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ईमानदारी से बड़ा पैसा कैसे कमाए

Tanha Shayar Hu Yash Pal

Tanha Shayar Hu Yash Pal

एक ईमानदार तीस चोर

बहुत साल पहले की बात है एक गाँव में एक ईंमानदार और ३० चोर रहते थे गांव जयदा बड़ा नहीं था पुरे गांव में मुश्किल से ५०० से ६०० घर होंगे। इन ३० चोरों से अपनी कोई भी जिम्मेदारी निभाई नहीं जाती थी। ये हमेशा आपस में ही लड़ते रहते थे। ये देखकर इनमे १ ईमानदार आदमी इनको समझाता रहता था की आप लोग ये चोरी का रास्ता छोड़कर मेहनत से अपनी कमाई किया करो। पर इन् सबकी समझ में कुछ नहीं आता था। ये सब उसपर उसके समझाने के बाद बहुत मज़ाक उड़ाते थे। कहते थे इसकी ईमानदारी ने इसे दिया ही क्या है। ये पैसे पैसे के लिए मोहताज़ है ये हमे क्या समझायेगा। धीरे धीरे उन सबने मिलकर उसके घर और खेती पर भी कब्ज़ा कर लिया था। और उसे समझाते रहते थे की जब भी तुम्हे अपनी ज़मीन चाहिए होगी हम तुम लौटा देंगे। वो भी अपने काम में लग ईमानदारी से बड़ा पैसा कैसे कमाए ईमानदारी से बड़ा पैसा कैसे कमाए गया और गांव से बाहर चला गया।

गुरुनानक देव से सीखें ईमानदारी का गुण

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सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले गुरु गुरुनानक देव ने अपने जीवन में हमेशा लोगों को मेहनत, ईमानदारी और प्यार का संदेश दिया। देश ईमानदारी से बड़ा पैसा कैसे कमाए और विदेश में जहां भी वह जाते सब जगह यही संदेश देते थे जिससे हर कोई नेक इंसान बने और लोगों के दिलों में एक-दूसरे के लिए प्रेम की भावना विकसित हो। जीवन में ईमानदारी कितनी ज़रूरी है यह गुरुनानक जी की एक सच्ची कहानी से समझा जा सकता है।

ईमानदारी की कहानी

एक बार गुरुनानक देव अपने साथियों के साथ उत्तर भारत के एक गांव में गए। वहां एक ईमानदार बढ़ई लालू और मलिक भागो नामक एक अमीर आदमी रहता था। जब लोगों को बाबा नानक के आने की खबर मिली, तो वह बहुत उत्साहित हो गए और बाबा के स्वागत को अपना सौभाग्य समझने लगे। बढ़ई लालू भी बाबा जी का स्वागत और सेवा करना चाहता था। वह बाबा जी के चरणों में गिर पड़ा और कहा, ‘मेरे घर में आपकी उपस्थिति से मैं धन्य हो ईमानदारी से बड़ा पैसा कैसे कमाए जाएगा, मुझे भी अपनी सेवा का सौभाग्य प्रदान करें।’

लालू के शब्द भक्ति भाव और प्रेम में डूबे थे, इसलिए गुरुजी ने उसका आमंत्रण स्वीकार कर लिया। लालू और उनकी पत्नी ने बाबा जी को सादा भोजन परोसा, लेकिन सादा होने के बावजूद बाबाजी और उनके साथियों को भोजन करने में आनंद आ गया, क्योंकि खाना प्यार से बना था। बाबा जी के आने से लालू और उसकी पत्नी खुद को सौभाग्यशाली मान रहे थे।

मलिक ने क्या किया?

उधर मलिक भागो ने भगवान को खुश करने के लिए बड़ा आयोजन किया और अपने एक दूत को भेजकर बाबाजी को घर आने का निमंत्रण भिजवाया। नानकदेव ने पहले तो मना कर दिया, लेकिन जब दूत ने कहा कि ईमानदारी से बड़ा पैसा कैसे कमाए ईमानदारी से बड़ा पैसा कैसे कमाए यदि वह गुरु नानक को नहीं लेकर गया तो मलिक उसकी पिटाई करेगा। यह सुनकर बाबाजी उस दूत के साथ मलिक के घर तो गए, लेकिन वहां कुछ खाया नहीं, बस ध्यान में मग्न रहें।

यह देखकर मलिक भागो अपमानित महसूस कर रहा था, उसने गुस्से में कहा, ‘बाबाजी आपने कुछ खाया क्यों नहीं। आपने उस नीची जाति वाले बढ़ई के यहां भोजन किया, लेकिन मेरे यहां नहीं। मेरा भोजन बहुत स्वादिष्ट और कीमती है, आपने खाया क्यों नहीं?’

गुरु नानकदेव ने कहा, ‘मैं तुम्हें दिखाता हूं, क्यों?’

गुरुनानक देव से सीखें ईमानदारी का गुण

क्या किया नानक देव ने?

उन्होंने किसी से बढ़ई के घर की बची हुई एक रोटी मंगवाई। एक हाथ में बाबाजी ने बढ़ई के घर की रोटी रखी और दूसरे हाथ में मलिक के घर की रोटी रखकर दोनों को निचोड़ा। बढ़ई के घर वाली रोटी से दूध निकला और मलिक के घर की रोटी से खून, यह देखकर सब हैरान रह गए।

मलिक ने पूछा कि बाबा ईमानदारी से बड़ा पैसा कैसे कमाए इससे क्या साबित होता है?

गुरुनानक जी ने धैर्यपूर्वक जवाब दिया, ‘लालू के भोजन से दूध निकला क्योंकि वह उसकी मेहनत की कमाई है और उसकी पत्नी से प्यार और दया की भावना के साथ उसे बनाया है। जबकि तुम्हारे खाने में नौकर की तुम्हारे प्रति नफरत शामिल ईमानदारी से बड़ा पैसा कैसे कमाए है। वह तुम्हारे द्वारा किए व्यवहार से दुखी रहते हैं। प्यार से बनाया गया खाना ही सेहत के लिए अच्छा होता है।’

खाना बनाने वाली की मानसिकता का भोजन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। प्यार के साथ बनाए भोजन में पॉज़िटिव ऊर्जा और दुख व निराशा के साथ बनाए भोजन में नकारात्मक ऊर्जा होती है। इसलिए हमें हमेशा हर किसी के साथ प्यार से पेश आना चाहिए और जीवन में ईमानदारी को कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

ईमानदारी से बड़ा पैसा कैसे कमाए

Tanha Shayar Hu Yash Pal

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एक ईमानदार तीस चोर

बहुत साल पहले की बात है एक गाँव में एक ईंमानदार और ३० चोर रहते थे गांव जयदा बड़ा नहीं था पुरे गांव में मुश्किल से ५०० से ६०० घर होंगे। इन ३० चोरों से अपनी कोई भी जिम्मेदारी निभाई नहीं जाती थी। ये हमेशा आपस में ही लड़ते रहते थे। ये देखकर इनमे १ ईमानदार आदमी इनको समझाता रहता था की आप लोग ये चोरी का रास्ता छोड़कर मेहनत से अपनी कमाई किया करो। पर इन् सबकी समझ में कुछ नहीं आता था। ये सब उसपर उसके समझाने के बाद बहुत मज़ाक उड़ाते थे। कहते थे इसकी ईमानदारी ने इसे दिया ही क्या है। ये पैसे पैसे के लिए मोहताज़ है ये हमे क्या समझायेगा। धीरे धीरे उन सबने मिलकर उसके घर और खेती पर भी कब्ज़ा कर लिया था। और उसे समझाते रहते थे की जब भी तुम्हे अपनी ज़मीन चाहिए होगी हम तुम लौटा देंगे। वो भी अपने काम में लग गया और गांव से बाहर चला गया।

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