंग के साथ जारी द हैप्पीनेस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत उन देशों में से एक है, जिन्होंने पिछले 10 वर्षों में जीवन मूल्यांकन में 0 से 10 के पैमाने पर सबसे अधिक गिरावट देखी है।

विश्व खुशहाली सूचकांक के लिए दुनिया भर में 150 से अधिक देशों से डेटा सर्वेक्षण के लिए बनी संस्था ग्लोब हैप्पीनेस रिफ्लेक्ट की वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट इस साल अपनी दसवीं वर्षगांठ मनाएगी। वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स 2022, कोविड महामारी और तमाम वैश्विक और प्राकृतिक आपदाओं के बीच इस भयानक समय में आशा की किरण पर प्रकाश डालता है। गौरतलब हो कि विश्व खुशहाली सूचकांक की नवीनतम सूची यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से पहले पूरी हो गई थी।

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